स्वैच्छिक संगठन (संस्थाओं) की विशेषतायें |Voluntary Organisation GK in Hindi
स्वैच्छिक संगठन (संस्थाओं) की विशेषतायें
(Characteristics of Voluntary Organisation)
मूलत: स्वैच्छिक संगठन सरकारी संगठनों की कार्यशैली तथा संरचना से अलग होते हैं। नौकरशाही तथा कानून कायदों की पाबन्दी से मुक्त ये संगठन अपनी कार्य संस्कृति को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सकते हैं। इने निर्माण में सरकारी प्रयासों की अपेक्षा कुछ व्यक्तियों की इच्छा शक्ति ही निर्यायक होती है। समाज कल्याण के उद्देश्य से बनाई गई स्वैच्छिक संस्थाओं की निम्नलिखित विशेषतायें होती हैं-
- इसकी विशेषता यह है कि स्वैच्छिक संगठनों का निर्माण स्वेच्छा पर निर्भर करता है। इसके निर्माण के पीछे सरकारी प्रयासों के बजाय किन्हीं व्यक्तियों की अपनी प्रेरणा उत्तरदायी होती है। और इस प्रेरणा के पीछे कोई भी कारण हो सकता है। इसका एक औपचारिक संगठनात्मक स्वरूप होता है
- ये ऐच्छिक प्रयास का परिणाम होती हैं। यद्यपि इनकी प्रेरणा के सूत्र विभिन्न तत्व हो सकते हैं किन्तु इनका जन्म स्वेच्छा पर आधारित होता है।
- इन संगठनों का निर्माण प्रायः जन कल्याण के लिये किया जाता है।
- इन संगठनों की पहल तथा प्रशासन प्रजातांत्रिक सितों के आधार पर बिना किसी बाहरी नियंत्रण के स्वयं इसके सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- इन्हें एक उपयुक्त अधिनियम या कानून के अधीन पंजीकृत किया जाता है, ताकि इनको एक निगमत्मक स्तर प्राप्त हो सके, एक कानूनी व्यक्तित्व मिल सके और व्यक्तिगत दायित्व का स्थान सामूहिक दायित्व ले सके। भारत में केंद्रीय स्तर पर सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860, भारतीय न्यास (Trust) अधिनियम 1882, सहकारी समिति अधिनियम 1904, तथा भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 (सेक्शन-25 के अन्तर्गत Charitable Company) इत्यादि के अन्तर्गत इनका पंजीकरण किया जाता है। राज्य स्तरीय कानूनों जैसे- राजस्थान संस्थायें पंजीकरण अधिनियम 1965 तथा राजस्थान सहकारी समितियाँ अधिनियम, 2002 के अन्तर्गत भी पंजीयन हो सकता है
- इन स्वैच्छिक संस्थाओं में संगठन की दृष्टि से एक साधारण सभा होती है, तथा नियमित रूप में बनाई गई एक प्रबंध समिति होती है, जिसमें पुरुषों, महिलाओं, व्यवसायिकों, सरकारी व्यक्तियों आदि सभी के हितों का प्रतिनिधित्व किया जाता है।
- उनके कुछ निश्चित उद्देश्य और लक्ष्य होते हैं तथा इन लक्ष्यों की उपलब्धि के लिये कार्यक्रम होता है।
- ये जिस समुदाय में बनते हैं उनके द्वारा विदित और स्वीकृत होते हैं।
- ये संगठन प्रायः 'न लाभ न हानि' को आधार मानकर संचालित किये जाते हैं।
- इनका कार्य संचालन बाहरी नियंत्रण से मुक्त होता है। संगठन के सदस्य ही संगठन की व्यवस्था बनाते हैं। निर्णय में ऐसे संगठन स्वायत्तता प्राप्त होते हैं।
- अधिकांश संगठन किसी क्षेत्र या विषय विशेष अथवा समस्या विशेष पर ध्यान केन्द्रित रखते हैं। इनका उद्देश्य तथा लक्ष्य निश्चित होता है।
- इन स्वैच्छिक संगठनों का कार्य क्षेत्र भौगोलिक तथा सामाजिक दृष्टि से एक सीमित दायरे में होती है।
- इन संगठनों में शीर्ष प्रशासनिक सत्ता के रूप में सामान्य निकाय या आमसभा होती है जिसमें उस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी, दानदाता या महत्वपूर्ण व्यक्ति रखे जाते हैं जो संगठन के नीति-निर्माण में निर्यायक भूमिका निभाते हैं।
- इन संगठनों द्वारा संचालित कार्यक्रमों को सामाजिक मान्यता तथा सामुदायिक सहयोग प्राप्त होता है। इनकी वित्तीय व्यवस्था सरकार तथा जनता दोनों द्वारा पूरी होती है।
इस प्रकार स्वैच्छिक संगठनों की विशेषताओं में उपर दिये गये बातों के अतिरिक्त इनकी स्थापना स्वेच्छा पर निर्भर करती है। जनकल्याण की भावना या अन्य कोई प्रेरणा इनके लिये उत्तरदायी होती है। और इनका प्रशासन एवं कार्य संचालन स्वयं द्वारा निर्मित विधि पर निर्भर करता है।
इन विशेषताओं के अतिरिक्त इन संगठनों की कार्यप्रणाली स्वायत लचीली तथा परिवर्तनशील है और इनकी वित्तीय व्यवस्था जनता से दान तथा सरकारी सहायता अनुदान से चलती है। परन्तु इन संगठनों का कार्यकाल प्राय: अनिश्चित होता है।
विषय सूची
स्वैच्छिक संगठन- इतिहास अर्थ परिभाषा एवं उद्देश्य
स्वैच्छिक संगठन (संस्थाओं) की विशेषतायें
स्वैच्छिक संगठन का गठन एवं कार्यप्रणाली
स्वैच्छिक संगठनों की समस्यायें या कमियाँ
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