भारत की शांति और सुरक्षा |लोकतंत्र और विकास के लिए शांति और सुरक्षा |Bharat Ki Shanti Aur Suraksha
भारत की शांति और सुरक्षा
शांति और सुरक्षा अर्थ
प्रारम्भ में हम निम्नलिखित दिलचस्प कहानी की
सहायता से शांति और सुरक्षा का अर्थ समझते हैं।
1. शांति
- एक बार एक राजा ने कलाकारों को शांति पर सबसे अच्छा रंगीन चित्र बनाने पर पुरस्कार देने की घोषणा की। कई कलाकारों ने कोशिश की। राजा ने सभी चित्रों को देखा और दो चित्र छांटे जिनमें से वह अंततः एक सबसे अच्छा चित्र चुन सके। एक चित्र में एक शांत झील को चारों तरफ के पहाड़ से एक सही दर्पण के रूप में दर्शाया गया था। ऊपर नीले आकाश में सफेद बादल को खूबसूरती से झील में दर्शाया गया था। हर किसी ने सोचा कि वह शांति का एक सही चित्र था। दूसरे चित्र में भी पहाड़ थे, लेकिन वह बीहड़ आरै नंगे थे। ऊपर आसमान से एक तूफानी बारिश गिर रही थी और बिजली चमक रही थी। नीचे पहाड़ की बगल में तीव्र गति से बहते हुए एक विशाल झरने के पानी को झाग के रूप में दर्शाया गया था। लेकिन झरने के पीछे एक झाड़ी में एक पक्षी का घोंसला बना था और पक्षी शांति से अपने बच्चों को खाना खिला रहा था। आपके अनुसार कौन से चित्र को पुरस्कार मिला होगा? राजा ने दूसरे चित्र को चुना। क्या आप जानते हो क्यों? राजा ने कारण बताया। शोर, परेशानी, या गड़बड़ी की अनुपस्थिति का तात्पर्य शांति नहीं है, शांति का अर्थ है इन सब के बीच में रहकर हृदय में शांति बनाए रखना।
- क्या आपको लगता है कि राजा द्वारा चुना गया चित्र सही अर्थों में शांति को दर्शाता है? दरअसल शांति का अर्थ वह मानसिक स्थिति नहीं है जहाँ उपद्रव व टकराव का निरा अभाव हो । वास्तव में, मानवीय दुनिया में गड़बड़ी या संघर्ष का पूर्ण अभाव असंभव है। हम शांति को सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में समझने का प्रयास करते हैं न कि उस संदर्भ में जहां मनुष्य नहीं हैं।
हम, इसलिए, इसे परिभाषित कर रहे हैं:
- शांति एक सामाजिक और राजनैतिक स्थिति है जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का विकास सुनिश्चित करती है। यह सामंजस्य की स्थिति है जिसकी विशेषता है स्वस्थ सम्बंधों का अस्तितत्व। यह वह अवस्था है जिसका सम्बन्ध सामाजिक या आर्थिक कल्याण तथा समानता से है। इसका सम्बंध एक कार्यशील राजनीतिक व्यवस्था से है जिसमें सब के सच्चे हितों की पूर्ति होती है।
2. सुरक्षा
- शब्द 'सुरक्षा' हमारे दैनिक जीवन की बातचीत में, समाचार पत्रों में, अधिकारिक परिचर्चा में भी प्रकट होता रहता है। सुरक्षा की बात व्यक्तिगत, संस्थागत, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय से लेकर अन्तराष्ट्रीय स्तर तक होती है।
- हम सब विभिन्न उपायों के द्वारा अपने घरों या उन क्षेत्रों को जहाँ हम रहते है सुरक्षित करते हैं। हम जानते है कि मंत्रियों और अन्य अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों को व्यक्तिगत रूप से सुरक्षा प्रदान की जाती है। प्रमुख सरकारी और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों या धमकी के दायरे में आने वाले क्षेत्रों के लिए भी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।
- राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रयोग उसके विभिन्न अर्थो की और संकेत करता है। सामान्यतः इसका अर्थ है सुरक्षित अवस्था या भयमुक्त भावना व्यक्ति, संस्था, क्षेत्र, राष्ट्र, विश्व की कुशलता भी इसका अर्थ है। हालांकि मौलिक तौर पर सुरक्षा का अर्थ है बेहद खतरनाक संकटों से बचाव। यह मानवाधिकार जैसे बुनियादी मूल्यों के प्रति खतरों से भी सम्बंधित है।
3. शांति और सुरक्षा
- दोनों शब्दों के विभिन्न अर्थ जान लेने के बाद यह तय है कि शांति और सुरक्षा अविभाज्य हैं। साथ-साथ देखने पर पता चलता है कि यह वह स्थिति है जहाँ व्यक्ति, संस्थाए, क्षेत्र, राष्ट्र व विश्व बिना किसी खतरे के एक साथ आगे बढ़ते हैं। इस अवस्था में क्षेत्र, राष्ट्र सामान्य रूप से शासित और मानवाधिकार के प्रति आदरवान होते हैं। संघर्ष न सिर्फ संकट और भय उत्पन करता है, अपितु आर्थिक, सामाजिक या राजनीतिक प्रगति को भी बाधित करता है।
शांति और सुरक्षा की पारम्परिक और नई समझ
- जब हम शांति और सुरक्षा की बात करते हैं तब हम अक्सर इसे परम्परागत धारणा से जोड़ देते हैं जो युगों से सैनिक या सशस्त्र संघर्ष या धमकी के खतरों पर केन्द्रित रही है। खतरे का स्त्रोत एक देश द्वारा दूसरे देश के विरूद्ध सैनिक कारवाई करने की धमकी होती है। यह देश की प्रभुसत्ता, स्वतंत्रता तथा अखंडता के अतिरिक्त उसके लोगों के जीवन के लिए भी खतरा पैदा करती है।
- शांति और व्यवस्था सुनिश्चित करने के रूप में सैनिक कारवाई के खतरे के कारण को सम्बंधित देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते या एक दूसरे के विरूद्ध सैनिक करवाई द्वारा समाप्त किया जाता है। देश अपनी प्रतिरक्षा की क्षमता बढ़ाकर, सीमा पर सशस्त्र बल की तैनाती करके रोकथाम के कदम भी उठाते हैं।
- कुछ देश दूसरे देशों के साथ यह संधि करके कि किसी भी देश के खिलाफ सैनिक कार्रवाई होने पर वे संयुक्त कदम उठाऐंगे, शक्ति संतुलन के उपागम भी अपनाते हैं। जैसा कि हम जानते है मानवता को युद्ध या सशस्त्र संघर्ष की धमकी से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठन का निर्माण किया है। लेकिन शांति और सुरक्षा की नई और गैर-परम्परावादी धारणा बहुत व्यापक है तथा मात्र सामरिक धमकियों तक सीमित नहीं। इसमें सम्पूर्ण मानव अस्तिव के प्रति व्यापक खतरे एवं आशंकाएं सम्मिलित हैं।
- इस अवधारणा में केवल क्षेत्र एवं राष्ट्र की ही नहीं, बल्कि व्यक्तियों, समुदायों तथा पूरी मानवता को शामिल किया जाता है। सच तो यह है कि यह धारणा प्राथमिक रूप से व्यक्ति पर केन्द्रित है। यह सच है कि विदेशी आक्रमणों से लोगों की रक्षा करना शांति तथा सुरक्षा के लिए आवश्यक के है। लेकिन यह ही सब कुछ नहीं है। वस्तुत, शांति और सुरक्षा को सामाजिक-आर्थिक विकास एवं मानव गरिमा के बनाए रखने के लिए एक आवश्यक शर्त के रूप में देखा जाना चाहिए।
- शांति और सुरक्षा की नई धरणा यह स्पष्ट करती है कि व्यक्तियों को भुखमरी से मुक्त करने, उन्हें उनकी जरूरतों, बिमारियों तथा महामारियों से मुक्त कराने, पर्यावरणीय आक्रमण पर रोक लगाने तथा लोगों को शोषण तथा अमानवीय व्यवहारों से बचाने के लए शांति तथा सुरक्षा आवश्यक है।
- इस पृष्ठभूमि में शान्ति और सुरक्षा की नयी परिभाषा में सामरिक आक्रमणों के अलावा भी अनके आशंकाएं शामिल हैं। ये आतंकवाद, विद्रोह, जातिसंहार, मानवाधिकार से वंचित रखने, स्वास्थ्य संबंधी महामारियाँ, नशीले पदार्थों का व्यापार तथा प्राकृतिक संसाधनों के विवेकहीन उपयोग से संबंधित आशंकाए हो सकती हैं।
लोकतंत्र और विकास के लिए शांति और सुरक्षा
- लोकतंत्र और विकास तथा शांति और सुरक्षा के बीच पारस्परिक संबंध है। शांति और सुरक्षा के अभाव में लोकत्रंत काम नहीं कर सकता और विकास नहीं हो सकता। चुनाव के संचालन के लिए शांति आवश्यक है। शांति के अभाव में लोकतांत्रिक संस्थाएँ काम नहीं कर सकतीं।
- शांति के वातावरण में ही नागरिक विभिन्न स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं । विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए शांति और भी आवश्यक है। उपद्रव, हिंसा या युद्ध के माहौल में विकास गतिविधियाँ सम्भव नहीं हैं।
- दूसरी और लोकतंत्र में विकास की अनुपस्थिति में शांति की स्थापना नहीं हो सकती। मोटे तौर पर देखा गया है कि लोकतंत्र युद्ध के पक्ष में नहीं होते। कहा जा सकता है कि किसी क्षेत्र के सभी देशों में यदि लोकतंत्र हो तो क्षेत्रीय शांति की सम्भावना बढ़ जाती है। जन असंतोष को बढ़ावा देने वाली शर्तों को दूर करने के लिए भी लोकतंत्र बेहतर माना जाता है। ऐसा इसलिए लोकतांत्रिक प्रणाली लोगों को शासन और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का समान अवसर प्रदान करती है। विकास भी शांति को बढ़ावा देता है।
- विकास के माध्यम से ही राष्ट्र लोगों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित कर सकता है तथा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है । यह सुनिश्चित करता है कि लोग अभाव ग्रस्तता की भावना से पीड़ित नहीं हैं जो उन्हें विरोध और हिंसक गतिविधियों की और प्रेरित करती है। किसी क्षेत्र के सभी देशों में जब विकास गतिविधियाँ चलती हैं तो प्रत्येक देश यह सुनिश्चित करता है कि शांति भंग न हो; नहीं तो उसका असर विकास पर पड़ेगा। विकास की पहल देशों में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता लाने में योगदान करती है।
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