प्रेमचन्द युग की कहानी मुख्य विशेषताएँ। प्रेमचंद युग के कहानीकार एवं उनकी रचनाएँ । Premchand Yugin Kahanikaar

प्रेमचन्द युग की कहानी मुख्य विशेषताएँ, प्रेमचंद युग के  कहानीकार एवं उनकी रचनाएँ 

प्रेमचन्द युग की कहानी मुख्य विशेषताएँ। प्रेमचंद युग के  कहानीकार एवं उनकी रचनाएँ । Premchand Yugin Kahanikaar



प्रेमचन्द युग की कहानी (सन् 1915 से 1936 तक)

 

  • हिन्दी कहानी का प्रेमचन्द युग का आरम्भ सन् 1915 ई0 से माना जाता है। 
  • मुशी प्रेमचन्द जिस अवधि में कहानियाँ लिख रहे थे उसी अवधि में कई कहानीकारों ने इस विधा को आगे बढ़ाने के लिए अपनी लेखनियाँ उठायी। जिनमें जयशंकर प्रसादचन्द्रधर शर्मा गुलेरीसुदर्शन आदि मुख्य कहानीकार हैं। 
  • इसी युग में जिन अन्य कहानीकारों ने हिन्दी कहानी विधा को नई दिशा प्रदान की उनमें श्री विश्वम्भर नाथ शर्मा, 'कौशिक', आचार्य चतुर सेन शास्त्रीराजा राधिका रमण प्रसाद सिंहश्री शिव पूजन सहायश्री वृन्दावन लाल वर्माश्री गोपाल राम गहमरीश्री रायकृष्ण दासपदुम लाल पुन्नालाल वख्शीरमाप्रसाद घिल्डियाल पहाड़ी पंडित ज्वाला प्रसाद शर्माश्री गंगाप्रसाद श्रीवास्तव आदि का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। 


अनके पत्र-पत्रिकाओं में इन कहानीकारों की कहानियाँ प्रकाशित हुईजिससे हिन्दी कहानी के लेखक ही नहीं पाठकों की संख्या में भी वृद्धि हुईइस युग के जिन मुख्य कहानीकारों की साहित्य सेवा का आंकलन करने के लिए साहित्य के इतिहासकारों ने इन्हें विशेष रूप से सम्मान दिया वे इस प्रकार हैं- 


प्रेमचन्द युग  के कहानीकार 

पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी - 

  • हिन्दी के श्रेष्ठ कहानीकारों में प्रेमचन्द युगीन कहानीकार पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी को का नाम भी बड़े समादर से लिया जाता है। 
  • यदि आधुनिक कहानी कला की दृष्टि से किसी कहानी को हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कहानी कहा जाय तो वह है- उसने कहा था: यह कहानी यथार्थवादी कहानी है जो एक आदर्श को प्रस्तुत करती हैं। 
  • गुलेरी जी ने इसके अतिरिक्त सुखमय जीवन और बुद्ध का कांटा दो कहानियाँ और लिखी।

 

जयशंकर प्रसाद- 

  • प्रेमचन्द युम में ही जयशंकर प्रसाद ने हिन्दी में कई कहानियाँ लिखी लेकिन इनकी कहानियाँ प्रेमचन्द की कहानी शैली से बिल्कुल भिन्न कहानियाँ हैं। एक राष्ट्रवादी साहित्यकार होने के कारण इनकी कहानियों में राष्ट्रीय भावना और सांस्कृतिक चेतना का प्रभाव परिलक्षित होता है। 
  • प्रसाद जी ने अधिकांश ऐतिहासिक कहानियाँ लिखी हैंजिनकी भाषा संस्कृत निष्ठभाव प्रधानअलंकारिक और काव्यात्मक है। 
  • यही नहीं इनकी कहानियों में नाट्य शैली के भी दर्शन होते हैं
  • जयशंकर प्रसाद की कहानियों में आकाश दीपपुरस्कारममताइन्द्रजालछायाआँधीदासी  जैसी कहानियाँ आदर्शवादी कहानियाँ हैं तो मधुवाऔर गुंडा जैसी कहानियाँ यथार्थवादी कहानी

 

मुंशी प्रेमचन्द - 

  • मुंशी प्रेमचन्द हिन्दी कहानी संसार के लिए वरदान बनकर आयेइनकी हिन्दी की पहली कहानी पंच परमेश्वर सन् 1915 में प्रकाशित हुई। 
  • पंच परमेश्वरप्रेमचन्द जी की एक आदर्शवादी कहानी है जिसमें मनुष्य के अन्दर छिपे दैवत्व के गुणों को उजागार किया गया है। लेकिन इनकी बाद की कहानी यथार्थवादी कहानियाँ हैं जिनमें ग्रामीण और शहरी पददलितों के जीवन में घटने वाली घटनाओं को कहानियों के माध्यम से सार्वजनिक किया गया है।

इस सम्बन्ध में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी कहते हैं- 

  • प्रेमचन्दशताब्दियों से पददलितअपमानित और उपेक्षित कृषकों की आवाज थेपर्दे में कैदपद-पद लांछित और असहाय नारी जाति की महिमा के जवरदस्त वकील थे। गरीबों और बेबसों के महत्व के प्रचारक थे।

 

  • प्रेमचन्द ने अपने युग की सामाजिक बुरी दशा को अपने उपन्यास तथा कहानियों का विषय बनाया। अपने इस कथा साहित्य के माध्यम से प्रेमचन्द जी ने स्पष्ट किया था कि हमारे सामाजिक कष्टों के दो ही कारण हैं- एक धार्मिक अंधविश्वास और सामाजिक रूढ़ीवादिता और दूसरा आर्थिक शोषण और राजनीतिक पराधीनताइनका सारा कथा साहित्य इसी पर केन्द्रीत है। 
  • इनकी आरम्भिक कहानियाँ आर्दशवादी कहानियाँ हैं लेकिन धीरे-धीरे इन्होंने यथार्थ से नाता जोड़ा । 
  • प्रेमचन्द ने अपनी कहानियों के पात्र गरीबबेबस और दबे-कुचले लोगों को बनाया। इन सबके अन्दर गुप्त मानवतावाद को एक नया प्रकाश दियाप्रेमचन्द ने जहाँ अपनी कहानियों के माध्यम से समाज में व्याप्त रूढ़ीवाद और कुरीतियाँ के दमन के उपाय सुझाए वहाँ राजनैतिक पराधीनता और आर्थिक शोषण के प्रति विद्रोही आवाज उठायी। प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानियाँ इनके इसी भावों को प्रदर्शित करती है। 
  • प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँ हैं- कफन’, पूस की रातशतरंज के खिलाड़ीदूध का दामठाकुर का कुआँनशाबड़े भाई साहबसवा सेर गेहूँअलाग्योझानमक का दरोगापंचपरमेश्वरईदगाहबूढी काकीईदगाह आदि। इनमें से कुछ यथार्थवादी कहानियाँ हैं तो कहानियाँ। कुछ आदर्शवादी। 

 

  • भाषा की दृष्टि से मुंशी प्रेमचन्द की भाषा तत्कालीन समाज की बोल चाल की भाषा हैं। जिसे हम लोक भाषा का अनुपम उदाहरण कह सकते हैं। हिन्दी उर्दू शब्दों की यह मिश्रित भाषा वर्तमान में भी उतनी ग्राह्य और भाव बोधक है जितनी इनके लिखने समय में थी।

 

विश्वम्भर नाथ शर्मा 

  • प्रेमचन्द के समान ही विश्वम्भर नाथ शर्मा कौशिक की कहानियाँ में आदर्श और यथार्थ का समन्वय दिखाई देता है। इनकी कहानियाँ भी घटना प्रधान और वर्णात्मक है। 
  • विश्वम्भर नाथ शर्मा  की कहानी ताई, ‘रक्षावधन', 'माता का हृदय', कृतज्ञता आदि कहानियों में जहाँ मानवीय भावों की सक्ष्म व्यंजना हुई है। वहाँ आदर्श के नये रूप के दर्शन होते हैं। 
  • श्री काशिक ने अपने जीवनकाल में तीन सौ कहानियाँ लिखी हैं, 'मणिमाला', 'चित्रशालाकल्लौलकला-मन्दिरइनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह है।

 

श्री सुदर्शन - 

  • प्रेमचन्द युगीन कहानिकारों में श्री सुदर्शन का नाम भी बड़े आदर से लिया जाता है। इन्होंने भी प्रेमचन्द की भाँति अनेक घटना प्रधान कहानियाँ लिखी, इनकी इन कहानियों के पात्र सामान्य कोटि के मजदूरकिसान आदि पात्र हैं जिनका सम्बन्ध ग्रामों और नगरों के सामान्य मध्यमवर्ती मोहल्लों से है। इनकी अनेक कहानियाँ मानवीय संवदनाओं की मार्मिक आर्मव्यक्ति देती है। 
  • श्री सुदर्शन की कई लोक प्रिय कहानियाँ हैं जिनमें 'हार की जीत', सलबमआशीर्वादन्याय मंत्रीएथेन्स का सत्यार्थीकवि का प्रायश्चितआदि लोकप्रिय कहानियाँ हैं। 
  • नके सभी कहानियाँ पनघटसुदर्शन सुधातीर्थ यात्रा आदि कहानी-संग्रहों में संग्रहित है।
  • बाबू गलाब राय के शब्दों में प्रेमचन्दकौशिक और सुदर्शनहिन्दी कहानी साहित्य के प्रेमचन्द स्कूल के वृहत्रयी कहलाते हैं- 

 

प्रेमचन्द के कथा शिल्प और कथ्य को लेकर कहानी लिखने वाले..

  • प्रेमचन्द के कथा शिल्प और कथ्य को लेकर कहानी लिखने वालों में वृन्दावनलाल शर्मा- (शरणागत कटा-फटा झंडाकलाकार का दण्ड जैनावदी वेगमशेरशाह का न्यायआदि) आचार्य चतुरसेन की दुखिया में कासे कहू सजनीसफेद कौआसिंहगढ़ विजयआदि। गोविन्द बल्लभ पंत सियाराम शरण गुप्त (बैल की बिक्री) भगवती प्रसाद वाजपेयीमिठाई वालानिंदियालागीखालवोतलमैनाट्रेन परहार जीत आदि) रामवृक्ष बेनीपुरीउषादेवी मित्रा आदि अनेक कहानीकारों की रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुई। 

 

प्रेमचन्द युगीन कहानियों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

 

  • ये परिमार्जित भाखा वाली कहानियाँ हैं। 
  • ये आदर्श और यथार्थ वादी कहानियाँ हैं। 
  • ये मानवीय सम्बन्धों का उद्घाटन करने वाली कहानियाँ हैं। 
  • ये ग्राम्यजीवन पर प्रकाश डालने वाली कहानियाँ हैं। 
  • ये राष्ट्रवादी और देश प्रेम से ओतप्रोत कहानियाँ हैं। 
  • ये राजनैतिक पराधीनता और आर्थिक शोषण में विरुद्ध आवाज उठाने वाली कहानियाँ हैं।ये समाज में व्याप्त रूढ़ीवादीकुरीतियों और अशिक्षा को दर्शाने वाली कहानियाँ हैं।

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