प्लेटो के बारे में जानकारी |प्लेटो का मूल नाम अरिस्तोक्लीज |Plato Ke Baare Me

प्लेटो के बारे में जानकारी

प्लेटो के बारे में जानकारी |प्लेटो का मूल नाम अरिस्तोक्लीज |Plato Ke Baare Me

 

 प्लेटो का जीवन परिचय

 

  • महान काल्पनिक एवं स्वप्नदृष्टा चिंतक प्लेटो का जन्म 427 ईसा पूर्व ऐथेंस के एक कुलीन परिवार में हुआ था। 
  • प्लेटो के पिता का नाम अरिस्तोन तथा माता का नाम परिकतिओन था। 
  • प्लेटो का मूल नाम अरिस्तोक्लीज था लेकिन इनके चौड़े-चौड़े कन्धे एवं हृष्ट-पुष्ट शरीर के कारण इनके गुरु इन्हें प्लाटॉन कहा करते थे और कालांतर में इन्हें प्लेटो के नाम से जाना जाने लगा। 
  • युवावस्था में प्लेटो एवं चिंतनशील एवं क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित था, और उनका लक्ष्य था कि वे एक सक्रिय राजनेता के रूप में उभर कर आयेंगे लेकिन अपनी चिंतनशीलता से वे राजनेता तो नहीं बन पाये पर एक महान चिंतक एवं दार्शनिक जरूर बन गये।

 प्लेटो की शिक्षा

  • प्लेटो को शिक्षा ग्रहण के दौरान महान दार्शनिक सुकरात से शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला। सुकरात की शिक्षा पद्धति एवं विचारों से प्लेटो काफी प्रभावित हुआ तथा इसी कारण उन्होंने अपने जीवन में नैतिकता, सदगुण तथा विवेक के शासन पर बल दिया और इन्हें अपने आदर्श के रूप में स्वीकार किया। 
  • 28 वर्ष की अवस्था में प्लेटों के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब उनके गुरु सुकरात को विष देकर मरवा दिया गया तो उन्हें सांसारिक जीवन से विरक्ति हो गयी। उन्होंने सोचा कि जब तक शासक विवेकी एवं बुद्धिमान नहीं होंगे तब तक इस सांसारिक जीवन की समस्याओं की समाधान सम्भव नहीं है और विवेकी शासक के बिना कोई भी राज्य अपने लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं कर सकता। 
  • अतः प्लेटो ने लोगों को शिक्षा प्रदान करने तथा विवेकी शासक बनाने के लिए शिक्षणालय की खोला, जिसका नाम "द अकादमी" गया। अपने जीवन के शेष वर्ष प्लेटो ने इसी अकादमी में बिताये तथा लगभग 40 वर्षों से इसी अकादमी में अध्ययन अध्यापन का कार्य किया। इस अकादमी में प्लेटो ने गणित एवं ज्यामिति की शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था। 
  • अकादमी के मुख्य द्वार पर अंकित था कि गणित के ज्ञान के बिना कोई प्रवेश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। इसके अलावा राजनीति, दर्शन, तर्कशास्त्र, मानवशास्त्र आदि की शिक्षा भी दी जाती थी।

 

  • 367 ईसा पूर्व में सिराक्युज में शासक दियोनिसियस द्वितीय गद्दी पर आसीन हुए तथा उन्होंने प्लेटो से आग्रह किया कि वे उसे एक दार्शनिक शासक बनने में सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करें। 
  • प्लेटो को लगा कि अपने आदर्शवादी विचारों को व्यावहारिक धरातल पर उतरने का उचित अवसर है। अतः वह इस महान कार्य में लग गया लेकिन चाटुकारों द्वारा इस वैमनस्य पैदा कर प्लेटो की इस योजना को भी अप्रभावी बना दिया गया। प्लेटो वापस ऐथेंस लौट आया। इसके पश्चात् वह आदर्शवादिता के स्थान पर व्यवहारिकता की और अग्रसर हुआ तथ नैतिकता एवं आदर्श के स्थान पर कानून एवं व्यवहारिकता में विश्वास रखने लगा। 
  • 347 ईसा पूर्व में 81 वर्ष की आयु में इस महान आदर्शी, दार्शनिक एवं कल्पनावादी चिंतक का देहावसान हो गया।

 

प्लेटो की प्रमुख रचनाएं

 

प्लेटो की रचनाओं में सबसे महत्त्वपूर्ण रचना "रिपब्लिक" का नाम लिया जाता है। इसके अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण रचनाएं निम्न मानी जाती है

 

1. द स्टेटसमेन

2. अपोलोजी

3. क्रीटो

4. युथीफ्रो

5. मीनो

6. फेडो

7 जोर्जियस

8 प्रोटागोरस

9. सोफिस्ट

10. द लॉज


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