सावित्रीबाई फुले जयंती 2024 : सावित्रीबाई फुले के बारे में जानकारी
सावित्रीबाई फुले जयंती 2024 : सावित्रीबाई फुले के बारे में जानकारी
जन्म -3 जनवरी 1831
मृत्यु -10 मार्च1897
पिता का नाम खण्डोजी नेवसे
माता का नाम लक्ष्मीबाई
पति का नाम ज्योतिराव फुले
3 जनवरी 1831 को सावित्रीबाई
फुले का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था एवं उनके पिता का नाम खण्डोजी नेवसे और माता
का नाम लक्ष्मीबाई था।
मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही इनका विवाह ज्योतिराव
फुले के साथ हो गया जो कि एक विख्यात विचारक, समाजसेवी लेखक और
दार्शनिक थे।
उन्नीसवीं सदी के
दौर में भारतीय महिलाओं की स्थिति बड़ी ही दयनीय थीं। जहां एक ओर महिलाएं
पुरुषवादी वर्चस्व की मार झेल रही थीं, तो दूसरी ओर समाज
की रूढ़िवादी सोच के कारण तरह-तरह की यातनाएं व अत्याचार सहने को विवश थीं। ऐसे
विकट समय में सावित्रीबाई फुले ने समाज सुधारक बनकर महिलाओं को सामाजिक शोषण से
मुक्त करने व उनके समान शिक्षा व अवसरों के लिए पुरजोर प्रयास किया।
सावित्रीबाई फुले
ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले।
वर्ष 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले
बालिका स्कूल की स्थापना सावित्रीबाई फुले ने की थी। सावित्रीबाई फुले मात्र इन
स्कूलों में केवल पढ़ाती नहीं थी बल्कि लड़कियां स्कूलों को ना छोड़े इसके लिए वह
मदद भी प्रदान करती थी। गौरतलब है कि सावित्रीबाई फुले को प्रथम शिक्षिका होने का
श्रेय भी जाता है।
बिना पुरोहितों
के शादी एवं दहेज प्रथा को हतोत्साहित करने के साथ अंतर्जातीय विवाह करवाने हेतु
उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
विधवा महिलाओं को
सहारा देने के लिए उन्होंने पुणे में महिला सेवा मंडल की स्थापना की।
समाज में नई
जागृति लाने के लिए कवयित्री के रूप में सावित्रीबाई फुले ने 2 काव्य पुस्तकें ''काव्य फुले'', ''बावनकशी सुबोधरत्नाकर'' भी लिखीं।
महाराष्ट्र में
प्लेग फैल जाने के उपरांत उन्होंने पुणे में अपने पुत्र के साथ मिलकर 1897 में एक अस्पताल खोला जिससे प्लेग पीड़ितों का
इलाज किया जा सके। हालांकि मरीजों की सेवा करते हुए वह स्वयं प्लेग से पीड़ित हो
गई और 10 मार्च1897 को इस दुनिया को
सदा के लिए अलविदा कह दिया।
सावित्रीबाई फुले साक्षिप्त जीवन पररिचय
03 जनवरी, 2021 को प्रख्यात
समाजसेवी और भारत में महिला शिक्षा की प्रबल समर्थक सावित्रीबाई फुले को देश भर
में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र
स्थित नायगाँव (सतारा ज़िला) में हुआ था और उन्हें भारत की प्रारंभिक आधुनिक
नारीवादियों में से एक माना जाता है।
वर्ष 2022 में सावित्रीबाई फुले की 191वीं जयंती है और महाराष्ट्र में इस दिवस को ‘बालिका दिवस’ के रूप में मनाया
जाता है। वर्ष 1848 में उन्होंने देश
में लड़कियों के लिये पुणे के भिडेवाडा में पहला विद्यालय शुरू किया था। महिला
शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने के उनके प्रयासों के कारण उन्हें पुरुष प्रधान
समाज से बहिष्कार और अपमान का सामना करना पड़ा। मात्र 9 वर्ष की उम्र में
सामाजिक कार्यकर्त्ता और समाज सुधारक, ज्योतिराव फुले के साथ उनका बाल विवाह कर दिया गया, और महिला शिक्षा
को बढ़ावा देने की दिशा में सावित्रीबाई फुले के संघर्ष में ज्योतिराव फुले ने उनका
पूरा समर्थन किया तथा उन्हीं की सहायता से सावित्रीबाई फुले पढ़ना और लिखना सीख
सकीं। उस समय लड़कियों को पढ़ाना एक कट्टरपंथी विचार माना जाता था। जब वह स्कूल
जाती थीं तो लोग अक्सर उन पर गोबर और पत्थर फेंकते थे लेकिन फिर भी वह अपने
कर्त्तव्य पथ से विमुख नहीं हुईं। वह एक कवयित्री भी थीं, उन्हें आधुनिक
मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 10 मार्च, 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।
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