सुशासन सप्ताह 2021:उद्देश्य आयोजन , सुशासन के लक्षण । Shushasan Week 2021
सुशासन सप्ताह 2021 :उद्देश्य आयोजन , सुशासन के लक्षण
सुशासन सप्ताह और उसके उद्देश्य
- भारत सरकार 20 दिसंबर से 26 दिसंबर तक एक राष्ट्रव्यापी 'सुशासन सप्ताह' मना रही है, जिसका उद्देश्य जनता की शिकायतों का निवारण और निपटान करना और ग्रामीण स्तर तक सेवा वितरण में सुधार करना है।
- नागरिक केंद्रित होने के उद्देश्य से "प्रशासन गाँव की ओर" नामक अभियान के तहत इस सप्ताह के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
- 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को चिह्नित करने के लिये 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
सुशासन सप्ताह 2021 का आयोजन
- यह प्रगतिशील भारत के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के अनुरूप नागरिक-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने और सेवा वितरण में सुधार के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों का जश्न मनाने के लिये आयोजित किया जाता है।
- इस सप्ताह के दौरान नियोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का उद्देश्य केंद्र द्वारा की गई विभिन्न सुशासन पहलों को जनता के सामने लाना है।
- इसमें सुशासन प्रथाओं पर प्रदर्शनी का उद्घाटन भी शामिल होगा।
आयोजन:
- जीवन की सुगमता और अनुपालन बोझ को कम करने के लिये सुधारों का अगला चरण।
- सर्वोत्तम प्रथाओं पर DARPG द्वारा अनुभव साझा करने हेतु कार्यशाला।
- मिशन कर्मयोगी- आगे की राह।
- इस अवसर पर ‘सुशासन सप्ताह पोर्टल’ भी लॉन्च किया जाएगा तथा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी ज़िला कलेक्टरों को प्रगति एवं उपलब्धियों को अपलोड करने व साझा करने के लिये ऑनलाइन पोर्टल तक पहुँच प्रदान की जाएगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सुशासन लाने के उद्देश्य से ‘प्रशासन गाँव की ओर' अभियान शुरू किया जाएगा।
शासन:
- यह निर्णय लेने तथा इन निर्णयों के कार्यान्वयन की एक प्रक्रिया है।
- शासन शब्द का उपयोग कई संदर्भों में किया जा सकता है जैसे कि कॉर्पोरेट प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन, राष्ट्रीय प्रशासन और स्थानीय शासन।
सुशासन के आठ लक्षण कौन से हैं
01 भागीदारी:
- लोगों द्वारा सीधे या वैध मध्यवर्ती संस्थानों के माध्यम से भागीदारी जो कि उनके हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- निर्णय लेने में लोगों को स्वतंत्र होना चाहिये।
02 विधि का शासन:
- कानूनी ढाँचा, विशेष रूप से मानव अधिकारों से संबंधित कानून सभी पर निष्पक्ष रूप से लागू होने चाहिये।
03 पारदर्शिता:
- सूचना के मुक्त प्रवाह को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है ताकि प्रक्रियाओं, संस्थाओं और सूचनाओं तक लोगों की सीधी पहुँच हो तथा उन्हें इनको समझने व निगरानी करने के लिये पर्याप्त जानकारी प्रदान की जाती है।
04 जवाबदेही:
- संस्थाओं और प्रक्रियाओं द्वारा सभी हितधारकों को एक उचित समयसीमा के भीतर सेवा सुलभ कराने का प्रयास किया जाता है।
05 आम सहमति:
- सुशासन के लिये समाज में विभिन्न हितों को लेकर मध्यस्थता की आवश्यकता होती है, ताकि समाज में इस पर व्यापक सहमति बन सके कि यह पूरे समुदाय के सर्वोत्तम हित में है और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
06 इक्विटी:
- सभी समूहों, विशेष रूप से सबसे कमज़ोर वर्ग की स्थिति में सुधार करने या उसे बनाए रखने का अवसर प्रदान करना।
07 प्रभावशीलता और दक्षता:
- संसाधन और संस्थान उन परिणामों को सुनिश्चित करते हैं जो संसाधनों का सबसे अच्छा उपयोग करते हुए ज़रूरतों को पूरा सकें।
08 जवाबदेही:
- सरकार में निर्णय लेने वाले निजी क्षेत्र और नागरिक समाज संगठन जनता के साथ-साथ संस्थागत हितधारकों के प्रति जवाबदेह होते हैं।
भारत में सुशासन के मार्ग में आने वाली
बाधाएँ:
महिला सशक्तीकरण में कमी:
- सरकारी संस्थानों और अन्य संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
भ्रष्टाचार:
- भारत में उच्च स्तर के भ्रष्टाचार को शासन की गुणवत्ता के सुधार के मार्ग में एक बड़ी बाधा के रूप में माना जाता है।
- एक नागरिक को समय पर न्याय पाने का अधिकार है, लेकिन कई कारक हैं, जिसके कारण एक सामान्य व्यक्ति को समय पर न्याय नहीं मिलता है। इस तरह के एक कारण के रूप में न्यायालयों में कर्मियों और संबंधित सामग्री की कमी है।
न्याय में देरी:
- एक नागरिक को समय पर न्याय पाने का अधिकार है, किंतु कई ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से एक सामान्य व्यक्ति को समय पर न्याय नहीं मिल पाता है।
प्रशासनिक शक्तियों का केंद्रीकरण:
- निचले स्तर की सरकारें केवल तभी कुशलता से कार्य कर सकती हैं जब वे ऐसा करने हेतु सशक्त हों। यह विशेष रूप से पंचायती राज संस्थानों के लिये प्रासंगिक है जो वर्तमान में निधियों की अपर्याप्तता के साथ-साथ संवैधानिक रूप से सौंपे गए कार्यों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।
राजनीति का अपराधीकरण
- राजनीतिक प्रक्रिया का अपराधीकरण और राजनेताओं, सिविल सेवकों तथा व्यावसायिक घरानों के बीच साँठगाँठ सार्वजनिक नीति निर्माण और शासन पर बुरा प्रभाव डाल रहा है।
MP-PSC Study Materials |
---|
MP PSC Pre |
MP GK in Hindi |
MP One Liner GK |
One Liner GK |
MP PSC Main Paper 01 |
MP PSC Mains Paper 02 |
MP GK Question Answer |
MP PSC Old Question Paper |
Post a Comment