भारतीय तटरक्षक बल का इतिहास स्थापना उद्देश्य आदर्श वाक्य एवं तटरक्षक ध्वज ।Indian coast guard History Flag in Hindi
भारतीय तटरक्षक बल का इतिहास स्थापना उद्देश्य आदर्श वाक्य एवं तटरक्षक ध्वज
भारतीय तटरक्षक बल का उद्देश्य
- देश के समुद्र तथा तेल, मत्सय एवं खनिज सहित अपतटीय संपत्ति की सुरक्षा
- संकटग्रस्त नाविकों की सहायता तथा समुद्र में जान माल की सुरक्षा
- समुद्र, पोत-परिवहन, अनाधिकृत मछ्ली शिकार, तस्करी और स्वापक से संबंधित समुद्री विधियों का प्रवर्तन
- समुद्री पर्यावरण और पारिस्थितिकी का परिरक्षण तथा दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा
- वैज्ञानिक आंकडे एकत्र करना तथा युद्ध के दौरान नौसेना की सहायता करने सहित हमारे समुद्र तथा अपतटीय परिसम्पत्तियों का संरक्षण करना।
भारतीय तटरक्षक बल का आदर्श वाक्य
" वयम रक्षामः" - हम रक्षा करते हैं
भारतीय तटरक्षक का प्रतीक
- भारतीय तटरक्षक का प्रतीक एक राज्य चिन्ह है जो सम्राट अशोक (273-232 ई.पू.) द्वारा स्थापित सारनाथ स्तंभ का रूपांतरण है ।
- मूल आकृति में, पृष्ठतः चार खड़े सिंह हैं तथा कंठ, चक्र द्वारा चार भागों में विभक्त है जिसमें दौड़ता हुआ घोड़ा, बैल, हाथी तथा सिंह की आकृतियों की नक्काशी की गई है । सूर्य का प्रतीक एवं समय का द्योतक चक्र, के अंदर सिंह शीर्ष स्थित है ।
- सफेद, तरणक्षम जीवन रक्षा उपकरण के साथ अशोक शीर्ष है जिसकी परिधि में देवनागरी लिपि में "भारतीय तटरक्षक" अंकित है ।
- दो लंगर, समुद्री क्षेत्र में राष्ट्र-हित के रक्षा का दृढ़ संकल्प प्रदर्शित करते हैं ।
- तरणक्षम जीवन रक्षा उपकरण एवं शीर्ष पर हेलीकॉप्टर का रोटर वायुशक्ति के साथ समुद्री सेवा का प्रदर्शित करता है, नीचे नक्काशी में संस्कृत में "वयम् रक्षामः" जिसका अभिप्राय "हम रक्षा करते हैं", अंकित है ।
भारतीय तटरक्षक का ध्वज
- तटरक्षक ध्वज का नीला रंग पोत की सरकारी सेवा को दर्शाता है । तटरक्षक ध्वज के शीर्ष के बाएं हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज है तथा ध्वज के फहरने वाले हिस्से में तटरक्षक चिन्ह है । तटरक्षक ध्वज को मुंबई में 19 अगस्त 1978 को भारतीय तटरक्षक के उद्घाटन समारोह में पहली बार फहराया गया ।
भारतीय तटरक्षक बल का इतिहास
स्थापना (1977-78)
- भारतीय नौसेना,1960 से ही भारतीय जलीय क्षेत्र में समुद्री कानून को लागू करने तथा उपक्रमों की सुरक्षा एवं संरक्षा का दायित्व निर्वहन करने हेतु एक सहायक संगठन की स्थापना का अनुरोध करती आ रही थी ।
- इन कामों के लिए आधुनिक एवं उच्च क्षमता वाले नौसेना के यु्द्धपोतों एवं उपक्रमों की तैनाती स्पष्ट रूप से किफायती विकल्प नहीं था । भारत सरकार ने यथासमय नौसेना के इस तर्क को स्वीकार कर लिया ।
1970 के प्रारंभ में तटरक्षक संगठन की शीघ्र स्थापना में अपना योगदान देने वाले तीन और कारक थे-
समुद्रीय तस्करी
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचाने वाली समुद्रीय तस्करी अपने चरम पर थी ।
- तत्समय सीमा शुल्कं एवं मात्स्यिकी विभाग जैसी एजेंसियों के पास इतनी सामर्थ्य नहीं थी कि वह वृहद् रूप से फैली तस्करी तथा भारतीय जल में अवैध रूप से प्रवेश करने वाली नौकाओं की गतिविधियों को रोक सकें ।
- इस पृष्ठभूमि में तस्करी के बढ़ती हुई इस समस्या से निपटने के लिए सन् 1970 में नाग कमेटी की स्थापना की गई । समिति ने अपनी सिफारिश में तश्करी की गतिविधियों से निजात पाने के लिए एक अलग से समुद्री बल की आवश्यकता पर जोर दिया ।
समुद्री कानून पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते
- 1972 में समुद्री कानून पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अनुसार सभी तटीय देशों को अनन्य आर्थिक क्षेत्र प्रदान किया गया । तत्पश्चात् विस्तृत रूप से फैले हुए अनन्य आर्थिक क्षेत्र पर अपना सार्वभौमिक अधिकार का दावा करते हुए भारत की संघीय सरकार ने भारतीय समुद्री क्षेत्र अधिनियम 1976 का निर्माण किया ।
- भारत ने एक बार में 2.01 मिलियन वर्ग किमी समुद्री क्षेत्र पर सभी जैविक व गैर-जैविक संसाधनों का व्यापक संदोहन करने के लिए अधिकार ग्रहण किया । इस विस्तृत क्षेत्र की सुरक्षा की आवश्यकता महसूस की गई ।
मुंबई (बाम्बे) हाई में तेल की खोज
- मुंबई (बाम्बे) हाई में तेल की खोज के फलस्वरूप अपतटीय क्षेत्र में बहुमूल्य संयंत्र खड़े किए गये । जिसकी सुरक्षा अनिवार्य हो गई । भारत की महत्वपू्र्ण औद्योगिक क्षेत्रों एवं आर्थिक हितों की सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन के उपायों की आवश्यकता महसूस की गई ।
1974 में श्री के एफ रुस्तम जी अध्यक्षता में समिति का गठन
- सरकार ने सितंबर 1974 में श्री के एफ रुस्तम जी (भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल),भारतीय पुलिस सेवा, की अध्यक्षता में एक समिति की नियुक्ति की ।
- समिति का कार्य तस्करी एवं अवैध समुद्री गतिविधियों की रोकथाम में व्याप्त वर्तमान प्रणाली की कमियों को उजागर करने तथा भारत की समुद्री संसाधनों की सुरक्षा हेतु उपायों को सुझाने का था ।
- समिति ने सन् 1975 में को अपनी रिपोर्ट के द्वारा शांति काल के दौरान समुद्री क्षेत्र की देखभाल एवं सुरक्षा के लिए तटरक्षक जैसे संगठन की स्थापना हेतु जोरदार सिफारिश की ।
भारतीय तटरक्षक का जन्म (उदय)
- 1977 में संघीय मंत्रिमंडल ने भारतीय नौसेना से स्थानांतरित दो पोतों एवं पांच गश्ती नौकाओं के साथ तटरक्षक के स्थापना की स्वीकृति प्रदान की । इस प्रकार 01 फरवरी 1978 को भारत के जलीय एवं अनन्य आर्थिक क्षेत्र की निगरानी हेतु मात्र सात पोतों के बेड़े के साथ भारतीय तटरक्षक का आविर्भाव हुआ ।
- 19 अगस्त 1978 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, श्री मोरारजी देसाई ने औपचारिक रूप से भारतीय तटरक्षक का उद्घाटन किया
भारतीय तटरक्षक पोत कुठार
- सन् 1978 में भारतीय नौसेना ने पहली भारतीय तटरक्षक पोत भा.त.र. कुठार (पेनेंट संख्या 31) को भारतीय तटरक्षक में स्थानांतरित किया । कमांडर एम एस अचरेजा पोत के पहले कमान अधिकारी थे, जो बाद में महानिरीक्षक एम एस अचरेजा, पीटीएम, टीएम, उपमहानिदेशक के रूप में अगस्त 1997 में सेवानिवृत्त हुए ।
- प्रधानमंत्री एवं रक्षामंत्री, आई एन एस कुठार से नौसेना ध्वज उतारने एवं तटरक्षक ध्वज के आरोहण के समारोह में उपस्थित थे । इस समारोह द्वारा पोत का पुन: नामकरण भा.त.र. पोत कुठार के रूप में हो गया ।
भारतीय तटरक्षक
की स्थापना- 19 अगस्त 1978
- माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार श्री मोरारजी देसाई द्वारा नौ सेना डोकयार्ड मुंबई (1978) का उद्घाटन एवं प्रथम महानिदेशक वाइस एडमिरल ए वी कामथ उनके साथ जाते हुए । तत्कालीन रक्षा मंत्री भारत सरकार श्री जगजीवन राम एवं नौसेना प्रमुख जल चुरसेत जी, पीवीएसएम ने भी उद्घाटन समारोह में शिरकत की ।
- तटरक्षक के बलस्तर को मजबूत करने के लिए नौ सेना की दो सिवार्ड डिफेंस वोट्स जो मैसर्स गार्डेन रीच, शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कलकत्ता (अब कोलकाता) में बनकर तैयार होने वाली थी, को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया । इनकी संगठन में कमीशनिंग दिसंबर 1980 एवं नवंबर 1981 में की गई थी ।
भारतीय तटरक्षक बल अन्य बातें
- 22 मई 1982 को प्रथम चेतक स्कवाड्रन 800 का उद्घाटन ।
- चेतक हेलीकॉप्टर को 1982 में भारतीय तटरक्षक में शामिल किया गया । सुरक्षित वायुयान होने के कारण इसे खोज एवं बचाव मिशन में लगाया गया । हेलीकॉप्टर का निर्माण हिंदुस्तान ऐरोनोटिक्स लिमिटेड, भारत में ऐरोस्पतीले फ्रांस के लाइसेंस के अंतर्गत 1965 से ही किया जा रहा है।
- 800 स्क्वाड्रन (तटरक्षक), भारतीय तटरक्षक का पहला स्क्वाड्रन है, इसकी कमीशनिंग 22 मई 1982 को डावोलिम एअर फील्ड, गोवा में श्री के पी सिंह देव तत्कालीन उप रक्षामंत्री के द्वारा की गई । स्क्वाड्रन की कमान लेफ्टीनेंट कमांडर पी वी चौधरी के अधीन थी । स्क्वाड्रन में उस समय 02 अफसर तथा 12 कार्मिक तैनात थे ।
- टू फोकर एफ-27 वायुयान को 700 स्क्वाड्रन (भारतीय तटरक्षक) में 30 जुलाई 1983 को शामिल किया गया ।
- तटरक्षक क्षेत्रीय मुख्यालय (पूर्व) की 1978 में कमीशनिंग ।.
- माननीय राज्यपाल श्री बी डी पाण्डेय द्वारा 1985 में भारतीय तटरक्षक पोत राजश्री की कमीशनिंग ।
- भारतीय तटरक्षक पोत विजय का 05 जून 1982 को एम डी एल मुंबई में जलावतरण ।
- सितंबर 1984 के प्रथम तटरक्षक जिला मुख्यालय (जि.मु.-1) की पोरबंदर में कमीशनिंग ।
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