मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार।MP Ke Pramukh Sahityakar
मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार
मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार
गजानन माधव मुक्तिबोध
- गजानन माधव मुक्तिबोध ( 13 नवम्बर, 1917-11 सितंबर, 1964) हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। इन्होंने गद्य और पद्य दोनों में रचनाएं कीं। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं- 'चांद का मुंह टेढ़ा है', 'काठ का सपना', 'विपात्र', 'एक साहित्यिक की डायरी इत्यादि।
भवानी प्रसाद मिश्र
- भवानी प्रसाद मिश्र (2 मार्च, 1913-20 फरवरी, 1985) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वर्ष 1947 से 1949 तक 'विचार' का सम्पादन किया। वर्ष 1972 में इन्हें 'साहित्य परिषद्' का पुरस्कार, 1973 में 'साहित्य अकादमी' पुरस्कार, 1973 में 'देहली साहित्य कला परिषद् पुरस्कार तथा 'गालिब पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं- 'गीत फरोश', 'चकित है दुःख', 'अंधेरी कविताएं', 'बुनी हुई रस्सी', 'खुशबू के शिलालेख' आदि।
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन
- बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' हिन्दी साहित्य में प्रगतिशील लेखन के अग्रणी कवि पंडित बाल कृष्ण शर्मा 'नवीन' गांधीजी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आन्दोलन में सम्मिलित हुए। गणेश शंकर विद्यार्थी के साथ 'प्रताप' का सह सम्पादन किया तथा वर्ष 1957 में राज्यसभा के सदस्य बने।
- भारतीय संविधान निर्माता परिषद के सदस्य के रूप में हिन्दी भाषा को राजभाषा के रूप में स्वीकार कराने में उनका बड़ा योगदान रहा है। वर्ष 1960 में इन्हें 'पद्म भूषण' से अलंकृत किया गया। इनका देहान्त 29 अप्रैल, 1960 में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं–‘उर्मिला' (महाकाव्य), 'प्राणार्पण', 'कुमकुम', 'कवासि', 'सृजन की लकीरें', 'प्रलयंकर', 'स्मरदीप', 'मृत्युधाम' आदि।
माखनलाल चतुर्वेदी
- माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल, 1889 को होशंगाबाद के बाबई में हुआ था। वे भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और भारतीय संविधान निर्माता परिषद् के सदस्य के रूप में हिन्दी भाषा को राजभाषा के रूप में स्वीकार कराने में उनका बड़ा योगदान रहा है। इन्होंने 'प्रभा' तथा 'कर्मवीर' का सम्पादन भी किया। पत्रकारिता के माध्यम से इन्होंने अपने को स्वतंत्रता आन्दोलन से जोड़ लिया। 1963 में भारत सरकार द्वारा इन्हें 'पद्म भूषण' तथा अन्य अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनका देहावसान वर्ष 1968 में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएं 'हिम किरीटनी', 'हिम तरंगिनी', 'युगचारण', 'समर्पण', 'मरण', 'ज्वर', 'साहित्य देवता' आदि हैं।
शिवमंगल सिंह 'सुमन'
- शिवमंगल सिंह 'सुमन (5 अगस्त, 1915-27 नवंबर, 2002 )। वर्ष 1987 में हिन्दी के इस प्रख्यात कवि को 'सारस्वत सम्मान' प्रदान किया गया। वह विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। इन्हें 'पद्मश्री' (1974), 'सोवियत भूमि पुरस्कार' (1974), 'देवा पुरस्कार' (1958), 'भारत-भारती पुरस्कार (1973) से सम्मानित किया जा चुका है।
हरिशंकर परसाई
- हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक एवं व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त, 1924 को हुआ। वह अपने व्यंग्य के माध्यम से सबका ध्यान समाज की उन कमजोरियों की ओर खींचते थे, जो जीवन को दूभर बनाती थीं। उनकी व्यंग्य रचनाएं हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करती, बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने-सामने खड़ा करती हैं, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभग असंभव है। इनकी प्रमुख पुस्तकें- 'हंसते हैं रोते हैं जैसे 'उनके दिन फिरें', 'रानी नागफनी की कहानी', 'शिकायत मुझे भी है' और 'अन्त में इत्यादि हैं। इन्हें 'साहित्य अकादमी पुरस्कार', 'शिक्षा सम्मान' व 'शरद जोशी सम्मान' से सम्मानित किया जा चुका है।
राजेन्द्र माथुर
- स्वाधीन भारत में हिन्दी पत्रकारिता को स्थापित करने वाले स्वर्गीय राजेन्द्र माथुर का पूरा जीवन हिन्दी के लिए समर्पित रहा। उन्होंने इंदौर से प्रकाशित 'नई दुनिया से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर लेखन कार्य प्रारंभ किया। वह गुजराती कॉलेज इंदौर में अंग्रेजी के प्राध्यापक भी रहे। पं. नेहरू को आदर्श मानने वाले माथुर स्वयं सच्चे अर्थों में 'डेमोक्रेट' संपादक थे। अपने सहकर्मियों की राय को सुनने तथा लेखन को पूरी स्वतंत्रता देने के साथ ही पाठकों के पत्रों की राय को सम्मान देना उन्हें बहुत अच्छा लगता था।
मुल्ला रमूजी
- मुल्ला रमूजी का जन्म 21 मई 1866 को भोपाल में इन्हें देश-विदेश में अपनी रचनाओं के कारण ख्याति प्राप्त है। हुआ था। वर्ष 1921 में मुल्ला रमूजी की पहली किताब 'गुलाबी उर्दू' प्रकाशित हुई। मध्य प्रदेश में भोपाल स्थित संस्कृति भवन की इमारत का नाम 'मुल्ला रमूजी संस्कृति भवन' रखा गया है। इनकी प्रसिद्ध रचनाएं- 'इतिखबे गुलाबी उर्दू', 'खोआतीन अंगुरा', 'शादी', 'औरत जात', 'जिन्दगी' इत्यादि हैं।
राजेन्द्र अवस्थी
- मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के रहने वाले राजेन्द्र अवस्थी ( 25 जनवरी, 1931-30 दिसंबर, 2009) हिन्दी के प्रसिद्ध पत्रकार एवं लेखक थे। विभिन्न पत्रिकाओं के सम्पादन के रूप में भी कार्य कर चुके हैं, जिनमें 'कादम्बिनी' प्रमुख है। ये आयुर्वेदिक विज्ञान संस्थान तथा 'ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया' के महासचिव भी रहे। दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी ने उन्हें 1997-98 में साहित्यिक कृति से सम्मानित किया था।
शरद जोशी
- प्रख्यात लेखक शरद जोशी का जन्म उज्जैन में हुआ था। वे हिन्दी के एक मुख लेखक, कवि, व्यंग्यकार और फिल्मों तथा टीवी के स्क्रिप्टराइटर भी थे। उन्होंने 'उड़ान', 'मेरा दामाद', 'दिल है कि मानता नहीं', 'उत्सव', 'छोटी सी बात', 'चोखी' फिल्मों की पटकथा लिखी थी। इन्होंने 60 से अधिक पुस्तकों की रचना की, जिनमें प्रमुख- 'परिक्रमा', 'रह किनारे बैठ', 'किसी बहाने', 'तिलिस्म', 'दूसरी सतह' आदि हैं। उन्हें 1990 में ‘पद्मश्री अवार्ड' से सम्मानित किया गया था।
बालकवि बैरागी
- वीर रस के कवि एवं साहित्यकार बालकवि बैरागी (10 फरवरी, 1931-13 मई, 2018) सक्रिय कांग्रेस कार्यकर्ता एवं सांसद रहे हैं। वर्ष 1980 से 1984 तक मध्य प्रदेश के मंत्री रहे और वर्ष 1984 से 1989 तक लोकसभा के सदस्य रहे। बाद में वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
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