जनजातीय कार्य विभाग मध्यप्रदेश | जनजातीय कार्य विभाग की विकास योजनाएँ | MP Janjatiya Karya Vibhag Ki Yojnayen
जनजातीय कार्य विभाग मध्यप्रदेशजनजातीय कार्य विभाग की विकास योजनाएँ
जनजातीय कार्य विभाग मध्यप्रदेश
- जनजातीय कार्य विभाग मध्यप्रदेश सरकार के प्रमुख विभागों में से एक है। इस विभाग को जनजातीय वर्ग के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक संरक्षण तथा विकास का दायित्व सौंपा गया हैं। इस दायित्व के निर्वहन हेतु विभाग जहाँ एक ओर अपने स्तर पर सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक योजनाएँ संचालित कर रहा हैं वहीं दूसरी ओर जनजातीय उपयोजना (सब स्कीम) तथा अनुसूचित जाति उपयोजना (सब स्कीम) अन्तर्गत विभिन्न विभागों को प्राप्त होने वाली धनराशि के अनुश्रवण हेतु नोडल विभाग का दायित्व भी निर्वहन कर रहा है।
मध्य प्रदेश जनजातीय विभाग की विकास योजनाएँ
- प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र 3.08 लाख वर्ग किलोमीटर का 31.82 प्रतिशत (0.98 लाख वर्ग किलो मीटर) क्षेत्र जनजातीय उपयोजना क्षेत्र के रूप में चिन्हांकित है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में जनजातीय उपयोजना क्षेत्रांतर्गत 31 एकीकृत जनजातीय परियोजनाएँ (जिनमें 26 वृहद, 05 मध्यम), 30 माडा पॉकेट (मॉडीफाइड एरिया डव्हलपमेंट एजेंसी) एवं 06 लघु अंचल संचालित है, जिनके द्वारा जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में अधोसंरचना विकास कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं ताकि जनजातीय क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके।
- आदिवासियों के कल्याण हेतु विभागीय कार्यक्रमों में शैक्षणिक योजनाएँ प्रमुख हैं। विभाग द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में शालाओं के संचालन के साथ-साथ जनजातीय छात्र छात्राओं की शैक्षणिक प्रोत्साहन देने वाली अन्य अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया जा रहा है।
- विभाग द्वारा जनजातीय परिवारों के सर्वागीण विकास एवं आर्थिक उत्थान हेतु कई कल्याणकारी योजनाएँ जैसे- जनजातीय बाहुल्य बस्तियों के विकास / विद्युतीकरण, विद्यार्थियों को मेडीकल एवं इंजीनियरिंग में प्रवेश हेतु आकांक्षा योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्य मंत्री आर्थिक कल्याण एवं मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना आदि संचालित की जा रही हैं। इन वर्गों के उत्थान में स्वैच्छिक संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ऐसी अशासकीय संस्थाओं को विभाग द्वारा अनुदान दिया जा रहा है, जो इन वर्गों के विकास के लिए विभिन्न गतिविधियों का संचालन करती हैं।
जनजातीय कार्य विभाग की विभागीय शैक्षणिक योजनाऐं
शालाओं का संचालन
- शिक्षा किसी भी योजना की सफलता के लिये शैक्षणिक विकास प्रथम आवश्यकता है। आदिवासियों के लिये शिक्षा की महत्ता को समझते हुये संविधान के अनुच्छेद 15 (4) एवं धारा 46 में आदिवासियों में शिक्षा के विकास के लिये विशेष उपबन्धों का उल्लेख किया गया है। इसी के परिणाम स्वरूप आदिवासियों के लिये स्कूल तथा कालेज स्तर पर अनेक योजनाएँ बनी हैं। विभाग द्वारा प्राथमिक शाला से उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के संचालन के साथ-साथ जनजातीय विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियाँ भी दी जाती है।
विशिष्ट संस्थाएँ
- अनुसूचित जनजातियों के लिये इंजीनियरिंग / मेडीकल / राज्य व केन्द्रीय प्रशासनिक सेवाओं तथा सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने के उद्देश्य से इन वर्गों के प्रतिभावान बालकों को जनजातीय क्षेत्रों में उत्तम कोटि की शिक्षण व्यवस्था और प्रोत्साहनकारी पर्यावरण उपलब्ध कराने के लिये 08 आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 54 कन्या शिक्षा परिसर एवं 64 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं।
जनजातीय कार्य विभाग मध्यप्रदेश की हितग्राही मूलक योजनाएँ
मेधावी पुरस्कार योजना
- जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं के उपरांत बोर्ड परीक्षाओं में प्रावीण्य सूची में स्थान लाने पर मेधावी पुरस्कार प्रदान करने हेतु योजना संचालित है। शिक्षा के प्रोत्साहन हेतु ग्राम पंचायत पुरस्कार योजना के स्थान पर योजना का नाम मेधावी विद्यार्थियों को पुरस्कार योजना किया गया है।
- माध्यमिक शिक्षा मण्डल, म.प्र. भोपाल, सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन (सी.बी.एस.ई.) एवं इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन (आई.सी.एस.ई) अंतर्गत जनजातीय वर्ग की प्रावीण्य सूची के कक्षा 10वीं एवं कक्षा 12वीं के 52-52 बालक / बालिकाओं को जिला स्तर पर रूपये 1000/- एवं प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया जावेगा। जिन विद्यार्थियों को शंकर शाह एवं रानी दुर्गावत्ती पुरस्कार प्राप्त हो गया है । उन्हें यह पुरस्कार देय नहीं होगा।
शंकर शाह और रानी दुर्गावती पुरस्कार
कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं बोर्ड परीक्षा की में जनजातीय
विद्याथियों में प्रथम 03 स्थान बालक या बालिका तथा अगले 03 स्थान बालिकाओं के लिये आरक्षित किये
गये हैं।
- 10वीं बोर्ड परीक्षा की मेरिट सूची अनुसार प्रथम (बालक या बालिका) 51000, द्वितीय (बालक या बालिका) 40000, तृतीय (बालक या बालिका) 30000, चतुर्थ (केवल बालिका) 15000 पंचम (केवल बालिका) 15000 एवं पंचम (केवल बालिका) 10000 की राशि देय है।
- 12वीं बोर्ड परीक्षा की मेरिट सूची अनुसार प्रथम (बालक या बालिका) 51000, द्वितीय (बालक या बालिका) 40000, तृतीय (बालक या बालिका ) 30000, चतुर्थ (केवल बालिका) 20000 पंचम (केवल बालिका) 15000 एवं षष्टम (केवल बालिका) 10000 की राशि देय है। समान प्राप्तांक / स्थान प्राप्त होने पर समान पुरस्कार राशि प्रदान की जावेगी।
जनजातीय कार्य विभाग की बालिका विज्ञान प्रोत्साहन योजना
- जनजातीय बालिका विज्ञान पुरस्कार योजना में माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल द्वारा आयोजित 12वीं बोर्ड परीक्षा में विज्ञान संकाय में भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान एवं गणित विषय के अंकों को ही आधार मानकर इन विषयों के प्राप्तांक को सर्वाधिक अंक से न्यूनतम 90 प्रतिशत की सूची में 10 जनजातीय वर्ग की बालिकाओं को रुपये 50000/- के मान से पुरस्कार राशि दिये जाने का प्रावधान है।
- शैक्षणिक संस्थाओं / छात्रावासों हेतु उत्कृष्टता पुरस्कार योजना - विभाग द्वारा संचालित छात्रावास / आश्रमों में विद्यार्थियों हेतु उत्कृष्ट व्यवस्था, जनसमुदाय की भागीदारी, छात्रावास / आश्रमों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के समग्र विकास तथा स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना विकसित करने के उददेश्य से अनेक पुरस्कार योजनाऐं स्वीकृत की गयी है।
अनुसूचित जनजाति बालिकाओं हेतु सायकिल प्रदाय योजना
- कक्षा 9 वीं में जिन अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं को सायकिल प्रदाय नहीं की गई है, उन्हें कक्षा 11वीं में सायकिल हेतु स्कूल शिक्षा विभाग की दर अनुरूप राशि दी जा रही है। ऐसी अनुसूचित जनजाति वर्ग की बालिकायें जो कक्षा 11 वीं में अध्ययन के लिये अपने निवास से 02 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करती हैं, उन्हें योजना का लाभ दिया जा रहा है।
विद्यार्थी कल्याण योजना
आर्थिक रूप से कमजोर अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को विभिन्न परिस्थितियों में आकस्मिक आवश्यकता की पूर्ति के लिये सहायता देने के उद्देश्य से विद्यार्थी कल्याण योजना संचालित है।
इस योजना के नियम
निम्नानुसार हैं:
- शासकीय अथवा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्था में नियमित विद्यार्थी हो ।
- अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थी जो कक्षा 1 से मैट्रिकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत हो।
- ऐसे विद्यार्थी जिन्हें किसी अन्य शासकीय स्त्रोत से संबंधित प्रयोजन के लिये सहायता प्राप्त हो चुकी हो, को पुनः इन नियमों के अंतर्गत सहायता नहीं दी जावेगी।
विद्यार्थी कल्याण योजना योजना का प्रयोजन
- विशिष्ट आयोजनों में सम्मिलित होने हेतु पोषाक परिधान, साज-सज्जा हेतु सहायता राशि रूपये 3000 निःशक्त छात्र / छात्राओं को ट्रायसाईकल हेतु सहायता राशि 3000, असामयिक विपत्ति सहायता राशि रूपये 25000, विशेष रोग, कैंसर, टी.बी. हृदय रोग आदि सहायता राशि रूपये 10000 एवं मृत्यु पर (दुर्भाग्य पूर्ण घटना होने पर) सहायता राशि रूपये 25000 का प्रावधान है।
कन्या- साक्षरता प्रोत्साहन योजना -
- प्रदेश में बालिका शिक्षा प्रोत्साहन हेतु सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम संकल्प 37 के अंतर्गत समेकित छात्रवृत्ति योजना के तहत आयुक्त लोक शिक्षण मध्य प्रदेश द्वारा योजना। का क्रियान्वियन किया जा रहा है एवं बालिकाओं के शाला त्यागी ड्रापआउट रेट कम करने के उददेश्य से शासन द्वारा कक्षा 10वी में उत्तीर्ण कक्षा 11वीं में प्रवेशित बालिकाओं को रूपये 3000/- प्रोत्साहन राशि प्रदाय की जा रही है। वर्ष 2017-18 से योजना में लाभ के लिये पालक अभिभावक की वार्षिक आय सीमा राशि रूपये 6.00 लाख निर्धारित की गई है।
सैनिक स्कूल / निजी संस्थाओं में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के शुल्क की प्रतिपूति -
- “शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 12 के प्रावधान के अंतर्गत निजी संस्थाओं में 25 प्रतिशत सीट अलाभित एवं दुर्बल वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित होने से वर्ष 2017-18 से योजना में सैनिक स्कूल रीवा को छोड़कर निजी संस्थाओं में नवीन प्रवेश की फीस प्रतिपूर्ति के प्रावधान को समाप्त किया गया है। नवीन विद्यार्थियों को प्रवेश न दिया जाकर जो विद्यार्थी पूर्व से अध्ययनरत हैं उन्हें कक्षा 12वीं तक शुल्क की प्रतिपूर्ति की जा रही है।
अनुसूचित जनजाति प्रतिभा योजना
- प्रतिभा योजना अंतर्गत राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं जेईई. नीट, एन.आई.टी., एम्स, क्लैट, एन.डी.ए. एफ.डी.डी.आई. एन.आई.एफ.टी. एवं आई.आई.एच.एम में प्रदेशके जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा सफलता प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रवेश लेने पर प्रोत्साहन राशि दिये जाने का प्रावधान है।
आकांक्षा योजना
- जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से संभाग स्तर पर कोचिंग ।
- प्रदेश में जनजातीय वर्ग के प्रतिभावान चयनित विद्यार्थियों को कक्षा 11वीं एवं 12वीं अध्ययनरत रहते हुये राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- जे.ई.ई. क्लेट नीट व एम्स की परीक्षा की तैयारी के लिये आधारभूत सुविधाये उपलब्ध कराने हेतु प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से समाग स्तर पर कोचिंग दी जाना योजना का उद्देश्य है। योजनांतर्गत योग्य विद्यार्थियों को 04 संभाग मुख्यालय, भोपाल, इंदौर जबलपुर व ग्वालियर में कक्षा 11वीं एवं 12वीं अध्ययन एवं राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है।
क्रीड़ा परिसर
- जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राओं में खेल के प्रति रूचिः विकसित करने के लिये विभाग द्वारा प्रदेश में 26 विभागीय क्रीडा परिसर स्वीकृत है। इनमें से 19 बालक तथा 07 कन्या क्रीड़ा परिसर है ये क्रीडा परिसर पूर्णतः आवासीय है प्रत्येक क्रीडा परिसर में 100 सीट स्वीकृत है। इंदौर में विशिष्ट क्रीड़ा परिसर संचालित है। जिसमें 200 सीट स्वीकृत है।
खेल विधाएँ
- क्रीडा परिसर में विभिन्न प्रकार की खेल विधाऐं संचालित की जा रही है। जैसे हॉकी, रोड साईकलिंग, एथलेटिक्स, व्हालीबाल, बेडमिंटन, कुश्ती, बाक्सिंग हेडबॉल, फुटबाल, टेबलटेनिस, लानटेनिस, तीरंदाजी, साफूटवाल, जूडो कराटे शतरंज क्लाईबिन, एवं बोल्डरिंग, जिमनास्टिक, बेसबॉल इत्यादि खेल विधाओं का अभ्यास कराया जाकर राज्य एवं राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सम्मिलित कराया जाता है।
खिलाड़ियों को प्रोत्साहन एवं पुरस्कार योजना
- विभाग द्वारा संचालित कीड़ा परिसरों एवं अन्य शालाओं के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्र एवं राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाडियों को विजेता होने पर नियमानुसार पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है।
आवासीय संस्थाएँ-छात्रावास / आश्रम योजना
- प्रदेश के जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों के लिये विभाग द्वारा छात्रावास योजना संचालित की जा रही है। योजनांतर्गत कक्षा 01 से लेकर 12वीं तक स्कूली शिक्षा हेतु एवं महाविद्यालयीन कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिये छात्रावास एवं आवास सहायता योजना संचालित की जा रही है।
- छात्रावास में विद्यार्थियों को निःशुल्क आवासीय सुविधा भवन, बिजली एवं पानी, भोजन व्यवस्था, फर्नीचर, बिस्तर सामग्री, पुस्तकालय, कोचिंग जैसी अन्य आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती है।
छात्रावासों को निम्नानुसार पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :
- आश्रम शालाएँ (कक्षा 1 से 5 एवं कक्षा 6 से 8 तक)
- जूनियर छात्रावास (कक्षा 6 से 8वीं तक)
- सीनियर छात्रावास जिला स्तरीय उत्कृष्ट छात्रावास
- विकासखण्ड स्तरीय
- छात्रावास, सामान्य सीनियर छात्रावास (सभी कक्षा 9 से 12 वीं)
- महाविद्यालयीन छात्रावास (कक्षा 12 वीं से ऊपर)
- संभाग स्तरीय उत्कृष्ट छात्रावास -1 भोपाल, 2. इंदौर, 3. ग्वालियर, 4. (प्रावीण्य विद्यार्थयों की कोचिंग हेतु)
सीनियर छात्रावास
- विभाग द्वारा संचालित 980 सीनियर छात्रावासों में 09 से 12वीं तक के विद्यार्थी निवास करते हैं। सीनियर छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों को निःशुल्क आवास हेतु भवन, बिजली एवं पानी, फर्नीचर, बिस्तर सामग्री, खेलकूद एवं अन्य आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती है। निःशुल्क भोजन हेतु प्रतिमाह बालकों को राशि रु.1300/ एवं बालिकाओं को 1340/- दस माह हेतु शिष्यवृत्ति प्रदाय की जाती है। वर्ष 2020-21 में माह जनवरी 2021 तक राशि रूपये 13202.15 लाख की राशि व्यय की गई है। सीनियर छात्रावास / महाविद्यालय छात्रों को अंग्रेजी / कम्प्यूटर की कोचिंग सुविधा भी प्रदाय की जा रही है एवं प्रति छात्र / प्रति वर्ष राशि रूपये 1000/ स्टेशनरी हेतु दिये जाते है।
आवास सहायता योजना- विद्यार्थी
- विभाग द्वारा जनजातीय बालक एवं बालिकाओं को अपने गृह निवास से बाहर महाविद्यालयीन एवं उच्च स्तर की शिक्षा निरन्तर रखने के लिए आवास सहायता योजना लागू की गई है। जिन्हें महाविद्यालयीन शिक्षा हेतु छात्रावास उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, उनको आवासीय व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु आवास सहायता योजना के तहत छात्रों को प्रतिमाह सम्भाग स्तर पर राशि रुपये 2,000/- जिला स्तर पर राशि रुपये 1,250/- एवं विकासखण्ड / तहसील स्तर मुख्यालय पर राशि रुपये 1,000 / - दिए जाने का प्रावधान है।
- जनजातीय वर्ग के छात्र / छात्राओं को दिल्ली में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जनजातीय वर्ग के छात्र/छात्राओं को दिल्ली में उच्च शिक्षा अध्ययन हेतु आवासीय एवं भोजन व्यवस्था के लिए प्रति विद्यार्थी प्रति वर्ष देय राशि रुपये 20,600/- के स्थान पर राशि में वृद्धि करते हुए आवासीय एवं भोजन व्यवस्था के लिये प्रति माह रुपए 10,000/- के मान से प्रति विद्यार्थी प्रतिवर्ष राशि रुपए 1,20,000/- की राशि स्वीकृत की जा रही है।
मध्य प्रदेश में - राज्य छात्रवृत्ति योजना
विभाग अन्तर्गत राज्य छात्रवृत्ति योजना (10 माह हेतु) संचालित है इसके अन्तर्गत
विभिन्न छात्रवृत्ति की योजनाऐं कक्षा 01 से 10 तक संचालित है।
प्री मैट्रिक राज्य छात्रवृत्ति ( कक्षा 1 से 10वीं तक) (राज्य मद) -
- प्री. मैट्रिक राज्य छात्रवृत्ति कक्षा 1 से 10वीं तक का भुगतान राज्य मद से किया जा रहा है। कक्षा 1 से 10वीं तक आय सीमा का बंधन नहीं है। राज्य छात्रवृत्ति कक्षा 1 से 10वीं तक का वितरण वर्ष 2013-14 से आयुक्त, लोक शिक्षण द्वारा किया जा रहा है।
केन्द्र प्रवर्तित प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति ( कक्षा 9 से 10वीं तक) -
- विभाग अंतर्गत भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा कक्षा 9 एवं 10 वीं के विद्यार्थियों जिनकी कुल पारिवारिक वार्षिक आय सीमा 2.50 लाख है, उनके लिए केन्द्र प्रवर्तित प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृत की गई है। योजना वर्ष 2015-16 से प्रारम्भ की गई। इस योजना का क्रियान्वयन भी लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा किया जाता है।
कक्षा 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थियों हेतु छात्रवृत्ति योजना (राज्य योजना मद अंतर्गत)
- शासकीय एवं शासकीय स्ववित्त पोषी शैक्षणिक संस्थाओं में जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आय सीमा का बंधन समाप्त किया जाकर निःशुल्क शिक्षण की व्यवस्था की गई है। शासकीय शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों को रूपये 2.50 लाख से अधिक की आय सीमा होने पर निर्वाह भत्ते की पात्रता नही होगी किन्तु केवल पूर्ण शुल्क की पात्रता होगी।
- अशासकीय संस्थाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों हेतु जिनके माता पिता / अभिभावक की वार्षिक आय 2.50 लाख रूपये से अधिक होने पर निर्वाह भत्ते की पात्रता नहीं होगी। रूपये 250 लाख से 6.00 लाख तक की आय सीमा वाले परिवारों के विद्यार्थियों को शासकीय संस्थाओं से संबंधित पाठ्यक्रमों हेतु देय निर्धारित से शिक्षण शुल्क सहित नान रिफन्डेबल अनिवार्य शुल्क की आधी राशि का भुगतान किया जावेगा।
- विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु छात्रवृत्ति योजना योजनातर्गत इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी और विज्ञान के क्षेत्र में विदेशों में मास्टर स्तर के पाठ्यक्रम, पी.एच.डी. और पोस्ट डाक्ट्रेट अनुसंधान स्तर के प्रतिभाशाली जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को विदेश स्थित मान्यता प्राप्त संस्थानों में गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु विभाग द्वारा प्रतिवर्ष 50 छात्र छात्राओं को विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
विदेश से शिक्षा प्राप्त करने हेतु अभ्यार्थी को निम्न वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है:
- प्रतिवर्ष वास्तविक शिक्षण शुल्क अथवा 40000 यूएस डॉलर वार्षिक जो भी कम हो का भुगतान सीधे विश्वविद्यालय को किया जावेगा।
- निर्वाह भत्ता अधिकतम 9000 यूएस डॉलर वार्षिक देय होगा।
- आकस्मिकता भत्ता अधिकतम 1000 यू.एस. डॉलर वार्षिक देय होगा।
मध्य प्रदेश बोर्ड परीक्षा शुल्क की प्रतिपूर्ति -
माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित कक्षा 10 वीं बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होने वाले जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों के बोर्ड परीक्षा शुल्क की राशि विभाग द्वारा मंडल को भुगतान की जाती है।
मध्य प्रदेश सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना -
- मप्र प्रदेश लोक सेवा आयोग तथा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार में सफल होने पर प्रोत्साहन राशि प्रदान करने हेतु सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन योजना संचालित की जा रही है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में विभिन्न स्तरों पर सफल होने वाले जनजातीय वर्ग के अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन राशि प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 40,000, मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 60,000 एवं साक्षात्कार उपरांत सफल होने पर 50,000 रूपये का प्रावधान है।
- मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में विभिन्न स्तरों पर सफल होने वाले जनजातीय वर्ग के सफल होने पर प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 20,000, मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर 30,000 एवं साक्षात्कार उपरांत सफल होने पर 25,000 रूपये का प्रावधान है।
- अखिल भारतीय सेवाओं की सिविल सेवा परीक्षा हेतु निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग जनजातीय वर्ग के अभ्यर्थी संघ लोक सेवा आयोग की विभिन्न स्तर की परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो, इस हेतु दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान से कोचिंग दिलाये जाने हेतु मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा "अखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षा के लिये निजि कोचिंग योजना स्वीकृत की गई है।
परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र -
- प्रदेश में 07 संभागीय मुख्यालयों पर परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र संचालित हैं। जिनके माध्यम से प्रदेश के प्रतिभावान जनजाति वर्ग के युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा जैसे म.प्र लोक सेवा आयोग, बैंकिंग, एल.आई.सी. रेलवे, कांस्टेबल, वनरक्षक, कर्मचारी चयन आयोग. पी.ई.बी. द्वारा आयोजित एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। यह योजना अनुसूचित जाति विकास विभाग के नियंत्रण में संचालित है। विभाग द्वारा परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये अध्ययनरत जनजातीय वर्ग के अभ्यर्थियों को शिष्यवृत्ति प्रदाय की जाती है।
जनजातीय कार्य विभाग की आर्थिक योजनाएँ
शासन द्वारा शैक्षणिक विकास के साथ ही साथ
जनजातियों के आर्थिक विकास हेतु प्रशिक्षण एवं रोजगार की योजनायें संचालित की जा
रही है। यह कार्य मध्यप्रदेश जनजातीय वित्त एवं विकास निगम एवं मध्यप्रदेश रोजगार
एवं प्रशिक्षण परिषद (मेपसेट) द्वारा किये जाते हैं।
मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम के
द्वारा निम्न योजनायें संचालित की जा रही है:
1. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना।
2. मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना ।
3. मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना ।
कुपोषण से मुक्ति हेतु आहार अनुदान योजना -
- वर्ष 2017-18 में सहरिया जनजाति (बैगा, भारिया सहित) के परिवारों का कुपोषण से मुक्ति दिलाने हेतु परिवार की महिला मुखिया के खाते में प्रतिमाह राशि रूपये 1000 की वित्तीय सहायता प्रदाय किये जाने की योजना स्वीकृत की गई है।
धार्मिक आस्थाओं और परम्पराओं का संरक्षण -
- शासन द्वारा प्रदेश की जनजातीय धार्मिक आस्थाओं एवं परंपराओं के संरक्षण के लिए भी कार्य किये जाते हैं। जनजातीय अनुसंधान एवं विकास संस्थान एवं वन्या प्रकाशन द्वारा यह कार्य किया जाता है।
- जनजातीय कार्य विभाग द्वारा मध्यप्रदेश की विभिन्न जनजातियों की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को दस्तावेजीकरण के माध्यम से संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
जनजातीय सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन -
- जनजातीय संस्कृति और पारंपरिक कलाओं को प्रोत्साहित करते हुए जनजातीय कलाकारों का बेहतर माहौल और प्रतिष्ठित मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वन्या और टीआरआई द्वारा आदिरंग', 'मेघ मादल' आदि सांस्कृतिक उत्सवों का तीन दिवसीय आयोजन भोपाल एवं प्रदेश के जनजातीय बहुल किसी जिले में किया जाता है। विगत वर्षों में भोपाल के अलावा बैतूल, शहडोल, छिन्दवाड़ा, उमरिया, धार, बड़वानी, जबलपुर, रीवा, इंदौर आदि जिलों में ये आयोजन किये जा चुके हैं। इन आयोजनों में परंपरागत नृत्य-संगीत की प्रस्तुतियों के अलावा जनजातीय शिल्पी और कलाकारों द्वारा जनजातीय शिल्प-कलाओं का प्रदर्शन और विक्रम भी किया जाता है।
मध्य प्रदेश आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाऐं
जनजातीय उपयोजना
- अनुसूचित जनजातियों के सर्वांगीण विकास हेतु पांचवी पंचवर्षीय योजनाकाल से जनजातीय उपयोजना की रणनीति अपनाई गई। जनजातियों के विकास हेतु विभिन्न विकास विभागों के माध्यम से आर्थिक, मानव संसाधन, क्षेत्र विकास एवं अन्य विकास कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
अनुसूचित जाति उपयोजना
- मध्यप्रदेश में अनुसूचित जातियों के विकास को गति देने के उद्देश्य से वर्ष 1979-80 से अनुसूचित जाति उपयोजना की अवधारणा अपनाई गई। अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत अनुसूचित जाति परिवारों के आर्थिक स्तर में वृद्धि अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों / टोलों / मजरे / पारे में मूलभूत सुविधायें यथा, शिक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य, आवास, पोषण आहार, अनूसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को मुख्य सड़क से जोड़ना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। अस्पृश्यता निवारण व संवैधानिक नागरिक अधिकार संरक्षण, शोषण से मुक्ति व समाज की मुख्य धारा से जोड़ना भी इन कार्यक्रमों में सम्मिलित है।
एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना, माडा पॉकेट तथा लघु अंचल
- जनजातीय उपयोजना क्षेत्र अंतर्गत एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना, माडा पॉकेट तथा लघु अंचल संचालित है। प्रत्येक एकीकृत जनजातीय विकास परियोजना के लिये परियोजना सलाहाकार मण्डल गठित है, जिसमें जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। ऐसे माडा पॉकेट एवं लघु अंचल जो किसी परियोजना से संबंधित नहीं है, उनके लिये जिला योजना समिति की उप समिति अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति परियोजना सलाहाकार मंडल का दायित्व निभा सकेगी।
विशेष केन्द्रीय सहायता एवं संविधान के
अनुच्छेद 275 (1)
- भारत सरकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय उपयोजना विशेष केन्द्रीय सहायता अन्तर्गत दिनांक 17.6.2016 एवं 17.9.2019 को जारी नवीन दिशा निर्देश अनुसार अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को परिवार/स्व सहायता समूह / समुदाय मूलक रोजगार सह आय सृजित योजनाओं में यथा. कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, रेशम, कौशल विकास, वन एवं स्वास्थ्य गतिविधियों तथा अधोसंरचना विकास कार्यों यथा स्टापडेम, स्टापडेम कम रपटा निर्माण, चेक डेम निर्माण, सोलर टयूबवेल, ट्यूबवेल, हैण्डपम्प खनन, नल जल योजना, सी.सी. रोड निर्माण, पुलिया निर्माण, भवन निर्माण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा संस्थाओं में मूलभूत एवं निर्माण कार्यो के लिये अनुदान / सहायता उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान किया गया है। भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश जनजातीय कार्य मंत्रालय के पोर्टल www.tribal.nic.in पर उपलब्ध हैं।
मध्यप्रदेश आदिम जाति मंत्रणा परिषद
- संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के तहत प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण तथा अनुसूचित जनजातियों के हित संरक्षण के लिये सुझाव देने हेतु "मध्य प्रदेश आदिम जाति मंत्रणा परिषद की नियमावली 1957" लागू की गयी है।
मध्यप्रदेश में वन अधिकार अधिनियम 2006 का क्रियान्वयन
- मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 का क्रियान्वयन 1 जनवरी 2008 से किया जा रहा है। इस अधिनियम को संक्षिप्त नाम वन अधिकार अधिनियम 2006 के मान से जाना जाता है। वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी कियान्वयन के लिये सभी जिलों में ग्राम स्तर पर ग्राम वनाधिकार समिति, उपखण्ड स्तर पर उपखंड स्तरीय वनाधिकार समिति एवं जिला स्तर पर जिला स्तरीय वनाधिकार समितियों का गठन किया गया । प्रदेश स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय निगरानी समिति गठित है।
- वन अधिकार का कार्य डिजिटाईड मोड में किया जा रहा है। वन अधिकार पत्र धारकों द्वारा धारित भूमि का नक्शा पी.डी.ए. मशीन से तैयार किया जाकर अधिकार पत्र तैयार किये जा रहे है, जिसमें दावाकर्ता का फोटों सहित अन्य जानकारी रहती है। वन अधिकार पत्र धारकों की जानकारी वन विभाग की वेबसाईट www.forest.org पर संधारित की जा रही है।
- वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत व्यक्तिगत स्वरूप के एवं
सामुदायिक स्वरूप के वनाधिकार पत्र दिये जा रहे है ।
वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत "एम.पी. वनमित्र पोर्टल"
- वन अधिकार के निरस्त दावों के पुनः परीक्षण एवं लंबित दावों के निराकरण हेतु एम.पी. वनमित्र पोर्टल दिनांक 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में क्रियान्वित किया गया है।
- वन अधिकार के दावों के निराकरण और निरस्त दावों के पुनः परीक्षण के लिये "एम.पी. वनमित्र पोर्टल के माध्यम से तीनों स्तरों की यथा ग्राम वन अधिकार समिति, उपखण्ड स्तरीय वनअधिकार समिति एवं जिला स्तरीय वन अधिकार समिति अपने सभी कार्य / निर्णय ऑनलाईन कर रही हैं। ऑनलाईन पोर्टल का उपयोग करने से प्रत्येक स्तर पर दावों के निराकरण में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हो रही है। साथ ही दावेदार को अपने दावे के बारे में ऑनलाईन जानकारी प्राप्त कर रहा है।
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