कृषि अर्थशास्त्र का अलग अध्ययन क्यों ? | Why a separate study of agricultural economics?
कृषि अर्थशास्त्र का अलग अध्ययन क्यों ?
यद्यपि कृषि तथा उद्योग की समस्याए मिलती जुलती है। अर्थशास्त्र के सिद्धान्त कृषि ब्यवसाय में लागू होते है। जैसे कृषि के उत्पादन, विनिमय, वितरण तथा उपभोग क्रियाओं में अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों किया जा सकता है। लेकिन कृषि अर्थशास्त्र के अलग अध्ययन की आवश्यकता क्यों है, उसके निम्न कारण हैं ।
कृषि अर्थशास्त्र का अलग अध्ययन के कारण
1. जीवन पद्धति :
- बहुत सी स्थितियों में लोग कृषि को ब्यवसाय के रूप में नही लेते है, इसे जीविका के साधन के रूप में लेते है।
- कुछ निश्चित रीति-रिवाज कृषि से जुड़े हुए है। कुछ मेले तथा त्योहार फसलों की बुआई तथा कटाई के समय मनाये जाते है। इस प्रकार सामाजिक रीति - रिवाज कृषि उत्पादन को प्रभावित करते है, जबकि औद्योगिक क्षेत्र में इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
2. आत्म निर्भरता
- बहुत सी परिस्थितियों में कृषक अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए फसलों का उत्पादन करता है। बहुत सी स्थितियों में वह लाभ कमाने के लिए फसलों का उत्पादन करता है
3. संयुक्त उत्पाद:-
- कृषि में बहुत सी वस्तुएं संयुक्त उत्पाद का उत्पादन करती है । जैसे गेहूँ तथा भूँसा या मांस तथा ऊन इत्यादि । इस प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन लागत की गणना करना कठिन हो जाता है, जबकि उद्योगों में उत्पादन लागत की गणना करना आसान होता है।
4. उत्पादन पर कम नियंत्रण
- कृषि क्षेत्र में कृषकों का उत्पादन को बढाने या घटाने पर बहुत ही सीमित नियन्त्रण होता है, यह प्राकृतिक दशाओं द्वारा ज्यादा प्रभावित होता है, जो कि कोई ब्यक्ति नियन्त्रित नही कर सकता है।
- फसलों का विकास तथा अन्य कृषि क्रियाएँ मौसम तथा अन्य प्राकृतिक दशाओं से ज्यादा प्रभावित होती है।
5. श्रम का विभाजन
- कृषि में श्रम विभाजन की बहुत ही कम सम्भावना है। अधिकतर कृषि इकाइयाँ बहुत ही छोटी होती है तथा अधिकतर कृषि कार्य अकुशल होता है ।
6. साधनों का एकत्रीकरण
- कृषि में उद्योगों की तुलना में उत्पादन के साधनों - की एकत्रीकरण की बहुत कम सम्भावना होती है। जबकि उद्योगों साधनों के विभाजन की ज्यादा सम्भावना होती है। कृषि में जमीन उत्पादन का महत्वपूर्ण साधन है तथा कृषि में आगतों की संख्या कम होती है।
7. जमीन का महत्व
- कृषि में जमीन उत्पादन का महत्वपूर्ण साधन होता है। कृषि उत्पादन अधिकतर जमीन की स्थिति, आकार तथा गुण पर आधारित होता है।
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