20 नवंबर : मिल्खा सिंह जयंती पर विशेष। Flying Sikh Milkha Singh Jyanti Fact in Hindi

 20 नवंबर : मिल्खा सिंह  की जयंती पर विशेष

  Milkha Singh Jyanti Fact in Hindi

20 नवंबर : मिल्खा सिंह  की जयंती पर विशेष। Flying Sikh Milkha Singh Jyanti Fact in Hindi


 

मिल्खा सिंह के बारे में Milkha Singh Fact in Hindi

  • जन्म 20 नवम्बर 1929, पंजाब (अविभाजित भारत)
  • मृत्यु 18 जून 2021 (91 वर्ष की आयु में)
  • पत्नी का नाम - निर्मला कौर  (मृत्यु 13 जून 2021) 
  • मिल्खा सिंह का उपनाम - फ्लाइंग सिख


मिल्खा सिंह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 

  • 20 नवंबर, 1932 को लायलपुर,पाकिस्तान (वर्तमान फैसलाबाद) में जन्मे मिल्खा सिंह विभाजन के बाद वर्ष 1947 में भारत चले आए।  इसके पश्चात् वे भारतीय सेना में शामिल हुए और इस दौरान मिल्खा सिंह ने एक धावक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
  • 1958 के एशियाई खेलों में सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर दोनों में जीत हासिल की। इसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर दौड़ प्रतिस्पर्द्धा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, जो खेलों के इतिहास में भारत का पहला एथलेटिक्स स्वर्ण पदक था। 
  • मिल्खा सिंह चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता थे, लेकिन उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन वर्ष 1960 के रोम में 400 मीटर फाइनल में चौथा स्थान हासिल करना था, जहाँ वे मात्र 0.1 सेकंड पीछे होने के कारण कांस्य पदक प्राप्त नहीं कर सके थे।
  • मिल्खा सिंह को वर्ष 1959 में पद्मश्री (भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक) से सम्मानित किया गया था। 
  • सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने पंजाब में खेल निदेशक के रूप में कार्य किया। 
  • मिल्खा सिंह की आत्मकथा द रेस ऑफ माई लाइफवर्ष 2013 में प्रकाशित हुई थी।
  • बहुचर्चित एथलीट और फ्लाइंग सिख’ के नाम से प्रसिद्ध मिल्खा सिंह का 18 जून 2021 में निधन हुआ। 

मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख की उपाधि किसने दी 

  • अब्दुल खालिक को हराने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह की तारीफ की और उनको 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि से नवाजा। देश के दमदार धावक अब्दुल खालिक को हराने के बाद अयूब खान ने मिल्खा सिंह से कहा था, "आज तुम दौड़े नहीं, बल्कि उड़े हो। इसलिए हम तुम्हे 'फ्लाइंग सिख' के खिताब से नवाजते हैं।' इसके बाद से मिल्खा सिंह को पूरी दुनिया में 'फ्लाइंग सिख' के नाम से जाना जाने लगा।



मिल्खा सिंह का जीवन परिचय Milkha Singh Biography in Hindi

 

मिल्खा सिंह का प्रारम्भिक जीवन 

  • मिल्खा सिंह का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब में एक सिख राठौर परिवार में हुआ था, इनका जन्म 20 नवम्बर 1929 को हुआ था। लेकिन कुछ दस्तावेजों में 17 अक्टूबर 1935 को दिखाया गया है। 
  • मिल्खा सिंह का परिवार काफी बड़ा था, इनके 15 भाई बहन थे। लेकिन इनके भाई की बचपन में ही मृत्यु हो गयी थी। यह माँ-बाप की 15 संतानों में अकेले थे। 
  • भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने माँ-बाप और भाई-बहन को खो दिया। जिसके बाद यह सरकार द्वारा बनाये गए शरणार्थी केम्प में रहे और ट्रेन के द्वारा पाकिस्तान से दिल्ली आ गए। 
  • मिल्खा सिंह की पत्नी का नाम निर्मल कोर है इनके 1 बेटा और 3 बेटी है।

 

मिल्खा सिंह का विवाह 

 

  • मिल्खा सिंह का विवाह निर्मला कौर के साथ हुआ था। सबसे पहले चंडीगढ़ में मिल्खा सिंह की मुलाकात निर्मल कौर से हुई, उस समय उनकी निर्मला कोर 1955 में भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान थी। इसके बाद से दोनों में दोस्ती हुई और साल 1962 में दोनों ने शादी कर ली। 

  • शादी करने के बाद भी इन्होंने कई दौड़ जीती। इनके बेटे का नाम जीव मिल्खा सिंह है। इसके साथ ही उन्होंने एक 7 साल के बेटे को 1999 में गोद लिया, जो सेना में शामिल हुआ, जिसका नाम हविलदार बिक्रम सिंह था। लेकिन यह लड़का टाइगर हिल के युद्ध में शहीद हो गया था।

 

मिल्खा सिंह की उपलब्धियां 

 

  • मिल्खा सिंह धावक बनाने से पहले भारतीय सेना में भर्ती हुए। सेना में जाने के बाद सेना के माध्यम से उन्होंने खेल को चुना और 200 मी और 400 मी में अपने आप को तैयार किया। उन्होंने सन 1956 के मेर्लबन ओलिंपिक खेलों में 200 और 400 मीटर में भारत का प्रतिनिधित्व किया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर इस रेस में भाग लिया।

 

  • लेकिन उस समय इनको इतना ज्यादा अनुभव नहीं था, जिसके कारण यह वह रेस हार गए थे। उस समय 400 मीटर प्रतियोगिता के विजेता चार्ल्स जेंकिंस के साथ हुई मुलाकात के बाद से उन्होंने कड़ी मेहनत की और नए तरिके से अपने आप को तैयार किया और दोबारा प्रयास किया।

 

  • इसके बाद मिल्खा सिंह ने साल 1957 में 400 मीटर की दौड़ को मात्र 5 सैकेंड में पूरा करके एक नया राष्ट्रीय कीर्तिमान भारत के नाम किया। साल 1958 में कटक में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में भी उन्होंने हिस्सा लिया और 200 मी और 400 मी प्रतियोगिता में विजेता रहे। एशियन खेलों में भी इनको विजय हुई जिसमें इन्होने भारत का प्रतिनिधित्व किया और देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया।

 

  • साल 1958 में महत्वपूर्ण सफलता मिली, जब उन्होंने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके बाद से इनकी कीर्ति पुरे विश्व में होने लगी और इन्हें सभी लोग जानने लगे। साल 1958 के एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद सेना ने मिल्खा सिंह को जूनियर कमीशंड ऑफिसर के तौर पर प्रमोशन करके उन्हें सम्मानित किया।


मिल्खा सिंह खेल निदेशक के पद पर नियुक्त  

  • इन सभा उपलब्धियों को प्राप्त करने के बाद उन्हें पंजाब के शिक्षा विभाग में खेल निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। यहां पर उन्होंने अपने कार्य को करते हुए साल 1998 में रिटायर्ड हुए।

 

उड़न सिख” फ्लाइंग सिख का उपनाम मिला

 

  • मिलखा सिंह शुरू से ही तेज दौड़ने में सफल रहे है, उन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जहां जनरल अयूब खान ने उन्हें उड़न सिखकह कर पुकारा। जिसके बाद से उन्हें लोगों द्वारा उड़न सिखके नाम से पुकारा जाने लगा।

 

मिल्खा सिंह को मिले पुरस्कार और उपलब्धियाँ


  • मिल्खा सिंह को 1959 में पद्मश्रीसे अलंकृत किया गया। 
  • मिल्खा सिंह ने 1958 के एशियाई खेलों में 200 मी व 400 मी में स्वर्ण पदक जीते। 
  • 1962 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता। 
  • 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता। 
  • 1962 में, मिल्खा सिंह ने अब्दुल खालिक को पराजित किया, जो पाकिस्तान का सबसे तेज़ धावक था। 
  • उनके जीवन पर एक फिल्म बनाई गयी, जिसका नाम भाग मिल्खा भाग रही, जो काफी सफल फिल्म रही है। 
  • उन्होंने अपनी जीवनी केवल 1 रुपये में ही प्रोडूसर को बेची। 
  • 2001 में मिल्खा सिंह ने अर्जुन पुरस्कारलेने से मना कर दिया, इसका कारण यह बताया कि वह उन्हें 40 साल देरी से दिया गया।


मिल्खा सिंह की मृत्यु

 

  • महान भारतीय धावक मिल्खा सिंह का 91 वर्ष की आयु में 18 जून 2021 को निधन हो गया। उन्हें कोविड -19 होने के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। वह एक महीने से बीमार चल रहे थे। एक महीने की लंबी लड़ाई के बाद उनका निधन हो गया है। मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर का भी 13 जून 2021 को कोविड वायरस के कारण निधन हो गया।

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