राष्ट्रीय ध्वज परिमाण (Size) राष्ट्रीय ध्वजारोहण के निर्देश । Dimensions Guidelines of the National Flag
राष्ट्रीय ध्वज के परिमाण राष्ट्रीय ध्वजारोहण के निर्देश
Dimensions Guidelines of the National Flag
राष्ट्रीय
ध्वज के परिमाण (Dimensions
of the National Flag )
राष्ट्रीय
ध्वज (National Flag) किसे कहते हैं ?
- राष्ट्रीय ध्वज एक क्षैतिज तीन रंगों का ध्वज है जिसमें सबसे ऊपर केसरी, मध्यम में श्वेत तथा नीचे हरे रंग की समान चौड़ाई की पट्टियां जुड़ी हुई हैं। ध्वज की लम्बाई और चौड़ाई में 3:2 का अनुपात है। मध्य की श्वेत पट्टी पर नीले रंग का चक्र बना है तो सारनाथ के अशोक स्तम्भ के शीर्ष फलक (abacus) से लिया गया है। इसका व्यास (diameter) लगभग श्वेत पट्टिका की चौड़ाई के बराबर है तथा इसमें 24 तीलिया हैं।
- इसका यह रूप संविधान सभा में 24 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया था और इसका प्रयोग तथा प्रदर्शन ध्वज संहिता के अनुसार ही किया जा सकता है। सरकार ने 2002 में (Flag code of India) कानून बनाया, जो 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया। इस कानून में सरकार ने ध्वजारोहण के नये नियमों के निर्देश दिये। इस नये नियम के अनुसार साधारण जनता, निजी संस्थाएँ, शैक्षिक संस्थाएँ आदि ध्वजारोहण कर सकती हैं।
भारतीय राष्ट्र तिरंगे का डिज़ाइन:
- भारतीय राष्ट्र तिरंगे के डिज़ाइन का श्रेय काफी हद तक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को दिया जाता है।
- उन्होंने दो प्रमुख समुदायों, हिंदू और मुस्लिमों के प्रतीक के रूप में दो रंग की पट्टियों/बैंड (लाल और हरे रंग) को मिलाकर झंडे की एक मूल संरचना प्रस्तुत की।
- महात्मा गांधी द्वारा शांति एवं भारत में रहने वाले बाकी समुदायों तथा देश की प्रगति के प्रतीक के रूप में चरखा का प्रतिनिधित्व करने के लिये इस ध्वज़ में एक सफेद बैंड को जोड़ने का सुझाव दिया गया।
- वर्ष 1963 में पिंगली वेंकैया का निधन हो गया तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिये वर्ष 2009 में मरणोपरांत उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया। वर्ष 2014 में, उनका नाम भारत रत्न के लिये भी प्रस्तावित किया गया था।
राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास:
- वर्ष 1906: भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज संभवतः 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था।
- इस ध्वज में लाल, पीले एवं हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ शामिल थीं, जिनके मध्य में ‘वंदे मातरम’ लिखा हुआ था। झंडे पर लाल रंग की पट्टी में सूर्य और अर्द्धचंद्र का प्रतीक था और हरे रंग की पट्टी में आठ आधे खुले कमल थे।
- वर्ष 1907: मैडम भीकाजी कामा और निर्वासित क्रांतिकारियों के समूह द्वारा वर्ष 1907 में जर्मनी में भारतीय ध्वज फहराया गया जो विदेशी भूमि में फहराया जाने वाला पहला भारतीय ध्वज था।
- वर्ष 1917: डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा होम रूल आंदोलन के दौरान एक नए झंडे को अपनाया गया। यह पाँच वैकल्पिक लाल रंग एवं चार हरी क्षैतिज पट्टियों में मिलकर बना था जिसमें सप्तऋषि विन्यास में सात सितारे थे। इस संयुक्त ध्वज में एक सफेद एवं अर्द्धचंद्राकार तारा ध्वज़ के शीर्ष कोने पर विद्यमान था।
- वर्ष 1931: कॉन्ग्रेस समिति की कराची में बैठक में तिरंगे को (पिंगली वेंकैया द्वारा प्रस्तावित) भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। ध्वज के लाल रंग को केसरी रंग से बदल दिया गया एवं रंगों का क्रम बदला गया। इस ध्वज की कोई धार्मिक व्याख्या नहीं की गई थी।
- ध्वज के शीर्ष पर स्थित केसरी रंग ‘ताकत और साहस’ का प्रतीक है, मध्य में सफेद रंग ‘शांति और सच्चाई’ का प्रतिनिधित्व करता है एवं ध्वज के नीचे स्थित हरा रंग ‘भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता’ का प्रतीक है।
- ध्वज में विद्यमान चरखे को 24 तीलियों से युक्त अशोक चक्र द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि ’ गति में जीवन है और स्थायित्त्व में मृत्यु है’।.
- राष्ट्रीय ध्वज आयताकार आकर में होना चाहिये जिसकी लंबाई एवं चौड़ाई क्रमश 3:2 के अनुपात में हो।
राष्ट्रीय ध्वज वैधानिक
एवं कानूनी पक्ष:
- संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के प्रस्ताव को अपनाया गया ।
- इस प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘भारत का राष्ट्रीय ध्वज गहरे केसरिया (केसरी), समान अनुपात में सफेद और गहरा हरे रंग का तिरंगा होगा’ सफेद पट्टी में गहरे नील रंग का चक्र (चरखे द्वारा प्रतिस्थापित) है , जो अशोक की सारनाथ स्थित राजधानी के सिंह स्तंभ पर उपस्थित है।
- संविधान सभा की समितियों में से एक, राष्ट्रीय ध्वज पर गठित तदर्थ समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
- संविधान का भाग IV-A (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-A शामिल है) ग्यारह मौलिक कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है। अनुच्छेद 51 ए (ए) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।
- एक व्यक्ति जो राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत वर्णित निम्नलिखित अपराधों के लिये दोषी पाया जाता है, उसे 6 वर्ष तक के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनावों में लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है। इन अपराधों में शामिल है-
- राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना।
- भारत के संविधान का अपमान करना।
- राष्ट्रगान गाने से रोकना।
राष्ट्रीय ध्वजारोहण के निर्देश (Guidelines About Hoisting the Natjional Flag)
1. राष्ट्रीय ध्वज कहीं भी फहराया जाये, उसको सम्माननीय स्थान देना चाहिए।
2. कटा फटा और अस्त-व्यस्त ध्वज को कभी नहीं फहराना चाहिए।
3. राष्ट्रीय ध्वज को जानबूझकर न तो उल्टा फहराना चाहिए, न तो धरती और फर्श को छूना चाहिए और न ही पानी को छूना चाहिए।
4. किसी भी व्यक्ति के सम्मान में ध्वज को नीचे नहीं करना चाहिए।
5. किसी भी प्रकार के कपड़ों में तथा किसी वस्तु को लाने व देने में राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
6. अपने लाभ के उद्देश्य से राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
7. खेल और सांस्कृतिक आयोजनों में प्रयोग में लाये गये। कागजी ध्वज को आयोजन के पश्चात् फाड़ना तथा जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए। (As Issued by Ministry of Home Affairs Government of India)
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