मध्य प्रदेश कला एवं संस्कृति -मध्यप्रदेश के लोकनृत्य । Folk Dance of MP
मध्य प्रदेश कला एवं संस्कृति -मध्यप्रदेश के लोकनृत्य
मध्यप्रदेश के लोकनृत्य Folk Dance of MP
- भारत के किसी अन्य हिस्से की तरह मध्य प्रदेश भी देवी-देवताओं के समक्ष किए जाने वाले और विभिन्न अनुष्ठानों से संबंधित लोक नृत्यों द्वारा अपनी संस्कृति का एक परिपूर्ण दृश्य प्रदान करता है। लंबे समय से सभी पारंपरिक नृत्य, आस्था की एक पवित्र अभिव्यक्ति रहे हैं। मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग और मध्य प्रदेश की आदिवासी लोककला अकादमी द्वारा खजुराहो में आयोजित 'लोकरंजन' एक वार्षिक नृत्य महोत्सव है, जो मध्य प्रदेश और भारत के अन्य भागों के लोकप्रिय लोक नृत्य और आदिवासी नृत्यों को पेश करने के लिए बेहतरीन मंच है।
'रे' नृत्य
- बघेलखंड का 'रे' नृत्य, ढोलक और नगाड़े जैसे संगीत वाद्य यंत्र की संगत के साथ महिला के वेश में पुरुष पेश करते हैं। वैश्य समुदाय में, विशेष रूप से बच्चे के जन्म के अवसर पर बघेलखंड के अहीर समुदाय की महिलाएं यह नृत्य करती हैं। इस नृत्य में अपने पारंपरिक पोशाक और गहनों को पहन नर्तकियां शुभ अवसर की भावना व्यक्त करती हैं।
मटकी नृत्य
- 'मटकी' मालवा का एक सामुदायिक नृत्य है, जिसे महिलाएं विभिन्न अवसरों पर पेश करती हैं। इस नृत्य में नर्तकियां ढोल की ताल पर नृत्य करती हैं, इस ढोल को स्थानीय स्तर पर 'मटकी' कहा जाता है। स्थानीय स्तर पर झेला कहलाने वाली अकेली महिला, इसे शुरू करती हैं, जिसमें नर्तकियां अपने पारंपरिक मालवी कपड़े पहने और चेहरे पर घूंघट डाले शामिल हो जाती हैं ।
गणगौर नृत्य
- यह नृत्य मुख्य रूप से गणगौर त्यौहार के 9 दिनों के दौरान किया जाता है। इस त्यौहार के अनुष्ठानों के साथ कई नृत्य और गीत जुड़े हुए हैं। यह नृत्य, निमाड़ क्षेत्र में गणगौर के अवसर पर उनके देवता राणुबाई धनियार सूर्यदेवता के सम्मान में की जाने वाली भक्ति का एक रूप है।
बधाई नृत्य
- बुन्देलखंड क्षेत्र में जन्म, विवाह, और त्यौहारों के अवसरों पर 'बधाई' लोकप्रिय है। इसमें संगीत वाद्य यंत्र की धुनों पर पुरुष और महिलाएं सभी जोर-शोर से नृत्य करते हैं। नर्तकों की कोमल और कलाबाज हरकतें और उनकी रंगीन पोशाक दर्शकों को चकित कर देते हैं ।
बड़ी नृत्य
- दिवाली के त्यौहार से पूर्णिमा के दिन तक की अवधि के दौरान बरेडी नृत्य किया जाता है। मध्य प्रदेश के इस सबसे आश्चर्यजनक नृत्य प्रदर्शन में, एक पुरुष कलाकार की प्रमुखता में, रंगीन कपड़े पहने 8-10 युवा पुरुषों का एक समूह नृत्य करता है। आमतौर पर, 'दीवारी' नामक दो पंक्तियों की भक्ति कविता से इस नृत्य प्रदर्शन की शुरुआत होती है।
नौराता नृत्य
- मध्य प्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र में अविवाहित लड़कियों के लिए इस नृत्य का विशेष महत्व है। नौराता नृत्य के जरिए अविवाहित लड़कियां एक अच्छे पति और वैवाहिक आनंद की मांग करते हुए भगवान का आह्वान करती हैं। नवरात्रि उत्सव के दौरान 9 दिन घर के बाहर चूने और विभिन्न रंगों से नौराता की रंगोली बनाई जाती है।
अहिराई नृत्य
- भरम, सेटम, सैला और अहिराई, मध्य प्रदेश की 'भरिया' जनजाति के प्रमुख पारंपरिक नृत्य हैं। भरिया जनजाति का सबसे लोकप्रिय नृत्य, विवाह के अवसर पर किया जाता है। इस समूह नृत्य प्रदर्शन के लिए ढोल और टिमकी (पीतल धातु की थाली की एक जोड़ी) इन दो संगीत उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है।
डांडरियां नृत्य
- विलक्षण लय वाले दशहरा और डांडरियां नृत्य के माध्यम से मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी जनजाति की सांस्कृतिक पहचान होती है। बैगा के पारंपरिक लोकगीतों और नृत्य के साथ दशहरा त्यौहार की उल्लासभरी शुरुआत होती है। दशहरा त्यौहार के अवसर पर बैगा समुदाय के विवाह योग्य पुरुष एक गांव से दूसरे गांव जाते हैं, जहां दूसरे गांव की युवा लड़कियां अपने गायन और डांडरिया नृत्य के •साथ उनका परंपरागत तरीके से स्वागत करती हैं।
- यह एक दिलचस्प रिवाज है, जिसमें बैगा लड़की अपनी पसंद के युवा पुरुष का चयन कर उससे शादी की अनुमति देती है। परधौनी, बैगा समुदाय का एक और लोकप्रिय नृत्य है। कर्मा और सैली (गौंड) भगोरिया (भिल), लेहंगी (सहारिया) और थाप्सी (कोरकू) यह कुछ अन्य जाने-माने आदिवासी नृत्य हैं।
विलमा नृत्य -
- बैगा जनजाति में प्रेम प्रसंग पर आधारित है।
रीना नृत्य
- बैगा तथा गोंड स्त्रियों द्वारा दीपावली के बाद किया जाने वाला नृत्य है। बघेलखंड में खुसिया के अवसर पर कोलकहार समूह के लोगों द्वारा किया जाता है।
दादर नृत्य
चटकोरा नृत्य -कोरकू आदिवासियों का नृत्य है।
सैला नृत्य
- सैला नृत्य गणगौर के उत्सव पर किया जाता है। यह गुजरात में होने वाले डांडिया नृत्य से मिलता है।
रावला नृत्य
- यह एक संस्कारपरक नृत्य है, जो बुन्देलखंड में स्थानीय जातियों द्वारा किया जाता है। विवाह के अवसर पर बैगा आदिवासियों द्वारा बत की अगवानी के समय किया जाता है।
लहंगी नृत्य
- कंजर, बंजारों एवं सहरिया लोगों का नृत्य।
गोचो नृत्य -गोंडों द्वारा किया जाता है।
कानड़ा नृत्य -बुन्देलखंड में धोबी जाति द्वारा किया जाता है।
कर्मा-
सुवा नृत्य - बैगा जनजाति द्वारा किया जाता है।
बरेदी नृत्य-
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