अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक | Factor Contributing to Learning

 अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक Factor Contributing to Learning

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक |  Factor Contributing to Learning



अधिगम अवरोधक Learning Hindrance 

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

 

1. अधिगमकर्ता से सम्बन्धित कारक 

2. अध्यापक से सम्बन्धित कारक 

3. विषय वस्तु से सम्बन्धित कारक 

4. प्रक्रिया से सम्बन्धित कारक

 

अधिगमकर्ता से सम्बन्धित कारक Factors Related to Learner

 

  • अधिगमकर्ता का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य कैसा है, उसकी क्षमता कितनी है, वह क्या हासिल करना चाहता है, उसके जीवन का उद्देश्य क्या है, इन बातों पर उसके सीखने की गति, इच्छा एवं रुचि निर्भर करती है।

 

अध्यापक से सम्बन्धित कारक Factors Related to Teacher

 

  • अधिगम की प्रक्रिया को प्रभावित करने में शिक्षक की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। अध्यापक का विषय पर कितना अधिकार है, वह शिक्षण कला में कितना योग्य है, उसका व्यक्तित्व एवं व्यवहार कैसा है, इन सबका प्रभाव बालक के अधिगम, इसकी मात्रा एवं इसकी गति पर पड़ता है। अध्यापक के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का भी बालक के अधिगम से सीधा सम्बन्ध होता है। एक स्वस्थ शिक्षक ही सही ढंग से बच्चों को पढ़ा सकता है।

 

विषय-वस्तु से सम्बन्धित कारक Factors Related to Content

 

  • अधिगम की प्रक्रिया में अध्यापक एवं छात्रों द्वारा विषय-वस्तु को प्रयोग में लाया जाता है। यदि विषय उनके अनुकूल न हो तो इसका अधिगम पर भी प्रभाव पड़ता है। विषय-वस्तु बालक की रुचि के अनुकूल है या नहीं, उसकी प्रस्तुति किस प्रकार है की है, इन सब बातों का प्रभाव बालक के अधिगम पर पड़ता है। यदि विषय-वस्तु बालक की रुचि के अनुरूप नहीं है, तो वह इसे सीखना नहीं चाहता।

 

प्रक्रिया से सम्बन्धित कारक Factors Related to Process

 

  • विषय-वस्तु को यदि गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो भी बालक को इसे समझने में मुश्किल होती हैं। अभ्यास कार्य एवं बार-बार दोहराकर किसी विषय-वस्तु पर पकड़ हासिल की जा सकती है, किन्तु इस कार्य में यह भी महत्त्वपूर्ण है कि विद्यालय का वातावरण कैसा है। शिक्षण अधिगम सम्बन्धी उपयुक्त परिस्थितियाँ एवं वातावरण बालक को ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है. बह अपने आपको ऐसे वातावरण में सहज पाता है, जिससे उसके अधिगम की गति स्वतः बढ़ जाती है।

 

शिक्षण सहायक सामग्री Teaching Aids

 

  • अध्यापन-अधिगम की प्रक्रिया को सरल, प्रभावकारी एवं रुचिकर बनाने वाले उपकरणों को शिक्षण सहायक सामग्री कहा जाता है। इन्द्रियों के प्रयोग के आधार पर शिक्षण सहायक सामग्री को मोटे तौर पर तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है 1. श्रव्य सामग्री 2. दृश्य सामग्री एवं 3. दृश्य-श्रव्य सामग्री।

 

दृश्य- सहायक सामग्री Visual Aids 


  • दृश्य सहायक सामग्री का तात्पर्य उन साधनों से है जिनमें केवल देखने वाली इन्द्रियों (आँखों) का प्रयोग होता है। इसके अन्तर्गत पुस्तक, चित्र, मानचित्र, ग्राफ, चार्ट, पोस्टर, श्यामपट्ट, बुलेटिन बोर्ड, संग्रहालय, स्लाइड इत्यादि आते हैं।

 

वास्तविक पदार्थ Real Matter

 

  • वास्तविक पदार्थों का तात्पर्य उन वस्तुओं से है, जिन्हें बालक देखकर छूकर अनुभव कर सकता है। ये बालकों की इन्द्रियों को प्रेरणा देते हैं तथा उन्हें निरीक्षण एवं परीक्षण के अवसर प्रदान करके उनकी अवलोकन शक्ति का विकास करते हैं। वास्तविक पदार्थों के प्रयोग से बालकों को नाना प्रकार के अनुभव प्राप्त होते हैं, जो दूसरों के द्वारा दिए गए अनुभवों की अपेक्षा कहीं बेहतर होते हैं।

 

नमूने Model

 

  • इन्हें अंग्रेजी में मॉडल कहा जाता है। नमूने वास्तविक पदार्थों अथवा मूल वस्तुओं के छोटे रूप होते हैं। इनका प्रयोग उस समय किया जाता है, जब वास्तविक पदार्थ या तो उपलब्ध न हों अथवा इतने बड़े हों कि उन्हें कक्षा में दिखाना सम्भव न हो । उदाहरण के तौर पर रेल, हवाई जहाज इत्यादि के नमूनों का प्रयोग इनके बारे में बताने के लिए किया जाता है।

 

चित्र Figure

 

  • चित्रों का प्रयोग उस समय किया जाता है जब न तो वास्तविक पदार्थ ही उपलब्ध हों और न ही नमूने मिल सकें। चित्रों का प्रयोग लगभग सभी विषयों की कक्षा में किया जा सकता है। 

चित्र के चयन में शिक्षकों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए. 

 

  • चित्र इतने स्पष्ट, रंगीन तथा आकर्षक होने चाहिए कि प्रत्येक बालक उन्हें देखकर वास्तविक पदार्थों के आकार तथा रंग-रूप से परिचित हो जाएँ।

 

  • चित्रों में पाठ से सम्बन्धित मुख्य मुख्य बातें ही दिखानी चाहिए अन्यथा प्रमुख बातें छिप जाएँगी और बालक भ्रम में पड़ जाएँगे।

 

  • चित्रों का आकार बड़ा होना चाहिए जिससे कक्षा का प्रत्येक बालक उन्हें बिना किसी कठिनाई के स्पष्ट रूप से देखकर आवश्यक लाभ उठा सके।

 

मानचित्र Map

 

  • मानचित्र का प्रयोग प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं तथा भौगोलिक तथ्यों अथवा स्थानों के अध्ययन करने के लिए अति आवश्यक है। मानचित्रों के प्रयोग के समय शिक्षकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि इनके ऊपर इनका नाम, शीर्षक, दिशा तथा संकेत आदि अवश्य लिखा हो ।

 

रेखाचित्र Sketches

 

  • वास्तविक पदार्थ, नमूने एवं मानचित्र तीनों के अभाव की स्थिति में किसी वस्तु या स्थान के बारे में अध्यापन के लिए उसके रेखाचित्र का प्रयोग किया जाता है।

 

ग्राफ Graph

  • ग्राफ के प्रयोग से बालकों को भूगोल, इतिहास, गणित तथा विज्ञान आदि अनेक विषयों का ज्ञान सरलतापूर्वक दिया जा सकता है। भूगोल विषय के अध्यापन में जलवायु, उपज तथा जनसंख्या आदि का ज्ञान कराने के लिए ग्राफ की विशेष सहायता ली जाती है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग गणित तथा विज्ञान शिक्षण में किया जाता है। 

 

विविध प्रकार के ग्राफ 

 

चार्ट Chart

 

  • चार्टी के प्रयोग से शिक्षक को शिक्षण का उद्देश्य प्राप्त करने में सहायता मिलती है। चार्टी का प्रयोग भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र, नागरिकशास्त्र तथा गणित एवं विज्ञान आदि सभी विषयों में सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

 

बुलेटिन-बोर्ड Bulletin Board

 

  • बुलेटिन बोर्ड आधुनिक शिक्षा प्रणाली का एक उपयोगी उपकरण है। इस पर देश की राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक समस्याओं के सम्बन्ध में चित्र, ग्राफ, आकृति तथा लेख एवं आवश्यक सूचनाओं को प्रदर्शित करके बालकों की जिज्ञासा को इस प्रकार से उकसाया जाता है कि उनके ज्ञान में निरन्तर वृद्धि होती रहे। बुलेटिन बोर्ड को विद्यालय में किसी इतने ऊँचे उपयुक्त स्थान पर रखा जाना चाहिए, जिससे सभी बालक प्रदर्शित की हुई सामग्री से लाभान्वित हो सकें। ये बालकों के आकर्षण के केन्द्र होते हैं। इस पर बालकों को भी अपनी एकत्रित की हुई सामग्री को प्रदर्शित करने के अवसर मिलने चाहिए।

 

विविध प्रकार के बुलेटिन बोर्ड

 

फ्लेनेल बोर्ड Flenail Board 

  • फ्लेनेल बोर्ड बनाने के लिए प्लाईवुड अथवा हार्ड बोर्ड के टुकड़े पर फ्लेनेल के कपड़े को खींचकर बाँध दिया जाता है। इसके बाद इस पर विभिन्न विषयों से सम्बन्धित चित्र, मानचित्र, रेखाचित्र तथा ग्राफ आदि को प्रदर्शित किया जाता है।

 

संग्रहालय Museum 

  • संग्रहालय भी शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है। इसमें सभी वस्तुओं को एकत्रित करके रखा जाता है। इन वस्तुओं की सहायता से पाठ रोचक तथा सजीव बन जाता है। संग्रहालय में एकत्रित वस्तुओं का प्रयोग भूगोल, इतिहास, गणित तथा विज्ञान आदि विषयों के शिक्षण में सरलता से किया जा सकता है।

 

ब्लैकबोर्ड Black Board 

  • कक्षा अध्यापन में दृश्य साधन के रूप में ब्लैकबोर्ड (श्यामपट्ट) का ही प्रयोग सर्वाधिक होता है। इसका उचित एवं विधिपूर्वक उपयोग पाठ को प्रभावशाली बनाने में बहुत सहायक होता है।

 

मैजिक लॅनटर्न Magic Lantern 

  • मैजिक लैनटर्न एक चित्र प्रदर्शक यन्त्र है। इसकी मदद से स्लाइडों द्वारा विविध चित्रों अथवा पाठ का प्रदर्शन किसी पर्दे या दीवार पर किया जाता है। 


चित्र-विस्तारक यन्त्र (एपिडियास्कोप) Epidiascope 

  • चित्र विस्तारक यन्त्र पाठ को अधिक स्पष्ट और रोचक बनाने के लिए एक प्रभावशाली यन्त्र है। यह मैजिक लैनटर्न से भी अधिक प्रभावशाली यन्त्र है, क्योंकि मैजिक लैनटर्न में चित्रों या पाठ को प्रदर्शित करने के लिए पहले उसके स्लाइड बनाने की आवश्यकता होती है, जबकि एपिडियास्कोप में छोटे-छोटे चित्रों, मानचित्रों, पोस्टरों तथा पुस्तक के पृष्ठों को कमरे में अन्धेरा करके चित्रपट अथवा पर्दे पर बिना स्लाइडें बनाए हुए ही बड़ा करके दिखाया जा सकता है।

 

स्लाइडें, फिल्म पट्टियाँ तथा प्रोजेक्टर Slides, Films and Projector

  • स्लाइडों एवं स्लाइडों की फिल्म पट्टियों का प्रयोग शिक्षण में सहायक साम्रगी के तौर पर जाता है। इसके लिए प्रोजेक्टर की सहायता ली जाती है। प्रोजेक्टर एडियास्कोप से बेहतर साबित होते हैं क्योंकि एडियास्कोप द्वारा बालकों को चित्र या पाठ एक-एक कर दिखाया जा सकता है, जबकि प्रोजेक्टर द्वारा चित्रों की स्लाइडों अथवा फिल्म पटूिटयों को एक क्रम में दिखाया जा सकता है।


श्रव्य सहायक सामग्री Audio Aids

 

श्रव्य सामग्री से तात्पर्य उन साधनों से है, जिनमें केवल श्रव्य इन्द्रियों (कानों) का प्रयोग होता है। श्रव्य सामग्री के अन्तर्गत रेडियो, टेलीफोन, ग्रामोफोन, टेलीकॉन्फ्रेंसिंग, टेप-रिकॉर्डर इत्यादि आते हैं।

 

रेडियो Radio

 

  • रेडियो द्वारा दूरस्थ बालकों को भी एक साथ नवीनतम घटनाओं एवं सूचनाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इसके द्वारा बालकों को उच्च कोटि के शिक्षा-शास्त्रियों से राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के विषय में अनेक वार्ताएँ तथा भाषण सुनने को मिलते हैं। रेडियो पर विभिन्न कक्षा के विभिन्न विषयों के अध्यापन सम्बन्धी प्रोग्राम भी सुनाए जाते हैं। रेडियो-पाठ का उपयोग शिक्षण की प्रभावोत्पादकता में वृद्धि करने के लिए किया जाता है।

 

टेप- रिकॉर्डर Taperecorder

 

  • शैक्षिक उपकरण के रूप में टेप रिकॉर्डर एक प्रचलित उपकरण है। इसकी सहायता से महापुरुषों के प्रवचन, नेताओं के भाषण तथा प्रसिद्ध साहित्यकारों की कविताओं, कहानियों तथा प्रसिद्ध कलाकारों के संगीत का आनन्द उठाया जा सकता है। इससे बालकों को बोलने की गति तथा स्वर, प्रभाव सम्बन्धी सभी त्रुटियों एवं उच्चारणों को सुधारने में आश्चर्यजनक सहायता मिलती है।

 

दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री Visual-Audio Aids

 

  • दृश्य-श्रव्य सामग्री का तात्पर्य शिक्षण के उन साधनों से है जिनके प्रयोग से बालकों की देखने और सुनने वाली ज्ञानेन्द्रियाँ सक्रिय हो जाती हैं और वे पाठ के सूक्ष्म तथा कठिन-से-कठिन भावों को सरलतापूर्वक समझ जाते हैं। सूक्ष्म से दृश्य-श्रव्य सामग्री का अर्थ उन समस्त सामग्री से है जो कक्षा में अथवा अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित अथवा बोली हुई पाठ्य सामग्री को समझाने में सहायता देती है। इसके अन्तर्गत सिनेमा, वृत्तचित्र, दूरदर्शन, नाटक इत्यादि आते हैं। 

 

चल - चित्र Films 

  • चल-चित्र अथवा सिनेमा के अनेक लाभ हैं, इसके द्वारा प्राप्त किया हुआ ज्ञान अन्य उपकरणों की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है, क्योंकि इसमें देखने तथा सुनने की दो इन्द्रियाँ सक्रिय रहती हैं। इसके द्वारा बालकों को विभिन्न देशों, स्थानों अथवा घटनाओं का ज्ञान सरलतापूर्वक कराया जा सकता है। इससे बालकों की कल्पनाशक्ति का विकास होता है।

 

टेलीविजन Television

 

  • चल-चित्र से होने वाले सभी लाभ टेलीविजन से भी प्राप्त होते हैं। किन्तु, सिनेमा की अपेक्षा इसका दायरा अत्यन्त विस्तृत होता है। आजकल टेलीविजन पर कई मनोरंजक कार्यक्रमों के अतिरिक्त कई प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रमों का भी प्रसारण किया जाता है। जिससे बच्चों के ज्ञान में वृद्धि होती है। इग्नो एवं यूजीसी के अतिरिक्त कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा भी उपग्रहों की मदद से विभिन्न प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है।

 

कम्प्यूटर Computer

 

  • कम्प्यूटर एक ऐसा आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसका प्रयोग जीवन के विविध क्षेत्र में किया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका व्यापक उपयोग होने लगा है। 
शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर से निम्नलिखित लाभ हैं-

 

  •  इससे छात्रों में पाठ के प्रति रुचि का विकास होता है। 
  • ये चित्रों, चलचित्रों के माध्यम से पाठ को अत्यन्त जीवन्त एवं मनोरंजक बना देता है। 
  • इससे छात्रों को उच्च कोटि का पुनर्बलन प्राप्त होता है।
  • कम्प्यूटर के जरिए इन्टरनेट का प्रयोग विविध प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। 
  • इसके द्वारा पाठों का प्रस्तुतीकरण तैयार किया जा सकता है, जिससे पाठ अधिक सरल एवं रुचिकर हो सकते हैं।

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