मध्यप्रदेश इतिहास सामान्य परिचय । MP Hisotry General Knowledge
मध्यप्रदेश सामान्य परिचय MP History General Knowledge
मध्यप्रदेश इतिहास सामान्य परिचय
- मध्यप्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। मध्यप्रदेश का नाम इस प्रदेश की भारत में मध्यवर्ती स्थिति के कारण है। इसका क्षेत्रफल 308252 वर्ग किलोमीटर है।
- अपनी मध्यवर्ती स्थिति के कारण लगभग ऐसा ही नाम इस क्षेत्र को स्वतंत्रतापूर्व भारत में भी मिला था।
- ईस्वी सन् 1817-1818 में मराठों के पतन के साथ ही नर्मदा घाटी का क्षेत्र अंग्रेजों के हाथ चला गया, जिसे उन्होंने नर्मदा टैरिटरीज या सागर नर्मदा टैरिटरीज का नाम दिया, इस तरह 1853 ई. में वर्तमान मध्यप्रदेश के क्षेत्र को मध्यप्रांत एवं बरार या 'सेन्ट्रल प्राविन्सेस एण्ड बरार' के रूप में एक गवर्नर के अधीन पूर्ण प्रांत का दर्जा दे दिया गया।
- उस समय इस प्रदेश में पहले तो 19 जिले रखे गये किंतु बाद में बरार के 3 जिले और जोड़ दिये गये। नागपुर को इस प्रदेश की राजधानी बनाया गया।
- वर्तमान मध्यप्रदेश के उत्तरी जिले ब्रिटिश भारत में प्रिंसली स्टेट्स, रजवाड़े या देशी रियासतें कहलाते थे। इनका प्रशासन अंग्रेजों के अधीनस्थ राजाओं के हाथ में था।
- वर्तमान रीवा एवं सागर संभाग या बुन्देलखण्ड में छोटी बड़ी कुल मिलाकर 34 रियासतें थीं, इन्हीं में बघेलों की भी एक रियासत थी। वर्तमान में मध्यभारत के क्षेत्र में मराठों और नवाबों की रियासतें थीं।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सभी रिसायतों का भारतीय गणराज्य संघ में विलीनीकरण हुआ। 4 अप्रैल सन् 1948 को बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड की रियासतों के सम्मिलित क्षेत्र को विन्ध्यप्रदेश बनाकर प्रदेश का दर्जा दे दिया गया।
- भारत संघ में भोपाल रियासत 1 जून 1949 में शामिल की गई।
- 1 नवंबर सन् 1956 को स्टेट रिआर्गेनाइजेशन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पुराने प्रदेश के क्षेत्र से बरार के जिलों को अलग कर महाराष्ट्र प्रदेश में मिला दिया गया। इसी तरह पुराने प्रदेश में विन्ध्यप्रदेश का क्षेत्र और मध्यभारत का क्षेत्र शामिल कर दिया गया।
- यह पुनर्गठित मध्यप्रदेश भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य था। इसका क्षेत्रफल 4,43,000 वर्ग किलोमीटर था, जो कि देश के कुल क्षेत्रफल का 13.5 प्रतिशत् था ।
- यह प्रदेश प्रशासकीय दृष्टि से 12 संभागों, 45 जिलों, 307 तहसीलों तथा 459 विकास खण्डों में विभाजित था । इस प्रदेश थी राजधानी भोपाल हुई।
- 44 वर्ष पश्चात् 1 नवंबर सन् 2000 को पुनः भारत के राज्य पुनर्गठन आयोग ने भारत के कुछ राज्यों को पुनर्गठित किया, इन राज्यों में मध्यप्रदेश भी एक राज्य था।
- पुनर्गठन में इस राज्य के दो भाग किये गये। पुराने मध्यप्रदेश के तीन संभागों बिलासपुर, रायपुर एवं बस्तर को मिलाकर छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया। पुराने मध्यप्रदेश के अब नौ संभाग नये प्रदेश में बचे।
पुराने मध्यप्रदेश के संभागों के जिले इस प्रकार थे-
इंदौर संभाग
- जिले (1) इंदौर (2) धार (3) झाबुआ (4) खरगोन (5) खंडवा (6) बड़वानी (7) अलीराजपुर (8) बुरहानपुर
उज्जैन संभाग
- जिले (1) उज्जैन (2) देवास (3) रतलाम (4) शाजापुर (5) मंदसौर (6) आगर मालवा (7) नीमच
चम्बल संभाग
- जिले (1) मुरैना (2) भिण्ड (3) श्योपुर
ग्वालियर संभाग
- जिले (1) ग्वालियर (2) शिवपुरी (3) गुना (4) दतिया (5) अशोकनगर
रीवा संभाग
- जिले (1) रीवा (2) सीधी (3) सिंगरोली (4) सतना
भोपाल संभाग
- जिले (1) भोपाल (2) सीहोर (3) रायसेन (4) राजगढ़ (5) विदिशा
नर्मदापुरम (होशंगाबाद) संभाग
- जिले : (1) नर्मदापुरम (2) हरदा (3) बैतूल
जबलपुर संभाग
- जिले : (1) जबलपुर (2) नरसिंहपुर (3) छिंदवाड़ा (4) सिवनी (5) मंडला (6) बालाघाट (7) कटनी (8) डिंडोरी
सागर संभाग
- जिले (1) सागर (2) दमोह (3) पन्ना (4) छतरपुर (5) टीकमगढ़ (6) निवाड़ी
शहडोल संभाग
पुनर्गठन के पश्चात् मध्यप्रदेश
- सन् 2000 से हुये पुनर्गठन के पश्चात् अनेक जिलों का विभाजन कर नये जिले बनायें गये। इस प्रदेश की राजधानी भोपाल है। जबलपुर जिला क्षेत्र से कटनी जिला, मण्डला जिला क्षेत्र से डिंडौरी जिला शहडोल जिला क्षेत्र से अनूपपुर एवं उमरिया (बान्धवगढ़) जिला, सीधी जिला क्षेत्र से सिंगरौली जिला, पूर्वी निमाड़ जिला क्षेत्र से बुरहानपुर जिला, पश्चिमी निमाड़ जिला क्षेत्र से बड़वानी जिला, गुना जिला क्षेत्र से अशोक नगर तथा झाबुआ जिला क्षेत्र से अलीराजपुर जिले बनाये गये नये जिले पुराने जिलों की तहसीलें थीं। वर्तमान मध्यप्रदेश में कुल 51 जिले और 10 संभाग हैं। शहडोल संभाग (जिला शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और डिंडोरी) नया संभाग है तथा नर्मदापुरम् (जिला होशंगाबाद, हरदा, बैतूल) पुराना किंतु अब बड़े क्षेत्र का संभाग है।
- विगत एक सौ वर्ष के इतिहास में राजनैतिक और प्रशासनिक कारणों से प्रदेश और जिला की सीमायें बदलीं, साथ ही नगरों का सांस्कृतिक व्यापारिक एवं राजनैतिक महत्व घटा बढ़ा। मध्यप्रदेश या अन्य किसी जगह में ऐसे परिवर्तन होते रहते हैं। जब इन्हीं परिवर्तनों को शताब्दियों पूर्व की स्थिति में या अलग-अलग कालखण्डों में देखा जाता है तब वे ऐतिहासिक भूगोल की विषय वस्तु बन जाते हैं।
- इतिहास के जितने अधिक प्राचीन कालखण्ड की भौगोलिक जानकारी के संबंध में जानकारी एकत्रित करने के प्रयास जब होते हैं, कठिनाई उतनी ही बढ़ती जाती है। कालक्रम में स्थानों के नाम बदल जाते हैं, भाषायें बदल जाती हैं साथ ही इतिहास के मूल स्त्रोत या विश्वसनीय आलेखों की भी कमी होती जाती है।
- आधुनिक भारत में भौगोलिक इतिहास से संबंधित सामग्री क्रमबद्ध इतिहास लेखन के अतिरिक्त गजेटियर्स में उपलब्ध होती है। ब्रिटिश भारत के अधिकतर जिलों के गजेटियर्स में भौगोलिक इतिहास से संबंधित विवरण मिलते हैं।
मध्यप्रदेश के जिलों के भी प्रथम गजेटियर्स
- मध्यप्रदेश के जिलों के भी प्रथम गजेटियर्स अंग्रेजों के काल में लिखे गये। मध्यप्रदेश के प्राचीन हिन्दी गजेटियर्स को रायबहादुर डॉ. हीरालाल ने सम्पादित किया था। इनके नाम साहित्यिक थे।
- आज 'जबलपुर-ज्योति' अथवा 'मंडला मयूख' में वर्णित जबलपुर या मंडला जिले की राजनैतिक सीमायें बदल चुकी हैं, परंतु रायबहादुर हीरालाल के उस विचार का विस्तार हुआ है जिसमें वे मध्यप्रदेश के प्राचीन राज्यों की सीमाओं की चर्चा करते हैं।
रायबहादुर डॉ. हीरालाल (1919) लिखते हैं:
- 'गोंड़ी राज्य के पूर्व मध्यप्रदेश के अनेक भाग भिन्न-भिन्न प्रदेशों में शामिल थे। जैसे सागर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, निमाड़, बैतूल और छिंदवाड़ा मालवे में, दमोह, जबलपुर, मंडला और सिवनी चेदि में, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, भंडारा, बालाघाट, चांदा, वर्धा और नागपुर महाकोशल में, अमरावती, अकोला, बुल्ढाना और योवतमाल विदर्भ या भोजकट में।' रायबहादुर डॉ. हीरालाल ने मध्यप्रान्त और बरार के अनेक जिलों के गजेटियर सम्पादित किये। दूसरे क्षेत्रों के गजेटियर भी लिखे गये जैसे बीसवीं सदी के प्रारंभ में सी.ई.लार्ड ने भोपाल रियासत का गजेटियर लिखा।
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