मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल महत्वपूर्ण जानकारी । MP Tourism Places Fact in Hindi
मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल
मध्यप्रदेश के प्रकृतिक पर्यटन स्थल (MP Tourist places in Hindi)
पचमढ़ी
- मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल पचमढ़ी होशंगाबाद जिले में 1946 मीटर की ऊंचाई पर सतपुड़ा के पठार पर स्थित है। पचमढ़ी में 20 जलाशय, 5 जलप्रपात और लगभग 70 दर्शनीय स्थल हैं। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं- अप्सरा विहार, धूपगढ़, जटाशंकर पांडव गुफाएं आदि।
- पांडव गुफा में हांडी खो, जम्बू द्वीप और रजत प्रपात दर्शनीय हैं। यहां स्थित धूपगढ़ की चोटी की ऊंचाई 1350 मीटर है। पचमढ़ी में स्थित धूपगढ़, चोरागढ़ एवं महादेव की चोटी से सूर्योदय एवं सूर्यास्त के मनोहर दृश्य दृष्टिगोचर होते हैं।
भेड़ाघाट
- जबलपुर से लगभग 13 कि.मी. दूर संगमरमर की चट्टानों पर स्थित भेड़ाघाट मध्य प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र है। भेड़ाघाट के समीप संगमरमर की चट्टानों के मध्य तीव्र प्रवाह से बहती नर्मदा नदी नीलम जलराशि लेकर लगभग 60 फुट की ऊंचाई से गिरकर घोर गर्जन के साथ वाष्पकणों को बिखेरती है। इस घोर गर्जना व वाष्पकणों के कारण ही इस प्रपात का नाम धुआंधार प्रपात पड़ गया।
- प्राचीन काल भृगु मुनि भेड़ाघाट में अनेक वर्षों तक तपस्या की थी, जिसके कारण यह स्थान भृगुघाट भी कहलाता था। कुछ लोगों द्वारा भेड़ा का अर्थ संगम मानने तथा इस स्थान पर नर्मदा नदी में बावन नदी के मिलने के कारण इसका नाम भेड़ाघाट पड़ा ।
- भेड़ाघाट के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं- धुआंधार प्रपात, बंदर कूदनी, 81 मूर्तियों वाला 64 योगिनी का गोल मंदिर, गौरी शंकर का सुविख्यात मंदिर, पूर्णिमा रात्रि का नौका विहार आदि।
- कलचुरि वंश के राजाओं द्वारा 1156 में निर्मित गौरी शंकर के मंदिर में शिव पार्वती की नंदी पर आसीन सजीव मूर्ति विद्यमान है।
पातालकोट
- कटोरे के आकार की भांति दिखने वाला यह स्थान छिंदवाड़ा जिले में सतपुड़ा की पहाड़ियों के मध्य स्थित है। भारिया जनजाति के लोगों का मुख्य निवास क्षेत्र पातालकोट ही है।
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मध्यप्रदेश के पर्यटन तथ्य (MP Tourism Places Fact in Hindi)
- उज्जैन से 32 कि.मी. दूर डांगवाला से उत्खनन में गुप्तकालीन संस्तर की एक मुद्रा पर गुप्त ब्राह्मी भट्टारक अंकित पट प्राप्त हुआ है।
- आधुनिक उज्जैन में स्थित गढ़कालिका स्तूप में उज्जयिनी का इतिहास पता चलता है।
- लगभग 700 ई.पू. में उज्जयिनी काले, लाल मृदभांड तथा लोहे, पत्थर और ईंट की संरचनाओं से अस्तित्व में आया।
- कायथा का प्राचीन नाम कापित्थ था। कायथा का उत्खनन कार्य 1965-66 में के. वी. वाकणकर के निर्देशन में कराया गया।
- होशंगाबाद की बाहरी सीमा पर स्थित आदमगढ़ का उत्खनन कार्य 1960-61 में आर. वी. जोशी व एम. डी. खरे के निर्देशन में कराया गया।
- मंदसौर जिले में स्थित इंद्रगढ़ नामक स्थान से राष्ट्रकूट शासक नन्नप के शासन काल का एक शिलालेख प्राप्त हुआ है, जिसमें शिव मंदिर के निर्माण का उल्लेख है। सागर जिले में स्थित एरण में उत्खनन में एक सिक्का और एक अर्धवृत्ताकार टुकड़ा प्राप्त हुआ है, जिस पर मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि में एवं पाली भाषा में 'रजो ईद गुतस' लिखा है।
- मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम शैल चित्रों की तलाश का श्रेय अंग्रेज ध्येता हंटर और डी. एच. गार्डन को जाता है। इन्होंने पचमढ़ी और आसपास शैल चित्रों की खोज की।
- उदयगिरि की गुफाएं विदिशा के भिलसा में स्थित हैं, जो गुप्तकालीन हैं और इनकी संख्या 20 है। उज्जैन के निकट कालियादह में परमार वंश के राजाओं द्वारा 11वीं शताब्दी में राजा भर्तृहरि की याद में भर्तृहरि की गुफाओं ( 9 गुफाएं) का निर्माण कराया गया।
- धार जिले के बाघ में विंध्याचल की पहाड़ियों को काटकर बाघ की गुफाओं का निर्माण चौथी से छठी शताब्दी में कराया गया। कुल 9 गुफाओं में 5 ही बची हैं। बाघ की गुफा संख्या 2 में 5 बौद्धों के चित्र को स्थानीय निवासी पांच पांडव मानते हैं।
- रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका की प्रागैतिहासिक गुफाओं के चित्रों में पशुओं की प्रधानता है, जिनमें लाल एवं सफेद रंगों का अधिक प्रयोग हुआ है। पांचवीं शताब्दी में निर्मित कबरा गुफाएं राजगढ़ जिले में स्थित हैं।
- ग्वालियर जिले में बिलौवा गुफाओं के शैलचित्रों में शैव प्रतिमाओं की प्रधानता है। छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो के मंदिर (1986 में), रायसेन में स्थित सांची स्तूप (1989 में) तथा रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका की गुफा (2003 में) यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल हैं।
- ग्वालियर दुर्ग का निर्माण 525 ई. में राजा सूरसेन द्वारा कराया गया। इस दुर्ग को 'पूर्व का जिब्राल्टर', "भारत के किलों का रत्न' या 'भारत के किलों का सिरमौर' भी कहा जाता है।
- ग्वालियर दुर्ग में स्थित मान मंदिर, गूजरी महल तथा एक हाथी की विशाल प्रतिमा का निर्माण 1486 से 1516 के बीच राजा मान सिंह तोमर ने कराया था।
- ग्वालियर में स्थित सास- बहू का मंदिर कछवाहा शासक राजा महिपाल द्वारा 1093 ई. में कराया गया।
- धार किले का पुनर्निर्माण 1344 ई. में सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने अपनी दक्षिण विजय के दौरान देवगिरि जाते समय विश्राम के उद्देश्य से कराया था। धार जिले में दारा शिकोह ने औरंगजेब के साथ युद्ध के दौरान आश्रय लिया था।
- मराठा पेशवा बाजीराव का जन्म धार के किले में हुआ था।
- असीरगढ़ ( महेश्वर के समीप ) किले का निर्माण 10वीं शताब्दी में आसाराम नामक अहीर राजा ने कराया था।
- चंदेरी का किला 11वीं शताब्दी में प्रतिहार नरेश कीर्तिपाल द्वारा निर्मित कराया गया था। गिन्नौर गढ़ दुर्ग का निर्माण 13वीं शताब्दी में गोंड शासक महाराजा उदयवर्मन ने कराया था। यह दुर्ग जिस पहाड़ी पर स्थित है, उसे अशर्फी पहाड़ी कहा जाता है।
- रायसेन दुर्ग का निर्माण राजा राजवसंती ने 16वीं शताब्दी में कराया था।
- शेषशाही तालाब बांधोगढ़ दुर्ग से 400 मीटर नीचे स्थित है। पन्ना में स्थित अजयगढ़ दुर्ग का निर्माण राजा अजयपाल ने कराया था।
- ओरछा दुर्ग का निर्माण 17वीं शताब्दी में वीर सिंह कराया था।
- मंदसौर का प्राचीन नाम दशपुर था।
- दतिया दुर्ग के प्रवेश द्वार पर “ Justice is the gem of crown ” लिखा है।
- कन्हरगढ़ दुर्ग को मुगल इतिहासकारों द्वारा सरूआ किला लिखा गया है। उज्जैन स्थित महाकाल या महाकालेश्वर मंदिर शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- 1773 में जयपुर के महाराजा जय सिंह द्वारा उज्जैन में जंतर-मंतर (वेधशाला) का निर्माण कराया गया था।
- भगवान कृष्ण, बलराम तथा उनके मित्र सुदामा के गुरु संदीपन का आश्रम उज्जैन में हैं।
- भगवान शंकर ने त्रिपुर नामक राक्षस का वध उज्जैन में किया था। सम्राट विक्रमादित्य के समय उज्जैन को अवंति के नाम से जाना जाता था।
- छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा 950-1050 ई. के मध्य कराया गया।
- देश का एकमात्र सूर्य नवग्रह मंदिर खरगौन में कुंदा नदी के तट पर स्थित जिसकी स्थापना शेषाप्पा सुखावधानी वरागकर द्वारा किया गया था।
- दतिया के बालाजी के मारीचिमाली भगवान भास्कर के मंदिर में सूर्य की प्रतिमा के स्थान पर सूर्य यंत्र विद्यमान है।
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