अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस 2 दिसंबर । International Day for the Abolition of Slavery
अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस 2 दिसंबर
International Day for the Abolition of Slavery
अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस कब मनाया जाता है ?
- प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस (International Day for the Abolition of Slavery) मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस के उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य मानव तस्करी, बाल श्रम, आधुनिक गुलामी के अन्य रूपों जैसे- ज़बरदस्ती शादी और सशस्त्र संघर्ष के दौरान बच्चों की सेना में ज़बरन भर्ती से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता फैलाना है।
अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस पहली बार कब मनाया गया था ?
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 दिसंबर, 1929 को अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस की शुरुआत की गई थी।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation- ILO)
- यह ‘संयुक्त राष्ट्र’ की एक विशिष्ट एजेंसी है, जो श्रम संबंधी समस्याओं/मामलों, मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानक, सामाजिक संरक्षा तथा सभी के लिये कार्य अवसर जैसे मामलों को देखती है।
- इस संगठन की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् ‘लीग ऑफ नेशन्स’ (League of Nations) की एक एजेंसी के रूप में सन् 1919 में की गई थी। भारत इस संगठन का एक संस्थापक सदस्य रहा है।
- इस संगठन का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है।
आधुनिक दासता का अर्थ
- संपूर्ण इतिहास में दासता के अलग-अलग तरीके और स्वरूप प्रकट हुए हैं जिनमें से आज कुछ अपने पारंपरिक स्वरूप में बने हुए है जबकि कुछ नए रूप में बदल गए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ने गुलामी के पुराने स्वरूपों का दस्तावेजीकरण किया है जो पारंपरिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों में अंतर्निहित हैं। दासता के ये रूप समाज में सबसे कमजोर समूहों के खिलाफ लंबे समय से भेदभाव का परिणाम हैं, जैसे कि निम्न जाति, आदिवासी अल्पसंख्यक और स्वदेशी लोगों के रूप में मान्यता।
आधुनिक दासता के कुछ प्रचलित स्वरूप
- जबरन मज़दूरी कराना/बलात श्रम: बलात श्रम के पारंपरिक स्वरूप (बंधुआ श्रम, कर्ज ना चुकाने के एवज में श्रम लेना/ऋण बंधन) का रूपांतरण दासता के आधुनिक संस्करण प्रवासी श्रमिकों के रूप में हो गया है जिनका वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक शोषण के लिए तस्करी किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इन प्रवासी श्रमिकों को घरेलू सेवा, निर्माण उद्योग, खाद्य और परिधान उद्योग, कृषि क्षेत्र और जबरन वेश्यावृत्ति में जबरन कार्य कराया जाता है।
बाल श्रम का अर्थ
- आज विश्व स्तर पर हर 10 में से एक बच्चा बाल श्रम का शिकार है एवं इसका अधिकांश हिस्सा आर्थिक शोषण के अंतर्गत आता है। यह बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के खिलाफ है जिसमें बच्चे को आर्थिक शोषण से मुक्त देते हुए ऐसे हर एक काम में इनका नियोजन प्रतिषेध किया गया है जो बच्चे की शिक्षा को प्रभावित करते हैं या यह बच्चे के स्वास्थ्य या शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, नैतिक या सामाजिक विकास में बाधा डालते हैं। "
मानव तस्करी का अर्थ
- व्यक्तियों एवं विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी को रोकने, शमन करने सजा देने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार व्यक्तियों की तस्करी का मतलब है “शोषण के उद्देश्य लोगों की भर्ती, परिवहन, स्थानांतरण, उत्पीड़न बल प्रयोग या जबरदस्ती करना है।” शोषण के दूसरे स्वरूपों में जबरन श्रम सेवाएं, दासता,वेश्यावृत्ति, मानव अंगों के व्यापार हेतु मानव अंग को निकालना इत्यादि शामिल है।
आधुनिक दासता को बढ़ाने वाले कारण
- गरीबी और आजीविका का संकट
- बेरोजगारी
- कानूनों की अनुपस्थिति या कानूनों का लचर कार्यान्वयन, निम्न सजा या सजा में देरी
- समाज के वंचित वर्गों की सुभेद्य स्थिति
- युद्ध और अशांति
- प्राकृतिक आपदा
- निरक्षता और जागरूकता की कमी
आधुनिक दासता को रोकने हेतु अंतरराष्ट्रीय प्रयास
अंतरराष्ट्रीय
उपबंध/कानून
- बाल अधिकारों पर
कन्वेंशन: बच्चों की बिक्री पर प्रोटोकॉल, बाल वेश्यावृत्ति और बाल पोर्नोग्राफी (2000)
- अंतरराष्ट्रीय
संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन: मानव तस्करी खासकर महिलाओं और
बच्चों की तस्करी को रोकने,
दमन करने और सजा
हेतु प्रोटोकॉल (2000)
- विवाह पर सहमति, विवाह के लिए
न्यूनतम आयु और विवाह पंजीकरण 1965 और 1962
- दासता के उन्मूलन
पर पूरक सम्मेलन, दास व्यापार और
दासता को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं एवं उनके समानांतर व्यवहारों का उन्मूलन (1956)
- 25 सितंबर 1926 को जेनेवा में
हस्ताक्षरित दासता सम्मेलन में संशोधन (1953)
- व्यक्तियों की
तस्करी एवं वेश्यावृत्ति के लिए शोषण के दमन हेतु कन्वेंशन (1949)
- मानव अधिकारों की
सार्वभौमिक घोषणा (1948)
- दासता सम्मेलन (1926)
- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन
- बलात श्रम कन्वेंशन (1930) के लिए 2014 का प्रोटोकॉल
- बलात श्रम
कन्वेंशन (1930)
- बलात श्रम कन्वेंशन (1957) का उन्मूलन
- न्यूनतम आयु
कन्वेंशन (1973)
- बाल श्रम
कन्वेंशन (1999)
आधुनिक दासता को रोकने हेतु प्रमुख भारतीय प्रयास
1. संवैधानिक
प्रावधान
अनुच्छेद-21: जीवन और
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी प्रदान करता है।
अनुच्छेद-23: बलात् श्रम के
सभी प्रकारों पर प्रतिबंध लगाता है।
अनुच्छेद-24: 14 वर्ष से कम उम्र
के बच्चों को ख़तरनाक कामों में प्रतिबन्ध
अनुच्छेद-39: श्रमिकों, पुरुषों तथा
महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सामर्थ्य को सुरक्षित करने के लिये यह अनुच्छेद राज्य को
निर्देशित करता है।
अनुच्छेद-42: काम की उचित और
मानवीय स्थितियों को सुरक्षित रखने एवं मातृत्व राहत के लिये प्रावधान करने हेतु
यह अनुच्छेद राज्य को निर्देशित करता है।
2. कानूनी प्रावधान:
- बाल श्रम हेतु:
बाल श्रम अधिनियम 1956, बाल श्रम (निषेध
एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2016, बाल श्रम संशोधन अधिनियम 2017, किशोर न्याय अधिनियम, 2015
- मानव तस्करी हेतु: अनैतिक तस्करी (निवारण) एक्ट, 1986, अनैतिक तस्करी (बचाव) अधिनियम 1956, अनैतिक यातायात अधिनियम, भारतीय दंड संहिता- 1860, मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) बिल, 2018, भारतीय दंड संहिता – IPC( धारा 366A, 366B, 370 और 374; उल्लेखनीय है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 370 और 370A मानव तस्करी के विरुद्ध व्यापक उपबंध शामिल है।)
- बलात श्रम हेतु:
बंधुआ मजदूरी (उन्मूलन) अधिनियम 1976
आधुनिक दासता इस तरह से रोका जा सकता है
- पिछड़ें क्षेत्रों का विकास करके गरीबी को दूर करते हुए बेरोजगारी एवं लोगों की आजीविका के संकट को दूर करना
- कुशल कानूनों कानूनों का प्रवर्तन और विद्यमान कानूनों को कठोर करना; त्वरित न्याय
- समाज के वंचित वर्गों को सामाजिक, आर्थिक एवं कानूनों के हस्तक्षेप से सुरक्षा प्रदान करना
- वैश्विक और क्षेत्रीय हस्तक्षेप से युद्ध और अशांति की पृष्ठभूमि को समाप्त करना
- संसाधनों के कुशल आबंटन और वैश्विक भागीदारी द्वारा प्राकृतिक आपदा के विरुद्ध क्षमता निर्माण
- निरक्षता और जागरूकता की कमी
- अंतराष्ट्रीय संस्थाओं एवं सम्बंधित संस्थाओं में आसूचना और तालमेल को बढ़ाना
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