प्रसार शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्वता |प्रसार शिक्षा का कार्यक्षेत्र | Need and importance of extension education
प्रसार शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्वताNeed and importance of extension education
प्रश्न
1. प्रसार शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है?
2. प्रसार शिक्षा कैसे वैज्ञानिकों एवं ग्रामीण लोगों दोनों को एक साथ लाभ पहुँचाती है?
- हमारे चारों ओर की दुनिया तेजी से बदल रही है। हमने कई नई खोजें और काम करने के नये व अग्रिम तरीके देखे हैं। हम जानते हैं कि दुनिया भर के वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में व्यस्त हैं। विश्वविद्यालय के छात्रों के रूप में हमें उनकी नई खोजों और नवाचारों के बारे में जानने का अवसर मिलता है, फिर भी देश के विकास हेतु यह ज्ञान अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना आवश्यक है।
- खान पान के आधुनिक तरीकों तथा तकनीकों का ज्ञान किसी ग्रामीण महिला के लिए भी उतना ही आवश्यक है जितना एक शहरी महिला के लिए प्रसार शिक्षा यह सुनिश्चित करती है कि विभिन्न नई तकनीकें एवं ज्ञान उन सभी लोगों तक पहुंचाया जा रहा है जिन्हें इसकी आवश्यकता है तथा इसके बीच में उनकी आयु तथा औपचारिक शिक्षा जैसी स्थितियाँ नहीं आती हैं।
- यह हमारे देश के विकास के लिए आवश्यक है। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि प्रसार शिक्षा प्रयोगशाला और क्षेत्र के बीच के अंतर को कम करता है। विभिन्न क्षेत्रों जैसे गृह विज्ञान, कृषि, डेयरी, फार्मिंग आदि में अनुसंधानों एवं नई खोजों ने नये ज्ञान, कौशल व उन्नत प्रौद्योगिकी का विकास किया है। इन तरीकों को अपनाने से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी अपने जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं।
- ग्रामीण महिलाएं व किसान प्रतिदिन कई समस्याओं का सामना करते हैं किन्तु उचित जानकारी उपलब्ध ना होने के कारण वे इन समस्याओं का निदान नहीं कर पाते हैं। विभिन्न अनुसंधानों व खोजों का वास्तविक जीवन में अपनाया जाना अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए वैज्ञानिकों का किसानों व ग्रामीण लोगों के साथ निरंतर बात करना अत्यंत आवश्यक है। प्रसार संस्थाएं प्रसार शिक्षा के माध्यम से वैज्ञानिकों, नई खोजों तथा ग्रामीणों के बीच के अंतर को भरने का प्रयास करते हैं।
- प्रसार शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्रामीण लोगों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार, तर्कसंगत निर्णय लेने में मदद करती है। अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नवीनतम व उपयुक्त तकनीकों की पहचान करने में भी यह लोगों की मदद करता है। साथ ही यह पुरानी विधियों से नई विधियों में परिवर्तन का भी समर्थन करती है। यह ग्रामीण लोगों को जमीनी स्तर पर शोधों व नई खोजों में सक्रिय भागीदार बनाता है।
प्रसार शिक्षा का कार्यक्षेत्र
- प्रसार शिक्षा उन सभी गतिविधियों, स्थितियों, कार्यक्रमों और नीतियों को सम्मिलित करता है जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। जब भी और जहाँ भी लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने की और उनके व्यवहार में वांछनीय बदलाव लाने की जरूरत महसूस की जाती है वहाँ प्रसार शिक्षा का प्रयोग होता है। आज प्रसार शिक्षा लोगों के विकास व वृद्धि हेतु हमारे देश और दुनिया भर में एक स्थायी क्षेत्र के रूप में विकसित हो गया है। इससे यह ज्ञात होता है कि प्रसार शिक्षा का कार्यक्षेत्र केवल हमारे देश में ही नहीं अपितु सभी विकासशील देशों में फैला
ऐसे क्षेत्रों जहाँ प्रसार शिक्षा का प्रयोग किया जाता
आइये अब हम कुछ ऐसे क्षेत्रों को देखते हैं जहाँ प्रसार शिक्षा का प्रयोग एक बड़े पैमाने पर किया जाता है।
I. बेहतर जीवन व्यापन के लिए गृह विज्ञान
- परम्परागत रूप से माँ द्वारा बेटियों को घर और परिवार प्रबंधन सम्बंधित सभी कार्यों में प्रशिक्षित किया जाता रहा है। गृह विज्ञान नयी अवधारणाओं, कौशलों, नई खोजों व अनुसंधान को खुद में समाहित किये हुए एक नये विषय के रूप में हमारे समक्ष आया है और इसे लोगों तक केवल प्रसार शिक्षा के माध्यम से पहुंचाया जा सकता है। जिसके बारे में हम इकाई 3 में विस्तार से पढ़ेंगे ।
II. कृषि उत्पादन में दक्षता, विपणन, वितरण, भंडारण और कृषि उत्पाद में उपयोग हेतु कृषि शिक्षा
- कृषि विश्वविद्यालय बड़े पैमाने पर प्रसार शिक्षा का उपयोग नई वैज्ञानिक खोजों, उपकरण व तकनीकों को किसानों तक पहुँचाने के लिए करते हैं।
III. उत्तम कार्यक्षमता और निम्न अपव्यय हेतु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
- दुनिया तेजी से तकनीकी के क्षेत्र में उन्नति कर रही है। प्रसार शिक्षा का उपयोग तकनीकी को अपनाने, प्रसारित करने, तकनीकी अंतराल को कम करने, विकास के प्रभाव व परिणाम को जानने तथा विकास से सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने हेतु किया जाता है।
IV. सामुदायिक विकास और ग्रामीण कल्याण केलिए प्रशिक्षण व अनुसंधान
- प्रसार शिक्षा का उपयोग विभिन्न समूहों के प्रशिक्षण, क्षेत्रीय परीक्षण या अनुसंधान हेतु आंकड़े एकत्रित करने हेतु किया जाता है। अनुसंधान विभिन्न पहलुओं जैसे लोगों के व्यवहार और मनोविज्ञान, विभिन्न विचारों की स्वीकार्यता, प्रौद्योगिकी व खोजों का लोगों के जीवन में प्रभाव व सभी प्रसार कार्यक्रमों के मूल्यांकन हेतु किया जाता है।
V. उन्नत ग्रामीण नीति तैयार करने और ग्रामीण आबादी के सर्वांगीण विकास हेतु बनाना
- लोगों व देश के विकास हेतु राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर नीतियाँ बनायी जाती हैं। राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीतियां बनायी जाती हैं। प्रसार शिक्षा से प्राप्त ज्ञान व सूचना का प्रयोग जमीनी हकीकत जानने के लिए किये जाता है। राष्ट्रीय, राज्य व स्थानीय स्तर पर नीतियाँ बनाते समय प्रसार शिक्षा विकास लक्ष्यों व वांछनीय परिवर्तनों को लक्षित करता है।
VI. सभी प्रसार सेवाओं हेतु कार्यक्रम नियोजन व निष्पादन
- सभी विकास कार्यक्रमों के नियोजन व निष्पादन हेतु प्रसार शिक्षा का उपयोग किया जाता है। विकास कार्यक्रमों के हर एक चरण में प्रसार शिक्षा की आवश्यकता होती है।
VII. उन्नत गृह व कृषि प्रबंधन हेतु प्रसार शिक्षा
- खेतों व घर में सुधार करने के लिए लोगों को प्रबंधन उपकरण व तकनीकी के उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। खेतों व घर में उपयोग होने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे फसल उत्पादन, उत्पाद का भंडारण व गृह प्रबंधन हेतु मानव संसाधन योजना के लिए युवाओं व महिलाओं के प्रशिक्षण को सम्मिलित करता है।
VIII. युवाओं में नेतृत्व क्षमता का विकास
- नेतृत्व क्षमता विकसित करने सम्बंधित कार्यक्रम सूचना प्रौद्योगिकी तथा प्रोत्साहन का प्रवाह सभी तक पहुँचाने हेतु समुदाय में पदानुक्रम तथा समूहों के नेता बनाने का कार्य करते हैं।
- इस प्रकार हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि हमारे देश में प्रसार शिक्षा का क्षेत्र बहुत बढ़ा या विस्तृत है। प्रसार शिक्षा एवं सेवाएं सम्पूर्ण देश के तीव्र एवं योजनाबद्ध विकास के लिये देश के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचनी आवश्यक हैं।
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