हिन्दी की विभिन्न विधाओं का मूल्यांकन ।Evaluation of Various Modes of Hindi
हिन्दी की विभिन्न विधाओं का मूल्यांकन
Evaluation of Various Modes of Hindi
हिन्दी की विभिन्न विधाओं का मूल्यांकन
श्रवण कौशल का मूल्यांकन
- साहित्य की विभिन्न विधाओं का शिक्षण करते समय अध्यापक सम्बन्धित विषय-वस्तु की चर्चा छात्रों के सामने करता है। छात्रों ने विषय-वस्तु को ग्रहण किया या नहीं इसके लिए पाठ का सार पूछ कर विषय वस्तु से सम्बन्धित प्रश्न पूछकर छात्रों के श्रवण कौशल की जाँच परख कर सकता है।
मौखिक अभिव्यक्ति कौशल
- छात्र अपने भाव, विचारों तथा अर्जित अनुभव का मौखिक रूप से अभिव्यक्त करने की योग्यता का विकास करना, भाषा शिक्षण की विभिन्न विधाओं के शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य है। मौखिक अभिव्यक्ति कौशल का विकास किस स्तर तक हुआ है, इसकी जाँच मौखिक परीक्षा एवं प्रायोगिक परीक्षा के द्वारा की जा सकती है। विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों जैसे- भाषण, कविता पाठ, वाद-विवाद प्रतियोगिता करवाकर उनके मौखिक अभिव्यक्ति कौशल की जाँच की जा सकती है।
उच्चारण कौशल
- मौखिक अभिव्यक्ति कौशल के विकास में शुद्ध उच्चारण का महत्त्वपूर्ण किया जा सकता है। पाठ्य-पुस्तक का कोई परिच्छेद पढ़वाकर, विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्न पूछकर शब्दों को श्यामपटूट पर लिखकर उनका उच्चारण करवा कर उच्चारण कौशल का मूल्यांकन किया जा सकता है ।
वाचन-कौशल
साहित्य की सभी विधाएँ छात्रों में वाचन कौशल विकसित करने का महत्त्वपूर्ण माध्यम हैं। छात्र गद्य-पद्य व महान साहित्यकारों की महान रचनाओं को पढ़कर उनमें व्यक्त
- विचारों से परिचित होते हैं।
अतः भाषा की शिक्षा में छात्रों में वाचन योग्यता का विकास करना भी आवश्यक हो जाता है। वाचन कौशल का मूल्यांकन करने के लिए पुस्तक से कोई पाठ, अनुच्छेद या पाठ का अंश पढ़ने के लिए कहा जाता है। छात्रों को पढ़ते समय उनकी गति यति, उतार-चढ़ाव, बल, विराम का निरीक्षण कर वाचन कौशल के स्तर का मूल्याकंन किया जाता है।
शब्द-सूक्ति, मुहावरे एवं लोकोक्ति का ज्ञान
- साहित्य की विभिन्न विधाओं के शिक्षण द्वारा छात्रों को शब्द सूक्तियों, लोकोक्तियों का ज्ञान करा कर उनके शब्द भण्डार में वृद्धि की जाती है। शब्द भण्डार कितना विकसित हुआ है, के मूल्यांकन के लिए शब्दार्थ पर्यायवाची, विपरीतार्थक, शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों का अर्थ पूछकर शब्दावली के ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है।
पाठ्य-सामग्री के ज्ञान का मूल्यांकन भाषा -
- शिक्षण में पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों का ज्ञान दिया जाता है, उनके मूल्यांकन के लिए निबन्धात्मक, वस्तुनिष्ठ एवं लघुत्तर परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है।
बौद्धिक शक्ति का मूल्यांकन
- साहित्य की विभिन्न विधाओं में व्यक्त भाव, अनुभव विचारों को छात्रों के समझने योग्य बनाना भाषा शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य है। मौखिक रूप से प्रश्न पूछकर, लिखित परीक्षा के द्वारा छात्रों की बौद्धिक शक्ति का मूल्यांकन होता है।
व्याकरण ज्ञान का मूल्यांकन
- बच्चे व्याकरण का कितना ज्ञान रखता है, व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध भाषा का प्रयोग कर सकते हैं या नहीं, इस की जाँच के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षा का प्रयोग किया जाता है।
सृजनात्मक योग्यता का मूल्यांकन
- निबन्ध, कहानी, पत्र आदि की रचना द्वारा किसी कहानी का सार लिखवाकर कहानी, नाटक आदि के पात्रों का चरित्र चित्रण एवं उद्देश्य लिखवाकर छात्रों की सृजनात्मक योग्यता का मूल्यांकन किया जा सकता है।
समीक्षात्मक योग्यताओं का मूल्यांकन
- किसी भी विषय-वस्तु के गुण-दोष को परखने वाला व्यक्ति जीवन हर मोड़ पर गुण-दोषों की परख कर सही दिशा निर्धारण में समर्थ होता है। छात्रों की समीक्षात्मक योग्यता का मूल्यांकन करने के लिए लघुत्तरात्मक, निबन्धात्मक परीक्षा का प्रयोग करना चाहिए।
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