सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लाक की स्थापना । Forward Block Formation By Subhash Chandra Boss
सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लाक की स्थापना Forward Block Formation By Subhash Chandra Boss
सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लाक की स्थापना
- 1 मई 1939 को बोस महोदय ने कांग्रेस के भीतर ही एक नए गुट का गठन किया जिसे फारवर्ड ब्लाक (Forward Block) की संज्ञा दी। इसका उद्देश्य था कि कांग्रेस को लोकतंत्रवादी तथा आमूल परिवर्तनशील (Demoralization and Zadicalization) बनाया जा सके तथा उसका पूनर्विन्यास किया जा सके, ताकि वह जनता की स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा को प्रकट कर सके।
- तुरन्त ही कांग्रेस के दक्षिण पन्थी तथा गांधीवादी लोगों ने प्रतिक्रिया के रूप में बोस को बंगाल प्रान्तीय | कांग्रेस समिति की अध्यक्षता से हटा दिया और उन्हें आने वाले तीन वर्ष तक किसी भी निर्वाचित पद पर बने रहने के अयोग्य घोषित कर दिया।
- 3 सितम्बर 1939 को इंग्लैण्ड और फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। गवर्नर जनरल द्वारा की गई घोषणा के अनुसार भारत को भी इस साम्राज्यीय युद्ध में धकेल दिया गया। सातों प्रान्तों की कांग्रेसी सरकारों ने उन्हें न पूछे जाने की औपचारिकता की भी पूर्णतया अनदेखी करने पर, त्याग पत्र दे दिए। गांधी जी की प्रतिक्रिया बड़ी अनोखी थी। उन्होंने कहा कि मैं युद्ध के समय में अंग्रेजी सरकार को उलझन में डालना (embarase) पसन्द नहीं करूंगा। यह कह कर चुप्पी साध ली।
- बोस ने फारवर्ड ब्लाक को सक्रिय किया तथा जून 1940 में इसकी एक सभा नागपुर में हुई। फारवर्ड ब्लाक ने एक प्रस्ताव द्वारा अंग्रेज़ सरकार से मांग की कि तुरन्त भारत में एक अन्तरिम सरकार बनाई जाए जुलाई 1940 में बंगाल सरकार ने हॉलवैल विरोधी आन्दोलन के सम्बन्ध में बोस को बन्दी बना लिया बोस ने जेल में भूख हड़ताल कर दी। उन्हें तुरन्त छोड़ दिया गया।
- परन्तु बाहर आने पर उन्हें अपने एल्गिन रोड वाले घर में नजरबन्द (House arrest) कर दिया गया पुलिस की कड़ी निगरानी बिठा दी गई।
बोस का पुलिस निगरानी में से भागना
- बोस का पुलिस निगरानी में से भागना इस कड़ी निगरानी में से वह कब और कैसे लापता ह गए। यह कोई निश्चित रूप से नहीं कह सकता। कहा यह जाता है कि वह पठान के रूप में कलकत्ता से पेशाय के रास्ते अफ़गानिस्तान होते हुए रूस चले गए।
- जून 1941 में जर्मनी ने रूस पर आक्रमण कर दिया। रूस क अब अंग्रेजी सहायता की आवश्यकता पड़ी तो बोस महोदय जर्मनी चले गए। जनवरी 1942 से उन्होंने बर्लि रेडियो से अंग्रेज़ विरोधी प्रचार का प्रसार करना आरम्भ कर दिया जिसका भारत में अत्यधिक जोश से स्वागत किया गया।
- साधारण सी बात है कि शत्रु का शत्रु मित्र है और बोस इस पर आचरण कर रहे थे दूसरे शब्दों में चूंकि हिट्लर और मसलिनी (उनकी विचार धारा कुछ भी रही हो) साम्राज्यवादी अंग्रेज़ के शत्रु थे अतएव वे भारत के मित्र थे और भारत से अंग्रेज़ी साम्राज्य समाप्त करने में सहायता दे सकते थे। बोस ने यह सोचा कि अंग्रेज़ को कठिनाई भारत के लिए सुअवसर है।
सुभाष चन्द्र बोस का बर्लिन रेडियो से प्रसारण में 1 मार्च 1943 को कहा था-
- "इस समय वे लोग जो अंग्रेज़ी साम्राज्य को समाप्त करना चाहते हैं; वे स्वतंत्रता प्राप्त करने में हमारी सहायता कर रहे हैं और इसी लिए वे हमारे सहायक और मित्र हैं। वे लोग जो इस साम्राज्य को बचाना चाहते हैं वे केवल हमारी दासता को बनाए रखना चाहते हैं। परन्तु यदि हम इस सैद्धान्तिक प्रस्ताव (Theoretical proposition) को छोड़ भी दें तो जो मेरा अनुभव है और जो मैंने अपने हिटलर तथा मसोलिनी के साक्षात्कार से जाना है, उससे मुझे विश्वास हो गया है कि अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद के विरुद्ध इस युद्ध में भारत से बाहर के हमारे सबसे उत्तम सहायक तथा मित्र हैं।
- विजय निश्चित है। समय हमारे लिए कार्य कर रहा है। हमारे विदेशी सहायक हमें सहायता देने को तैयार हैं। इससे अधिक आप क्या चाहते हैं। विश्वास रखो कि भारत स्वतंत्र होगा और वह भी शीघ्र ही। ब्रिटिश साम्राज्यवाद का पतन हो । स्वतंत्र भारत अमर रहे। क्रान्ति अमर रहे।'
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय
सुभाष चन्द्र बोस का आरम्भिक जीवन
सुभाष चन्द्र बोसऔर महात्मा गांधी
सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लाक की स्थापना
आजाद हिन्द फौज का गठन (आई. एन. ए.)
आज़ाद हिन्द फौज अर्थात् इण्डियन नेशनल आर्मी (आईएनए INA) की स्थापना
आजाद हिन्दी सेना (आईएनए) का भारत मुक्ति अभियान एवं मुकदमा
Post a Comment