गणित की भाषा ।गणितीय भाषा के गुण । Language of Mathematics

 गणित की भाषा ,गणितीय भाषा के गुण, 

Language of Mathematics

गणित की भाषा ,गणितीय भाषा के गुण,  Language of Mathematics


समस्या के समाधान का एक साधन 

 

  • गणित शिक्षण में अध्यापक गणितीय संकल्पनाओं की जानकारी देने के लिए और विचारों को स्पष्ट करने के लिए साधारण बोल-चाल की भाषा प्रयोग करता है। भाषा अनुभव को यथाक्रम अन्तस्थ करने में सहायक होती है जिससे अन्ततोगत्वा प्रत्यक्ष साकार अनुभव की पुनरावृत्ति किए बिना कल्पना शक्ति से क्रिया करने की क्षमता उत्पन्न होती है। 
  • गणित की संकल्पनाओं की शिक्षा देने के लिए प्रथम चरण में बालकों को प्रत्यक्ष साकार वस्तुओं के साथ क्रिया-कलाप के लिए प्रेरित किया जाता है फिर साकार वस्तुएँ हटा ली जाती हैं और उन्हें निहित अनुभव का स्पष्ट, उपयुक्त वर्णन करने को प्रोत्साहित करते हैं जब तक कि उनमें संकल्पना को मौखिक रूप से यथाक्रम अन्तस्थः करने की क्षमता न आ जाए। इस प्रकार भाषा अनुभव ( या संकल्पनाएँ) संग्रहण करने और समस्या समाधान में एक सहायक साधन है।

 

  • गणितीय संकल्पनाओं में प्रभावशाली अधिगम केवल क्रिया-कलापों में दक्षता पा लेने से ही प्राप्त नहीं होता है। निर्भर करता है कि कहाँ तक अध्यापक भाषा में अभिव्यक्ति और सांकेतिक निरूपण में प्रवीणता उत्पन्न करने में सफल है, जिससे पूर्व अनुभवों पर आधारित संगत अमूर्त नियम या तथ्य प्रस्थापित किए जा सकें। साकार ( प्रत्यक्ष) अनुभवों से अमूर्त विचार प्रस्थापित होने तक संक्रमण गणितीय भाषा में व्यक्त वर्णन पर निर्भर है। आज के युग में कोई भी भौतिकशास्त्री ( या अन्य कोई वैज्ञानिक) अपने विषय का अध्ययन बिना गणितीय भाषा के व्यापक प्रयोग के नहीं कर सकता। जीव विज्ञान, मनो विज्ञान आदि विषय भी जिनका मूल स्वरूप वर्णन प्रधान हुआ करता था आज गणितीय संकल्पनाओं का अत्यधिक प्रयोग करने लगे हैं। भाषाविद् जो भाषा के स्वरूप और संरचना का अध्ययन करते हैं आज इसका अध्ययन करने के लिए गणित का प्रयोग करने लगे हैं।

 

  • रोजर बेकन का कथन है "गणित विज्ञान का प्रवेश द्वार और कुंजी है। गणित की अवहेलना ज्ञान संग्रहण को क्षति पहुँचाती है क्योंकि जो व्यक्ति गणित ज्ञान से अनभिज्ञ है वह अन्य वैज्ञानिक विषयों और संसार की वस्तुओं का मानसिक पर्यवेक्षण नहीं कर सकता। इससे भी अधिक बुरी बात तो यह है कि यह अज्ञानी व्यक्ति अपनी ही अज्ञानता तक को नहीं पहचानते और न ही उसका कोई उपचार करने का प्रयत्न करते हैं।

 

  • इस प्रकार यह स्पष्ट है कि गणित सम्प्रेषण का एक साधन या माध्यम है। गणित शिक्षा में बालकों द्वारा अनुभव की गई भाषा की कठिनाइयों पर अनेक महत्त्वपूर्ण अध्ययन हुए हैं। गणितीय भाषा के कुछ पक्ष ( या गुण) प्रस्तुत करना आवश्यक है। 

 

गणितीय भाषा के गुण Merits Of  Mathematical Language

 

  •  गणितीय भाषा किसी वस्तु (या संकल्पना) और उसके नाम में अन्तर करती है। जैसेसंख्या और संख्यांक, भिन्न और भिन्नात्मक संख्याएँ (या परिमेय संख्याएँ । 
  • कुछ साधारण भाषा के शब्दों का प्रयोग परिभाषित पदों के रूप में, कई बार भिन्न सन्दर्भ में, किया जाता है। उदाहरण के लिए 'चर' का प्रयोग संज्ञा और विशेषण दोनों ही रूप में होता है। शब्द 'मूल' का प्रयोग समीकरण के मूल और वर्गमूल, घनमूल आदि में होता है। 
  •  किसी एक विचार को अनेक प्रकार से नामांकित या व्यक्त कर सकते हैं जैसे कि योग को 'जोड़िए', 'मान ज्ञात कीजिए', 'कुल कितने' आदि वाक्यांश से सम्बोधित कर सकते हैं। 

  • संक्षेपण (या नामांकन) का प्रयोग करते हैं। यह प्रमाणित चिन्तन में सहायता करते हैं परन्तु कभी-कभी वे मानक रूप में नहीं होते हैं और केवल संगणना की क्रिया विधि में किसी चरण को बचाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। उदाहरण के लिए ग्राम के लिए gm का प्रयोग सही नहीं है। इसी प्रकार cms का प्रयोग भी सही नहीं है।

 

  • बहुधा नये विषय या संक्रिया के अधिगम में सहायक चित्र या चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि जोड़ने में हासिल की संख्या का अंक उचित स्थान पर लिखना, समीकरण के हल में ⇒ या r का प्रयोग. 5m x 4m=20sq. m सही नहीं है क्योंकि गुणक केवल एक संख्या हो सकती है यह मूर्त नहीं हो सकती। सही विधि है (5x4) sq.ml

 

  •  गणित में प्रश्नों को हल करने में विचारों की शुद्धता और आँकड़ों की शुद्धता बनाए रखने के लिए हल को विशेष विधि के अनुसार चरणों में लिखा जाता है।

 

  • अन्य भाषाओं की तरह गणित की भाषा का भी अपना व्याकरण है। इसमें भी संज्ञा, क्रिया और विशेषण आदि पाए जाते हैं। गणित की भाषा के मुख्य गुण हैं शुद्धता (या समग्रता), यथार्थता (या सत्यता) और सक्षमता इसकी तुलना साधारण भाषा अस्पष्ट, अनिश्चित और भाव प्रेरक हो सकती है। गणित में परिभाषाओं को व्यक्त करने में भाषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 


एक अच्छी परिभाषा में निम्न गुण आवश्यक हैं

 

  •  परिभाषा विश्वसनीय/संगत (या सिद्धान्त पर आधारित) होनी चाहिए, अर्थात् प्रणाली की सभी सम्भव परिस्थितियों में उससे समान अर्थ निकाले जा सकें। 
  • परिभाषा में केवल अपरिभाषित या पूर्व परिभाषित पद ही नहीं परन्तु उसमें  उपपद और प्रयोजक भी होने चाहिए। 
  • परिभाषा की अभिव्यक्ति अनावश्यक भाषा के बिना स्पष्ट और विशुद्ध होनी चाहिए।

गणितीय भाषा का ज्ञानार्जन में उपयोग 

  • इस प्रकार हम कह सकते है कि गणित की अपनी एक अलग भाषा है जिसमें गणित पदप्रत्ययसिद्धान्तसूत्र तथा संकेतों को सम्मिलित किया जाता है। इसका ज्ञान निश्चित तथा ठोस आधार पर निर्भर होता है जिससे उस पर विश्वास किया जा सकता है। गणित में प्रदत्तों अथवा संख्यामक सूचनाओं के आधार पर संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
 
  • वस्तुतःगणित की प्रकृति अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक सुदृढ़ है जिससे विद्यालयी शिक्षा में गणित के ज्ञान की आवश्यकता एवं उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है। विश्व  में ज्ञान का अथाह भण्डार है इस ज्ञान भण्डार में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। यह बात अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है कि ज्ञान की प्राप्ति की जाएबल्कि यह है कि ज्ञान गाप्ति का तरीका सीखा जाए जिससे प्राप्त किया गया ज्ञान अधिक उपयोगी तथा लाभप्रद सिद्ध हो सके। किसी व्यक्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करना तभी उपयोगी हो सकता हैजबकि वह ज्ञान का अपनी आवश्यकतानुसार उचित प्रयोग कर सके। किसी ज्ञान का उचित उपयोग करना व्यक्ति की मानसिक शक्तियों पर निर्भर करता है।

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