मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) 2023 : विषय(थीम) उद्देश्य महत्व इतिहास , मानवाधिकार का अर्थ
मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) 2023 : विषय(थीम) उद्देश्य महत्व इतिहास
मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) कब और क्यों मनाया जाता है ?
- दुनिया भर में लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) मनाया जाता है।
10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है ?
- 10 दिसंबर के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) को अपनाया था। इसलिए इस दिन को यादगार बनाने के लिए प्रतिवर्ष 10 दिसंबर का मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है ।
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के तहत मानवीय दृष्टिकोण और राज्य तथा व्यक्ति के बीच संबंध को लेकर कुछ सामान्य बुनियादी मूल्यों का एक सेट स्थापित किया है।
मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) 2021 की थीम
- वर्ष 2021 की थीम समानता -
असमानताओं को कम करना, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना EQUALITY - Reducing inequalities, advancing human rights
- वर्ष 2020 की थीम: रिकवर बेटर- स्टैंड अप फॉर ह्यूमन राइट्स
- वर्ष 2019 की थीम ‘यूथ स्टैंडिंग अप फॉर ह्यूमन राइट्स’ (Youth Standing up for Human Rights) है।
मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) का लक्ष्य:
- इस मानवाधिकार दिवस पर संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य युवाओं को परिवर्तन के एजेंट के रूप में आगे लाना तथा नस्लवाद, घृणास्पद भाषण, गुंडागर्दी, भेदभाव के खिलाफ एवं जलवायु न्याय के लिये संघर्ष को प्रोत्साहित करना है।
मानवाधिकार दिवस के इतिहास के बारे में
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights- UDHR) एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर, 1948 को पेरिस (फ्राँस) में अपनाया था।
- इस घोषणा में बताया गया है कि विश्व में न्याय, स्वतंत्रता और शांति के स्तंभ, मानव जाति के समान तथा अक्षम्य अधिकार एवं उनकी अंतर्निहित गरिमा पर टिके हुए है।
- वर्ष 1991 में पेरिस में हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक ने सिद्धांतों का एक समूह (जिन्हें पेरिस सिद्धांतों के नाम से जाना जाता है) तैयार किया जो आगे चलकर राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की स्थापना और संचालन की नींव साबित हुआ।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1993 में 10 दिसंबर को प्रतिवर्ष मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।
राष्ट्रीय मानवाधिकार
आयोग ( NHRC) क्या है
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्तूबर, 1993 को की गई थी।
- NHRC एक बहु-सदस्यीय संस्था है जिसमें एक अध्यक्ष सहित 7 सदस्य होते हैं।
- यह भारतीय संविधान द्वारा दिये गए मानवाधिकारों जैसे - जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार आदि की रक्षा करता है और उनके प्रहरी के रूप में कार्य करता है।
मानवाधिकारों की
सार्वभौम घोषणा (UDHR)
- इसके अंतर्गत अधिकारों और स्वतंत्रताओं से संबंधित कुल 30 अनुच्छेदों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें जीवन, स्वतंत्रता और गोपनीयता जैसे नागरिक और राजनीतिक अधिकार तथा सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं।
- भारत ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के प्रारूपण में सक्रिय भूमिका अदा की थी।
- यह किसी भी प्रकार की संधि नहीं है, अतः यह प्रत्यक्ष तौर पर किसी भी देश के लिये कानूनी दायित्त्व निर्धारित नहीं करता है।
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR), इंटरनेशनल कान्वेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स, इंटरनेशनल कान्वेंट ऑन इकोनॉमिक, सोशल एंड कल्चर राइट तथा इसके दो वैकल्पिक प्रोटोकॉल्स को संयुक्त रूप से ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधेयक’ (International Bill of Human Rights) के रूप में जाना जाता है।
भारत में मानवाधिकार और संवैधानिक प्रावधान
- मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) में उल्लिखित लगभग सभी अधिकारों को भारतीय संविधान में दो हिस्सों (मौलिक अधिकार और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत) में शामिल किया गया है।
- मौलिक अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक। इसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है।
- राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत: संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 तक। इसमें सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, काम का अधिकार, रोज़गार चयन का अधिकार, बेरोज़गारी के विरुद्ध सुरक्षा, समान काम तथा समान वेतन का अधिकार, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार तथा मुफ्त कानूनी सलाह का अधिकार आदि शामिल हैं।
सांविधिक
प्रावधान
- मानवाधिकार
संरक्षण अधिनियम, 1993 में केंद्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय मानवाधिकार
आयोग के गठन की बात कही गई है, जो कि संविधान में प्रदान किये गए मौलिक
अधिकारों के संरक्षण और उससे संबंधित मुद्दों के लिये राज्य मानवाधिकार आयोगों और
मानवाधिकार न्यायालयों का मार्गदर्शन करेगा।
मानवाधिकार का अर्थ
- सरल शब्दों में कहें तो मानवाधिकारों का आशय ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त होते हैं।
- मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तथा काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं।
- मानवाधिकारों के संबंध में नेल्सन मंडेला ने कहा था, ‘लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है।’
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