मध्यप्रदेश की औद्योगिक अधोसंरचना । मध्य प्रदेश के उद्योग महत्वपूर्ण जानकारी । MP Industry Fact
मध्यप्रदेश की औद्योगिक अधोसंरचना
मध्य प्रदेश के उद्योग महत्वपूर्ण जानकारी
- औद्योगिक विकास की दृष्टि से मध्य प्रदेश का देश में 7वां स्थान है।
- उमरिया में 'लाख' का शासकीय कारखाना है।
- ग्वालियर में दियासलाई कारखाना, इटारसी में चिप एवं पार्टिकल बोर्ड, रेलवे स्लीपर बुधनी में बनाए जाते हैं।
- चंदेरी, महेश्वर एवं बुरहानपुर की साड़ियां प्रसिद्ध हैं।
- एस्बेस्टस सीमेन्ट फैक्ट्री कैमूर में है।
- देवास में पानी की समस्या को दूर करने के लिए देश की प्रथम बी. ओ.टी (B.O.T.) आधारित जलप्रदाय योजना निजी क्षेत्र के सहयोग से लगाई जा रही है।
- राज्य सरकार द्वारा ग्वालियर मुरैना रिंग रोड पर अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के समीप आईटी पार्क स्थापित किया गया।
- केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत मध्य प्रदेश के औद्योगिक केंद्र - 1. पीथमपुर - धार, 2. मुरैना-पन्ना 3. मालनपुर भिण्ड, 4. मेघनगर- झाबुआ, 5. मनेरी - मंडला, 6. पीलूखेड़ी राजगढ़।
- पीथमपुर (धार) को भारत का डेट्राइट कहा जाता है, क्योंकि यहां अनेक कार निर्माण उद्योग लगे हैं। विजय कुमार इंटरनेशनल पीथमपुर (धार) में हीरा परिष्करण का राज्य का सबसे बड़ा कारखाना है।
- राज्य का एकमात्र घड़ी निर्माण कारखाना बैतूल में है।
- मध्य प्रदेश का एकमात्र ऑप्टिकल फाइबर कारखाना मण्डीद्वीप में जापान के सहयोग से स्थापित है।
- भेल (1961-1962) पिपलानी, भोपाल तथा नेशनल न्यूज प्रिंट एंड पेपर मिल (1956) नेपानगर में स्थित है।
- सेंटर फॉर एडवांस टेक्नोलॉजी सेंटर (केट), इंदौर में स्थित आणविक अनुसंधान केंद्र है। यह 'लेजर उत्पादन' का एशिया का पहला और दुनिया का तीसरा केंद्र है।
- अखबारी कागज नेपानगर हेतु सलाई की लकड़ी का प्रयोग होता है।
- जरी - बढ़ाई उद्योग भोपाल में केंद्रित है।
- राज्य की दो सहकारी चीनी मिलें : बरलाई (देवास) और कैलारस (मुरैना) में हैं।
- मध्य प्रदेश पोस्ट एंड टेलीग्राफ वर्कशॉप जबलपुर में है, जहां टेलीफोन और टेलीग्राफिक उपकरण बनाए जाते हैं।
- डीजल इंजन बनाने का कारखाना इंदौर में लगाया गया है।
- राज्य में रक्षा उत्पादन की 6 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें से चार अकेले जबलपुर में हैं।
- मध्य प्रदेश में सबसे कम औद्योगिक केंद्र पन्ना जिले में हैं।
- अपरेल पार्क इंदौर में बनाया गया है।
- एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स की स्थापना इंदौर में की गई है।
- इण्डो-जर्मन टूल की स्थापना इंदौर में की गई है।
- बुरहानपुर जिला पावरलूम उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
- कच्चे लाख से सीड लाख तथा शैलाख बनाने का एक शासकीय कारखाना उमरिया में है।
मध्यप्रदेश की औद्योगिक अधोसंरचना
विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र, इंदौर
- भारत सरकार की अधिसूचना नवम्बर 2006 के पालन में विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र ग्राम खेड़ा बरदारी, जामोदी एवं अकोलिया जिला धार तथा ग्राम काली बिल्लोद जिला इंदौर की निजी एवं शासकीय कुल 1114 हेक्टेयर भूमि पर विकासाधीन है। इस प्रक्षेत्र के 300 हेक्टेयर भू-भाग में विकास कार्य सम्पन्न हो चुके हैं। योजनान्तर्गत 48 औद्योगिक इकाइयों का 147 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी गई है, जिनमें से 20 इकाइयों द्वारा उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया है। 13 इकाइयों की स्थापना निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है।
टी.सी.आई.डी.एस. योजना के अंतर्गत गारमेन्टस कॉम्प्लेक्स
- भारत सरकार द्वारा टी.सी.आई.डी.एस. योजना के अंतर्गत रेडीमेड गारमेन्ट्स कॉम्प्लेक्स परदेशीपुरा, इंदौर में विकसित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसकी परियोजना लागत 1401.20 लाख रुपए है। इसकी क्रियान्वयन संस्था मध्य प्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम इंदौर है। परियोजना का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र में एपरेल पार्क की स्थापना
- भारत सरकार द्वारा एपरेल पार्क फॉर एक्सपोर्ट योजनान्तर्गत एस.ई.जेड. इंदौर में एपरेल पार्क की स्थापना हेतु सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। यह पार्क 2907.00 लाख रुपए की लागत से विकसित किया जा रहा है तथा इसमें लगभग 20 हजार व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होगा। इस परियोजना का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है तथा 32.48 करोड़ रुपए का व्यय हो चुका है।
पीथमपुर ऑटो क्लस्टर, इंदौर
- भारत सरकार वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के लिए ऑटो क्लस्टर योजना स्वीकृत की गई है, जिसकी कुल लागत 73.29 करोड़ रुपए है, जिसमें ि भारत सरकार का अनुदान 49.94 करोड़ रुपए है तथा राज्य शासन का अंशदान / वित्तीय संस्था का ऋण 12.30 करोड़ रुपए एवं उद्योगपतियों का अंशदान 11.05 करोड़ रुपए है। परियोजना का निर्माण कार्य प्रगति पर है। अभी तक कुल 45.81 करोड़ रुपए भारत सरकार द्वारा एवं 7.30 करोड़ रुपए की राशि मध्य प्रदेश शासन द्वारा राज्यांश के रूप में क्रियान्वयन संस्था को विमुक्त की जा चुकी है एवं 109.84 करोड़ रुपए का व्यय इस परियोजना में किया गया है।
गारमेन्ट क्लस्टर, जबलपुर
- भारत सरकार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा जबलपुर के लिए गारमेन्ट क्लस्टर योजना मार्च, 2008 में स्वीकृत की गई है, जिसकी कुल लागत 43.93 करोड़ रुपए है, जिसमें भारत सरकार का अनुदान 30.67 करोड़ रुपए है। वित्तीय संस्था का ऋण 4.39 करोड़ रुपए एवं उद्योगपतियों का अंशदान 8.86 करोड़ रुपए है। इस परियोजना में 10.23 करोड़ रुपए की राशि विमुक्त की गई, जिसकी कुल परियोजना लागत 55.58 करोड़ रुपए है, जिसमें भारत सरकार का अनुदान 30.68 करोड़ रुपए हैं। वित्तीय संस्था का ऋण 9.40 करोड़ रुपए एवं उद्योगपतियों का अंशदान 15.50 करोड़ रुपए है।
पाढुर्ना इंडस्ट्रियल क्लस्टर, छिंदवाड़ा
भारत सरकार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा पाढुर्ना (जिला छिंदवाड़ा) के
लिए पाढुर्ना इंडस्ट्रियल क्लस्टर योजना फरवरी, 2009 में स्वीकृत की गई है, जिसकी कुल लागत 66.78 करोड़ रुपए हैं।
जिसमें भारत सरकार का अनुदान 43.07 करोड़ रुपए है। वित्तीय संस्था का ऋण 13.69 करोड़ रुपए एवं
उद्योगपतियों एवं एस. पी. वी. का अंशदान 10.02 करोड़ रुपए है। इस परियोजना में भारत सरकार द्वारा 43.07 करोड़ रुपए की
राशि क्रियान्वयन संस्था को विमुक्त की गई। इस परियोजना में अब तक 55.28 करोड़ रुपए व्यय
किए जा चुके हैं।
मध्य प्रदेश के फूड पार्क
- विभिन्न औद्योगिक केंद्र विकास निगमों द्वारा 6 फूड पार्क क्रमशः जग्गाखेड़ी जिला मंदसौर, निमरानी जिला खरगौन, घिरोंगी जिला भिण्ड, बावई - पिपरिया जिला होशंगाबाद, बोरगांव जिला छिन्दवाड़ा तथा मनेरी जिला मंडला में विकसित किए जा रहे हैं। फूड पार्क विकसित करने हेतु कार्य में तेजी लाई गई है।
एसाईड योजना
- प्रदेश में निर्यातक उद्योगों से जुड़ी अधोसरंचना को विकसित तथा अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए एसाईड योजना के अन्तर्गत 64 योजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 56 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
ऑटो टेस्टिंग ट्रैक
- ऑटो टेस्टिंग ट्रैक की परियोजना विकसित करने का निश्चय भारत सरकार के वृहद उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय (वृहद् उद्योग विभाग) द्वारा किया गया है। इसके किए नेशनल ऑटोमोटिव्हस टेस्टिंग एवं आर. एन. डी. इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (नेट्रिप) की क्रियान्वयन संस्था NATRIP Implementation Society (NATIS) का गठन अगस्त 2005 में हुआ है।
- उक्त परियोजना हेतु भूमि राज्य शासन को उपलब्ध करायी जानी है। इस हेतु भू-अर्जन मुआवजा राशि रुपए 121.65 करोड़ विशेष अनुग्रह राशि रुपए 61.18 करोड़ एवं न्यायालयीन प्रकरणों में राशि 138.37 करोड़ कुल राशि 321.20 करोड़ कलेक्टर, धार को भू-स्वामियों को प्रदान करने हेतु उपलब्ध करायी गई है। उक्त परियोजना हेतु 1405.43 हेक्टेयर निजी भूमि एवं 270.98 हेक्टेयर शासकीय भूमि का आधिपत्य क्रियान्वयन संस्था नेट्रिप को प्रदान किया गया है।
"संत रविदास मध्य प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम
- मध्य प्रदेश हस्तशिल्प विकास निगम की स्थापना म.प्र. लघु उद्योग निगम की सहायक कंपनी के रूप में वर्ष 1981 में हुई थी। वर्ष 2013 से निगम का नाम "संत रविदास मध्य प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम" हो गया है।
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