मध्य प्रदेश के प्रमुख के प्रमुख कलाकार ।MP Famous Artist in Hindi
मध्य प्रदेश के प्रमुख के प्रमुख कलाकार (MP Famous Artist in Hindi)
मध्य प्रदेश के प्रमुख के प्रमुख कलाकार
बंशी कौल
- इनका जन्म 23 अगस्त, 1949 को हुआ था। वह भारतीय नाट्य मंच से सम्बन्धित हैं और उनका अपना एक थिएटर ग्रुप रंग विदूषक' भोपाल में स्थित है। इन्हें अंतर्राष्ट्रीय अभिनेता, निर्देशक तथा लेखक के रूप में ख्याति प्राप्त है। इन्हें संगीत नाटक अकादमी की तरफ से वर्ष 1995 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड', भारत सरकार की तरफ से वर्ष 2014 में 'पदमश्री अवार्ड' तथा 2016-17 में 'शबीदास' सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है।
बिरजू महाराज
- कत्थक सम्राट बिरजू महाराज, जिनका असली नाम बृजमोहन मिश्रा है, का जन्म 4 फरवरी, 1938 को वाराणसी में हुआ था। कत्थक नृत्य के शीर्षस्थ कलाकार एवं गुरु बिरजू महाराज ने देश-विदेश में अनेक नृत्य कार्यक्रम प्रस्तुत करके शास्त्रीय नृत्य कत्थक का गौरव बढ़ाया है। इन्हें 'पद्म विभूषण', 'संगीत नाटक अकादमी अवार्ड', बेहतरीन नृत्य निर्देशन के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशक का राष्ट्रीय अवार्ड, फिल्मफेयर अवार्ड, 'कालिदास पुरस्कार', 'संगम कला पुरस्कार' आदि से सम्मानित किया गया है।
अन्नू कपूर
- भोपाल में जन्मे बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार अन्नू कपूर ने अपना कैरियर 'रुका हुआ फैसला' नाटक से शुरू किया। 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' से प्रशिक्षित अन्नू कपूर दूरदर्शन के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अभिनेता, संचालक तथा आयोजक हैं। इनकी कृतियों को राष्ट्रपति द्वारा 'कथा पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। और अपने अभिनय के लिए इन्हें 'राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार', 'फिल्मफेयर अवार्ड', 'कलर स्क्रीन अवार्ड' से पुरस्कृत किया जा चुका है।
बेगम असगरीबाई
- इनका जन्म 12 अगस्त, 1918 को छतरपुर में हुआ था। वे शास्त्रीय संगीत 'ध्रुपद की प्रसिद्ध गायिका थीं। इन्होंने अपने गायन की अलहदा शैली से न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि देश-विदेश में भी अपनी पहचान बनाई। इन्हें 'शिखर सम्मान', 'तानसेन सम्मान' तथा 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। इनका निधन 29 अगस्त, 2006 को टीकमगढ़ में हुआ था।
जादूगर आनन्द
- इनका जन्म 3 फरवरी, 1952 को जबलपुर में हुआ। ये एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जादूगर हैं, जिन्होंने जादू के नए-नए तरह के खेल दिखाकर लोगों को अपना मुरीद बनाया है। इन्हें 'ब्रूसेल्स पुरस्कार', 'मैजिक ऑफ ट्रस्ट अवॉर्ड' तथा अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
अली अकबर खां
- इनका जन्म 14 अप्रैल, 1822 को हुआ था। वे भारत के सर्वश्रेष्ठ सरोद वादकों में से एक थे। इन्होंने सर्वप्रथम इलाहाबाद में अपनी रचना 'गौरी मंजरी' का प्रदर्शन किया था। खान को 1988 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था।
अशोक कुमार
- मूलत: खंडवा (म.प्र.) के रहने वाले अशोक कुमार ने अपना अभिनय सफर 'नैया' फिल्म से शुरू किया। अपने अभिनय प्रतिभा के बल पर अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले अशोक कुमार उर्फ दादा मुनि को 'संगीत नाटक अकादमी', 'फिल्म फेयर पुरस्कार' तथा 'दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनका निधन 10 दिसम्बर, 2001 को हो गया।
किशोर कुमार
- हरफनमौला कलाकार और अपनी सुमधुर आवाज की गायकी के लिए विख्यात विश्व प्रसिद्ध किशोर कुमार को कौन नहीं जानता। खंडवा की भूमि पर पैदा होने वाले इस कलाकार ने देश का मान-सम्मान तो बढ़ाया ही है, मध्य प्रदेश का नाम भी रोशन किया है।
कुमार गन्धर्व
- इनका जन्म 8 अप्रैल, 1924 को बेलगांव के सुलेमानी ग्राम में हुआ था। वह किसी बीमारी के कारण देवास की एक पहाड़ी पर गए और वहीं बस गए। इनका मूल नाम शिवपुत्र था।
- वह देश के उच्च कोटि के ख्याल गायक थे। उन्हें 'संगीत नाटक एकेडमी पुरस्कार', 'पद्म विभूषण' तथा मध्य प्रदेश शासन द्वारा 'कालिदास सम्मान' एवं 'शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया था। संगीत क्षेत्र को दिए गए उनके अप्रतिम योगदान को सम्मानित करने और नए संगीतकारों को प्रोत्साहन देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर कुमार गन्धर्व' सम्मान की स्थापना की है।
कार्तिक राम (नृत्य सम्राट)
- शास्त्रीय नृत्य में पारंगत कार्तिक राम नृत्य के अतिरिक्त ठुमरी, खमसा, गजल तथा भजन के कुशल गायक थे। दिल्ली के अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन (1936) में इनको लक्ष्मीताल 52 मात्रा पर नृत्य करने के उपरान्त एक शील्ड दी गई, जिस पर 'नृत्य सम्राट' अंकित था। गम्मत के श्रेष्ठ कलाकार अपने समय के असाधारण नृत्यकार की मृत्यु सन् 1992 में हुई।
संगीत सम्राट तानसेन
- संगीत सम्राट तानसेन का जन्म 1506 ई. में ग्वालियर जिले के बेहट गांव में हुआ था। सर्वप्रथम इन्हें रीवा के राजा रामचन्द्र अपने दरबार में लाए, जहां से सम्राट अकबर इन्हें अपने साथ ले आए तथा नवरत्नों में शामिल कर लिया। तानसेन को 'भैरव राग' में विशेष सिद्धि प्राप्त थी। 'दीपक राग' को गाने वाले मात्र तानसेन ही थे। 1585 ई. में इनकी दिल्ली में मृत्यु हुई तथा इनकी इच्छानुसार ग्वालियर में मोहम्मद गौस की समाधि के बराबर में ही तानसेन की समाधि बना दी गई।
कृष्ण राव पण्डित ( संगीत मार्तण्ड )
- सरदार पटेल द्वारा 'गायक शिरोमणि' की उपाधि पाने वाले ख्याल गायक कृष्ण राव भूतपूर्व ग्वालियर राज्य के दरबारी गायक थे। वर्ष 1914 में गांधर्व महाविद्यालय की नींव डाली, जो अब इनके पिता की स्मृति में 'शंकर गान्धर्व महाविद्यालय', ग्वालियर के नाम से जाना जाता है। इन्होंने विधि संगीत शिक्षा के लिए अनेक पुस्तकें लिखी, जैसे- संगीत संगम सार, संगीत प्रवेश, संगीत अलाप, जलतरंग वादन शिक्षा, तबला वादन शिक्षा इत्यादि। इनके गायन के कैसेट्स कोलम्बिया रिकॉर्डिंग कम्पनी ने भी तैयार किए हैं।
जावेद अख्तर
- इनका जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। ये प्रसिद्ध कवि, शायर एवं फिल्म लेखक हैं। इन्हें 9 बार 'फिल्म फेयर पुरस्कार तथा 5 बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अपनी उम्दा लेखन शैली के लिए मशहूर जावेद अख्तर ने प्रख्यात अभिनेत्री शबाना आजमी से शादी की है।
ओम प्रकाश चौरसिया
- इनका जन्म 15 दिसम्बर, 1946 को हुआ था। ये एक विश्वविख्यात सन्तूर वादक हैं, जिन्होंने समस्त यूरोपीय देशों, । ब्रिटेन, अमेरिका तथा बांग्लादेश में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। संगीत के आधुनिक संसार में ओमप्रकाश चौरसिया के नाम, काम और सात दशकों के बीच फैली उनकी कीर्ति को इसी सदाशयता के साथ याद किया जाता है।
गुलाम हुसैन खान
- इनका जन्म वर्ष 1927 में इंदौर में हुआ था। गुलाम हुसैन खान - विख्यात सितार वादक थे। सितार बजाने की इनकी कला को 'बीनकार बालज' की संज्ञा दी गई है। वह सितार पर ख्याल, ठुमरी, दादरा एवं ध्रुपद आदि बजाते थे ।
मकबूल फिदा हुसैन
- इनका जन्म 17 सितंबर 1915 को पंढरपुर में हुआ। वर्ष 1947 में पहली प्रदर्शनी आयोजित करके वह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार बने। वे मॉडर्न इंडियन पेंटिंग के मास्टर थे। इनकी प्रदर्शनियां चीन, अमेरिका, इराक, ब्रिटेन आदि देशों में लग चुकी हैं। इन्हें वर्ष 1966 में 'पद्मश्री', वर्ष 1973 में 'पद्म भूषण' तथा वर्ष 1987 में 'कालिदास सम्मान' से सम्मानित किया गया। 9 जून, 2011 को लंदन में उनकी मृत्यु हो गई।
उस्ताद अमजद अली खान
- इनका जन्म 9 अक्टूबर, 1945 को ग्वालियर में हुआ था। इनके पिता उस्ताद हाफिज अली खां ग्वालियर राज दरबार में प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे। वह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सरोद वादक हैं, जिन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही एकल प्रस्तुति देकर प्रशंसा प्राप्त की थी। 'सेनिया बंगश' घराने की छठी पीढ़ी से संबंध रखने वाले अमजद अली खां ने 'राग' संगीत में अनेक अभिनव प्रयोग किए हैं। वह 'पद्मश्री' (1975), 'पदम भूषण' (1991) व 'पद्म विभूषण' (2001) पुरस्कारों सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी अर्जित कर चुके हैं।
बाबा अलाउद्दीन खां
- इनका जन्म मध्य प्रदेश की पूर्व रियासत त्रिपुरी के शिवपुर ग्राम में साधु खां के यहां 1881 ई. में हुआ था। ये 'सरोद सम्राट' के नाम से भी विख्यात हैं। मैहर घराने के सर्वप्रथम सितार वादक बाबा अलाउद्दीन खां का निवास स्थान 'मदीना भवन - शान्ति कुटीर' संगीत का तीर्थ स्थान माना जाता है। वर्ष 1958 में इन्हें 'पद्म भूषण' तथा वर्ष 1971 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया।
उस्ताद अमीर खां
- वर्ष 1913 में इंदौर में जन्मे ख्याल गायक अमीर खां को भारत शासन के 'अकादमी अवॉर्ड' व 'पद्म भूषण अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी गायिकी से इन्होंने 'इंदौर घराने' की नींव डाली। उनकी स्मृति में उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एकेडमी प्रतिवर्ष इंदौर में अमीर खान समारोह का आयोजन करती है।
हाफ़िज मोहम्मद खां
- ये फिल्मों तथा लोक कलाओं के प्रसिद्ध कलाकार थे। इन्होंने ब्रिस्टल ओल्ड विक थियेटर स्कूल से नाट्य प्रदर्शन तथा ब्रिटिश ड्रामा लीग लन्दन से नाट्य शिक्षा प्राप्त की थी। वह वर्ष 1972 में राज्य सभा सदस्य मनोनीत किए गए। उन्हें 'संगीत नाटक अकादमी', 'पद्मश्री' तथा 'शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया है।
बाला साहेब पूछवाले
- इनका जन्म 15 दिसम्बर 1918 को ग्वालियर में हुआ था। ग्वालियर घराना से संबंधित और स्व. राजा भैया पूछवाले के पुत्र बाला साहेब को वर्ष 1997 में तानसेन सम्मान से सम्मानित किया गया। इनकी बनारस के बसन्त कन्या महाविद्यालय में संगीत अध्यापक के रूप में वर्ष 1964 में नियुक्ति हुई थी, परन्तु एक वर्ष बाद ही माधव संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर में उप-प्रधानाध्यापक के पद पर इनकी नियुक्ति हुई।
उस्ताद हाफ़िज अली खां
- सरोद वादक उस्ताद हाफिज अली खां का जन्म 1888 ई. में ग्वालियर में हुआ था। सरोद वादन की शिक्षा इन्हें अपने पिता श्री नन्हे खां से मिली । संगीत के क्षेत्र में अटल शुद्धतावादी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी उस्ताद हाफिज अली खां की भव्य और अभिजात्यपूर्ण ध्रुपद गायकी में कोई मुकाबला नहीं था। उन्होंने सरोद वादन को विशिष्ट आयाम दिया। इन्हें 'आफताब ए सरोद' तथा 'संगीत रत्नालंकार' की उपाधि मिली थी। वर्ष 1960 में इन्हें 'पद्म भूषण' की उपाधि से अलंकृत किया गया।
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