प्रेमचन्द के पश्चात् हिन्दी कहानी का विकास। प्रमुख प्रगतिवादी मनोवैज्ञानिक कहानीकार । Premchand Ke Baad Hindi Kahani
प्रेमचन्द के पश्चात् हिन्दी कहानी का विकास, प्रमुख प्रगतिवादी मनोवैज्ञानिक कहानीकार
प्रेमचन्दोत्तर युग की कहानी और कहानीकार
- प्रेमचन्द के पश्चात् हिन्दी कहानी का विकास और तीव्रता से हुआ।
- प्रेमचन्द और जयशंकर प्रसाद के पश्चात् नये युग में हिन्दी कहानी की दो प्रमुख शाखाएँ उभरकर आयी। इनमें एक शाखा का सम्बन्ध प्रेमचन्द के यथार्थवादी परम्परा से था, ओर दूसरी शाखा का सम्बन्ध ‘जयशंकर प्रसाद की भाववादी मनोवैज्ञानिक परम्परा से।
- इसलिए इन्हें इतिहासकारों ने प्रगतिवादी और मनोवैज्ञानिक कहानियों का नाम दिया, प्रगतिवादी कहानी हिन्दी की प्रगतिवादी कहानी को यथार्थवादी और समाजिक कहानी भी कहा जाता है।
- सन् 1936 में जब प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हुई इसके पश्चात् अनेक कहानी लेखक इससे जुड़े जिन्होंने अनेक यथार्थवादी कहानियाँ लिखी। साहित्य समीक्षकों ने इन्हीं कहानियों को प्रगतिशील कहानियों का नाम दिया,
- प्रगतिवादी कहानिकारों में यशपाल, उपेन्द्रनाथ अश्क, रामप्रसाद थिल्डियाल पहाडी, पाण्डेय वेचन शर्मा उग्र, विष्णु प्रभाकर, अमृतलाल नागर, आदि कहानीकार मुख्य हैं।
- इन सभी कहानीकारों ने प्रेमचन्द की तरह ही धार्मिक अंधविश्वासों, सामाजिक कुरीतियों, आर्थिक शोषण तथा राजनैतिक पराधीनता ने निर्धन वर्ग को अपनी कहानियों का विषय बनाया। इन कहानीकारों ने निर्धन वर्ग को अपनी कहानियों के केन्द्र में रखा, इनकी कहानियाँ कहानी तत्वों की कसौटी पर खरी उतरती है।
- इन कहानियों के शीर्षक, कथानक, कथोपकथन, चरित्र चित्रण, पात्र, उद्धेश्य, देशकाल-वातावरण तथा भाषा शैली जैसे कहानी तत्व इन्हें कहानियों में जब कभी पात्रों का चरित्र चित्रण करते हैं तो इनकी दृष्टि व्यक्ति के अन्तर्मन के बजाय उसके सामाजिक व्यवहार पर अधिक स्थिर होती है।
प्रगतिवादी कहानियों के मुख्य कहानीकारों की रचनाएँ इस प्रकार हैं
यशपाल-
- इस अवधि में मार्क्सवादी यशपाल हिन्दी कहानी के क्षेत्र में उतरे। इन्होंने सामाजिक जीवन के यथार्थ को लेकर उसकी मार्क्सवादी व्याख्या की। यशपाल की रचनाओं पर फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद का प्रभाव दृष्टिगत होता है।
- इनकी कहानियों में मध्यम वर्गीय जीवन की विसंगतियों का मार्मिक चित्रण मिलता है। साथ ही निम्नवर्गीय शोषितों की व्यथा, अभाव और जीवन संघर्ष के भी दर्शन होते हैं।
यशपाल की प्रसिद्ध कहानियाँ हैं-
- महाराजा का इलाज, परदा, उत्तराधिकारी, आदमी का बच्चा, परलोक, कर्मफल, पतिव्रता, प्रतिष्ठा का बोझ ज्ञानदान, धर्मरक्षा, काला आदमी, चार आना, फूलों का कुरता आदि। पिजड़े की उड़ान, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, सच बोलने की भूल, आदि आपके कहानी संग्रह हैं।
उपेन्द्र नाथ अश्क-
- उपेन्द्रनाथ ‘अश्क' मानवतावादी दृष्टिकोण और मनोविश्लेषण चरित्र- - युक्त कहानी लिखने वाले कहानीकार हैं। समाज की विषमताओं, मध्यमवर्गीय जीवन की विसंगतियों, निम्न वर्गीय अभावग्रस्त जीवन संकटों का मार्मिक अंकन वाली इनकी कहानियाँ कथा- शिल्प की दृष्टि से सफल कहानियाँ हैं।
उपेन्द्रनाथ ‘अश्क' की प्रसिद्ध कहानियों में
- डाची, आकाश चारी, नासूर, अंकुर, खाली डिब्बा, एक उदासीन शाम आदि कहानियाँ प्रसिद्ध कहनियाँ हैं। इन्होंने अपने जीवनकाल में दो सौ से अधिक कहानियाँ लिखी। बैगन का पौधा, झेलम के सात पुल छीटे आदि कहानी संग्रह इनके इन्हीं कहानियों के प्रसिद्ध संग्रह है।
रमाप्रसाद घिल्डियाल पहाड़ी
- रामप्रसाद घिल्डियाल पहाड़ी ने मनोवैज्ञानिक कहानियों के - साथ-साथ प्रगतिवादी कहानियाँ लिखी, इनकी कहानियों में कहीं-कहीं उन्मुक्त प्रेम की छटा के भी दर्शन होते हैं। 'राजरानी' हिरन की आँखें, तमाशा, मोर्चा आदि इनकी लोकप्रिय कहानियाँ हैं।
पाण्डेय वेचन शर्मा 'उग्र'
- पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' ने इस काल में प्रेमचन्द और जयशंकर प्रसाद से भिन्न एक अलग रास्ता बनाया, उस समय की राजनीति और समाज की विकृतियों को अपनी रचनाओं का विषय बनाने वाले उग्र जी ने अंग्रजी संघर्ष के विरूद्ध चल रहे क्रान्तिकारी संघर्ष को लेकर कई कहानियाँ लिखी।
- पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' की प्रमुख कहानियाँ 'उसकी माँ', 'देशभक्त' जैसी कहानी इनकी इसी कोटि की कहानियाँ हैं। ‘दोजख की आग', इन्द्रधनुष आदि के कहानी-संग्रह हैं।
बिष्णु प्रभाकर -
- बिष्णु प्रभाकर एक सुधारवादी लेखक हैं। इन्होंने वर्तमान समय की समाजिक व्यवस्था तथा व्यक्ति एवं परिवार के सम्बन्धों को लेकर कहानियों की रचना की। इस कहानीकार ने वर्तमान सामाजिक एवं शासन व्यवस्था में व्यक्ति जीवन के संकट को बड़े मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है, इनकी “धरती अब भी घूम रही है” लोकप्रिय कहानी है, रहमान का बेटा, ठेका, जज का फैसला' गृहस्थी मेरा बेटा, अभाव आदि कहानियाँ बिष्णु प्रभाकर की उत्तम कोटि की कहानियाँ हैं।
अमृतलाल नागर-
- अमृतलाल नागर ने आज के जीवन के आर्थिक संकट, विपन्नता, पारिवारिक सम्बन्धों का तनाव आदि विषयों को अपनी कहानियों की सामग्री बनाया। दो आस्थाएँ, गरीब की हाय, निर्धन कयामत का दिन, गोरख धन्धा आदि कहानियाँ इनकी महत्वपूर्ण कहानियाँ हैं।
मनोवैज्ञानिक कहानीकार और कहानियाँ
मनोवैज्ञानिक कहानियाँ-
- मुंशी प्रेमचन्द पश्चात् हिन्दी कहानी संसार में कुछ ऐसे कहानिकार भी आये जिन्होंने मानवमन को केन्द्र में रखा। इन कहानीकारों ने सामाजिक समस्याओं की अपेक्षा आदमी की वैयक्तिक पीड़ाओं और मानसिक अन्तर्द्वन्द्व को अधिक महत्व दिया। इन्होंने मानव के अवचेतन मन की क्रियाओं और उनकी मानसिक ग्रन्थियों को अपनी कहानियों का विषय बनाया मानव के अन्तर्द्वन्द्व को केन्द्र में रखने के कारण इन कहानीकारों की कहानियों में मनोवैज्ञानिक सत्य और चरित्र की वैयक्तिक विशिष्टता विशेष रूप से व्यक्त हुई है। इन कहानिकारों में, जैनेन्द्र, इलाचन्द्र जोशी, अज्ञेय, भगवती चरण वर्मा, चन्द्र गुप्त विद्यालंकार, आदि कहानीकार मुख्य हैं।
जैनेन्द्र कुमार
- प्रेमचन्द और जयशंकर प्रसाद के यथार्थ और आदर्श की दिशा से बिल्कुल हटकर मानव मन के चितेरे के रूप में जिन अन्य कहानीकारों ने हिन्दी कहानी संसार में प्रवेश किया उनमें जैनेन्द्रकुमार का प्रमुख स्थान है। इनका ध्यान समाज के विस्तार की अपेक्षा व्यक्ति की मानसिक गुत्थियों, सामाजिक परिवेश के दबाब और प्रतिबद्धता के कारण होने वाली वैयक्तिक समस्याओं की ओर अधिक गया। परिवार एवं समाज में नारी-पुरूषों के सम्बन्धों तथा उनसे उत्पन्न उलझनों का विश्लेषण करने वाले इनकी कहानी जहाँ लोक प्रिय और सर्वग्राह्य हुई हैं वहाँ इन कहानियों ने समाज के चिन्तकों को जीवन के अनके पहलुओं पर चिन्तन करने के लिए भी बाध्य किया हैं ।
जैनेन्द्रकुमार की प्रसिद्ध कहानियाँ हैं-
- पत्नी, खेल, चोर, पाजेब, जाह्नवी, समाप्ति, एक रात, नीलम देश की राजकन्या, जय संधि, मास्टर जी आदि, जैनेन्द्र कुमार के आठ कहानी संग्रहों में इनकी सभी कहानियाँ संग्रहित हैं।
अज्ञेय-
- अज्ञेय' एक ऐसे कहानीकार हैं जिन्होंने मानव के मानसिक अन्तर्द्वन्द्वों और गूढ़ रहस्यों को परखने का यत्न किया।
- इसलिए इनकी कहानियों में एक विशेष प्रकार की 'चिन्तन शीलता तथा तटस्थ बैदिकता के दर्शन होते हैं।
- विषय की दृष्टि से जैसी विविधता अज्ञेय जी की कहानियों मिलती है वह विविधता इस युग के अन्य कहानिकारों की कहानियों में कम मिलती हैं।
अज्ञेयकी प्रसिद्ध कहानियों में
- रोज, गैग्रीन, कोठरी की बात छोड़ा हुआ रास्ता, पगोड़ा वृक्ष, पुरूष का भाग्य' आदि कहानियाँ हैं। इन कहानियों के अतिरिक्त अज्ञेय जी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन सम्बन्धी घटनाओं तथा पौराणिक और ऐतिहासिक संन्दर्भों पर भी कहानियाँ लिखी हैं। विपथगा, शरणार्थी, परम्परा, अमर वल्लरी कोठारी की बात आदि आपके कहानी संग्रह है।
इलाचन्द्र जोशी-
- इलाचन्द्र जोशी फ्राइड के मनोविश्लेषण सिद्धान्त को साथ लेकर चलने वाले लेखक हैं। इनकी कहानियों में मध्यमवर्गीय समाज के व्यक्तियों का विश्लेषण मिलता है।
इलाचन्द्र जोशी की प्रमुख कहानियाँ हैं
- चरणों की दासी, रोगी, परित्यक्ता, जारज, अनाश्रित, होली, धन का अभिशाप, प्रतिव्रता या पिशाची, एकाकी, मैं, मेरी डायरी के दो नीरस पृष्ठ आदि।
Post a Comment