मध्यप्रदेश प्राचीन इतिहास -उच्च पुरापाषाण काल। Madhya Pradesh Ancient History - Upper Palaeolithic Period
मध्यप्रदेश प्राचीन इतिहास -उच्च पुरापाषाण काल
- उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति प्रातिनूतन काल के अंतिम चरण को प्रदर्शित करती है। संभवतः अब पर्यावरण क्षेत्रों में विविध प्रकार के निवास हेतु वातावरण एवं प्राकृतिक विविधता थी अतः मानव विविध प्रकार के कार्यकलाप कर सका। इसी कारण इस संस्कृति में विविधता के दिग्दर्शन होते हैं। इस संस्कृति के अवशेष पूर्व में अत्यल्प थे, अत: भारत में इसका विकास प्रसार संदिग्ध था। परन्तु स्वतंत्रता के उपरान्त भारत में विभिन्न नदी घाटियों एवं क्षेत्रों में गहन सर्वेक्षण के फलस्वरूप इस संस्कृति के अवशेष स्तरीकृत एवं सतही विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिवेदित किये गये। स्वतंत्रता के पूर्व वर्षों में तो कुछ स्थलों पर ही इस संस्कृति के अवशेष यदा कदा उपलब्ध हुए परन्तु धीरे-धीरे अनेक समृद्ध पुरास्थल भारत के विभिन्न भागों में प्राप्त हुए।
- मध्यप्रदेश में प्रथमतः इस संस्कृति के अवशेष बामनी नर्मदा की सहायिका वाजनेर नदी पर प्रतिवेदित किये गये थे। बाद के कालों में विभिन्न नदी घाटियों पर इस संस्कृति से संबंधित प्रमाण स्तरीकृत रूप में सतही कई क्षेत्रों से प्राप्त हुए।
- भारत में इस संस्कृति के अवशेष स्वतंत्रता के पूर्व ही कई स्थानों, जैसे कांदीवली-बोरीवली, कुरनूल, आंध्र प्रदेश आदि से प्राप्त थे एवं इस संस्कृति को कई नामों से अभिहित किया गया, जैसे Series III बाद में मूर्ति द्वारा इसे Blade & Burin industry के नाम से प्रस्तावित किया गया। मूर्ति ने अपना शोध ग्रंथ इसी विषय पर डेक्कन कॉलेज शोध संस्थान पूना में एच.डी. सांकलिया के निर्देशन में प्रस्तुत किया एवं ब्लेड एण्ड ब्यूरिन इण्डस्ट्रीज के नाम से प्रकाशित किया।
- इस बीच आर. वी. जोशी को मध्यप्रदेश में प्रवाहित नदी वैनगंगा पर दो ग्रैवेल जमाव के प्रमाण प्राप्त हुए। निचले ग्रैवेल से मध्य पुरापाषाण कालीन उपकरण स्तरीकृत रूप में प्राप्त हुए एवं ऊपरी ग्रैवेल से विकसित प्रकार के उपकरणों की प्राप्ति हुई जिसमें फ्लेक - ब्लेड एवं फ्लेक पर निर्मित उपकरण अधिक थे। अतः जोशी ने वैनगंगा पर प्राप्त निचले ग्रैवेल को वैनगंगा- ए. एवं ऊपरी विकसित ग्रैवेल को वैनगंगा - बी, के नाम से प्रकाशित किया ।
- समय-समय पर ऐसे अनेक पुरास्थल नदी घाटियों में खोजे गये जहाँ 3 ग्रैवेल जमाव प्राप्त हुए। तृतीय ग्रैवेल में प्राप्त उपकरण जो मध्य पुरापाषाण कालीन जमाव के नीचे एवं मध्य पाषाण कालीन जमाव के ऊपर थे, उच्च पुरापाषाण काल के नाम से जाने लगे ।
- इसी बीच भीमबैठका के उत्खनन में भी निम्न पुरापाषाण काल से लेकर मध्य पाषाण काल तक अनवरत विकास युक्त संस्कृतियों के अवशेष प्राप्त हुए एवं उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति का नामकरण स्वीकृत हुआ।
मध्यप्रदेश में उच्च पुरापाषाण काल के उपकरण एवं स्थल
- उच्च पुरापाषाण कालीन सांस्कृतिक विकास क्रम बहुत ही महत्वपूर्ण है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में इस संस्कृति के उद्योगों का अध्ययन करने के पश्चात् फ्लेक ब्लेड एवं ब्यूरीन उद्योग अलग-अलग विकासक्रम में प्रदर्शित होते हैं। इस विकासक्रम में उद्योग सतही एवं उत्खनित हैं।
मूर्ति ने 3 निम्न विकासक्रम पर शोध किया है-
1. फ्लेक - ब्लेड उपकरण समूह
2. ब्लेड उपकरण समूह
3. ब्लेड एवं यूरिन उपकरण समूह
उपर्युक्त सभी उच्च पुरापाषाण कालीन उपकरण समूह मध्यप्रदेश में प्राप्त होते हैं।
1. फ्लेक ब्लेड उपकरण समूह -बाघोर
2. ब्लेड उपकरण समूह -घघरिया
3. ब्लेड एवं ब्यूरिन उपकरण समूह बामनी, भीमबैठका, घोड़ामाड़ा
- इस संस्कृति के उपकरण अब प्रमुख रूप से ब्लेड पर निर्मित होने लगे थे, इनके साथ-साथ ही पूर्व काल से विकसित फ्लेक एवं फ्लेक ब्लेड पर वर्किंग या धार बनाकर उपकरणों के रूप में परिवर्तित किये गये थे।
- फ्लेक ब्लेड एवं ब्लेड पर इस संस्कृति के उपकरणों की प्राप्ति पूर्व काल से इस कार्य की प्रगति को प्रदर्शित करती है।
- पूर्व काल की अपेक्षा इस काल में उपकरण विकसित अवस्था में हैं एवं इसी विकास के कारण बाद के काल की संस्कृति के उपकरणों का विकास इसी काल से दिखाई पड़ता है।
- बहुधा फ्लेक, फ्लेक ब्लेड, माइक्रो ब्लेड पर धार बनाकर एवं रिटचिंग करने के उपरान्त उपकरण के रूप में परिवर्तित किया गया। इस काल के प्रमुख उपकरण ब्लेड एवं ब्यूरिन हैं।
- ब्लेड पर धार बनाने के उपरान्त अनेक उपकरणों के रूप में परिवर्तित उपकरणों में मुख्य रूप से एक पक्षीय, द्विपक्षीय ब्लन्टेड ब्लेड, ऑब्लिकली ट्रॅकेटेड ब्लेड हैं। ब्लंटेड ब्लेड के अतिरिक्त अन्य उपकरण भी इस काल के उपकरणों के साथ प्राप्त होते हैं, जैसे- लूनेट, ट्रायंगल उपकरण।
- विकसित उपकरणों के रूप में इस समूह में उपलब्ध हैं- एंगल ब्यूरिन, ऑब्लिक ब्यूरिन उपकरण। ये मध्यप्रदेश के उत्खननों मंह एवं सतही अनेक पुरास्थलों से प्रतिवेदित किये गये हैं। इस काल के उपकरण समूह में अन्य महत्वपूर्ण उपकरण पॉइंट हैं जो कि कई आकार प्रकार के, मध्यप्रदेश में प्राप्त होते हैं। एन्ड स्क्रेपर की मात्रा अधिक हो जाती है।
- इस काल के फलक भी आकार बहुधा फ्लेक, फ्लेक ब्लेड, माइक्रो ब्लेड पर धार बनाकर एवं रिटचिंग करने के उपरान्त उपकरण के रूप में परिवर्तित किया गया। इस काल के प्रमुख उपकरण ब्लेड एवं ब्यूरिन हैं। ब्लेड पर धार बनाने के उपरान्त अनेक उपकरणों के रूप में परिवर्तित उपकरणों में मुख्य रूप से एक पक्षीय, द्विपक्षीय ब्लन्टेड ब्लेड, ऑब्लिकली ट्रॅकेटेड ब्लेड हैं।
- ब्लंटेड ब्लेड के अतिरिक्त अन्य उपकरण भी इस काल के उपकरणों के साथ प्राप्त होते हैं, जैसे- लूनेट, ट्रायंगल उपकरण। विकसित उपकरणों के रूप में इस समूह में उपलब्ध हैं- एंगल ब्यूरिन, ऑब्लिक ब्यूरिन उपकरण।
- ये मध्यप्रदेश के उत्खननों मंस एवं सतही अनेक पुरास्थलों से प्रतिवेदित किये गये हैं। इस काल के उपकरण समूह में अन्य महत्वपूर्ण उपकरण पॉइंट हैं जो कि कई आकार प्रकार के, मध्यप्रदेश में प्राप्त होते हैं। एन्ड स्क्रेपर की मात्रा अधिक हो जाती है। इस काल के फलक भी आकार प्रकार में छोटे होते हैं एवं कभी-कभी ब्लेड जैसे दिखलाई पड़ते हैं एवं इस काल के उपकरणों में फ्लेक ब्लेड पर निर्मित उपकरण अधिक संख्या में प्राप्त होते हैं। इस प्रकार मध्य पुरापाषाण काल से मध्य पाषाण काल तक उपकरणों में क्रमिक विकास प्रदर्शित होता है।
- इस काल के उपकरण निर्माण हेतु प्राप्त पाषाण प्रयोग में भी विविधता प्रदर्शित होती है। जहाँ पर कुछ क्षेत्रों में नदियों से प्राप्त विभिन्न पाषाण पर निर्मित उपकरण प्राप्त होते हैं वहीं पर भीमबैठका में पूर्व संस्कृति में प्रयोग किये जाने वाले पाषाण का उपयोग इस काल के उपकरणों में भी दिखलाई पड़ता है।
- भीमबैठका में यद्यपि कि इस काल के उपकरण भी क्वार्ट्जाइट पत्थर पर निर्मित हैं, फिर भी उपकरण निर्माण में विकसित तकनीक (फाइन वर्कमैनशिप) दिखलाई पड़ती है। सोन घाटी में इस काल के उपकरणों का निर्माण मुलायम पत्थरों, चर्ट एवं अन्य संबंधित पत्थरों पर हुआ। बाघोर में उपकरण निर्माण स्थल भी उत्खनन से प्राप्त हुआ है। जिन पुरास्थलों पर इस संस्कृति के उपकरण क्वार्ट्जाइट पत्थर पर निर्मित हैं वहाँ से प्राप्त उपकरण बहुधा बड़े हैं। मूर्ति ने सम्पूर्ण भारत की इस काल की संस्कृति के अवशेषों का अध्ययन किया है। मूर्ति द्वारा विभाजित ये उपकरण समूह किसी विशेष क्षेत्र में क्रमबद्ध विकास को प्रदर्शित नहीं करते परन्तु ये उच्च पुरापाषाण काल की संस्कृति में उपकरण विविधता का संकेत करते हैं। घोड़ामाड़ा से पाषाण पर निर्मित परफोरेटर, कटर एवं छोटी आरी; एवं विशेष उल्लेखनीय हथौड़ा एनविल बाघोर से प्राप्त हैं ।
उच्च पुरापाषाण काल स्तरीकरण
- मध्यप्रदेश में इस संस्कृति के अवशेष अनेक नदी घाटियों से एवं भीमबैठका से मध्य पुरापाषाण काल एवं मध्य पाषाण काल के बीच स्थित जमाव से प्राप्त हुए हैं।
- सोन घाटी में इस संस्कृति से संबंधित अनेक पुरास्थलों का उत्खनन किया गया है जिसमें इस संस्कृति के अवशेष ग्रैवेल जमाव से एवं भीमबैठका में इस संस्कृति के उपकरण मध्य पाषाण काल एवं मध्य पुरापाषाण काल के मध्य स्तर नम्बर चार (4) से प्राप्त हुए हैं। इससे मध्यप्रदेश में इस संस्कृति की प्रामाणिकता सिद्ध होती है एवं स्वतंत्र विकास प्रदर्शित होता है। स्तरीकृत निवास क्षेत्र बाघोर से प्राप्त हुआ है जो कि महत्वपूर्ण है।
- उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति के अवशेष नदियों के किनारे ग्रैवेल में मध्य पुरापाषाण काल एवं मध्य पाषाण के मध्य प्राप्त होते हैं। नर्मदा घाटी में इस संस्कृति के अवशेष तीसरे Sandy gravel से प्राप्त हुए। खापरखेड़ा (धार जिला) में उत्खनन से उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति के साथ शुतुरमुर्ग के अण्ड कवच पर मनकों के निर्माण की फैक्ट्री प्राप्त हुई। जो भारतवर्ष में एक मात्र अवशेष है ।
- इस काल के उपकरणों में विकास क्रम दिखता है एवं ब्लेड एवं ब्यूरिन समूह के उपकरण प्रकार में अधिकता एवं विविधता है। विदित है कि इस संस्कृति में पूर्ववर्ती संस्कृति मध्यं पुरापाषाण काल एवं बाद के काल की संस्कृति मध्य पाषाण काल के उपकरणों से प्राप्त होती है। पूर्व संस्कृति में प्राप्त स्क्रैपर, इस काल में अधिकांश छोटे हैं या फलक ब्लेड पर निर्मित हैं। इस काल के अधिकतर उपकरण ब्लेड पर निर्मित हैं एवं यह इस संस्कृति की विशेषता है। इस काल के उपकरण "ब्लेड एवं ब्यूरिन समूह" में रखे जाते हैं। साधारण ब्लेड तो हैं ही, साथ ही ब्लेड पर धार बनाकर या मोटा कर उनको अनेक उपकरणों में परिवर्तित किया गया है।
- स्तरीकरण में, प्रातिनूतन कालीन जमावों एवं मध्य पुरापाषाण उपकरण युक्त स्तरों के बाद के जमाव में क्रमबद्ध विकास जिस प्रकार प्रदर्शित होता है उसी प्रकार उपकरणों में भी विशेषताऐं परिलक्षित होती हैं। बाघोर रामपुर से साधारण ब्लेड उपकरणों के साथ-साथ अनेक ब्लेंड उपकरण प्राप्त हुए हैं।
उच्च पुरापाषाण काल के अस्थि
उपकरण
- उच्च पुरापाषाण कालीन संस्कृति विविध पाषाण उपकरणों के सम्बन्ध में तो समृद्ध है ही परन्तु अस्थि उपकरणों के विषय में भी महत्वपूर्ण है। पूर्व में आंध्रप्रदेश में कुरनूल की गुफाओं में अस्थि उपकरण उत्खनन में प्राप्त हुए थे परन्तु मध्यप्रदेश में घोड़ामाड़ा के उत्खनन में विभिन्न प्रकार के अस्थि उपकरण उत्खनन से प्रतिवेदित किये गये हैं जो संख्या में 32 हैं।
- अस्थि उपकरण पाषाण उपकरणों के साथ प्राप्त होते हैं। अस्थि उपकरणों में प्रमुख हैं- बाणाग्र (Point), छूरियाँ (Knife), खुरचनी (Scraper), खुरचनी बेधक (Scraper cum borer), छोटे बाणाग्र (Arrow head), दो सिरे वाले बाणा (Doube head point), अस्थि के लम्बवत उपकरण, खुरचनी, काटने के उपकरण, कसाई चाकू (Bucher's knife measuring 14.3x04cm.) ।
- घोड़ामाड़ा पुरास्थल के उत्खननकर्त्ता के मतानुसार इस प्रकार का अस्थि उपकरण भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम बार प्रकाश में आया है।
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