दिसम्बर 2021 के चर्चित व्यक्ति (December 2021 Person in News)
दिसम्बर 2021 के चर्चित व्यक्ति
सिरीवेनेला
सीताराम शास्त्री
प्रसिद्ध तेलुगू फिल्म गीतकार और पद्मश्री पुरस्कार
से सम्मानित ‘सिरीवेनेला
सीताराम शास्त्री’ का हाल ही में निधन हो गया।
25 मई, 1955 को आंध्र प्रदेश
के अनाकापल्ले में जन्मे सीताराम शास्त्री सुप्रसिद्ध कवि और तेलुगू फिल्म जगत के
प्रसिद्ध गीतकार थे, जिन्हें उनकी
प्रतिभा के लिये कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, इनमें आंध्र
प्रदेश सरकार द्वारा दिये गए 11 ‘नंदी पुरस्कार’ और चार फिल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल हैं। फिल्म जगत और
साहित्य में उनके योगदान के लिये उन्हें 2019 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था।
उन्होंने
गीतकार के तौर पर अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1984 की फिल्म ‘जननी जन्मभूमि’ के साथ की थी।
इसके पश्चात् उन्होंने लगभग तीन दशक लंबे अपने कॅरियर में 3000 गानों में
योगदान दिया।
पेट्र फियाला
हाल ही में पेट्र
फियाला को चेक गणराज्य का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। वर्ष 2014 से ‘कंज़र्वेटिव सिविक
डेमोक्रेटिक पार्टी’ का नेतृत्व कर
रहे 57 वर्षीय पेट्र
फियाला ने वर्ष 2012-13 में चेक गणराज्य
के शिक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। पेट्र फियाला को कोरोना महामारी और
उससे प्रेरित आर्थिक मंदी जैसी चुनौतियों का सामना करना है। चेक गणराज्य, मध्य यूरोप में
स्थित एक लैंडलॉक्ड देश है। इसकी सीमा ऑस्ट्रिया, जर्मनी, पोलैंड और स्लोवाकिया से लगती है।
डॉ. राजेंद्र
प्रसाद
3 दिसंबर, 2021 को उपराष्ट्र
पति एम. वेंकैया नायडू ने भारत के पहले राष्ट्र7पति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर
श्रद्धांजलि दी है।3 दिसंबर, 1884 को जन्मे डॉ.
राजेंद्र प्रसाद एक स्वतंत्रता कार्यकर्त्ता, वकील, विद्वान और भारत के पहले राष्ट्रपति थे। वे भारतीय
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस का हिस्सा और बिहार तथा
महाराष्ट्र के एक प्रसिद्ध नेता थे। जब भारत एक गणतंत्र बना, तो डॉ. राजेंद्र
प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्ष 1950 से वर्ष 1962 तक देश के
राष्ट्रपति रहे। वह देश के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति हैं। इसके
अलावा वे राष्ट्रपति के तौर पर दो पूर्ण कार्यकालों तक सेवा देने वाले एकमात्र
राष्ट्रपति भी हैं। स्वतंत्रता आंदोलन के एक कार्यकर्त्ता होने के नाते राजेंद्र
प्रसाद को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान
जेल भेज दिया गया। राजेंद्र प्रसाद को वर्ष 1962 में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित
किया गया था। राजेंद्र प्रसाद का 78 वर्ष की आयु में28 फरवरी, 1983 को निधन हो गया। पटना में राजेंद्र स्मृति संग्रहालय
उन्हें समर्पित है।
सेंट फ्राँसिस
जेवियर
‘सेंट फ्राँसिस
जेवियर’ की पुण्यतिथि पर
प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को गोवा
में ‘सेंट फ्राँसिस
जेवियर फीस्ट’ का आयोजन किया
जाता है। यह आयोजन गोवा स्थित ‘बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस’ में किया जाता है, जो यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है।
‘सेंट फ्राँसिस
जेवियर’ आधुनिक समय के
सबसे महान रोमन कैथोलिक मिशनरी थे, जिन्होंने भारत में ईसाई धर्म की स्थापना में महत्त्वपूर्ण
भूमिका निभाई थी। ‘सेंट फ्राँसिस
जेवियर’ का जन्म 3 दिसंबर, 1552 को स्पेन में
हुआ था। स्पेन में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1525 में 19 वर्ष की आयु में
पेरिस की यात्रा की।
वर्ष 1534 में पेरिस में
उन्होंने लोयोला के सेंट इग्नाटियस के नेतृत्व में ‘सोसाइटी ऑफ जीसस’ या ‘जेसुइट्स’ के पहले सात सदस्यों में से एक के रूप में प्रतिज्ञा ली।
पुर्तगाल के राजा ‘जॉन-III’ द्वारा सेंट
जेवियर को ईस्ट इंडीज़ के लोगों के बीच प्रचार करने के लिये नियुक्त किया गया। इसी
अभियान के हिस्से के तौर पर वे मई 1542 में गोवा आए. जहाँ उन्होंने पहले पाँच महीने बीमारों का
उपचार करने और उनकी सेवा करने में बिताए। इसके पश्चात् वे जापान गए, वहाँ उन्होंने
मिशनरी गतिविधियों को आगे बढाया। वे तकरीबन 10 वर्षों (मई 1542 से दिसंबर 1552) तक मिशनरी गतिविधियों में संलग्न रहे और उनके
इस कार्य के लिये उन्हें ‘अपोस्टल ऑफ इंडीज़’ तथा ‘अपोस्टल ऑफ जापान’ के नाम से भी
जाना जाता है।
अंजू बॉबी जॉर्ज
प्रसिद्ध भारतीय ‘लॉन्ग जम्पर’ अंजू बॉबी जॉर्ज
को देश में खेल को बढ़ावा देने और लैंगिक समानता की वकालत करने के लिये
अंतर्राष्ट्रीय एथलीट निकाय ‘वर्ल्ड एथलेटिक्स’ द्वारा ‘वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है।
44 वर्षीय अंजू बॉबी जॉर्ज वर्ष 2003 के संस्करण में
लंबी कूद में कांस्य के साथ विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय
हैं। यह पुरस्कार उन महिलाओं को सम्मानित करने हेतु प्रदान किया जाता है, जिन्होंने अपने
जीवनकाल में एथलेटिक्स को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
इस
पुरस्कार को वर्ष 2019 में शुरू किया
गया था और ‘अंजू बॉबी जॉर्ज‘ इस प्रतिष्ठित
पुरस्कार की दूसरी प्राप्तकर्त्ता हैं, पहली बार यह पुरस्कार इथियोपिया के डबल ओलंपिक चैंपियन ‘डेरार्टू तुलु’ को प्रदान किया
गया था।
इससे पूर्व वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच वीमेन इन
एथलेटिक अवार्ड’' नामक एक पुरस्कार
प्रदान किया जाता था, जिसका उद्देश्य खेल
के सभी स्तरों पर महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने, उन्हें
प्रोत्साहित और मज़बूत करने हेतु उत्कृष्ट उपलब्धियों एवं योगदान को मान्यता प्रदान
करना था।
गीता गोपीनाथ
अंतर्राष्ट्रीय
मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री, भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ जल्द ही संगठन की पहली
उप-प्रबंध निदेशक का पद संभालेंगी। नई नियुक्ति में गीता गोपीनाथ निगरानी और
संबंधित नीतियों का नेतृत्व करेंगी तथा अनुसंधान एवं प्रमुख प्रकाशनों की देख-रेख
करेंगी। विदित हो कि गीता गोपीनाथ ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री और रघुराम
राजन के बाद यह प्रतिष्ठित पद संभालने वाली दूसरी भारतीय थीं। वह अंतर्राष्ट्रीय
मुद्रा कोष की 11वीं मुख्य
अर्थशास्त्री बनी थीं।
‘अंतर्राष्ट्रीय
मुद्रा कोष’ की स्थापना
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् युद्ध प्रभावित देशों के पुनर्निर्माण में सहायता
के लिये विश्व बैंक के साथ की गई थी। इन दोनों संगठनों की स्थापना के लिये अमेरिका
के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन में सहमति बनी।
इसलिये इन्हें ‘ब्रेटन वुड्स
ट्विन्स’ (Bretton Woods
Twins) के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1945 में स्थापित IMF विश्व के 190 देशों द्वारा
शासित है तथा यह अपने निर्णयों के लिये इन देशों के प्रति उत्तरदायी है। भारत 27 दिसंबर, 1945 को IMF में शामिल हुआ
था। ‘अंतर्राष्ट्रीय
मुद्रा कोष’ का प्राथमिक
उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है।
सुनील अरोड़ा
पूर्व मुख्य
चुनाव आयुक्त (CEC) सुनील अरोड़ा को ‘इंटरनेशनल
इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस’ में सलाहकार
बोर्ड में शामिल होने हेतु आमंत्रित किया गया है। ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड
इलेक्टोरल असिस्टेंस’ वर्ष 1995 में स्वीडन में
स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है और दुनिया भर में स्थायी लोकतंत्र का समर्थन करने
संबंधी एक मिशन है।
इस संस्थान को सलाहकारों के 15 सदस्यीय बोर्ड द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें विभिन्न
क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल
असिस्टेंस’ संस्थान में
वर्तमान में 34 सदस्य देश शामिल
हैं। सुनील अरोड़ा दिसंबर 2018 से अप्रैल 2021 तक देश के 23वें मुख्य चुनाव
आयुक्त थे। वर्ष 1980 बैच के भारतीय
प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी, सुनील अरोड़ा ने
पूर्व में केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार के विभिन्न प्रमुख विभागों में कार्य
किया है।
नीलमणि फूकन
असमिया कवि
नीलमणि फूकन जूनियर ने 56वाँ और कोंकणी
उपन्यासकार दामोदर मौजो ने 57वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार जीता है।
देश का सर्वोच्च साहित्यिक
पुरस्कार- ‘ज्ञानपीठ’ लेखकों को ‘साहित्य में उनके
उत्कृष्ट योगदान’ के लिये दिया
जाता है।
77 वर्षीय दामोदर
मौजो गोवा में रहते हैं और इससे पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार भी जीत चुके हैं।
उन्हें उनके उपन्यासों जैसे कि ‘कार्मेलिन’ तथा ‘सुनामी साइमन’ और लघु कथाएँ- ‘टेरेसा मैन एंड अदर स्टोरीज़ फ्रॉम गोवा’ के लिये जाना
जाता है। उनकी पुस्तकों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
वर्ष 1960 में गोवा की
मुक्ति के बाद से कोंकण साहित्य का बेहतरीन विकास हुआ है। यह किसी कोंकणी लेखक को
दिया गया दूसरा ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार है, इससे पूर्व
कोंकणी भाषा में पहला पुरस्कार वर्ष 2006 में ‘रवींद्र केलेकर’ को दिया गया था। वहीं 90 वर्षीय नीलमणि फूकन को ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार और ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। गुवाहाटी में निवास
करने वाले प्रसिद्ध कवि नीलमणि फूकन ने कई प्रसिद्ध पुस्तकों जैसे- ‘गुलापी जमुर लग्न’ और ‘कोबीता’ की रचना की है।
फूकन ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले तीसरे असमिया लेखक हैं। इनसे पहले
पुरस्कार पाने वालों में बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य (1979) और ममोनी रईसम
गोस्वामी (2000) शामिल हैं।
साहित्य अकादमी पुरस्कार वर्ष 1954 में स्थापित, एक साहित्यिक सम्मान है। यह पुरस्कार साहित्य अकादमी (नेशनल
एकेडमी ऑफ लेटर्स) द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। अकादमी द्वारा प्रत्येक
वर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त 24 भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के साथ ही इन्हीं भाषाओं में
परस्पर साहित्यिक अनुवाद के लिये भी पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
जनरल बिपिन रावत
देश के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस
स्टाफ’ जनरल बिपिन रावत
की हाल ही में तमिलनाडु के कुन्नूर में एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई है। जनरल
बिपिन रावत देश के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस
स्टाफ’ थे, जिन्हें वर्ष 2019 में इस पद पर
नियुक्त किया गया था। जनरल बिपिन रावत का जन्म मार्च 1958 में हुआ था।
जनरल बिपिन रावत ‘राष्ट्रीय रक्षा
अकादमी’ और ‘भारतीय सैन्य
अकादमी’ के पूर्व छात्र
हैं, जिन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सेना
की ‘पाँचवीं बटालियन’ और ‘ग्यारहवीं गोरखा
राइफल्स’ में कमीशन किया
गया था। बिपिन रावत डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन से स्नातक थे। उन्होंने अमेरिका के
फोर्ट लीवेनवर्थ में कमांड और जनरल स्टाफ कोर्स में भी हिस्सा लिया।
जनरल रावत ने
अपनी सेवा के दौरान, सैन्य संचालन
निदेशालय में ब्रिगेड कमांडर, दक्षिणी कमान, जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2 के रूप में कार्य किया और कई अन्य
महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे
थे और संयुक्त राष्ट्र के साथ सेवा करते हुए उन्हें दो बार ‘फोर्स कमांडर
कमेंडेशन’ से सम्मानित किया
गया।
प्रणब मुखर्जी
11 दिसंबर, 2021 को राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि
अर्पित की। भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के पूर्व नेता प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक बतौर
राष्ट्रपति अपनी सेवाएँ दी थीं। इससे पूर्व उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर भी
कार्य किया और अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने विदेश मामलों, रक्षा एवं
वाणिज्य मंत्रालयों का भी कार्यभार संभाला।
बंगाल के बीरभूम ज़िले में जन्मे प्रणब
मुखर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त
की और कानून की भी पढ़ाई की। राजनीति में आने से पहले उन्होंने विद्यानगर कॉलेज में
राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में और बंगाली पत्रिका 'देशेर डाक' के पत्रकार के
रूप में भी काम किया।
राष्ट्रीय राजनीति में मुखर्जी की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई, जब वे पूर्व
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मार्गदर्शन में राज्यसभा के लिये चुने गए।
प्रधानमंत्री ‘पी.वी. नरसिम्हा
राव’ के कार्यकाल के
दौरान उन्हें योजना आयोग का प्रमुख नियुक्त किया गया और बाद में वे विदेश मंत्री
के रूप में भी नियुक्त किये गए। अपने समग्र राजनीतिक कार्यकाल के दौरान प्रणब
मुखर्जी ने सूचना के अधिकार, रोज़गार के अधिकार, मेट्रो रेल और इसी तरह के कई अन्य घटनाक्रमों में
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ओलाफ स्कोल्ज़
हाल ही में जर्मन
राजनेता ‘ओलाफ स्कोल्ज़’ ने जर्मनी के नए
चांसलर के रूप में शपथ ली है और इस प्रकार उन्होंने औपचारिक रूप से 16 वर्ष बाद ‘एंजेला मर्केल’ को प्रतिस्थापित
कर दिया है। ओलाफ स्कोल्ज़ का जन्म वर्ष 1958 में उत्तरी जर्मनी में हुआ था।
अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी
करने के पश्चात् उन्होंने कानून का अध्ययन किया और श्रम कानून में विशेषज्ञता
हासिल की। ओलाफ स्कोल्ज़ ने वर्ष 2011 से वर्ष 2018 तक ‘हैम्बर्ग’ के पहले मेयर के रूप में कार्य किया और कई वर्षों तक जर्मन
संसद- ‘बुंडेस्टाग’ के सदस्य रहे।
इसके अलावा वे एंजेला मर्केल के नेतृत्त्व वाली गठबंधन सरकारों में ‘श्रम मंत्री’ और ‘वित्त मंत्री’ भी रहे। गौरतलब
है कि जर्मनी के चांसलर को आधिकारिक तौर पर जर्मनी के संघीय गणराज्य का ‘संघीय चांसलर’ कहा जाता है।
वह
जर्मनी की संघीय सरकार का प्रमुख होता है। वह युद्ध के दौरान जर्मन सशस्त्र बलों
के कमांडर-इन-चीफ के रूप में भी कार्य करता है। वह संघीय मंत्रिमंडल का मुख्य
कार्यकारी होता है और इसकी कार्यकारी शाखा का प्रमुख होता है।
ऐनी राइस
विश्व प्रसिद्ध
गॉथिक उपन्यास ‘इंटरव्यू विद द
वैम्पायर’ की लेखिका ‘ऐनी राइस’ का हाल ही में 80 वर्ष की आयु में
निधन हो गया।‘ऐनी राइस’ का जन्म वर्ष 1941 में ‘न्यू ऑरलियन्स’ (अमेरिका) में हुआ
था और उनके कई उपन्यास इसी स्थान पर आधारित हैं।
एक आयरिश कैथोलिक परिवार में
पली-बढ़ीं राइस ने वर्ष 2008 के अपने
संस्मरण- ‘कॉल आउट ऑफ
डार्कनेस: ए स्पिरिचुअल कन्फेशन’ में अपनी उतार-चढ़ाव भरी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में
लिखा। उनका पहला उपन्यास ‘इंटरव्यू विद द
वैम्पायर’ वर्ष 1976 में प्रकाशित
हुआ और उसी वर्ष ‘बेस्टसेलर’ बन गया। इस
उपन्यायस पर हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज और ब्रैड पिट को लेकर एक फिल्मव भी बनाई गई
थी।
उन्होंने बाद में ‘द वैम्पायर
क्रॉनिकल्स’ नामक एक शृंखला
का निर्माण भी किया। इसके अलावा उनके एक अन्यन उपन्यावस ‘क्वीरन ऑफ द
डेम्डा’ पर वर्ष 2002 में भी एक
फिल्मर बनाई गई थी।
महाकवि
सुब्रह्मण्य भारती
11 दिसंबर, 2021 को
उप-राष्ट्रपति ने महान स्वतंत्रता सेनानी और महाकवि सुब्रह्मण्य भारती को उनकी
जयंती पर श्रद्धांजलि दी। माना जाता है कि तमिल कविता और गद्य में भारती के अभिनव
योगदान ने 20वीं सदी में तमिल
साहित्य में पुनर्जागरण को जन्म दिया। उन्होंने अंग्रेज़ी में भी व्यापक स्तर पर
लिखा।
सुब्रमण्यम भारती का जन्म 1882 में सी. सुब्रमण्यम के रूप में ‘एट्टायपुरम’ में हुआ था, जो कि वर्तमान
तमिलनाडु के ‘थूथुकुडी’ में स्थित है।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी से प्राप्त की थी। वह मात्र 11 वर्ष के थे, जब एट्टायपुरम के
तत्कालीन राजा ने उनकी कविता से प्रभावित होकर उन्हें 'भारती' की उपाधि दी थी, जिसका अर्थ है ‘देवी सरस्वती का
आशीर्वाद’।
यद्यपि उनकी
कुछ सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ उनकी मातृभाषा तमिल में हैं, किंतु माना जाता
है कि सुब्रमण्यम भारती को तीन विदेशी भाषाओं सहित 14 भाषाओं में प्रवीणता प्राप्त थी। उन्होंने बाल
विवाह के विरुद्ध चिंता ज़ाहिर की और ब्राह्मणवाद की समाप्ति तथा धार्मिक सुधार की
वकालत की। उन्हें अपने लेखन के कारण ब्रिटिश सरकार की कार्यवाही का सामना करना पड़ा
और अपना अधिकांश जीवन निर्वासन में बिताया।
बाद में वह पांडिचेरी (वर्तमान
पुद्दुचेरी) चले गए, जो कि उस समय
फ्राँसीसी शासन के अधीन था। वहाँ उन्होंने साप्ताहिक पत्रिकाओं का संपादन और
प्रकाशन किया। वर्ष 1921 में 38 वर्ष की अल्प
आयु में उनका निधन हो गया।
‘एम.एम. नरवणे
भारत के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस
स्टाफ’ (CDS) जनरल बिपिन रावत
के निधन के बाद आगामी कुछ समय के लिये सरकार द्वारा अस्थायी रूप से पुरानी
व्यवस्था को पुनः लागू कर दिया गया है और तीनों सेनाओं के बीच समन्वय स्थापित करने
हेतु तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ सेना प्रमुख को ‘चीफ ऑफ स्टाफ
कमेटी’ के अध्यक्ष के
रूप में नियुक्त किया गया है।
पुरानी व्यवस्था के तहत सबसे वरिष्ठ होने के नाते
भारतीय सेना प्रमुख जनरल ‘एम.एम. नरवणे’ ने ‘चीफ ऑफ स्टाफ
कमेटी’ के अध्यक्ष के
रूप में पदभार ग्रहण किया है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की घोषणा 15 अगस्ते, 2019 को की गई थी।
इनका प्रमुख कार्य भारत की जल, थल एवं वायु सेना के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना
व आपस में उनके संपर्क को स्थापित करना होता है। ज्ञात हो कि ‘चीफ ऑफ डिफेंस
स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का भी प्रमुख होता है।
‘लुईस हैमिल्टन’ को ‘नाइटहुड’ की उपाधि
हाल ही में सात
बार फॉर्मूला वन चैंपियन रहे चुके ‘लुईस हैमिल्टन’ को खेल के प्रति उनकी सेवाओं के चलते ‘नाइटहुड’ की उपाधि प्रदान
की गई है। गौरतलब है कि लुईस हैमिल्टन के पास सबसे अधिक रेस जीतने (103) का रिकॉर्ड है, जबकि उन्होंने
कुल सात बार चैंपियनशिप जीत कर विश्व प्रसिद्ध जर्मन रेसर ‘माइकल शूमाकर’ की भी बराबरी कर
ली है।
हैमिल्टन चौथे फॉर्मूला वन ड्राइवर हैं जिन्हें ‘नाइट’ की उपाधि प्रदान
की गई है, उनके अलावा
दिवंगत ऑस्ट्रेलियाई जैक ब्रभम, स्टर्लिंग मॉस और ट्रिपल चैंपियन ‘जैकी स्टीवर्ट’ को भी यह उपाधि
प्रदान की जा चुकी है। नाइटहुड एक ब्रिटिश राजा या रानी द्वारा किसी क्षेत्र
विशिष्ट के भीतर किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त उच्च उपलब्धियों और सेवाओं हेतु दिया
जाने वाला एक पुरस्कार और उपाधि है।
किदाम्बी
श्रीकांत
भारतीय शटलर ‘किदाम्बी
श्रीकांत’ ने हाल ही में ‘बीडब्ल्यूएफ
वर्ल्ड चैंपियनशिप’ में रजत पदक
जीतकर इतिहास रच दिया है। ऐसा करने वाले वह पहले पुरुष भारतीय शटलर बन गए हैं।
फाइनल मैच में उनका मुकाबला सिंगापुर के ‘लोह किन येव’ से हुआ, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वीरा रानी
अब्बक्का
21 दिसंबर, 2021 को ‘वीरा रानी
अब्बक्का उत्सव’ का आयोजन किया
जाएगा।
रानी अब्बक्का, उल्लाल की पहली
तुलुव रानी थीं। उन्होंने 16वीं शताब्दी के
उत्तरार्द्ध में पुर्तगालियों से युद्ध लड़ा था। रानी अब्बक्का, चौटा वंश से
संबद्ध थीं, जिन्होंने तटीय
कर्नाटक (तुलु नाडु) के कुछ हिस्सों पर शासन किया था।
इस राजवंश की राजधानी
पुट्टीगे थी। बंदरगाह शहर- ‘उल्लाल’ उनकी सहायक राजधानी थी। ‘उल्लाल’ को रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता था, जिसके कारण
पुर्तगालियों ने इस पर कब्ज़ा करने के कई प्रयास किये लेकिन रानी ने चार दशकों से
अधिक समय तक उनके हमलों को रोका। उनकी बहादुरी के कारण उन्हें ‘अभय रानी’ के नाम से भी
जाना जाता है।
आर्कबिशप डेसमंड
टूटू
दक्षिण अफ्रीका
में रंगभेद को समाप्त करने में मदद करने वाले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता
आर्कबिशप डेसमंड टूटू का 90 वर्ष की आयु में
निधन हो गया।
वे रंगभेद विरोध के प्रतीक नेल्सन मंडेला के समकालीन थे। उन्होंने
वर्ष 1948 से वर्ष 1991 तक दक्षिण
अफ्रीका में अश्वेत बहुमत के खिलाफ श्वेत अल्पसंख्यक सरकार द्वारा लागू नस्लीय
भेदभाव की नीति को समाप्त करने के आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्हें वर्ष 1984 में नोबेल शांति
पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री ने आर्कबिश्पक डेसमंड टूटू
के निधन पर शोक व्ययक्तर किया है। आर्कबिशप विश्वआ भर में असंख्यस लोगों के लिये
मार्गदर्शक थे, उन्होंीने मानवीय
गरिमा और समानता के लिये जो कार्य किये वे सदैव याद रखे जाएंगे।
मैग्नस कार्लसन
नॉर्वे के शतरंज
मास्टर्स मैग्नस कार्लसन ने फिडे विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया है। उन्होंने
रूस के इयान नेपोमनियाच्ची को 7.5-3.5 से हराकर खिताब पर कब्जान किया। कार्लसन का यह पाँचवाँ
वैश्विक खिताब है।
उन्होंने सात अंकों के लक्ष्यन को पार करने के लिये ज़रूरी एक
अंक हासिल कर नेपोमनियाच्ची को पराजित किया। 14 गेम की इस शृंखला की 11वीं बाजी कार्लसन ने तीन घंटे और 20 मिनट में जीती।
कार्लसन ने एक के बाद एक कई गेम के ड्रॉ होने के बाद नेपोमनियाच्ची की गलती का
फायदा उठाते हुए रोमांचक जीत दर्ज की। पहले पाँच दौर ड्रॉ पर छूटे, जबकि आठ घंटे तक
चले छठे दौर का मुकाबला कार्लसन ने जीता। उन्होंने 136 चाल के बाद जीत दर्ज की जो विश्व चैंपियनशिप
के इतिहास की सबसे लंबी बाजी रही।
हरभजन सिंह
भारतीय ऑफ स्पिनर
‘हरभजन सिंह’ ने हाल ही में
क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने की घोषणा की है।
पंजाब के 41 वर्षीय क्रिकेटर
हरभजन सिंह ने अपने शानदार क्रिकेट कॅरियर में 103 टेस्ट में 417 विकेट, 236 एक दिवसीय मैचों में 269 विकेट और 28 टी20 मैचों में 25 विकेट लिये हैं।
‘इंडियन प्रीमियर
लीग’ (IPL) में मुंबई
इंडियंस, चेन्नई सुपर
किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के लिये 13 सीज़न के 163 मैचों में 150 विकेट लिये हैं।
वर्ष 1998 में शारजाह (संयुक्त अरब अमीरात) में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ
एक दिवसीय मैच के दौरान अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत करने वाले हरभजन ने
आखिरी बार मार्च, 2016 में ढाका में
संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ एक टी20 के दौरान देश के लिये खेला था। हरभजन वर्ष 2007 टी20 विश्व कप और
वर्ष 2011 वनडे विश्व कप
विजेता टीम का भी हिस्सा रहे हैं।
विक्रम मिश्री
चीन संबंधी
विषयों के विशेषज्ञ और बीजिंग में पूर्व भारतीय राजदूत ‘विक्रम मिश्री’ को हाल ही में ‘राष्ट्रीय
सुरक्षा परिषद सचिवालय’ में ‘उप-राष्ट्रीय
सुरक्षा सलाहकार’ नियुक्त किया गया
है।
वर्ष 1989 बैच के आईपीएस
अधिकारी ‘विक्रम मिश्री’, पंकज सरन का
स्थान लेंगे। बतौर ‘उप-राष्ट्रीय
सुरक्षा सलाहकार’विक्रम मिश्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को
रिपोर्ट करेंगे।
चीन में भारत के राजदूत के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान विक्रम
मिश्री ने ‘वास्तविक
नियंत्रण रेखा’ (LAC) पर चीन की सेना
के साथ चल रहे तनाव पर बीजिंग में आधिकारिक बैठकों का नेतृत्त्व किया था। विक्रम
मिश्री का जन्म श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में
हुआ था और नवंबर 2018 में उन्हें चीन
में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था।
इसके अलावा वर्ष 2012 में उन्हें
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निजी सचिव नियुक्त किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के कार्यकाल में भी वे कार्यरत रहे।
Post a Comment