लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय | Bal Ganga Dhar Tilak GK in Hindi
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय
बाल गंगाधर तिलक के बारे में जानकारी
जन्म 23 जुलाई, 1856
मृत्यु 21 जुलाई, 1920
- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (1856-1926 का जन्म 23 जुलाई, 1856 ई. को महाराष्ट्र के रत्नागिरी नामक स्थान पर हुआ था। बाल्यावस्था से ही तिलक बड़े मेधावी और प्रखर के थे। 1879 में उन्होंने एल. एल. बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की।
- कॉलेज काल से ही उनकी रूचि सार्वजनिक विषयों की ओर एक शिक्षाशास्त्री के रूप में उन्होंने पूना न्यू इंग्लिश स्कूल, दक्षिण शिक्षा समाज तथा फर्ग्युसन कॉलेज के व्यवस्थापक के रूप में ख्याति अर्जित की। अपने अथक प्रयार महाराष्ट्र में शिक्षा क्रांति की अलख जगाई।
- 1889 में कांग्रेस में अपने प्रवेश के बाद से ही एक राजनीतिक नेता के रूप में कांग्रेस कार्य-कलापों में तिलक ने उल्लेखनीय भूमिका का निर्वह किया। उदारवादियों की नीतियों से असन्तुष्ट तिलक ने अपनी शक्ति महाराष्ट्र में राष्ट्रीय आन्दोलन को सुसंगठित करने में लगाई।
- अपने 'केसरी' तथा 'मराठा' नामक दो पत्र तथा शिवाजी और गणपति उत्सवों द्वारा उन्होंने जनता में देश भक्ति की भावना फूंक दी तथा उनमें अपने राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रवृति उत्पन्न की ।। वे बम्बई विधान परिषद के सदस्य चुने गये, जहाँ उन्होंने बड़ी निडरता के साथ सरकारी रवैये की आलोचना की। महाराष्ट्र में अकाल तथा पूना में प्लेग के समय सरकार के उपेक्षित रवैये से क्षुब्ध होकर कुछ युवकों ने पूना के प्लेग कमिश्नर रेड की हत्या कर दी थी। इसके आरोप में तिलक को गिरफ्तार कर लिया गया और 18 माह की कठोर सजा दी गई।
- 1905 ई. के बंगभंग के बाद तिलक का राजनीतिक क्षेत्र सम्पूर्ण भारत हो गया। केसरी के माध्यम से उन्होंने स्वदेशी, बहिष्कार और स्वराज्य का सन्देश जन-जन तक फैलाया। बाल-पाल और लाल के उग्र विचारों के कारण 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस में फूट पड़ जाती है और कांग्रेस नरम और गरम दल के रूप में विभाजित हो जाती है। लेकिन ऐनीबीसेन्ट के प्रयासों से 1915 में पुनः इन दोनों गुटों में एकता स्थापित हो जाती है। 1908 ई. में तिलक पर राजद्रोह का आरोप लगाकर 6 वर्ष की कठोर सजा दी गई।
- 1914 में कारावास से मुक्त होने पर तिलक पुनः राष्ट्रीय संगठन के कार्य में लग गए। 1916-1920 तक उन्होंने होमरूल लीग का प्रचार करके कांग्रेस के कार्यों को और देश की स्वाधीनता संग्राम को आगे बढ़ाया। 1918 ई. में वे कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 21 जुलाई, 1920 को बम्बई में आकस्मिक बीमारी से स्वाधीनता संग्राम के इस महान योद्धा का स्वर्गवास हो गया।
विषय सूची :-
बालगंगाधर तिलक के राजनीतिक विचार
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का योगदान
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