व्यवसायिक प्रक्रिया पुनः अभियंत्रिकीकरण व नव लोक प्रबंधन का मूल्यांकन |Evaluation of New Public Management

व्यवसायिक प्रक्रिया पुनः अभियंत्रिकीकरण व नव लोक प्रबंधन का मूल्यांकन

व्यवसायिक प्रक्रिया पुनः अभियंत्रिकीकरण व नव लोक प्रबंधन का मूल्यांकन |Evaluation of New Public Management


 

  • एन. पी. एम. की भाँति बी.पी.आर. को एक अस्थिर उपागम माना जाता हैक्योंकि प्रत्येक युग सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों और उत्पादन तकनीकों में परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए किसी न किसी बी. पी. आर. पद्धति को लागू किया गया है। इस प्रकार से बी. पी. आर. मात्र एक तकनीक हैन कि एक सिद्धांत जिसका उद्भव हम उसके वैज्ञानिक नियमों में ढूँढ़ सकते हैं। इसलिए प्रबंध साहित्य में इसे "नई बोतल में पुराना पय" कह सकते हैं।


  • होर्थोन (Hawthorne) प्रयोगों के पश्चात् मानव संबंध साहित्य को आगे बढ़ाने वाले संगठनात्मक सिद्धांतकारों जैसे आर. एम. साइट और जे.जी. मार्च (R.M Cyert and J.G. March) ने बी. पी. आर. की एक विरोधाभासी अवधारणा कहकर आलोचना की है। इसका कारण यह है कि एक ओर तो यह मज़दूरों के सशक्तीकरण और स्थानीय पहल को बढ़ावा देता हैतो दूसरी ओर उस सर्वशक्तिशाली टीम प्रबंधक की अवधारणा को बढ़ावा देता हैजिसमें प्रबंधक सर्वशक्तिमान हो सकता हैऔर अपनी टीम के सदस्यों के भविष्य के साथ क्रूरता से पेश आ सकता है।

 

  • सन् 1995 में थॉमस एच. डेवेनपोर्ट (Thomas H. Davenport) ने एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठाया है, "जहाँ पुनः निर्माण असफल सिद्ध हुए हैंक्या वहाँ व्यवसायिक प्रक्रियाओं को सहयोगात्मक ढंग से सौंपना सफल हो पाएगा?" डेवेनपोर्ट ने इसके संगठन व सूचना तकनीकी पक्ष की आलोचना की हैऔर यह सुझाव दिया हैकि व्यवसाय के लिए एक अधिक उपयुक्त अवधारणा वह हैंजो संगठन के लिए मानव के परस्पर संबंध से जुड़ी हो और सूचना पद्धतियों के लिए पारिस्थितिकी हो।


  • इसका अर्थ यह है कि अगर मानवीय व पारिस्थितिकी संदर्भ परिप्रेक्ष्यों में लागू किया जाएतब व्यवसाय टीम के सदस्यों के बीच संचार और समझदारी बढ़ाकर भागीदारी की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। व्यापार व सूचना का ढाँचा संदर्भ से जुड़ा होना चाहिएऔर किसी विशेष व्यवस्था की आवश्यकताओं व माँगों के अनुरूप होना चाहिए।

 

  • वेबर के नौकरशाही राज्य मॉडल के प्रति असंतोष के कारण एन. पी. एम. का जन्म हुआ। इस असंतोष के बहुत से कारण हैं: योजना नीतियों की लगातार असफलताएँउच्च लागत क्रियान्वयनबेहिसाब खर्चाबढ़ता भ्रष्टाचार और बढ़ता हुआ घाटा। बहुत से रोग लक्षणों या विकृतियों (Pathologies) ने नौकरशाही व्यवस्था में ही अपनी जड़ें जमा ली थीं। ये लक्षण थे गोपनीयता केन्द्रीकरणलाइसेंस पद्धति व्यवस्था को बढ़ा देने वाली एकाधिकार व्यापार पद्धतियाँआत्मकेन्द्रित (Inward looking) प्रशासनिक व्यवस्थाअलग-अलग मानसिकता वाली नौकरशाही। यह नौकरशाही लोगों के साथ तालमेल नहीं बना सकी थी। 

 

  • इसलिए कीन्स (Keynes) के आर्थिक विचारों पर आधारित कल्याणकारी राज्य के मॉडल की असफलता ने नव लोक प्रबंधन को बढ़ावा दिया। नौकरशाही की आलोचना कर शोधकर्ताओं और व्यवहारवादियों ने अपना गुस्सा प्रकट किया। 1980 और 1990 के दशक में प्रशासनिक साहित्य में नौकरशाही की आलोचना छाई रही। इंग्लैंड में मारग्रेट थैचर और अमेरिका में रोनाल्ड रीगन ने प्रशासन में व्यवसाय की भाँति व्यवहारों को अपनाने का व्यापक प्रयास किया और इस परिवर्तन का बिगुल बजाया। यहाँ पर दो क्रांतिकारी परिवर्तन हुए प्रथम प्रशासनिक उत्तरदायित्वों को बाहरी संस्थाओं को सौंपना (आउटसोर्सिंग- Outsourcing), और द्वितीय प्रतियोगिता को लागू करना अचानक ही नौकरशाही ने स्वयं को क्रमिक समाप्ति से बचने के लिएनिष्पादन व कार्यकुशलता को बढ़ाया। प्रशासक गतिपारदर्शिताजन सहभागितानवीन तकनीक और ग्राहक उत्तरदायित्वजिनका पूर्व व्यवस्था में अभाव थाउनके प्रति जागरूक हो गए।

 

  • मुख्यतयाइन परिवर्तनों के द्वारा लोगों के लिए सुविधा आबंटन में सुधार और लोगों के विश्वास को फिर से प्राप्त करने के लिए प्रयास किया गया था। इस प्रकार से जहाँ कहीं भी प्रशासकीय विभागों में प्रशिक्षण व तकनीकी प्रयोगों की कमी थीवहाँ सेवा को निजी हाथों और निजी सार्वजनिक क्षेत्रों की भागीदारी में सौंपा गयाऔर ये सुशासन का नया प्रतीक बन गए। नव लोक प्रशासन ने सुशासन और सुव्यवसाय के लिए संकेतक स्थापित किए। चूँकि नव लोक प्रशासन ने कम लागत पर टिके क्रियान्वयन को प्रेरित कियाइसलिए सरकार के लिए तकनीक में निवेश करना एक नई मुहिम बन गया। सार्वजनिक जीवन में प्रतियोगिता को प्रोत्साहित करने के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा दिया गयाऔर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से बोली लगवाकर उन्हें बीमार सार्वजनिक परिसम्पत्तियों को बेचा गया। उदारीकरण से सार्वजनिक सम्पत्तियों का निजीकरण हुआऔर नव लोक प्रशासन ने उस एक नई व्यवसायिक प्रक्रिया पुनः अभियंत्रिकीकरण (बी.पी.आर.) की ओर संकेत कियाजिससे प्रशासन में नए प्रतिमान के परिवर्तित होने वाले उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता मिली।

 

  • हालाँकि, नव लोक प्रबंधन की तरह के परिवर्तन न तो नए थे और न ही लोगों के भले के लिए थे। इनमें भी बहुत सारे ऐसे विरोधाभास भरे पड़े थेजिन्होंने लोक प्रशासन और व्यवसायिक प्रशासन की समझ को उलझा दिया। जैसा कि हम पढ़ चुके हैंबी.पी.आर. का प्रयोग एफ. डब्ल्यू. टेलर और हेनरी फैयोल के समय से ही किया जा रहा है। अमेरिका में जैफर्सनवादियों और हेमिल्टनवादियों (Jeffersonians) and Hamiltonians) दोनों की ही यह मुख्य माँग थी कि व्यवसायिक सिद्धांत को अपनाया जाएपरंतु वास्तव में इन दोनों में से किसी ने भी नागरिक को ग्राहक और राज्य को एक व्यापारिक प्रतिष्ठान समझने का भ्रम नहीं किया था। नव लोक प्रबंधन सरकार के कार्य को व्यवसाय की भाँति संपन्न करने पर बल देता है। इससे गरीबउपेक्षित और विकलांग नागरिक छूट जाते हैं। ये नागरिक न तो प्रतियोगिता में ठहरने की शर्तें पूरी करते हैं और न ही इनके पास ग्राहक बनने के लिए परिसम्पत्तियाँ ही होती हैं। जो सेवाएँ इन नागरिकों को सस्ती दर पर गिलती थीजैसे शिक्षास्वास्थ्य और खाद्य सामग्रीवे अब राज्य की जिम्मेदारियाँ पार-राष्ट्रीय (Transnational) कंपनियों द्वारा लिए जाने के कारण महँगी हो गई हैं।


  • इसके अतिरिक्तबी.पी.आर. विकासशील और संक्रमणकालीन देशों के उद्देश्य को भी पूरा नहीं कर पाया है। इसका साधारण-सा कारण यह है कि वे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन पर काबू पाने के लिए यह प्रतीक्षारत विशाल मानव समूह के प्रति उन्मुख नहीं है। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम अब दाता एजेंसियों पर आधारित हैंऔर कल्याणकारी योजनाओं से लाभ लेने वाले नागरिकों की अपेक्षा दाता एजेंसियाँ अपना हित ही साधती हैं। बी. पी. आर. कार्य पद्धति में तकनीकी सुधार ने तकनीकी हस्तांतरण करने वालेन कि लेने वाले देशों को ही लाभ पहुँचाया है ।

 

  • इसके अतिरिक्तनव लोक प्रशासन और बी. पी. आर. का स्थायित्व समानांतर कानूनअर्थव्यवस्था और निर्वाचन व्यवस्था में सुधार पर निर्भर है। अधिकांश सरकारें बढ़ते हुए सामाजिक रूप से उपेक्षित लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करने में असफल रही हैंसम्पत्ति अधिकारों और शिक्षा के अधिकार की परिभाषा के लिए कानूनी ढाँचे और चिकित्सा सुविधाओं और रोज़गार के प्रावधान स्थापित करने में भी असफलता ने विकासशील देशों के लोगों को हताश किया है। अतः इस प्रकार से राज्य का विरोध नव लोक प्रबंधन और व्यवसायिक प्रक्रिया पुनः अभियंत्रिकीकरण के विरोध में परिवर्तित हो गया है।

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