चर्चित स्थल 2021- सितंबर | सितंबर 2021 के चर्चित स्थल | Place In News September 2021
चर्चित स्थल 2021- सितंबर, सितंबर 2021 के चर्चित स्थल
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
- भारतीय रेलवे ने कोविड के
कारण प्रभावित पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये ‘सिलीगुड़ी’ जंक्शन से पश्चिम
बंगाल के ‘रोंगटोंग’ स्टेशन तक एक
नियमित जंगल टी टॉय-ट्रेन सफारी शुरू करने का निर्णय लिया है। विश्व प्रसिद्ध ‘दार्जिलिंग
हिमालयन रेलवे’ (DHR) का संचालन करने
वाले भारतीय रेलवे के ‘पूर्वोत्तर
सीमांत रेलवे’ (NFR) ने नई सेवा की
घोषणा की है। इस मार्ग पर संचालित टॉय ट्रेन को वर्ष 1999 में यूनेस्को की
'विश्व धरोहर स्थल' सूची में शामिल
किया गया था। यहाँ टॉय ट्रेन के लिये वर्ष 1889 और वर्ष 1927 के बीच निर्मित हेरिटेज स्टीम इंजनों के साथ-साथ आधुनिक
डीज़ल इंजनों, दोनों का उपयोग
किया जाता है, जो विदेशी
पर्यटकों और घरेलू यात्रियों के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं। देश में कोविड-19 महामारी के कारण
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व नियमित टॉय ट्रेन सेवाओं को निलंबित किये जाने के बाद रेलवे
अधिकारी पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।
ओरंग राष्ट्रीय उद्यान
- असम मंत्रिमंडल ने हाल ही
में ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय
उद्यान’ का नाम बदलकर ‘ओरंग राष्ट्रीय
उद्यान’ करने का निर्णय
लिया है। ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित ‘ओरंग राष्ट्रीय उद्यान’ असम का सबसे
पुराना ‘गेम रिज़र्व’ है, जिसे वर्ष 1915 में अंग्रेज़ों
द्वारा ‘गेम रिज़र्व’ के रूप में
अधिसूचित किया गया था। इसके पश्चात् वर्ष 1999 में इसे राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड किया गया था और वर्ष
2016 में इसे टाइगर
रिज़र्व के रूप में मान्यता दी गई थी। गुवाहाटी से तकरीबन 140 किलोमीटर की
दूरी पर स्थित ‘ओरंग राष्ट्रीय
उद्यान’ एक-सींग वाले
गैंडों, बाघों, हाथियों, जंगली सूअर, पिग्मी हॉग और
विभिन्न प्रकार की मछलियों के लिये प्रसिद्ध है। स्थलाकृति में समानता और एक सींग
वाले गैंडों की समृद्ध आबादी के कारण इसे अक्सर 'मिनी काजीरंगा' भी कहा जाता है। ज्ञात हो कि असम में वर्तमान
में सात राष्ट्रीय उद्यान हैं: काजीरंगा, मानस, ओरंग, नामेरी, डिब्रू-सैखोवा, रायमोना और देहिंग पटकाई।
वाराणसी-चुनार क्रूज़ सेवा
- उत्तर प्रदेश पर्यटन
विभाग ने राज्य में जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये ‘वाराणसी-चुनार
क्रूज़ सेवा’ की शुरुआत की है।
यह क्रूज़ सेवा गंगा नदी में वाराणसी से मिर्जापुर के ऐतिहासिक ‘चुनार किले’ तक संचालित होगी।
राज्य सरकार इस यात्रा को प्रयागराज में संगम तक बढ़ाने की योजना बना रही है।
चुनार किले को चंद्रकांता चुनारगढ़ और चरणाद्री के नाम से भी जाना जाता है। यह
किला गंगा नदी के तट के पास ‘कैमूर पहाड़ियों’ पर स्थित है। इस किले का इतिहास तकरीबन 56 ईसा पूर्व का है, जब राजा
विक्रमादित्य ‘उज्जैन’ के शासक थे। इसके
पश्चात् यह मुगलों, सूरी, अवध के नवाबों और
अंत में अंग्रेज़ों के नियंत्रण में आ गया। वर्ष 1791 में यूरोपीय और भारतीय बटालियनों ने किले को
अपना मुख्यालय बनाया। वर्ष 1815 के बाद से किले को कैदियों के लिये निवास स्थान के रूप में
इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्ष 1849 में महाराजा रणजीत सिंह की पत्नी ‘रानी जींद कौर’ को भी यहाँ कैद
किया गया था।
‘राष्ट्रीय राजमार्ग-925A’ पर आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप
- केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में ‘भारतीय वायु सेना’ (IAF) के विमानों के लिये राजस्थान के बाड़मेर में ‘राष्ट्रीय राजमार्ग-925A’ में ‘गंधव भाकासर खंड’ पर एक आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप का उद्घाटन किया है। यह पहली बार होगा जब देश के किसी ‘राष्ट्रीय राजमार्ग’ का उपयोग भारतीय वायुसेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिये किया जाएगा। तकरीबन 3 किलोमीटर लंबे इस आपातकालीन लैंडिंग खंड को ‘भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ (NHAI) ने भारतीय वायुसेना के लिये ‘NH-925A’ पर विकसित किया है। यह गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित दो लेन के ‘पेवड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई तकरीबन 196.97 किलोमीटर है। ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत विकसित इस आपातकालीन स्ट्रिप की लागत लगभग 765.52 करोड़ रुपए होगी। ज्ञात हो कि इससे पूर्व अक्तूबर 2017 में ‘भारतीय वायु सेना’ के लड़ाकू जेट और परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग करते हुए यह दर्शाया था कि राजमार्गों का उपयोग वायु सेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में लैंडिंग के लिये किया जा सकता है।
पृथ्वी का सबसे उत्तरी द्वीप
- शोधकर्त्ताओं ने ग्रीनलैंड के पास एक छोटे, निर्जन एवं अब तक अज्ञात द्वीप की खोज की है, जो कि अनुमान के मुताबिक, पृथ्वी का सबसे उत्तरी द्वीप है। 60×30 मीटर का यह द्वीप समुद्र तल से तीन मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इससे पहले ‘ओडाक्यू’ (Oodaaq) द्वीप को पृथ्वी के सबसे उत्तरी इलाके के रूप में चिह्नित किया गया था। यह नया द्वीप समुद्र तल की मिट्टी और मोराइन यानी मिट्टी, चट्टान एवं अन्य सामग्री जो ग्लेशियरों में गति के कारण पीछे छूट जाती है, से मिलकर बना है और इस द्वीप पर किसी भी प्रकार की वनस्पति नहीं है। शोधकर्त्ताओं के समूह ने सुझाव दिया है कि इस द्वीप को 'क्यूकर्टाक अवन्नारलेक' (Qeqertaq Avannarleq) नाम दिया जाए, ग्रीनलैंडिक भाषा में इसका अर्थ है ‘सबसे उत्तरी द्वीप’।
इंग्लैंड में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर लगाना अनिवार्य
- ब्रिटिश सरकार जल्द ही इंग्लैंड में सभी नवनिर्मित घरों और कार्यालयों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर लगाना अनिवार्य करने हेतु एक कानून पेश करेगी। इस कानून के मुताबिक, सभी नए घरों और कार्यालयों में ‘स्मार्ट’ चार्जिंग डिवाइस की सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा, जो ऑफ-पीक अवधि के दौरान वाहनों को स्वचालित रूप से चार्ज कर सकेगा। इसके अलावा नए कार्यालय ब्लॉकों के लिये प्रत्येक पाँच पार्किंग स्थानों हेतु चार्ज प्वाइंट स्थापित करने की आवश्यकता होगी। नया कानून इंग्लैंड को दुनिया का ऐसा पहला देश बना देगा, जहाँ सभी नए घरों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये चार्जर की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। यह पहल इंग्लैंड में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी, क्योंकि चार्जिंग स्टेशनों की कमी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास में एक बड़ी बाधा है और यही कारण है कि प्रायः लोग इलेक्ट्रिक कारों की ओर ट्रांज़िशन करने में परेशानी का सामना करते हैं। यह प्रस्ताव वर्ष 2030 में ब्रिटेन के नए जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से पूर्व इंग्लैंड में चार्जर्स की संख्या को तेज़ी से बढ़ाने संबंधी कार्यक्रम का हिस्सा है।
छतीसगढ़ में ‘बाजरा मिशन’
- छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य को देश का ‘बाजरा हब’ बनाने हेतु ‘बाजरा मिशन’ लॉन्च किया है। ‘बाजरा मिशन’ का उद्देश्य किसानों को मोटे अनाज की फसलों का सही मूल्य देना, इनपुट सहायता, खरीद व्यवस्था और प्रसंस्करण सुविधा प्रदान करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को विशेषज्ञों की सहायता का लाभ मिल सके। इस मिशन को सफल बनाने के उद्देश्य से राज्य के 14 ज़िलों के कलेक्टरों द्वारा ‘भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान’ (हैदराबाद) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये गए हैं। इस समझौता ज्ञापन के तहत ‘भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान’ छत्तीसगढ़ में कोडो, कुटकी और रागी की उत्पादकता बढ़ाने, तकनीकी जानकारी प्रदान करने, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता और बीज बैंक की स्थापना हेतु सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करेगा। इसके अलावा भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान द्वारा बाजरे के उत्पादन से संबंधित राष्ट्रीय स्तर पर विकसित वैज्ञानिक तकनीक को क्षेत्र स्तर तक पहुँचाने के लिये ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ के माध्यम से छत्तीसगढ़ के किसानों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोडो, कुटकी एवं रागी जैसे बाजरा की बढ़ती मांग को देखते हुए ‘बाजरा मिशन’ न केवल आदिवासी क्षेत्रों के किसानों की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान प्रदान करने में भी सहायक होगा।
राजस्थान जैसलमेर बेसिन: हाईबोडॉन्ट शार्क’ के अवशेष
- ‘भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण’ और ‘भारतीय
प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की’ के शोधकर्त्ताओं द्वारा की गई खोज में राजस्थान के जैसलमेर
बेसिन से ‘हाईबोडॉन्ट शार्क’ की एक नई विलुप्त
प्रजाति के अवशेष मिले हैं। ट्राइसिक काल और प्रारंभिक जुरासिक काल के दौरान ‘हाईबोडॉन्ट शार्क’ समुद्री एवं मीठे
पानी के वातावरण दोनों स्थानों पर पाई जाती थी। जैसलमेर बेसिन क्षेत्र से एकत्र
किये गए 30 से अधिक दाँतों
के नमूनों से पता चला है कि ये प्रजातियाँ लगभग 160 से 168 मिलियन वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में मौजूद थीं। यह खोज इस
लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप से ‘स्ट्रोफोडस जीनस’ का पहला रिकॉर्ड
है। शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि ‘हाईबोडॉन्ट शार्क’ लगभग 2-3 मीटर लंबी थी और वे लगभग 65 मिलियन वर्ष पूर्व विलुप्त हो गईं। गौरतलब है
कि डायनासोर भी लगभग 65 मिलियन वर्ष
पूर्व ही विलुप्त हुए थे। हालाँकि इन दोनों प्रजातियों की विलुप्ति के बीच संबंध
स्पष्ट नहीं है। ज्ञात हो कि जैसलमेर समुद्री जीवाश्मों, विशेष रूप से
अकशेरुकी जीवों के अवशेषों की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन जीवाश्मों
की उपस्थिति वनस्पति-समृद्ध तटीय वातावरण की मौजूदगी का संकेत देती है।
चंद्रमा का ‘नोबेल क्रेटर’
- नासा ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के एक क्षेत्र- ‘नोबेल क्रेटर’ को अपने आगामी मिशन के लैंडिंग स्थल के रूप में चुना है। नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नासा के ‘वोलेटाइलस इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर’ (Viper) को वर्ष 2023 में ‘स्पेस-एक्स’ के फाल्कन-हेवी रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण करने वाला पहला रोवर होगा। ज्ञात हो कि इस क्षेत्र का अब तक केवल नासा के लूनर रिकॉनेसेन्स ऑर्बिटर, इसरो के चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 जैसे रिमोट सेंसिंग उपकरणों का उपयोग करके अध्ययन किया गया है। इस मिशन के माध्यम से प्राप्त डेटा दुनिया भर के वैज्ञानिकों को चंद्रमा की ब्रह्मांडीय उत्पत्ति, विकास तथा इतिहास को और बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा, साथ ही यह भविष्य के चंद्रमा तथा अन्य खगोलीय निकायों से संबंधित मिशनों के लिये भी महत्त्वपूर्ण है। ज्ञात हो कि आर्टेमिस कार्यक्रम के माध्यम से नासा वर्ष 2024 तक मनुष्य (एक महिला और एक पुरुष) को चंद्रमा पर भेजना चाहता है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है।
हिमाचल प्रदेश- दुनिया का सबसे ऊँचा इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन
- सतत् पर्यावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति ज़िले के ‘काज़ा’ में दुनिया के सबसे ऊँचे (500 फीट ऊँचा) इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया गया है। इस चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने वाले यात्री काज़ा में चार्जिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। ध्यातव्य है कि भारत में सरकार द्वारा ‘इलेक्ट्रिक वाहनों’ के विकास के लिये पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने हेतु कई प्रयास किये गए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक कुल कारों एवं दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के 30% की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का विकास तेज़ी से हो रहा है जो सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को गति प्रदान करने में सहायक होगा।
वेवर सर्विसेज़ एंड डिज़ाइन रिसोर्स सेंटर
- केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा हिमाचल प्रदेश के हस्तशिल्प उत्पादों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनके निर्यात के लिये एक बेहतर मंच प्रदान करने हेतु ‘कुल्लू’ में ‘वेवर सर्विसेज़ एंड डिज़ाइन रिसोर्स सेंटर’ की स्थापना की जाएगी। इस बुनकर सेवा केंद्र में गुणवत्तापूर्ण नवीन डिज़ाइन तैयार करने के लिये आधुनिक उपकरण एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस केंद्र में डिज़ाइन, गुणवत्ता, पैकेजिंग और मार्केटिंग के आधुनिकीकरण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा, ताकि बुनकरों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अपने उत्पादों की बेहतर कीमत मिल सके। हिमाचल में हस्तशिल्प, हथकरघा एवं कारीगरों के कौशल उन्नयन की अपार संभावनाएँ हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य में 13,572 पंजीकृत बुनकर हैं, जिनकी आजीविका बुनाई और कढ़ाई के कौशल पर निर्भर है। चंबा के रूमाल के साथ कुल्लू की शॉल एवं टोपी तथा किन्नौर की शॉल को जीआई टैग प्रदान किया गया है।
उत्तराखंड का पहला ‘पामेटम’
- उत्तराखंड वन विभाग ने हाल ही में नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी क्षेत्र में राज्य का पहला और उत्तर भारत का सबसे बड़ा ‘पामेटम’ (Palmetum) आम लोगों को समर्पित किया है। इस पामेटम के निर्माण में कुल तीन वर्ष का समय लगा है जिसमें ‘पाम ट्री’ की 110 से अधिक प्रजातियाँ मौजूद हैं। इस ‘पामेटम’ की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य संरक्षण को बढ़ावा देना, भविष्य में ‘पाम ट्री’ पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करना और विभिन्न ‘पाम ट्री’ प्रजातियों के महत्त्व तथा पारिस्थितिक भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उत्तराखंड वन विभाग द्वारा स्थापित इस ‘पाल्मेटम’ में आईयूसीएन वर्गीकरण के अनुसार लगभग 4 प्रजातियाँ गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं, 2 प्रजातियाँ लुप्तप्राय हैं, 2 प्रजातियाँ सुभेद्य हैं। वहीं ‘पाम ट्री’ की एक प्रजाति उत्तराखंड के लिये स्थानिक है, जिसे ‘ट्रेचीकार्पस ताकिल’ (ताकिल पाम) कहा जाता है। गौरतलब है कि ‘पामेटम’ का आशय ‘पाम ट्री’ की विभिन्न प्रजातियों के समूह से है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य ‘पाम ट्री’ पर अनुसंधान को बढ़ावा देना होता है।
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