सीधी जिले का इतिहास वर्तमान एवं पर्यटन स्थल । Sidhi History Present Tourism in Hindi
सीधी जिले का इतिहास वर्तमान एवं पर्यटन स्थल
(Sidhi History Present Tourism in Hindi)
सीधी जिले का इतिहास वर्तमान एवं पर्यटन स्थल
वर्तमान में सीधी जिला
सीधी जिले की जनसंख्या
- जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 11,27,033 है।
- जिले में महिलाएं 5,51,121 की आबादी है।
- जिले में स्त्री पुरुष का अनुपात 952 है।
- जिले में साक्षरता का प्रतिशत 64.4 है।
- पुरुष साक्षरता की दर 74.4 और महिला साक्षरता 54.1 है।
- शहरी क्षेत्रों में साक्षरता का प्रतिशत 78.7 और ग्रामीण क्षेत्रों में 63.1 है।
सीधी जिले के तहसील एवं विकास खंड
सीधी जिले की प्रशासनिक व्यवस्था:
- सीधी जिला 7 तहसीलों में विभक्त हैं गोपदबनास, सिंहावल, कुसमी, मझौली, रामपुर नैकिन, चुरहट और बहरी हैं।
- जिले को तीन प्राकृतिक भागों में विभक्त किया गया है।
- सीधी जिले में 5 विकासखंड सीधी, सिहावत, कुसमी, गझौली और रामपुर नैकिन है।
सीधी जिले की भौगोलिक जानकारी
- सीधी जिला मध्यप्रदेश का पूर्वोत्तरी हिस्सा है। कैमोर पर्वत श्रेणी सीधी जिले के दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर सोनघाटी के उत्तर में दीवार की भाँति फैली हुई है। यह विन्ध्य पर्वतमाला का ही एक भाग है। इस पर्वत श्रेणी को पार करने के लिए कोई दर्रा नहीं है, इसलिए इसे काटकर सड़कें बनाई गई हैं। इस घुमावदार घाटी में छुटिया तथा मोहनिया घाटी प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में पर्वत श्रृंखला की ऊँचाई 600 से लेकर 700 मीटर तक है।
सोन नदी की घाटी :
- यह घाटी क्षेत्र कैमोर श्रेणी के दक्षिण भाग में फैली हुई है। कैमोर श्रेणी के दक्षिण में विन्ध्य महा समूह की चट्टानों के मध्य से सोन नदी उत्तर से पूर्व की ओर लगभग 165 किलोमीटर लम्बाई में प्रवाहित होती है। सीधी जिले का लगभग 10 प्रतिशत भाग इस घाटी में समाहित है। यह घाटी पश्चिम से पूर्व की ओर सक्रिय होती है। इसका अधिकांश भाग समतल एवं उपजाऊ है। इस घाटी का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है। इस नदी घाटी की औसत ऊँचाई लगभग 300 किलोमीटर है।
मझौली एवं मड़वास का पठार
- यह पठार सोन घाटी के दक्षिण में गोपद बनास और मझौली तहसील के उत्त्व भू-भाग में स्थित है। जिले का लगभग 25 प्रतिशत भू-भाग इसमें सम्मिलित है। अधिकांश भाग वनों से आच्छादित है। इस पठार की उत्तर पश्चिम की लम्बाई 50 किलोमीटर है तथा पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 40 किलोमीटर है।
सीधी जिले का इतिहास
- शहडोल जिले के बम्हनी ग्राम में प्राप्त ताम्रपत्र से यह ज्ञात होता है कि 5वीं शताब्दी में पाण्डु वंश शासक जधवल, वत्सराज, नागदल और भरत बल का शासन का रहा, 5वीं शताब्दी 447 ई. में लक्ष्मण नामक शासन के अधीन सीधी का यह क्षेत्र रहा है। इसके प्रमाण सिंगरौली के पास के भू-क्षेत्र से उपलब्ध ताम्रपत्र में उल्लेखित है।
- ताम्रपत्र में इस शासक की राजधानी जयपुर बताई गई है। यह जयपुर स्थान सिंगरौली के समीप स्थित है न कि राजस्थान का जयपुरद्ध सीधी जिला 6वीं शताब्दी में प्रतिहारों के प्रभुत्व में रहा है। सातवीं शताब्दी का बौद्धाडांड में निर्मित प्रतिहार कालीन, विष्णु और शिव मंदिर के अवशेष अभी भी अच्छी हालत में हैं।
- 7वीं शताब्दी के अंत में कल्चुरियों का प्रभाव स्थापित हुआ। इस वंश का प्रथम शासक कोकल देव प्रथम था जिसकी राजधानी महिष्मती थी। इसी वंश के युवराज देव प्रथम के शासन काल में ग्राम चन्दरेह में शिव मंदिर तथा शैव मठ का निर्माण कराया गया। उस समय चन्दरेह शैव धाम का महत्वपूर्ण केन्द्र था।
- कल्चुरी राजवंश का काल तेहरवीं शताब्दी तक रहा। कल्चुरी शासनकाल में कर्मी में उमर कलेधर की प्रतिमा, कोल्हूडीह में चामुण्डा की प्रतिमा, कठौली में गोविंद नामक एक व्यक्ति ने पुत्र प्राप्ति के उपलक्ष्य में देवी प्रतिमा का निर्माण कराया। तेन्दुआ एवं बटौली में भी देवी प्रतिमा इसी काल में है।
- कल्चुरियों का प्रभाव क्षीण होते ही इस वन्य प्रांत की जातियाँ अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए आपस में संघर्षरत रहीं। इन जातियों में बालेन्दु अधिक शक्तिशाली थे। बालेन्दु शासकों को पराजित कर इस क्षेत्र में चंदेल शासकों का प्रादुर्भाव होता है।
- रंजीदेव अंगूरी भी चंदेल शासक थे। इनके दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र अंगीरी के शासक बने, छोटे पुत्र रूद्रशाह ने बर्दी में आकर अपनी सत्ता स्थापित की तब से सोलवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक इस क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए कसौटा राज्य के महाराज विक्रमाजीत सिंह को चुरहट में अपना सामन्त नियुक्त किया तब से यह क्षेत्र बघेलों के आधिपतय में चला गया जो स्वतंत्रता तक अंतिम बघेल शासक महाराज मार्तण्ड सिंह जूदेव के अधीन रहा।
सीधी जिले पर टिप्पणी लिखिए ?
- मध्यप्रदेश का हिस्सा है, इसकी छवि गौरवशाली इतिहास और कला की है। सीधी, राज्य की उत्तर-पूर्वी सीमा में स्थित है। सीधी को इसके प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक कला के लिए जाना जाता है। सीधी प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ है, सोन नदीं यहाँ से गुजरती है।
- संजय राष्ट्रीय उद्याान दुबरी में जो सीधी मुुुख्यालय से 80 कि.मी. की दूरी पर दक्षिणी छोर में स्थ्ति है ।
- राष्ट्रीय अम्यारण्य भी हैै जोेे बगदरा में
है। सोन नदी में सोन घडियाल भी है। गोपद बनास तहसील क्षेत्र में घोघरा देवी का
मन्दिर हैै जहां प्रतिवर्ष नवरात्रि में मेला लगता है,माना जाता है
अकबर के नौ रत्नों में से एक बीरबल का जन्म भी यहीं हुआ था। इस जिले के भवरसेंंन
मे वाणभट्ट का जन्म हुआ माना जाता है |
सीधी जिले के पर्यटन स्थल Sidhi Tourist Spot
सिहावल एवं बघोर पुरापाषाण अवशेष क्षेत्र
- इस जिले के सिहावल एवं बघोर क्षेत्र में खुदाई से उच्च पुरापाषाण काल (लगभग 40,000 वर्ष प्राचीन) से संबंधित अनेक औजारों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। सोन घाटी का यह क्षेत्र पुरातात्विक शोध के क्षेत्र में अपना अलग महत्त्व रखता है।
चंद्रेह शैव मंदिर व मठ
- जिले के रामपुर नैकिन में चंद्रेह ग्राम में 972 ई. में निर्मित प्राचीन शैव मंदिर एवं मठ स्थित हैं। यह मंदिर चेदि शासकों के गुरु प्रबोध शिव, जो मत्त-मयूर नामक प्रसिद्ध शैव संप्रदाय से संबंधित थे, ने साधना व शैव सिद्धांत के प्रचार हेतु स्थापित किया।
- मंदिर से जुड़ी हुई संरचना बालुका पत्थर से निर्मित एक मठ है जिसमें इसके निर्माण काल से संबंधित दो प्राचीन संस्कृत शिलालेख लगे हैं।
- इस संप्रदाय द्वारा अनेक मंदिर स्थापित किये गये जिनमें कदवाहा मंदिर, अशोकनगर व सुरवाया मंदिर, शिवपुरी प्रमुख हैं। चंद्रेह शैव मंदिर सोन एवं बनास नदी के संगम के निकट स्थित है व वर्तमान में भारतीय पुरातात्विक सर्वे द्वारा संधारित है। यह मंदिर पर्सिली रिसॉर्ट से लगभग 60 किमी की दूरी पर है
संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यान व
टाइगर रिजर्व
- जिले के जैव-विविधतापूर्ण वन क्षेत्र को संरक्षित करने की दृष्टि से संजय-दुबरी राष्ट्रीय उद्यान व टाइगर रिजर्व की स्थापना 1975 में की गई। सदाबहार साल वनों का यह क्षेत्र 152 पक्षी, 32 स्तनधारी, 11 सरीसृप, 3 उभयचर व 34 मत्स्य प्रजातियों समेत अनेक जीवों विशेषकर बाघों का आश्रयस्थल है।
- सफेद बाघों में सबसे प्रथम बाघ ‘मोहन’ यहीं पाया गया था। बाघों के साथ ही यहां स्लोथ भालू, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, सांबर, तेंदुआ, धोल, जंगली बिल्ली, हाइना, साही, गीदड़, लोमड़ी, भेड़िया, पाइथन, चौसिंघा और बार्किंग डियर पाए जाते हैं।
- संजय राष्ट्रीय उद्यान जो संजय-डुबरी टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है, घूमने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थान है।
- टाइगर रिज़र्व में संजय राष्ट्रीय उद्यान और दुबरी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, दोनों 831 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्रफल को कवर करते हैं और सीधी जिले में स्थित हैं। यह क्षेत्र अपने बड़े आकार और समृद्ध जैव विविधता के साथ प्रसिद्ध है। इसमें साल, बांस और मिश्रित वन हैं।
चंद्रेह शैव मंदिर व मठ
- जिले के रामपुर नैकिन में चंद्रेह ग्राम में 972 ई. में निर्मित प्राचीन शैव मंदिर एवं मठ स्थित हैं। यह मंदिर चेदि शासकों के गुरु प्रबोध शिव, जो मत्त-मयूर नामक प्रसिद्ध शैव संप्रदाय से संबंधित थे, ने साधना व शैव सिद्धांत के प्रचार हेतु स्थापित किया।
- मंदिर से जुड़ी हुई संरचना बालुका पत्थर से निर्मित एक मठ है जिसमें इसके निर्माण काल से संबंधित दो प्राचीन संस्कृत शिलालेख लगे हैं।
- इस संप्रदाय द्वारा अनेक मंदिर स्थापित किये गये जिनमें कदवाहा मंदिर, अशोकनगर व सुरवाया मंदिर, शिवपुरी प्रमुख हैं। चंद्रेह शैव मंदिर सोन एवं बनास नदी के संगम के निकट स्थित है व वर्तमान में भारतीय पुरातात्विक सर्वे द्वारा संधारित है। यह मंदिर पर्सिली रिसॉर्ट से लगभग 60 किमी की दूरी पर है।
सोन घड़ियाल अभ्यारण्य
- सोन घड़ियाल अभयारण्य प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल के अंतर्गत घड़ियाल संरक्षण व जनसंख्या वृद्धि हेतु स्थापित किया गया। सोन नदी का 161 किमी, 23 किमी बनास नदी व 26 किमी गोपद नदी का क्षेत्र मिलाकर कुल 210 किमी क्षेत्र को 1981में अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया।
- रेतीले पर्यावास (जैसे रेतीले तट, नदी द्वीप आदि) अनेक संकटग्रस्त जीवों जैसे घड़ियाल, भारतीय नर्म खोल कछुए(Chitra Indica), भारतीय स्किमर( Rynchops albicollis) आदि हेतु प्रमुख आश्रय स्थान हैं। अभयारण्य में दर्ज लगभग 101 पक्षियों की प्रजातियां इसे जलीय व पक्षी जैव विविधता से भरपूर बनाती हैं।
परसिली रिसॉर्ट
- परसिली रिसॉर्ट, जो मझौली तहसील के पास सीधी मुख्यालय से 60.0 किमी (37.3 मील) दूर है | जिले के मझौली विकासखंड में बनास नदी के तट पर स्थित पर्सिली रिसॉर्ट रेतीले तटों और हरियाली का सुन्दर दृश्य समेटे हुए है।
- यह संजय राष्ट्रीय उद्यान व टाइगर रिज़र्व के प्रारम्भ बिंदु पर स्थित है व बालू तट पर नंगे पाँव सैर, सफारी व पक्षीदर्शन के लिए प्रसिद्ध है। यह रिसॉर्ट मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा संधारित है व एक सुखद व स्मरणीय अनुभव के लिए ऑनलाइन माध्यम से बुक किया जा सकता है।
सीधी जिले की महत्वपूर्ण जानकारी
- संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान यहाँ है।
- सीधी जिला -प्रदेश का पूर्वोत्तर हिस्सा है। जिले को तीन प्राकृतिक भागों में विभक्त किया गया है।-
- उत्तर की कैमोर श्रेणी
- सोन नदी की घाटी
- मझौली एवं मड़वास का पठार
सीधी जिला 6वीं शताब्दी में प्रतिहारों के प्रभुत्व है। 7वीं शताब्दी के अंत में कल्चुरियों का प्रभाव स्थापित हुआ। इसी वंश के युवराज देश प्रथम के शासन काल में ग्राम चन्दरेह में शिव मंदिर तथा शैव मठ का निर्माण कराया गया। सोलहवीं शताब्दी में यह क्षेत्र बघेलों के आधिपत्य में चला गया जो स्वतंत्रता तक अंतिम बघेल शासक महाराज मार्तण्ड सिंह जूदेव के अधीन रहा।
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