भीमबैठका आदमगढ़ पुरातात्विक स्थल एवं प्राप्त उपकरण । Bhimbaithka Aadamgardh Puratatvik Stahl

भीमबैठका आदमगढ़ पुरातात्विक स्थल एवं प्राप्त उपकरण 

भीमबैठका आदमगढ़ पुरातात्विक स्थल एवं प्राप्त उपकरण । Bhimbaithka Aadamgardh Puratatvik Stahl



भीमबैठका पुरातात्विक स्थल एवं प्राप्त उपकरण  

  • मध्यप्रदेश में भीमबैठका (77°37'E: 22°50'N) (जिला रायसेन) एक महत्वपूर्ण पुरास्थल है।
  • यहाँ के उत्खनन में प्रागैतिहासिक संस्कृतियों का क्रमबद्ध विकास, स्तरीकरण में प्राप्त हुआ एवं शैल चित्रकला में यह पुरास्थल विशेष महत्व रखता है। 
  • यहाँ पर लगभग 500 शैलाश्रयों का एक समूह है जो कि विश्व में शैल चित्रकला के संबंध में सबसे समृद्ध क्षेत्र सिद्ध हुआ है। 
  • यहाँ के शैलचित्र की तिथि (उच्च पुरापाषाण काल) भारत में सबसे पुरानी चित्रकला सिद्ध हुई है। 
  • हाँ अनेक शैलाश्रयों में उत्खनन किये गये जिसमें महत्वपूर्ण हैं IIIA-29, 30, IIB-33, IF-13, III एफ 23, III एफ-25, IITएफ 29, IIIएफ-30। 
  • भीमबैठका भोपाल-होशंगावाद मार्ग पर भोपाल से 45 किमी. दक्षिण में भियांपुर ग्राम के पास स्थित है। भीमबैठका की पहाड़ियाँ इस स्थल से 2 किमी. दक्षिण पश्चिम में स्थित हैं ।  
मध्यप्रदेश में भीमबैठका (77°37'E: 22°50'N) (जिला रायसेन) एक महत्वपूर्ण पुरास्थल है।


  • सन् 1957 में वाकणकर द्वारा खोज के उपरान्त भीमबैठका क्षेत्र में कार्य प्रारम्भ हुआ एवं शैल चित्रकला शोध के साथ-साथ उत्खनन का कार्य भी प्रारम्भ किया गया। 
  • विक्रम विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय, डेक्कन कॉलेज शोध संस्थान पूना ने इस स्थल पर उत्खनन कार्य प्रारम्भ किये। 
  • सन् 1973-1976 के मध्य डेक्कन कॉलेज शोध संस्थान के वी. एन. मिश्रा को उत्खनन में क्रमबद्ध सांस्कृतिक जमाव IIIएफ-23 निखात में प्राप्त हुआ। इस स्थल पर सांस्कृतिक जमाव की मोटाई 3.90 मी. प्राप्त हुई जिनमें निम्न पुरापाषाण काल से मध्य पाषाण काल तक अनवरत सांस्कृतिक विकास के प्रमाण प्राप्त हुए।  
  • निम्न पुरापाषाण संस्कृति (एश्यूलियन) के अवशेष इस निखात में सबसे नीचे स्तरों (8-6) से प्राप्त हुए हैं। एश्यूलियन सांस्कृतिक जमाव जो सबसे मोटा (2.50 मी.) है, जमाव के ऊपर मध्य पुरापाषाण काल से संबंधित स्तर (5) है। 
  • स्तर 4 जो मध्य पुरापाषाण काल के ऊपर स्थित है, से उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। 
  • सबसे ऊपरी (स्तर 3 - 1) से मध्य पाषाण कालीन संस्कृति एवं मानव कंकाल के अवशेष प्राप्त हुए हैं। निखात नं. IIएफ-24 एवं IIएफ-28 सबसे निचले स्तर से पेबुल उपकरणों की प्राप्ति महतवपूर्ण है। IIIएफ-24 में Pebble tool एश्यूलियन के मध्य स्तर से विभाजित है। 
  • भीमबैठका उत्खनन में निचले जमाव (स्तर 6-8) से 18721 उपकरण प्राप्त हुए हैं जिन्हें पुनः दो भागों अवशिष्ट उत्पाद (Simple artefacts ) 68% एवं गढ़ित उपकरण (Shaped tools) 32%,  में विभाजित किया गया है। 
  • उस काल के सम्पूर्ण उपकरण क्वार्ट्जाइट पर निर्मित हैं। 
  • अपशिष्ट उत्पाद में फलक, चिप एवं कोर आदि सम्मिलित हैं जबकि गढ़ित उपकरणों में हैडेक्स (0.05%), क्लीवर (1.15%), स्क्रैपर (48.71%), द्विदन्तुदित उपकरण ( 51.21%), चाकू (4%), खाँचेदार उपकरण (Notches 11.06%), खातयुक्त फलक ( truncated flakes 9.16% ) हैं। 
भीमबैठका आदमगढ़ पुरातात्विक स्थल एवं प्राप्त उपकरण । Bhimbaithka Aadamgardh Puratatvik Stahl


  • एश्यूलियन स्तरों से फर्श निर्माण के अवशेष अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। इस स्तर के ऊपरी जमाव (स्तर 5) से मध्य पुरापाषाण कालीन उपकरण क्वार्ट्जाईट पर निर्मित प्राप्त हुए हैं। 
  • यह जमाव 20-50 सेमी. मोटा है एवं पूर्व सांस्कृतिक जमाव से अपेक्षाकृत कम है। बलुआ पत्थर पर निर्मित अनेक प्रकार के उपकरण इस काल से प्राप्त हुए हैं। 
  • स्तर 4 से ( Silty clay) क्वार्ट्जाइट पर निर्मित उच्च पुरापाषाण काल के उपकरण प्रतिवेदित किये गये हैं। उपकरण समूह में फलक, ब्लेड, साइड स्क्रैपर एवं एण्ड स्क्रैपर हैं। यह अवशेष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि प्रथमतः शैलाश्रय उत्खनन में उच्च पुरापाषाण कालीन स्तर अलग से प्राप्त हुआ है एवं क्रमिक विकास प्रतिवेदित किया गया है। इस जमाव के ऊपर के जमाव में स्तर 1-3 (Yellow brown) से मध्य पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त होते हैं, जो सिलीका समूह के पत्थरों पर निर्मित हैं।

 
आदमगढ़ पुरातात्विक स्थल एवं प्राप्त उपकरण 
 

  • यह पुरास्थल होशंगाबाद जिला मुख्यालय नर्मदा नदी के बाँयें किनारे पर स्थित है एवं एक धार्मिक स्थल है। 
  • होशंगाबाद के दाहिने किनारे पर ग्रैवेल स्थित हैं जहाँ से निम्न पुरा पाषाणकाल के उपकरण प्राप्त हुए हैं। ये उपकरण क्वार्ट्जाइट पर निर्मित हैं एवं घिसे हुए हैं। 
  • नर्मदा नदी से 2 कि.मी. दक्षिण की ओर आदमगढ़ की पहाड़ी स्थित है जिसमें प्राकृतिक रूप से निर्मित अनेक शैलाश्रय हैं। परन्तु कुछ में ही सांस्कृतिक जमाव है। 
  • यहाँ सन 1961 में आर. वी. जोशी द्वारा सर्वेक्षण एवं उत्खनन कार्य कराया गया। उत्खनन में विन्ध्य पाषाण के ऊपर लेटराइट जमाव, तदनन्तर बलुआ ग्रैवेल जमाव, के साथ काली मिट्टी का जमाव पाया गया। उस पर पुरापाषाण कालीन उपकरण युक्त मिश्रित जमाव (Talus) मिला। इस जमाव के ऊपर लाल मिट्टी का जमाव है। ये हवा द्वारा लाई गयी मिट्टी का जमाव प्रतीत होता है। 
  • आदमगढ़ उत्खनन से स्तरीकरण स्पष्ट नहीं परन्तु निम्न पुरापाषाण कालीन एवं उसके बाद मध्य पुरापाषाण कालीन उपकरण एवं ऊपरी सतह से मध्य पाषाण कालीन उपकरणों की प्राप्ति हुई है। 
भीमबैठका आदमगढ़ पुरातात्विक स्थल एवं प्राप्त उपकरण । Bhimbaithka Aadamgardh Puratatvik Stahl


  • निम्न पुरापाषाण कालीन उपकरणों में मुख्यत: पेबुल उपकरण, हैन्डैक्स, क्लीवर, स्क्रैपर, प्वाइंट हैं जो कि क्वार्ट्जाइट पत्थरों पर निर्मित मिलते हैं। कुछ अन्य शैलाश्रयों के उत्खनन से पाषाण मिश्रित जमाव से क्वार्ट्जाइट पर निर्मित मध्य पुरापाषाण कालीन उपकरण भी प्राप्त हुए हैं जिनमें स्क्रैपर, प्वाइंट, फ्लेक, ब्लेड आदि हैं। ऊपरी स्तर विहीन 1-3 मी. मोटा जमाव में, मध्य पाषाण कालीन संस्कृति का जमाव है। 
  • यहाँ पर शैलाश्रयों के अन्दर एवं बाहर 18 निखात लगाये गये। निखात (ADGI) महत्वपूर्ण है। (Mesolitic) जमाव लगभग 5 फुट (150 सेमी.) कालीमिट्टी का जमाव है।
  • अन्य उत्खनित पुरास्थलों में बलवारा नदी, जिला खण्डवा, दुकडी नाला, गुआरी घाट, तलायाघाट, होशंगाबाद, मध्य नर्मदा नदी, हीरापुर खदान, होशंगाबाद, सिहावल (जिला सीधी), आदि उत्खनित की गई हैं। 
  • इन पुरास्थलों से निम्न पुरा पाषाण कालीन उपकरण स्तरीकृत जमाव से प्राप्त हुए हैं एवं उपकरण प्रकार में भी विविधता परिलक्षित नहीं हुई है। स्तरीकरण से ये उपकरण या तो मिश्रित जमाव या बोल्डर कांग्लोमिरेट ग्रैवेल जमाव से प्राप्त हुए हैं। कहीं से भी fossil (जीवाश्म) अवशेष नहीं प्राप्त हुए। उपकरण प्रकार, स्तरीकरण आदि के समान हैं। अतः इन स्थलों से प्राप्त अवशेषों पर विस्तृत चर्चा नहीं की गई है।  

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