चंदेल युगीन साहित्य और मध्यप्रदेश । मुस्लिम साहित्य और मध्यप्रदेश । Chandel Sahitya Aur MP
चंदेल युगीन साहित्य और मध्यप्रदेश (Chandel Sahitya Aur MP)
चंदेल युगीन साहित्य और मध्यप्रदेश
- जेजाकभुक्ति के चन्देल युगीन साहित्य में सर्वोपरी था कृष्णमिश्र रचित 'प्रबोधचन्द्रोदय' नाटक जिसमें गोपाल द्वारा कलचुरि सम्राट् लक्ष्मीकर्ण को पराजित कर चन्देल राज्य की पुर्नस्थापना का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
- सम्राट् कीर्तिवर्मा (1060-1100 ई.) की उपस्थिति में इस नाटक को मंचित किया गया। चन्देल-कलचुरि संघर्ष को नाटकीय ढंग से प्रस्तुत करना इस नाटक का लक्ष्य है।
- परमर्दिदेव (1165-1203) के शासन काल में उनका मंत्री वत्सराज विद्वान संस्कृतज्ञ थे। उनके द्वारा रचित छः नाटक- 'कर्पूचरित; 'हास्यचूढामणि; 'रूक्मिणीहरण;' 'त्रिपुरदाह; 'समुद्रमन्थन' और 'किरातार्जुनीय' नाटक के विभिन्न स्वरूपों के उदाहरण हैं।
- उनके शासन काल के अन्य कवि थे: सांधिविग्रहिक गंगाधर जिन्हें 'कवि-चक्रवर्ति' की उपाधि से विभूषित किया गया था, एवं जागनिक जिन्होंने 'आल्हाखण्ड' की रचना की थी। उनके शासन काल में रचित एक अन्य जैन ग्रंथ का उल्लेख गुणभद्र के 'धन्यकुमारचरित' में है।
- उपरोक्त साहित्य चन्देल कालीन मध्यप्रदेश के इतिहास और संस्कृति की जानकारी के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
लोक साहित्य और मध्यप्रदेश
- इस शीर्षक के अन्तर्गत उन साहित्यिक ग्रंथों को रखा जा सकता है जो लोकोक्तियों, स्थानीय, क्षेत्रीय अथवा देशीय परंपराओं / कथाओं के संग्रह हैं। उदाहरण स्वरूप गुणाढ्य कृत 'बृहत्कथा', सोमदेव कृत ' कथासरित्सागर' आदि।
- मध्यप्रदेश के इतिहास और संस्कृति संबंधित इस प्रकार के ग्रंथों में 'वेतालपंञ्यविंशतिका' (12वीं शती ई.), 'द्वत्रिंशतपुत्तलिका' ( 11वीं - 13वीं शती ई.), 'कालकाचार्यकथा', 'महोबाखण्ड' (परमाल रासो), 'पृथ्वीराजरासो', 'आल्हाखण्ड' आदि को रखा जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त 'माधवानल कामकन्दला', 'करन-डहारिया की कहानियाँ' आदि स्थानीय कथानकों को कनिंघम के 'आर्केयलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया रिपोर्ट के 23 संबंधित खण्डों में एवं मध्यप्रदेश के जिला गजेटियरों में संकलित किया गया है।
- मध्यप्रदेश के इतिहास और संस्कृति के पुनर्निमाण हेतु जानकारियों के लिये इस प्रकार के लोक साहित्य का अपना महत्व है।
मुस्लिम साहित्य और मध्यप्रदेश
पूर्व-मध्यकालीन मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक सामग्री हेतु समकालीन मुस्लिम साहित्यिक स्रोत भी महत्वपूर्ण हैं। इनमें उल्लेखनीय है :
- अबुल फजल की 'आइन-ए-अकबरी',
- अल्बेरूनी की 'किताब-उल-हिन्द',
- महमूद गर्दिजी की 'किताब जैन - उल अखबार',
- अब्दुल कादिर बदायूनी की 'मुन्तखब-उल-तवारीख',
- निजामुद्दीन अहमद की 'तबकात-ई अकबरी',
- मिनहाज-उद्दीन की 'तबकात - ई-नासिरी',
- हसन-उल-निज़ामी की 'ताज-उल-मासिर',
- मुहम्मद कासिम की तारीख-ई-फिरिश्ता',
- जियाउद्दीन बर्नी की 'तारीख-ई-फिरोज़शाही',
- अमीर खुसरो की 'तारीख-ई-अलाई' आदि।
इलियट और डाउसन की आठ जिल्दों में प्रकाशित 'हिस्ट्री ऑफ इन्डिया एज टोल्ड बाई इट्स ओन हिस्टारियन्स' समकालीन मध्यप्रदेश के मुस्लिम स्रोतों की जानकारी हेतु उत्तम ग्रंथ है।
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