कृषि तथा उद्योग में अन्तर| Difference between agriculture and industry

कृषि तथा उद्योग में अन्तर Difference between agriculture and industry

कृषि तथा उद्योग में अन्तर| Difference between agriculture and industry
 

कृषि और उद्योग में क्या अन्तर है ?

  • किसी भी व्यवसाय की सफलता सुनिश्चित बनाई गयी योजना के कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। योजना ऊपर से तो अच्छी दिखाई देती है परन्तु कई बार व्यवसाय की विशेषताएँ योजना को लागू करने से पहले जी परिस्थितिओं को बदल देती है। कृषि क्षेत्र में निर्णय लेने वाले आधार भूत तत्व उद्योगों से भिन्न होते है जिनका वर्णन आगे किया गया है।

 

1. मॉग पक्ष

  • मॉग पक्ष को देखे तो कृषि वस्तुओं की मॉग कम लोचदार होती है। यदि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी होती है तो लोग उसकी ज्यादा मॉग नहीं करते है। खाद्य वस्तुओं की माँग जीवन के लिए आवश्यक है लेकिन उनकी कीमतों के कम या ज्यादा होने पर उनकी मॉग पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन दूसरी तरफ औद्योगिक वस्तुओं की मॉग ज्यादा लोचदार होती है औद्योगिक वस्तुओं की कीमतों के कम होने पर लोग ज्यादा से ज्यादा खरीदना चाहते है ।

 

2. पूर्ति पक्ष

  • कृषि वस्तुओं की पूर्ति भी कम लोचदार होती हैतथा यह प्राकृतिक दशा पर निर्भर करती है। कृषि उत्पादन को ज्यादा आगतों का प्रयोग करके या ऋतुओं के विपरीत स्थिति में ज्यादा बढ़ाया नहीं जा सकता है। दूसरी तरफ औद्योगिक वस्तुओं की पूर्ति अधिक लोचदार होती है। औद्योगिक वस्तुओं को अधिक फैक्टरी लगाकर या अधिक घण्टे काम करके बढ़ाया जा सकता है। यदि औद्योगिक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है तो इसकी पूर्ति को भी बढ़ाया जा सकता है।

 

3. उत्पादन के साधन

  • कृषि क्षेत्र में जमीन उत्पादन का महत्वपूर्ण साधन होता है। कृषि उत्पादन अधिकतम् कृषि क्षेत्र के आकार तथा स्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन उद्योगों में जमीन का उत्पादन के साधन के रूप में ज्यादा महत्व नहीं है। मशीन तथा पूंजी ज्यादा महत्वपूर्ण है। मशीनों को एक बिल्डिंग के विभिन्न तलों पर स्थापित किया जा सकता है।

 

4. उत्पादन की जीव विद्या संबंधी प्रकृति

  • कृषि का संबंध जीव पदार्थो जैसे पशुओं और पौधों से होता है। इस प्रकार यह जीव पदार्थ कई प्रकार की बीमारियों जैसे प्रतिकूल वातावरण तथा छूत के शिकार हो सकते हैं। परन्तु औद्योगिक क्षेत्र में ऐसा नहीं होता।

 

5. जलवायु पर निर्भरता

  • कृषि में उत्पादन मुख्यतः जलवायु की देन है। जिस वर्ष जलवायु अनुकूल रहता उस वर्ष कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है जबकि विपरीत होने पर कृषि उत्पादन कम होता है। इस प्रकार कृषि उत्पादन पर जलवायु जैसे तापमानवर्षातुफानधूपनमी अथवा बाढ़ इत्यादि तत्वों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। उद्योगों को इस प्रकार के तत्वों से बचाया जा सकता है।

 

6. उत्पादन इकाई का छोटा आकार

  • कृषि में उत्पादन की इकाई का आकार बड़ा तथा उससे प्राप्त होने वाला प्रतिफल उद्योगों की अपेक्षा बहुत कम होता हैं। कृषि में भूमि की मॉग बहुत अधिक होती है जबकि पूर्ति वेलोचदार होती है। जनसंख्या के बढ़ने के साथ उत्पादन इकाई का आकार निरन्तर कम होता जा रहा है।

 

7. वित्त की समस्या

  • कृषि में जोखिम तथा अनिश्चितता अधिक होती है। उत्पादकता एवं कीमतों में बहुत अधिक अनिश्चितता तथा कम प्रतिफल के कारण इस क्षेत्र में हमेशा वित्त की समस्या रहती है।

 

8. कीमतों में उतार-चढ़ाव

  • कृषि उत्पादन मौसमीनाशवान तथा कृषि पदार्थों की निरन्तर मॉग के फलस्वरूप कृषि पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव आता रहता है। कृषि में मॉग एवं पूर्ति में समायोजन करना कठिन होता है। क्योंकि कृषि उत्पादन में समय का अन्तराल होता है ।

 

9. स्थापना का सीमित चयन

  • कृषि में भूमि उत्पादन का एक आधार भूत साधन होता है। किसान के पास भूमि की स्थापना तथा आकार का चयन सीमित होता है। इसके विपरीत उद्योगों को सुरू करने से पहले स्थापना तथा आकार का चयन करना पड़ता हैजो कि एक महंगा व्यवसाय है।

 

10. घटते प्रतिफल का नियम

  • कृषि में उद्योगों की अपेक्षा जल्दी ही घटते प्रतिफल का नियम आरंभ होता है। एक अवस्था के बाद जब उत्पादन को बढ़ाने की दृष्टि से श्रम तथा पूंजी की अतिरिक्त इकाई लगायी जाती है तो उत्पादन कम अनुपात की दर से बढ़ता है जिसके कारण उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।


11. नाशवान उत्पाद

  • अधिकतर कृषि पदार्थ नाशवान प्रकृति के होते हैं। इन पदार्थों को अधिक देर तक संग्रह करके नहीं रखा जा सकता तथा इनके संग्रह करने की लागत भी बहुत ऊची होती है। इन पदार्थों का तुरंत उपयोग करना पड़ता है ।

 

12. संयुक्त उत्पाद

  • बहुत से कृषि पदार्थ संयुक्त उत्पाद होते है जैसे गेहूँ तथा भूसारूई तथा खिनौलेऊन तथा मांस आदि । यह एक ही पौधे के भाग होते है और आसानी से उसी क्षेत्र पर कम लागत पर पैदा किए जा सकते है। उद्योगों में भी बहुत से उत्पाद एक साथ पैदा किए जाते है। परन्तु उनकी लागत को अलग नहीं किया जा सकता है।

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