मध्यप्रदेश से प्राप्त मुहर और मुद्रांक। MP Se Prapt Muhar aur Mudrank

 मध्यप्रदेश से प्राप्त मुहर और मुद्रांक (MP Se Prapt Muhar aur Mudrank)

मध्यप्रदेश से प्राप्त मुहर और मुद्रांक। MP Se Prapt Muhar aur Mudrank



मध्यप्रदेश से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

अलग-अलग समय में म.प्र. के विभिन्न भागों में किये गये उत्खननों और खोजों से मिली मुहरों और मुद्रिकाओं का ब्यौरा निम्नलिखित है:

 

आवरा से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

  • 1960-61 के उत्खनन में मिली पकी मिट्टी की एक गोल मुद्रिका जिस पर ' (अ) परायलिखा है और जिसे दूसरी-तीसरी शताब्दी ई.पू. का माना गया है। 
  • 1960-61 के उत्खनन में निकली एक त्रिकोणीय मुद्रिका जिस पर एक तरफ 'समरसतसऔर दूसरी तरफ 'यशोमितसलिखा था और जिसे चौथी शताब्दी का माना गया है। 
  • 1960-61 के उत्खनन में मिली पकी मिट्टी की एक मुद्रिका जिस पर ब्राह्मी लिपि में 'गोसमसलिखा है और जो दूसरी शताब्दी का है। 
  • 1960-61 के उत्खनन में निकली मौर्यकाल की हाथी दांत की एक मुद्रिका जिस पर ब्राह्मी लिपि से 'जिधवसलिखा था।
 

बेसनगर से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

  • 1914-1915 के उत्खनन से पकी मिट्टी की 26 उत्कीर्ण मुद्रिकाएँ मिली हैंजिनमें से तीन शासकों के, 2 कर्मचारियों के और अन्य लोगों की हैं। शासकों में विश्वामित्र का नाम प्रमुख हैं। 
  • 1963 की खुदाई से निकली शुंग सातवाहन काल की एक पत्थर की मुहरजिस पर 'निकुभ नागस्यलिखा था। 

दतिया से प्राप्त मुहर और मुद्रांक: 

  • छठवीं-सातवीं शताब्दी के वैदिक मंत्र लिखे हुये पकी मिट्टी की 50 मुद्रिकाएँ उत्खनन में मिली हैं। 

धमनार से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

  • पांचवी और छठवीं शताब्दी की एक मिट्टी की मुहरजिस पर 'चंदनगिरि महाविहारलिखा है। 

एरण से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

  • इन्द्रगुप्त का एक सिक्के का सांचा मिला है। इस पर राजा का नाम 'रज्ञोउपाधि के साथ मय ब्राह्मी लिपि में लिखा है। 
  • मिट्टी की एक मुद्रिका जिस पर तीसरी शताब्दी ई. की ब्राह्मी लिपि में 'राञो ईश्वरमित्र पुत्रस्यराज्ञों सिंहश्रीसेनस्यअंकित है। 
  • उत्खनन में मिली काली मिट्टी की एक मुद्रिकाजिस पर ब्राह्मी लिपि में 'रज्नो सिंह श्रीसेनस्यउत्कीर्ण है। 
  • पकी मिट्टी की एक मुहरजिस पर स्थानक गजलक्ष्मी चित्रित है और उसके नीचे दो पंक्तियों का एक लेख पाँचवीं शताब्दी की लिपि में उभरे हुये अक्षर में लिखा है और इसमें 'ऐरिकिणऔर गोमिकका उल्लेख है। 
  • उत्खनन के दौरान मिले विजयसेनरूद्रसेन द्वितीय विश्वसिंह और रूद्रसिंह शक क्षत्रपों के 15 मुद्रा सांचे। 
  • विजयसेन के दो मुद्रा-सांचे को शक संवत् 170 (248 ई.) का माना गया है और रूद्रसेन के मुद्रा सांचे की तीन तिथियों 180, 185 और 189 दी गई हैं जो क्रमश: 258, 263 और 267 ई. हैं।

 

इन्दौर से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

  • गुप्त लिपि की एक ताम्र मुहरजिस पर 'जितमदोव्यीउत्कीर्ण है।

 

केसुर:

  • गुप्त लिपि में वल्लाल की एक तांबे की मुहर मिली है जिसे धार संग्रहालय में संग्रहित किया गया है।


महेश्वर से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

उत्खनन से प्राप्त चौथी शताब्दी ई.पू. की कांच की एक टिकिया जिस पर मुहर की छाप मिली है।


त्रिपुरी से प्राप्त मुहर और मुद्रांक 

  • 1953 के उत्खनन में निकली 300 ई. पू. की विराक की छोटी हाथी दाँत की मुहर 
  • उत्खनन के दौरान मिली बोधि वंश के वसुबोधिशिवबोधिचन्द्रबोधि और श्रीबोधि की मिट्टी की मुहरें। 
  • 1953 के उत्खनन से प्राप्त हाथी दांत पर लेखांकित एक मुहर जिसे पहली दूसरी शताब्दी ई. का माना 
  • 1951 की खुदाई से निकला दूसरी शताब्दी के उत्तरार्द्ध का शक विठुर की पकी मिट्टी की एक मुहर 
  • 1968-69 के उत्खनन से प्राप्त महासेन की मिट्टी की एक मुहर । 
  • स्वस्तिकशंख और टॉरीन चिन्हांकित मौर्योंकालीन पत्थर की एक मुहर
  • प्रारंम्भिक मध्यकाल की नालंदा महाविहार की पकी मिट्टी की एक मुहर 
  • उत्खनन से मिली बोधि शासकधर्मबोधि की मिट्टी की एक मुहर। 
  • सेन वंश के सिंहसेनवितिलय स्कंद और महासेन द्वितीय की पकी मिट्टी की मुहरें मिली हैं। 


उज्जैन से प्राप्त मुहर और मुद्रांक

 

  • गढ़ कालिका के निकट पीपल खोदरा नाला से कांच की एक मुहर मिली है जो संभवतः पूर्व मौर्य काल की है। 
  • खोजे गये मुद्राओं के समूह से मिली तांबे की मुद्रिकाजिस पर 'अप्रमदअंकित हैजो चौथी सदी की है। 
  • 1957-58 के उत्खनन के दौरान पहली सदी की पकी मिट्टी की मुद्रिकाजिस पर 'असदेवसखुदा है। 
  • 1957-58 की खुदाई में प्राप्त पहली शताब्दी का पकी मिट्टी के पात्र का ढक्कनजिस पर 'नागबुधिसअंकित है। 
  • 1957-58 की खुदाई में प्राप्त पकी मिट्टी का सिक्के का साँचा जिस पर रोमन शांसक अगस्टस का चित्र अंकित है। 
  • 1957-58 की खुदाई में प्राप्त तीसरी शताब्दी ई. पूर्व की हाथी दांत की एक मुहरजिस पर 'गोथजसतिसकसअंकित है। 
  • 1957-58 की खुदाई में दूसरी-तीसरी शताब्दी ई. पूर्व हाथी दाँत से बनी दो मुहरेंजिन पर 'गोसहितकसऔर 'पत्तिलसअंकित है। 
  • मिट्टी की दूसरी शताब्दी की एक मुद्रिकाजिस पर 'यवनिकानाम्खुदा है। 

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