प्रसार शिक्षा के सिद्धांत एवं उद्देश्य | Principles and Objectives of Extension Education
प्रसार शिक्षा के सिद्धांत एवं उद्देश्यPrinciples and Objectives of Extension Education
प्रसार शिक्षा के सिद्धांत Principles of extension education
- प्रसार शिक्षा, शिक्षा की एक शाखा है और अन्य विषयों की भांति इसके भी अपने सिद्धांत हैं जो सभी प्रसार कार्यक्रमों और नीतियों में प्रतिबिंबित होते हैं। प्रसार सिद्धांत के अंतर्गत मुख्य रूप से मूल महत्व, मार्गदर्शक सिद्धांत तथा बुनियादी दृष्टि आदि आते हैं। प्रसार सिद्धांत, प्रसार सेवाओं, नीतियों और कार्यक्रमों को बनाने में एक दिशा की तरह कार्य करते हैं। आइये अब प्रसार सिद्धांतों के कुछ मुख्य आयानों को परखें ।
सहभागी और सहयोगी पद्विति
- लोगों तक शिक्षा पहुँचाने के लिये प्रसार शिक्षा एक सहभागी पद्विति है। प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व का सम्मान होना चाहिए तथा व्यक्ति ने जिन परेशानियों का सामना किया हो उसकी आवश्यकतानुसार शिक्षा प्रदान करके उन समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जाता है। अत: व्यक्ति की स्वैच्छिक भागीदारी प्रसार शिक्षा के सभी तरीकों का प्रमुख अंग है। हर व्यक्ति से उम्मीद की जाती है कि वह परिवार, समूह और समुदाय के विकास के लिए एक दूसरे का सहयोग करें। यह सिद्धांत सामूहिक प्रयत्न द्वारा समूह निर्माण, समूहों में कार्य व सामुदायिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
स्वयं सहायता
प्रसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह सिखाना है कि किस प्रकार सोच समझकर कोई महत्वपूर्ण निर्णय लें। इस प्रकार वे अपनी मदद स्वयं कर पायेंगे। प्रसार शिक्षा लोगों को स्वयं सहायता हेतु आवश्यक प्रोत्साहन व सहायक प्रणाली प्रदान करती है |
बदलने की प्रक्रिया
- प्रसार शिक्षा का एक अन्य महत्व लोगों को समूहों में शिक्षा प्रदान करके उनके व्यवहार, नजरिये, कौशल व क्षमताओं में वांछनीय परिवर्तन लाना है।
लोकतंत्र
- हमारा समाज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम सभी जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को प्रोत्साहित करते हैं। और एक समूह में कोई भी निर्णय लोकतांत्रित ढंग से लिया जाता है।
व्यक्ति एक संसाधन के रूप में
- प्रसार शिक्षा प्रक्रिया का प्रमुख उद्देश्य समाज में बदलाव लाना है। इसका अर्थ है कि यदि व्यक्ति का रवैया और बर्ताव बदलेगा तो वह आसानी से नये विचार, ज्ञान और उपयुक्त तकनीत को अपनायेगा । सारी प्रक्रियाएं व्यक्ति पर ही निर्भर हैं क्योंकि वही बदलाव की सारी प्रक्रिया का साधन है। इसलिए प्रसार शिक्षा में व्यक्ति सबसे बड़ा संसाधन माना जाता है।
रूचि और आवश्यकता आधारित
- प्रसार शिक्षा को किसी भी व्यक्ति पर थोपा नहीं जा सकता है। व्यक्ति को इसमें स्वयं रूचि दिखानी चाहिए और प्रक्रिया में स्वेच्छा से भागीदारी करनी चाहिए । इस उद्देश्य के लिए शिक्षा उनकी आवश्यकतानुसार होनी चाहिए जिससे प्रसार शिक्षा में व्यक्ति की रूचि जाग्रत हो ।
प्रोत्साहन देना प्रसार शिक्षा का मुख्य सिद्धांत
- प्रसार शिक्षा व्यक्ति को नई खोजों, वैज्ञानिक तरीकों ज्ञान व तकनीकी को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करती है। प्रसार कार्यकर्ता वैज्ञानिकों व ग्रामीण लोगों के बीच का अंतर कम करता है। इसलिए स्वैच्छिक भागीदारी तथा नई तकनीकों को अपनाने और बदलाव हेतु विचार को प्रोत्साहन देना प्रसार शिक्षा का मुख्य सिद्धांत है।
सतत प्रक्रिया
- प्रसार शिक्षा जीवन पर्यन्त, लंबी, कभी ना खत्म होने वाली एक सतत प्रक्रिया है। जैसे दुनिया में बदलाव होता है उसी प्रकार तकनीक और ज्ञान में भी लगातार सुधार होता है। प्रसार शिक्षा इस सिद्धांत पर आधारित है कि हमारे समाज को इन निरंतर हो रहे सुधारों को अपनाना चाहिए तथा इन बदलावों की राह पर चलना चाहिए।
प्रसार शिक्षा के उद्देश्य Objectives of Extension Education
हमारे उद्देश्य हमारे लक्ष्य को दिशा देते हैं इसलिए हमारे लिए प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों को जानना अति आवश्यक है। क्योंकि यदि हमारे लक्ष्य हमें स्पष्ट होंगे तभी हम अपना रास्ता तय कर सकते हैं। अत: हमें सर्वप्रथम प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से खोजना होगा ।
विस्तृत / मुख्य उद्देश्य
- प्रसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य लोगों के व्यवहार में वांछनीय परिवर्तन लाना है, जिससे खाद्य एवं कृषि उत्पादन में बढोत्तरी हो
- परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार हो
- बेहतर स्वच्छता और सफाई का वातावरण बने
- नये ज्ञान व कौशल देने वाली शिक्षा का प्रचार करना जिससे लोगों में निर्णय लेने में अधिक कुशलता प्राप्त हो ।
- नव विचार और तकनीकी को अपनाना ।
- समाज का विकास एवं प्रत्येक व्यक्ति का आर्थिक स्तर मजबूत करना ।
- सामुदायिक विकास ।
प्रसार शिक्षा स्पष्ट उद्देश्य
प्रसार शिक्षा के स्पष्ट उद्देश्य निम्न हैं
- महत्वपूर्ण और प्रायोगिक सूचना का प्रसार
- कई सामाजिक मुद्दों पर लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना ।
- ग्रामीणों को बदलाव के लिए तैयार करके कृषि के तरीकों का नवीनीकरण व ग्रामीण स्तर पर लघु उद्योग शुरू करना ।
- ग्रामीण जिम्मेदारी और संवेदनशील नेतृत्व क्षमता का विकास ।
- ऐसे भोजन के तरीकों को अपनाना जो उत्तम पोषण स्तर प्रदान करें ।
- सामान्य रूप से कुछ पोषक तत्वों जैसे विटामिन A तथा आयरन की अल्पता से होने वाली बीमारियों से बचाव हेतु ऊचित खुराक देना ।
- बच्चों को पोलियो, टायफाइड, हेपिटाइटिस आदि बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण करना ।
- समाज का आर्थिक स्तर मजबूत करना
- गाँवों में लघु उद्योग स्थापित करके लोगों को रोजगार दिलाना ।
- स्वच्छता का ध्यान रखना ।
- जीवन प्रत्याशा को सुधारना, शिशु मृत्यु दर एवं बीमारी की दर कम करना ।
- जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना ताकि लोग कम बीमार पड़ें और उनका स्वास्थ्य उत्तम रहे।
- कुछ महत्वपूर्ण विषयों जैसे बालिका भ्रूण हत्या, कन्या के लिए भेदभाव तथा महिलाओं की
- शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि पर लोगों को जागरूक करना।
- पर्यावरण सुरक्षा प्राकृतिक स्त्रोतों / संसाधनों जैसे पानी और जैविक ईधनों का उचित प्रयोग करना ।
- उत्तम भोजन, वस्त्र, आवास और मनोरंजन की सुविधाओं के लिए प्रोत्साहित करना और अच्छा बौद्धिक व आध्यात्मिक जीवन स्तर बनाना ।
- यह उद्देश्य प्रसार विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं द्वार सामुदायिक विकास व ग्रामीण कल्याणकारी कार्यक्रमों के नियोजन में ध्यान रखने चाहिए ।
Q.
1. प्रसार शिक्षा के सिद्धांतों का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
2. प्रसार शिक्षा के विस्तृत उद्देश्यों की सूची बनाइये।
विषय सूची
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