समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का अर्थ आरम्भ एवं महत्व |ntegrated Rural Development Program In Hindi
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का अर्थ आरम्भ एवं महत्व
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का अर्थ
- सरकार सामुदायिक ग्रामीण विकास के लिए अनेक कार्यक्रम गांवों में चला रही है। सभी कार्यक्रमों का यह उद्देश्य है कि ग्रामीण समाज के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को समय की आव यकतानुसार परिवर्तित किया जाये। इस दृष्टि से सभी ग्रामीण कार्यक्रमों एवं योजनाओं का अपना महत्व है और सभी ने विकास कार्यों में अहम भूमिका अभिनीत की है। चाहे वह सामुदायिक विकास योजना, सहकारी समितियाँ, सर्वोदयी कार्यक्रम, पंचायत भूदान आन्दोलन हो। ये सभी कार्यक्रम ग्रामीण समाज की बहुआयामी समस्याओं के समाधान हेतु कार्यरत हैं।
- सामुदायिक ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की कड़ी में समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जो ग्रामीण समाज के अछूते प्राकृतिक सम्पदा तथा मानव क्ति का उपयोग ग्रामीण विकास के लिये करता है। वास्तव में इन कार्यक्रमों ने उन समस्त कार्यक्रमों को अपने में समाहित कर लिया है जो व्यवस्थित ढंग से विकास कार्य में कार्यरत नहीं थे। इस कार्यक्रम का अर्थ ग्रामीण क्षेत्रों में निर्दिष्ट गरीब परिवारों की पर्याप्त सहायता करना और उनकी आय को इस सीमा तक बढ़ाना है कि वे सदैव के लिए गरीबी रेखा से ऊपर हो सकें।
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम संबंधी नीति
- समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व राज्य सरकारों पर है। प्रत्यक्ष रूप से केन्द्र सरकार का कार्य राज्यों को दिशा निर्देशन करना, नीति-निर्धारण करना, कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना, उनके मध्य सामंजस्य स्थापित करना तकनीकी सहायता प्रक्षिण एवं शोध संबंधी कार्यों सहायता करना और महत्वपूर्ण कार्यों में वित्तीय सहायता करना है।
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का आरम्भ
- समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की संकल्पना का प्रस्ताव सर्वप्रथम 1976-77 के केन्द्रीय बजट में रखा गया और इसे कुछ सीमा तक लागू किया गया। 2 अक्टूबर 1980 से यह कार्यक्रम देश। के समस्त विकास खण्डों में लागू किया गया। ग्रामीण निर्धनों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली यह देश। की पहली और सबसे विशाल योजना है।
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का उद्देश्य
- वास्तव में एकीकृत या समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह है कि विकास का लाभ उन वर्गों को प्राप्त हो सके जो शताब्दियों से आर्थिक अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं और दरिद्रता के अभि "प से ग्रसित हैं। इस योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय आर्थिक असमानता को दूर करना है। इसी के साथ ही ग्रामीण गरीबी और भुखमरी को समाप्त करना है। इस कार्यक्रम में कृषि, डेरी-व्यवस्था, मछली व्यवसाय, खादी ग्रामीण लघु उद्योग, दस्तकारी, ल्पकारी, लघु व्यवसाय और नौकरियां आती हैं।
- गरीब परिवारों के आर्थिक स्तर को उठाने के लिए भारत सरकार ने ठोस कदम उठाये हैं। जिन परिवारों की 4,800 रू0 (अब 6,400रू0) से कम वार्षिक आय है, उन्हें सरकार विभिन्न प्रकार की सहायता देती है। इस प्रकार के परिवारों में से एक व्यक्ति को नौकरी के अवसर प्रदान करती है। उन्हें आर्थिक सहायता देकर अपना कार्य करने की प्रेरणा देती है। लगभग 35 करोड़ से अधिक व्यक्ति इस देशमें गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। इसमें से भी 30 करोड़ व्यक्ति ग्रामीण समाज में रहते हैं। इस योजना में परिवार को एक इकाई के रूप में लिया जाता है। इस कार्यक्रम को 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत प्राथमिकता दी गई है।
(1) ग्रामीण युवकों को स्व रोजगार के प्रशिक्षण (Training of Rural Youth for Self Employment-TRYSEM)
(2) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (National Rural Employment Programme- N.R.E.P.)
( 3 ) ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों का विकास (Development of Women and Children in Rural Area-DWCRA)
(4) ग्रामीण भूमिहीन श्रमिकों को रोजगार देने की गारन्टी (Rural Landless Employment Guarantee Programme-RLEGP)
(5) काम के बदले अनाज का कार्यक्रम (Food for Work Programme -FFWP)
(6) कुश लता विकास कार्यक्रम (Skill Development Programme)
- यह कार्यक्रम जिला ग्राम विकास एजेन्सी (DRDA) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। राज्य स्तर पर राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति इसके सभी पहलुओं की समीक्षा करती है। इसके मार्गदर्शन के लिए एक प्रबन्ध समिति होती है जिसमें जनता के प्रतिनिधि (जैसे सांसद, विधानसभा और जिला परिषद के सदस्य, जिला विकास विभागों, विकास बैंकों और अग्रणी बैंकों के अध्यक्ष तथा स्त्रियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधि) शामिल होते हैं। केन्द्रीय स्तर पर ग्राम विकास विभाग इस कार्यक्रम के मार्गद"न, नीति-निर्धारण और नियंत्रण के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का महत्व
निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर इसके महत्व को जाना जा सकता है-
(1) ग्रामीण निर्धन व्यक्तियों को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाने का संकल्प ।
( 2 ) यह कार्यक्रम ग्रामीण समाज की बेकारी व अर्ध बेकारी को दूर करने की सबसे विशाल योजना है।
(3) इस योजना का महत्व इसलिए भी अधिक है कि यदि सम्पूर्ण ग्रामीण समाज को विकास और प्रगति के मार्ग पर लाना चाहती है जिससे गांव के निर्धन व्यक्तियों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
(4) इस कार्यक्रम का महत्व इससे भी ज्ञात होता है कि शताब्दियों से शोषित अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए सरकार कार्य करती है। उन्हें लाभान्वित करने का प्रयास करती है।
(5) गांव के निर्धन वर्ग के जीवन स्तर को ऊँचा करने के लिए यथासम्भव प्रयास करती है जिससे विभिन्न वर्गों के मध्य जो आर्थिक-सामाजिक विषमताएं हैं, वे समाप्त हो सकें।
(6) सीमान्त किसानों, कृषि श्रमिकों, ग्रामीण कारीगरों तथा अन्य सक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है जिससे वे स्वावलम्बी बन सकें।
(7) बेरोजगार ग्रामीण व्यक्तियों को प्रेरित करके उन्हें कामकाजी बनाने हेतु प्रयास करती है। उन्हें विभिन्न कार्यों में प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे अपनी जीविका अर्जित कर सकें।
(8) कृषक के पास जब किसी भी प्रकार का काम नहीं रहता है तो उन्हें काम दिया जाता है और पारिश्रमिक के स्थान पर अनाज दिया जाता है अर्थात काम के बदले अनाज दिया जाता है जिससे कि इनकी रोजी रोटी चल सके।
(9) कुटीर उद्योग-धन्धों को आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था है।
(10) ग्रामीण व्यक्तियों को अन्धवि" वासों और रूढ़ियों के घेरे से निकालकर उन्हें आधुनिक बनाने का प्रयास किया जाता है। इन्हें वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।
(11) गांव के व्यक्तियों को विभिन्न कार्यों में प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
(12) कृषि संबंधी अनेक कार्यों जहां जानकारी दी जाती है वहीं इसकी सहभागी रूप में सदस्यता भी दी जाती है।
(13) इस कार्यक्रम के महत्व को इससे भी आंका जा सकता है कि ग्रामीणों को इस प्रकार से प्रोत्साहित और प्रक्षित किया जाता है कि वे विभिन्न विकास कार्यक्रमों में स्वतः भागीदार बनें और गांव के सर्वांगीण विकास के प्रहरी बने।
(14) यह कार्यक्रम पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी, दस्तकारी, वानिकी आदि कार्यों में भी सहायता करता है।
विषय सूची-
सामुदायिक विकास योजना का अर्थ एवं परिभाषा एवं उद्देश्य
सामुदायिक विकास योजनाओं का वर्तमान स्वरूप ग्रामीण
सामुदायिक विकास कार्यक्रम एवं ग्रामीण सामाजिक संरचना में परिवर्तन
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम का अर्थ आरम्भ एवं महत्व
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के मार्ग में बाधाऐं
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