ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति और मध्य प्रदेश । मध्य प्रदेश में लौह-युग संस्कृति । Iron Age Culture in Madhya Pradesh
ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति और मध्य प्रदेश
( 7) ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति और मध्यप्रदेश :
- पूर्व हड़प्पा अथवा हड़प्पा संस्कृति के कोई भी चिन्ह म.प्र. में नहीं पाए गए हैं। लेकिन हड़प्पा के पश्चात् ताम्र-पाषाण संस्कृति के अवशेष भारी मात्रा में मिले हैं, विशेषत: मालवा में। महेश्वर नावदाटोली में किए गए पुरातात्त्विक उत्खननों में 1160-1440 ई. पू. की तिथियाँ मिली हैं। कायथा खुदाई ने इस संकृति को 2015-1380 ई.पू. का माना है। एरण के उत्खनन के अनुसार यह संस्कृति 2000-700 ई. पू. की है और बेसनगर के अनुसार इस संस्कृति की मध्यभारत में अस्तित्व 1100- 900 ई. पू. की है।
- पत्थर, ब्लेड और तांबे का एक साथ उपयोग इस संस्कृति की विशेषता है, जिसके अवशेष सिहोर, मंदसौर, शाहपुर, इंदौर, पूर्वी निमाड़, धार, उज्जैन, जबलपुर, देवास, भिंड जिलों में मिले हैं।
- बहुत से अन्य स्थल, चम्बल, शिवना, रेतम, छोटी काली सिंध, पार्वती, बेतवा, गम्भीर और नर्मदा घाटी की खुदाई में निकले हैं।
- आवरा, मनोटी, कायथा, मंदसौर, आजाद नगर, दंगवाड़ा, बेसनगर, एरण, महेश्वर, नावदाटोली और पिपलिया लोरका में ताम्र-पाषाण कालीन स्थलों की खुदाई ने देश के इस भाग में रहने वाले ताम्र-पाषाण कालीन मानव के कालक्रम और सांस्कृतिक जीवन की एक उत्तम झलक पेश की है।
(8) ताम्र निधि संस्कृति :
- गंगा-यमुना दोआब में पूर्व लौह युग के कांस्य उपकरणों के भंडार मिले हैं। म.प्र. में गुंगेरिया, जबलपुर, दबकिया और रामजीपुरा के कुछ एकाकी क्षेत्रों से भी कांस्य उपकरणों के इसी तरह के भंडार मिले हैं। लेकिन जैसे गंगा-जमुना दोआब में इनका संबन्ध ओसीपी से पाया गया है, वैसा म. प्र. में नहीं है।
(9) मध्य प्रदेश में लौह-युग संस्कृति :
- यद्यपि भारत में लोहा बहुत पहले से आ गया था, तथापि मध्यप्रदेश में यह 1000 ई. पू. के लगभग आया। म.प्र. में ऐसे स्थल, जहाँ से धूसर रंग के बर्तन जो लोहे के प्रारंभ से संबन्धित हैं, कम हैं और जो हैं वह राजस्थान और उ.प्र. को स्पर्श करते म.प्र. के उत्तरी भाग में सीमित हैं। इनमें भिंड, मुरैना और ग्वालियर जिले सम्मिलित हैं। गिलौलीखेड़ा (मुरैना जिला) में इस लेखक द्वारा 1982 में किये गये उत्खनन से 1.2 मी. गहरा पीजीडब्ल्यू जमाव मिला है। इस क्षेत्र में और अधिक उत्खनन से इस विषय पर और प्रकाश पड़ सकता है।
(10) मध्य प्रदेश में महापाषाण संस्कृति :
- दक्षिण भारत में लौह युग से सम्बद्ध कुछ समाधियाँ प्राप्त होती हैं, जिन्हें महापाषाणीय स्मारक (मेगालिथ) के नाम से सम्बोधित किया गया है। इनका काल 1500-1000 ई.पू. माना जाता है। यद्यपि महापाषाण स्मारकों को दक्षिण भारत से सम्बद्ध किया जाता है, तथापि इनमें से कुछ म.प्र., असम, उड़ीसा, बिहार, राजस्थान, गुजरात और कश्मीर में भी मिले हैं। म.प्र. ये सिवनी और रीवा जिले में स्थित हैं।
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