कोरोना वायरस वेरिएंट की सूची : वायरस वेरिएंट क्या प्रकार एवं वर्गीकरण। ओमिक्रॉन वेरिएंट ऑफ कन्सर्न ।Corona Virus Variant List
कोरोना वायरस वेरिएंट की सूची : वायरस वेरिएंट क्या प्रकार एवं वर्गीकरण,
ओमिक्रॉन वेरिएंट ऑफ कन्सर्न ,Corona Virus Variant List
वायरस वेरिएंट क्या होते हैं
- किसी भी वायरस का एक जेनेटिक कोड होता है। यह एक तरह का मैनुअल है, जो वायरस को बताता है कि उसे कब, क्या और कैसे करना है। वायरस के जेनेटिक कोड में लगातार छोटे-छोटे बदलाव होते रहते हैं। अधिकतर बदलाव बेअसर होते हैं मगर कुछ बदलाव की वजह से वायरस तेजी से फैलने लगता है या घातक हो जाता है। इसी बदले हुए वायरस को वेरिएंट कहते हैं।
- दूसरे शब्दों में कहें तो वायरस जब रिप्रोडड्ढूस करता है तो वह परफेक्ट नहीं होता है और वही म्यूटेशन होता है। और जब उस म्यूटेशन का हम पर असर होता है तो उसे वेरिएंट कहते हैं।वायरस की यह नई किस्म शरीर के इम्यून सिस्टम से बचकर संक्रामकता को बढ़ाता है।
- वायरस के वेरिएंट में एक या एक से अधिक उत्परिवर्तन (Mutations) होते हैं जो इसे अन्य प्रचलित वेरिएंट से अलग करता है। अधिकांश उत्परिवर्तन वायरस के लिये हानिकारक साबित होते हैं तो कुछ उत्परिवर्तन वायरस के लिये फायदेमंद साबित होते हैं जो इसे जीवित रहने के लिये आसान बनाते हैं।
रोग नियंत्रण और रोकथाम हेतु अमेरिकी केंद्र (CDC) द्वारा वेरिएंट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट:
- इस श्रेणी में उन वेरिएंट्स को शामिल किया जाता है जिनमें शामिल आनुवंशिक परिवर्तन पूर्णतः अनुमानित होते हैं और उन्हें संचारण क्षमता, रोग की गंभीरता या प्रतिरक्षा क्षमता को प्रभावित करने के लिये जाना जाता है।
- ये वेरिएंट्स कई देशों और जनसंख्या समूहों के बीच महत्त्वपूर्ण सामुदायिक प्रसारण का कारण होते हैं। समय के साथ मामलों की बढ़ती संख्या या अन्य स्पष्ट महामारी विज्ञान प्रभावों के साथ-साथ वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये एक उभरते जोखिम का सुझाव देने के उद्देश्य से इनकी की पहचान की जाती है।
वेरिएंट ऑफ कंसर्न:
- वायरस के इस वेरिएंट के परिणामस्वरूप संक्रामकता में वृद्धि, अधिक गंभीर बीमारी (जैसे- अस्पताल में भर्ती या मृत्यु हो जाना), पिछले संक्रमण या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी में महत्त्वपूर्ण कमी, उपचार या टीके की प्रभावशीलता में कमी या नैदानिक उपचार की विफलता देखने को मिलती है।
- अब तक ऐसे चार वेरिएंट (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) हैं, जिन्हें ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में नामित किया गया है और इन्हें बड़ा खतरा माना जाता है।
- इन सभी का हाल ही में ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों के नाम पर नामकरण किया गया है, ताकि किसी एक विशिष्ट देश के साथ जुड़ाव से बचा जा सके।
अधिक गंभीर वेरिएंट:
- अधिक गंभीर वेरिएंट से इस बात की पुष्टि होती हैं कि रोकथाम के उपाय या मेडिकल प्रतिउपायों ने पहले से प्रचलित वेरिएंट की सापेक्ष प्रभावशीलता को काफी कम कर दिया है।
- अब तक, CDC को अमेरिका में ‘अधिक गंभीर वेरिएंट’ के प्रसार के प्रमाण नहीं मिले हैं।
वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन (VUI):
- पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (Public Health England- PHE) का कहना है कि अगर SARS-CoV-2 के वेरिएंट में महामारी, प्रतिरक्षा या रोगजनक गुण पाए जाते हैं तो इसकी औपचारिक जाँच (Formal Investigation) की जा सकती है।
- इस कार्य के लिये B.1.617 वेरिएंट को VUI के रूप में नामित किया गया है।
कोरोना वायरस के वेरिएंट
ओमिक्रॉन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को ओमिक्रॉन (Omicron) नाम दिया है। इसे ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ श्रेणी में रखा गया है। अभी तक दक्षिण अफ्रीका में मिले इस वायरस को B.1.1.52 का नाम दिया जा रहा था। कोरोना वायरस स्वयं को ऑटो इम्यून सिस्टम से बचाने के लिये अपना रूप बदल लेता है। यह वैरियंट हवा से फैलने वाला यानी एयरबॉर्न है। यह वैरियंट ज्यादा खतरनाक हो सकता है। दक्षिण अफ्रीका (South Africa) की आबादी करीब छह करोड़ है और यहाँ कोविड-19 के 29 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। ओमिक्रॉन की स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन्स हुई हैं। इसमें P681H और N679K जैसी म्यूटेशन्स भी हुई हैं जो अल्फा और गामा जैसे वेरिएंट में पाई जा चुकी हैं।
डेल्टा प्लस वेरिएंट
- डेल्टा प्लस (B.1.617.2.1/(AY.1), SARS-CoV-2 कोरोनावायरस का एक नया वेरिएंट है, जो वायरस के डेल्टा स्ट्रेन (B.1.617.2 वेरिएंट) में उत्परिवर्तन के कारण बना है। तकनीकी रूप में वास्तव में सार्स-सीओवी-2 (SARS-COV-2) की अगली पीढ़ी है।
- डेल्टा के इस म्यूटेंट का पहली बार यूरोप में मार्च 2021 में पता चला था।
- डेल्टा वेरिएंट पहली बार भारत में सर्वप्रथम फरवरी 2021 में पाया गया था जो अंततः पूरी दुनिया के लिये एक बड़ी समस्या बन गया। हालाँकि वर्तमान में डेल्टा प्लस वेरिएंट देश के छोटे क्षेत्रों तक सीमित है।
- यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (Monoclonal Antibodies Cocktail) के लिये प्रतिरोधी है। चूँकि यह एक नया वेरिएंट है इसलिये इसकी गंभीरता अभी भी अज्ञात है।
- इसके लक्षण के रूप में लोगों में सिरदर्द, गले में खराश, नाक बहना और बुखार जैसी समस्याएँ देखी जा रही है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वेरिएंट को अतिरिक्त उत्परिवर्तन के साथ गंभीरता से लेते हुये डेल्टा वेरिएंट के हिस्से के रूप में ट्रैक कर रहा है।
लैम्ब्डा वेरिएंट
- इसकी पहचान पहली बार दिसंबर 2020 में पेरू में की गई थी। लैम्ब्डा वेरिएंट, दक्षिण अमेरिकी देशों में कोविड-19 का प्रमुख प्रकार है, जिसमें 81% नमूने पाए गए हैं।
- कुछ समय पूर्व तक यह केवल इक्वाडोर और अर्जेंटीना सहित कुछ चुनिंदा दक्षिण अमेरिकी देशों में केंद्रित था, लेकिन अप्रैल के बाद से इसके मामले को 25 से अधिक देशों में पाया गया है।
- पूर्व में C.37 (वैज्ञानिक नाम) के रूप में प्रसिद्ध इस वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सातवें और नवीनतम ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ (Variant of Interest) के रूप में नामित किया है।
- अन्य चार वेरिएंट्स को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' (Variants of Concern) के रूप में नामित किया गया है।
कप्पा संस्करण (Kappa Variant)
- भारत द्वारा नोवेल कोरोनावायरस के B.1.617.1 म्यूटेंट को "भारतीय संस्करण" कहे जाने पर आपत्ति जताए जाने के बाद डब्लूएचओ (WHO) ने ग्रीक वर्णमाला का उपयोग करते हुए कोरोनावायरस के इस संस्करण को 'कप्पा' और B.1.617.2 को 'डेल्टा' नाम दिया था।
- कप्पा संस्करण B.1.617 के तीन उप-संस्करणों में से एक है। इसे B.1.617.1 के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें E484Q उत्परिवर्तन होता है।
- उल्लेखनीय है कि भारत में पहली बार दिसंबर, 2020 में इसका पता चला था।
- डब्लूएचओ के अनुसार, 34 देशों ने इस उप-प्रकार के मामलों की सूचना दी थी।
- मई 2021 तक, इन देशों की संख्या बढ़कर 41 हो गई थी।
- यह डेल्टा वायरस का ही बदला स्वरूप है, जो डेल्टा प्लस की तरह खतरनाक है।
- कप्पा वैरिएंट को डब्लूएचओ वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित कर चुका है।
डेल्टा वेरिएंट
- डेल्टा संस्करण को B.1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है। इसे सबसे पहले भारत में खोजा गया था। इसका संबंध B.1.617 से है।
- ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने 6 मई, 2021 को B.1.617.2 को “चिंताजनक वैरिएंट” घोषित किया था।
- यह वायरस के मूल संस्करण की तुलना में अधिक तेज़ी से फैलता है और अल्फा के रूप में तेज़ी से फैल सकता है।
- इसमें T478K, L452R और P681R म्यूटेशन होते हैं।
लैम्बडा वेरिएंट (Lambda Variant):
- कोरोना वायरस के इस वेरिएंट को काफी खतरनाक माना जा रहा है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि लैम्बडा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 7 म्यूटेशन पाए गए हैं, जिसकी वजह से ये वेरिएंट ज्यादा घातक और संक्रामक है।
- लैम्बडा वेरिएंट को फिलहाल 'वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट' की श्रेणी में रखा गया है।
- राहत की खबर ये है कि भारत में अभी तक लैम्बडा वेरिएंट का एक भी मामला सामने नहीं आया है। वहीं वैश्विक स्तर पर 30 से ज्यादा देशों में लैम्बडा वेरिएंट से संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
एप्सिलोन वेरिएंट (Epsilon Variant):
- वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस का एप्सिलोन वेरिएंट (Epsilon Variant) एंटी कोविड वैक्सीन से मिले एंटीबॉडीज और कोरोना से उबरने पर बनी एंटीबॉडीज को भी चकमा दे सकता है।
- एप्सिलोन वेरिएंट अब तक 34 देशों में पाया जा चुका है।
- एप्सिलोन वेरिएंट को CAL.20C के नाम से भी जाना जाता है। शरीर में एंटीबॉडीज को चकमा दे सकने वाले इस वेरिएंट को डेल्टा से भी खतरनाक माना गया है।
डबल म्यूटेंट:
- भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक कंसोर्टिया (Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics- INSACOG) द्वारा महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब और गुजरात राज्यों में वायरस के नमूनों के जीनोम अनुक्रमण (Genome sequencing) के दौरान एक साथ दो म्यूटेंट- E484Q और L452R की उपस्थिति का पता चला है।
- INSACOG द्वारा इन वेरिएंट का विवरण ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लूएंज़ा डेटा (GISAID) नामक एक वैश्विक कोष हेतु प्रस्तुत किया जाएगा और यदि यह प्रभावित करता है, तो इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न (Variant of Concern- VOC) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
- अब तक केवल तीन वैश्विक VOCs की पहचान की गई है जिनमें यू.के. वेरिएंट (B.1.1.7), दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट (B.1.351) और ब्राज़ील वेरिएंट (P.1) शामिल हैं।
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