ग्रामीण विकास तथा समाज कल्याण में स्वैच्छिक संगठन की भूमिका |Role of Voluntary Organisation in Social Welfare & Development

समाज कल्याण में स्वैच्छिक संगठन की भूमिका
Role of Voluntary Organisation in Social Welfare & Development
ग्रामीण विकास तथा समाज कल्याण में स्वैच्छिक संगठन की भूमिका |Role of Voluntary Organisation in Social Welfare & Development


 

जनभागीदारी के अर्थ में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका 

ग्रामीण विकास प्रक्रिया समाज कल्याण में स्वैच्छिक संगठन की भूमिका 


समाज सेवा का कार्य धैर्यत्याग तथा प्रतिवब्ध्ता की भावना से ही संभव है। स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से ही बच्चोंमहिलाओं तथा अन्य जरूरतमन्द व्यक्तियों का कल्याण हो सकता है। गैर सरकारी संगठनों का यह भी महत्वपूर्ण कार्य हैजनता को विकासात्मक कार्यों में पूर्ण भागीदारी के लिये प्रेरित करना तथा उनके लिये सही प्लेटफार्म व अवसर को सुनिश्चित करना। 


सामाजिक विकास और कल्याण के क्षेत्र में स्वैच्छिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका को निम्नलिखित विन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है

 

( 1 ) जन कल्याण में अगुवा :

 

  • स्वैच्छिक संगठनों का निर्माण उन व्यक्तियों के स्वेच्छा से होता है जो समाज की सेवा करना अपना धर्म समझते हैं। हमारी परम्परागत सामाजिक मान्यताओं के पतन के कारण मानव सेवा का कार्य सरकारी जिम्मेदारी मान लिया गया है। ऐसी परिस्थिति में जनकल्याण के कार्य स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा ही संभव है। जैसे अनाथ बालकोंविधवा महिलाओंभिखारियोंश्रमिकों तथा निःशक्तजनों की सेवा इत्यादि। ये संगठन इन जनसाधारण की मानसिकता को अच्छी तरह समझते हैंअतः उनकी भूमिका यहाँ महत्वपूर्ण होती है।

 

( 2 ) स्थानीय प्रशासन में साकारात्मक हस्तक्षेप :

 

  • अधिकतर देशों में लाल फीताशाही तथा राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण सरकारी कार्यक्रमों का लाभ वंचित तबकों तक नहीं पहुँच पाता है। यहाँ पर गै-सरकारी संगठनों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। यह स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह और जिम्मेदार बनने के लिये बाध्य करते हैं।

 

  • गैर सरकारी संगठन जन जागरूकता फैलाते हैंलोगों के लिये जीविकोपार्जन का साधन तथा अवसर प्रदान करते हैंतथा उनकी सहायता से उनके हितैषी वातावरण तथा उपयोगी टेक्नोलॉजी का विकास व संरक्षण करते हैं। इसके अतिरिक्त सामाजिक बुराइयों के खात्मे के लिये जरूरी माहौल तैयार करते हैं। इस प्रकार गैर सरकारी संगठन ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माता संरक्षक तथा विनाशक की बहुमुखी भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार गैर-सरकारी संगठनों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जनता में स्थानीय स्तर पर राजनैतिक जागरूकता को उत्पन्न करने की होती है।

 

( 3 ) सामाजिक परिवर्तन में सहायक :

 

  • सामाजि संरचना में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं। इस सामाजिक परिवर्तन को एक सुनिश्चित गति तथ साकारात्मक दिशा देने में स्वैच्छिक संस्थायें निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन प्रक्रिया के शुरू करने में भी ये संगठन प्रभावी कार्य करते हैं। जब इन संगठनों के सामाजिक कार्यकर्त्ता स्वयं दीन-हीन की सेवा तथा रोगी की देखमात्र करते हैं तो अन्य व्यक्तियों को भी प्रेरणा मिलती है।

 

(4) उत्तरदायित्व भावना का विकास :

 

  • समाज में हमें प्रेमसहयोग तथा सुरक्षा मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति के समाज के प्रति कुछ उत्तरदायित्व होते हैंजिनका पालन करना सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखने में सहायक होता है। परन्तु आज के जटिल सामाजिक संरचना में व्यक्ति अपने सामाजिक दायित्वों को भूलता जा रहा है और यही पर स्वैच्छिक संगठन करने वाले अधिकतर कार्यकर्ता संयमशील होते हैं। अतः यहाँ इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि अधिकतर स्वैच्छिक संगठनों के कार्यकर्ता बिना किसी स्वार्थ के केवल समाज सेवा और समर्पित भाव से कार्य करते हैं। इसे देखकर अन्य लोग भी अपने उत्तरदायित्व को समझने लगते हैं।


(5) सरकारी नितियों एवं कार्यक्रमों का सफल क्रियान्वयन :

 

  • लोक कल्याणकारी राज्य होने के नाते सरकार राष्ट्र के पूर्ण विकास के लिये अनेक योजनायें तथा कार्यक्रम निर्धारित करती हैं। सरकार की इन नीतियों तथा कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुँचाने में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्रथम पंचवर्षीय योजना से लेकर वर्तमान योजना तक सरकारी कार्यक्रमों में जनसहभागिता बढ़ाने तथा इन कार्यक्रमों की क्रियान्विति सफलतापूर्वक कराने में स्वैच्छिक संगठन महत्वपूर्ण भूमिका एवं माध्यम सि होते हैं। 


  • अनुसूचित जाति तथ जनजाति विकासनि:शक्तजनों कल्याणअल्पसंख्यकों की सुरक्षामहिला एवं बाल विकासअपराधी परिवीक्षा तथा सुधारबाल श्रमिक उरअस्पृश्यता निवारणनिराश्रितों को सहारा तथा भिक्षावृत्ति उन्मूलन में अनेक राष्ट्रीय तथा स्थानीय स्वैच्छिक संगठन प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं।

 

(6) सामाजिक कानूनों के क्रियान्वयन में सहायक :

 

  • राज्य द्वारा अनेक प्रकार के विधान बनाये जाते हैं जिससे सामाजिक कुरतियों को समाप्त किया जा सके। परन्तु इन विधानों या कानूनों की सफलता के लिये जनजागृति तथा जनसहयोग आवश्यक है। स्वैच्छिक संगठन ही इस कार्य को सम्पादित करते हैं। यहाँ इनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। भारत में सूचना का अधिकार इसका प्रमाण है। परिवर्तित कानूनों में संशोधन तथा उन्हें व्यवहारिक बनाने के सुझाव देने में भी स्वैच्छिक संगठनों की अहम भूमिका रहती है।

 

( 7 ) सामाजिक नियोजन तथा नीति निर्माण में सहायक :

 

  • सामाजिक आर्थिक पर्यावरण को समझने के लिये तथा सामाजिक आवश्यकताओं का पता लगाने के में सरकार द्वारा स्वैच्छिक संगठनों का सहारा लिया जाता है। विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों की वास्तविकता तथा उनकी कमियों की जानकारी भी क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करने वाले स्वैच्छिक संगठनों को ही होती है। और इन्हीं स्वैच्छिक संगठनों से सरकार की सारी जानकारी प्राप्त होती है। और यहाँ पर संबंधित अधिकारियों द्वारा की जाने वाली अनियमितताओं पर अंकुश लगवाने में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी गई है।

 

(8) सामुदायिक सहभागिता में वृद्धि 

 

  • भारत जैसे लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में विकास कार्यक्रमों के निर्माण तथा उनके क्रियान्वयन में जनसहभागिता का एक खास योगदान रहता है। परन्तु स्वतंत्रता के बाद अधिकतर योजनाओं में जनसहभागिता की भूमिका निराशजनक रही है। अधिकतर सामाजिक बुराइयों में जैसे बाल विवाहदहेज प्रथाबाल मजदूरी एवं बढ़ती जनसंख्या जैसी समस्याओं का निवारण जनसहभागिता के बिना असंभव है। स्वैच्छिक संगठन इन सबों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यहीं कारण है कि सामाजिक कल्याण के अधिकतर कार्य स्वैच्छिक संगठनों को करने के लिये दिये जाते हैं।

 

( 9 ) जनजागृति तथा जनमत निर्माण :

 

  • किसी समस्या विशेष पर जनता में जागृति फैलाना तथा उसके पक्ष और विपक्ष में जनमत का निर्माण करने में स्वैच्छिक संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। बाल श्रमबाल विवाहदहेज प्रथा तथा महिला अत्याचारों को रोकने के क्रम में इन संगठनों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रहती है। सामाजिक न्याय के प्रसार की ये उपलकियाँ स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से ही संभव हो पाता है।


  • स्वैच्छिक संगठन विविध ग्रामीण विकास कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली सब्सीडी के संबंध में सही व उपयोगी सूचना मुहैया करते हैं। ये ऋण के समुचित सदुपयोग तथा ऋण की समय पर वापसी के लिये जन जागरूकता अभियान भी चलाते हैं।

 

  • इसी तरह गैर-सरकारी संगठनों की एक और महत्वपूर्ण भूमिका होती है उनकी लोकपाल की भूमिका। इस परिस्थिति में गैर-सरकारी संगठन लोकपाल के रूप में उचित स्तर पर सामाजिकराजनीतिक तथा वैधानिक गोलबन्दी के द्वारा इन बुराइयों से प्रभावी रूप से लड़ने में सार्थक भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं।

 

  • गैर सरकारी संगठन पंचायती राज संस्थानों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब इस बात पर व्यापक सहमति है कि पंचायती राज्य संस्थानों की सफलता गैर-सरकारी संगठनों की व्यापक भागीदारी पर निर्भर हैं। ये संगठन पंचायत स्तर पर एक शिक्षकप्रशिक्षकप्रसारक तथा सुविधावाहक की महत्वपूर्ण भूमिका प्रभावी तरीके से निर्वाह कर सकते हैं

 

  • गैर सरकारी संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका विकासात्मक कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में भी होती है। इस भूमिका को सातवीं योजना में रेखांकित किया गया। ये ग्रामीण जरूरतों के आधार पर स्वतंत्र रूप से अपनी गतिविधियों को संचालित करते हैं। वे ग्रामीणों को रचनात्मक कार्य के लिये गोलबन्द करते हैं। गैर सरकारी संगठन विभिन्न स्त्रोतों व माध्यमों के द्वारा लोगों तक सूचनाओं का प्रचार प्रसार करते हैं ताकि लोगों को उपयोगी सूचनाओं का पाने के अधिक अवसर तथा विकल्प उपलब्ध हो सके।

 

इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि ऐच्छिक संस्थायें ग्रामीण विकास प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल है  । यदि पर्याप्त धन और मार्ग निर्देशन कराया जाये तो ये ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अत्यंत सार्थक एवं उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं।


विषय सूची 

स्वैच्छिक संगठन- इतिहास अर्थ परिभाषा एवं उद्देश्य

स्वैच्छिक संगठन (संस्थाओं) की विशेषतायें

स्वैच्छिक संगठनों के प्रकार

स्वैच्छिक संगठन का गठन एवं कार्यप्रणाली

स्वैच्छिक संगठनों की समस्यायें या कमियाँ

ग्रामीण विकास तथा समाज कल्याण में स्वैच्छिक संगठन की भूमिका

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