नवीन लोक प्रबंधन की अवधारत्मक रूपरेखा | Conceptual Framework of New Public Management

नवीन लोक प्रबंधन की अवधारत्मक रूपरेखा

नवीन लोक प्रबंधन की अवधारत्मक रूपरेखा | Conceptual Framework of New Public Management
 

संरचनात्मक अनुकूलन तथा स्थिरता कार्यक्रम (Structural Adjustment and Stablisation Programme)

  • पश्चिम में आर्थिक संकट के कारण 1970 के दशक में तेल की कीमतों में भारी वृद्धि के पश्चात्नव उदारवादी विचारों को प्रसिद्धि प्राप्त हुई। 1976 में ब्रिटेन ने संरचनात्मक अनुकूलन कार्यक्रम (Structural Adjustment Programme) लागू किया। उसने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से ऋण उधार लिया और सार्वजनिक उद्यमों विनिवेशसार्वजनिक व्यय में कटौती तथा ऐसे ही कदम प्रारंभ किए। धीरे-धीरे दूसरे देशों ने अनुकरण किया। ये तेजी से अनुभव किया गया कि गरीब तथा आर्थिक ठहराव विशेषकर विकासशील देशों में राज्य द्वारा बाजार शक्तियों के संचलन के महत्व को कम करने का परिणाम था । संरचनात्मक समायोजन तथा आर्थिक विकास में राज्य की घटती भूमिका को अपरिहार्य समझा गया ।

 

  • इससे वाशिंगटन कन्सेन्सस (Washington Consensus) का उदय हुआ। इसमें प्रमुखतः ब्रेटेन वुड (Bretton Woods) संस्थाओंअमरीका कांग्रेस तथा ट्रेजरी (Treasury) एवं अन्य अनेक विचारमंचों (Think Tanks) के द्वारा आगे बढ़ाये गए वे सुधार शामिल थेजिनका उद्देश्य विशेषकर 1980 के दशक में लेटिन अमेरिकी देशों में आर्थिक संकट को संबोधित करना था। इसे संरचनात्मक अनुकूलन तथा स्थिरता कार्यक्रम (Structural Adjustment and Stablisation Programme) भी कहा जाता था।


  • इसमें सुदृढ़ समष्टि आर्थिक तथा वित्तीय नीतियोंव्यापार तथा वित्तीय उदारीकरणनिजीकरण तथा घरेलू बाजार के विनियमितीकरण पर बल दिया गया। शनैः शनैः यह एन. पी. एम. की नव उदारवादी नीतियों के साथ जुड़ गयाजो कि अनेकों कारणों की अन्तर्क्रिया के कारण उत्पन्न हुआ। इसने नीति व प्रशासनिक दोनों का मिला-जुला समाधान प्रदान करने का प्रयास किया। इसका दृढ़ मत था कि व्यापारिक क्रियाओं एवं प्रक्रियाओं को अपनाकर सुधार लाना सरकार के लिए आवश्यक है।

 

  • प्रबंधात्मक तथा अर्थशास्त्र आधारित नीतियों या नियमोंतकनीकों तथा अनुक्रियाओं या व्यवहारों के एक समूह नवीन लोक प्रबंधन ने प्रत्येक देश के लिए उपयुक्त प्रशासनिक आंदोलन का रूप धारण कर लिया। इस प्रक्रिया से इसका परिणाम पूरे विश्व में अनेकों संगठनात्मक तथा संरचनात्मक सुधारों में हुआ। इसने अनेकों नीतियों जैसे शिक्षास्वास्थ्यसंचार आदि को अपने पहुँच या क्षेत्र में ले लिया और लोक प्रशासन के विषय क्षेत्र तथा व्यवहार के स्वरूप को छोटा कर दिया या बदल दिया।


क्रिसटोफर हुड (Christopher Hood) द्वारा शीर्षाकिंत एन पी एम सिद्धांत 


क्रिसटोफर हुड (Christopher Hood) द्वारा शीर्षाकिंत एन पी एम सिद्धांत कई नामों में जाना जाता है। ये एम.पी.एम. ( Pollitt, 1990) लोक प्रशासन के प्रति बाजार आधारित दृष्टिकोण (लेन तथा रोजेनब्लूम- Lan and Rosenbloom, 1992) उद्यमशील / सरकार की पुर्नेखोज (ऑसबोर्न तथा गैब्लर, 1992) नौकरशाही उत्तराधिकारी प्रतिमान (बर्जले Barzyaley 1993 ) इस सिद्धांत की कुछ अलग विशेषताएँ हैं। उनको एक साथ लेकर हम एन.पी.एम. की निम्नांकित अलग विशेषताओं का नतीजा निकाल सकते हैं :

 

  • नीति निर्माण कौशलों के साथ प्रबंधात्मक कौशलों का सआदर करना। 
  • सार्वजनिक संगठनों को अपने लक्ष्योंयोजनाओं तथा आवश्यक स्वायत्ता रखने वाली स्वंय में परिपूर्ण अलग इकाई में विपुंजन या विभाजित करना।  
  • सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा निजी क्षेत्र की प्रबंधकीय प्रथाओं या कार्यप्रणालियों को अपनाना । 
  • सार्वजनिक संगठनों के लिए स्पष्ट मापन योग्य निष्पादन मानकों का निर्माण करना ।
  • पूर्व निर्धारित निर्गत उपायों द्वारा सार्वजनिक संगठनों के निष्पादन पर नियंत्रण करना । 
  • लोक सेवाओं की आपूर्ति में ठेकेदारीनिजी स्वामित्व तथा प्रतिस्पर्धा । सार्वजनिक क्षेत्रीय संगठनों तथा सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों दोनों के मध्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना ।
  • ग्राहक की आवश्यकताओं के प्रति सेवाओं को अधिक संवेदनशील बनाना तथा पैसे की कीमत सुनिश्चित करना । 
  • अधिक अच्छी सेवा आपूर्ति को सुगम बनाने के लिए सूचना बनाने के लिए सूचना तकनीक का प्रयोग करना । 
  • प्रक्रियाओं के अनुपालन के स्थान पर परिणामों की प्राप्ति पर ध्यान देना सेवाओं तथा वस्तुओं की आपूर्ति में प्रतिस्पर्धातथा ठेकेदारी जैसे-बाजारसिद्धांतों की शुरुआत करना । 
  • सेवा सदाचार (Ethics) तथा कुशलता में वृद्धि करने के लिए लोक प्रशासन को ग्राहक संचालित बनाना। 
  • नीतियों के कार्यान्वयन में सरकार के अन्य स्तरों तथा लाभ-निरपेक्ष (Non-profit) संगठनों जैसे तीसरे पक्ष पर निर्भर करते हुए सरकार को नाव खेने की अपेक्षा मार्ग दिखाने की भूमिका प्रदान करना।  
  • सरकार को परिणामोन्मुख बनाने के लिए सरकारी क्रियाकलापों को नियंत्रण युक्त (De regulate) करना । 
  • कर्मचारियों को ग्राहकों की सेवा करने के लिए सशक्त करनाक्योंकि इससे समूह भावना ( Team Spirit) को बढ़ावा मिलता हैतथा
  • नियमबद्धता प्रक्रिया के विरुद्ध तथा आगत के स्थान पर परिणाम पर ध्यान केन्द्रित करते हुए नमनीयतानवोन्मेख नवाचारउद्यमशीलता तथा उद्यमी की ओर लोक प्रशासन संस्कृति को बदलना ।

 

क्या एन. पी. एम. लोकप्रशासन का एक अलग / विशिष्ट प्रकार है

  • एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि क्या एन. पी. एम. लोकप्रशासन का एक अलग / विशिष्ट प्रकार है या दोनों में कुछ सांझी बाते हैं। सर्वोत्तम पुराने मूल्यों की बलि दिए बगैर एन. पी. एम. को एक नई गतिशील दृष्टिकोण का दावा करने पर शैक्षिक वाद-विवाद है। 


  • यह कहा गया है, कि बौद्धिक स्तर पर एन.पी.एम. पारम्परिक लोक-प्रशासन की तरह व्यापार प्रबंध से विचार उधार लेता हैतथा टेलरफेयॉलगुलिक आदि के लेखों से प्रभावित है। 
  • दोनों ही संगठन सिद्धांतनिर्णयन सिद्धांतवित्तीय प्रबन्ध व्यवस्था विश्लेषणअर्थशास्त्र तथा समाजशास्त्र जैसे विशेषीकृत क्षेत्रों के सांझे केन्द्रीय बिंदुओं को साझा भी करते हैं।

 

  • जहाँ लोक प्रशासन अधिकतर राजनीति शास्त्र तथा विधि पर आधारित हैएन. पी. एम. बहुत कुछ व्यापार प्रशासन तथा अर्थशास्त्र से प्राप्त करता है। एन. पी. एम. सरकारी सुधारों पर निशाना करती हुई अनेकों पद्धतियों तथा तकनीकों को शामिल करने वाली एक सुधार योजना / कार्यनीति है । रोजमर्रा के कार्योंकर्तव्यों तथा क्रियाकलापों के विपरीत या तुलना में यह कार्यों ध्येयों तथा प्रक्रियाओं पर बल देता है। 
  • यह गैर-नौकरशाहीकरण तथा विक्रेन्दीकरण सत्ता के प्रदत्तीकरण तथा विभिन्न टीमों को दायित्व के माध्यम से संगठन में प्रदाय-स्तरों पर ध्यान केन्द्रित करता है। इसका ध्यान ग्राहक केन्द्रित तथा ग्राहक संतुष्टि होता है। यह ग्राहकों की पहचान करनेउनकी आवश्यकताओं तथा इच्छाओं का अनुमान लगाने तथा उनकी माँगों को पूरा करने के रास्तों को तैयार करने को प्राथमिकता देता है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.