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वैद्युत चालन की परमाणवीय व्याख्या । स्थिर विद्युत प्रेरण। आवेश का पृष्ठ घनत्व । तड़ित व तड़ित चालक। Vidhyut Chalan Kya hota hai
वैद्युत चालन की परमाणवीय व्याख्या, स्थिर विद्युत प्रेरण, आवेश का पृष्ठ घनत्व , तड़ित व तड़ित चालक
वैद्युत चालन की परमाणवीय व्याख्या
सामान्यतया धातुएँ विद्युत की सुचालक होती हैं। इनकी परमाणु संरचना इस प्रकार होती हैं कि सबसे बाहरी कक्षा में 1 या 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं व नाभिक से इनकी दूरी भी अपेक्षाकृत अधिक होती है।
अतः कूलाम के नियमानुसार नाभिक में स्थित धनावेशित प्रोटानों द्वारा इस पर आरोपित आकर्षण बल कम हो जाता है। इस प्रकार इनका नाभिक से बन्धन (binding) क्षीण होने के कारण ये आसानी से दूसरे परमाणु की बाहरी कक्षा में प्रवेश कर जाते हैं।
इन इलेक्ट्रानों को इनके मूल स्थान से पदार्थ को रगड़ कर या गर्म कर, हटाया जा सकता है। इनमें से अनेक इलेक्ट्रॉन अपने परमाणुओं से अलग होकर पूरे पदार्थ में (परमाणुओं के मध्य रिक्त स्थानों में) यादृच्छिक (irregular) गति करते रहते हैं, इन्हें मुक्त इलेक्ट्रॉन (Free electron) अथवा चालक इलेक्ट्रॉन (Conductor Electron) कहते हैं।
धातुओं की चालकता किस बात पर निर्भर करती है
ये इलेक्ट्रॉन ही आवेश को पदार्थ में एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाते हैं। अतः किसी ठोस पदार्थ की विद्युत चालकता उसके भीतर मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है। धातुओं में यह संख्या बहुत अधिक (लगभग 1029 प्रति घन मीटर) होती है। इसी कारण धातुएँ विद्युत की सुचालक (Good conductor) होती हैं।
चाँदी विद्युत का सबसे अच्छा चालक है, उसके बाद क्रमशः ताँबा, सोना व ऐल्यूमीनियम हैं।
कुछ धातु (पदार्थ) विद्युत के कुचालक क्यों होते हैं
जिन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत ही कम अथवा नगण्य होती हैं उनमें आवेश का प्रवाह संभव नहीं हो पाता और इसीलिए वे विद्युत की कुचालक (Bad Conductor or Insulator) कहलाती हैं।
ताप का पदार्थ की चालकता पर प्रभाव
ध्यातव्य है कि ताप बढ़ाने पर चालक पदार्थों का विद्युत प्रतिरोध बढ़ता है अर्थात् उसकी चालकता घटती है, जबकि अर्द्ध-चालक पदार्थों की चालकता ताप के घटाने पर घटती है और ताप के बढ़ाने पर बढ़ती है।
परम शून्य ताप पर अर्द्ध-चालक (Semi conductor) पदार्थ आदर्श अचालक (Non conductor) के सदृश्य व्यवहार करता है।
ज्ञातव्य है कि अर्द्ध-चालक पदार्थों में अशुद्धियाँ मिलाने पर उसकी विद्युत चालकता बढ़ जाती है।
वैद्युत चालन केवल ठोसों या धातुओं में ही नहीं होता बल्कि द्रवों (liquids) व गैसों (Gasses) में भी होता है। परन्तु दोनों में अंतर है।
धातुओं और गैसों के विद्युत चालन मे अंतर
धातुओं में विद्युत का चालन मुक्त इलेक्ट्रानों के चलने से होता है जबकि द्रवों तथा गैसों में यह धन तथा ऋण दोनों प्रकार के आवेश वाहकों (i.e. - आयनों) के चलने से होता है।
स्थिर विद्युत प्रेरण (Electrostatic Induction)
यदि किसी उदासीन चालक के समीप किसी आवेशित चालक को इस प्रकार ले जायें कि वह उसे स्पर्श न करे तो उदासीन चालक के उस सिरे पर जो आवेशित चालक के समीप रहता है आवेशित चालक के विपरीत आवेश उत्पन्न हो जाता है तथा दूसरे सिरे पर आवेशित चालक के समान आवेश उत्पन्न हो जाता है। इस घटना को ही स्थिर वैद्युत प्रेरण कहते हैं।
इसका कारण भी समान आवेशों के बीच प्रतिकर्षण व विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण ही है। आवेशित चालक को हटा लेने पर दूसरा चालक पुनः उदासीन हो जाता है। इस प्रभाव का प्रयोग करके हम किसी वस्तु या चालक को आवेशित भी कर सकते हैं।
आवेश का पृष्ठ घनत्व (Surface Density of Charge)
किसी चालक के इकाई क्षेत्रफल पर उपस्थित आवेश की मात्रा को उस आवेश का पृष्ठ घनत्व कहते हैं।
किसी चालक का पृष्ठ घनत्व चालक के आकार (size) तथा चालक के आसपास स्थित अन्य चालकों पर निर्भर करता है।
किसी चालक के पृष्ठ के विभिन्न भागों पर आवेश का वितरण भी उन स्थानों के आकार पर निर्भर करता है। नुकीले भाग पर पृष्ठ घनत्व सबसे अधिक होता है क्योंकि नुकीले भाग का क्षेत्रफल सबसे कम होता है।
जब हवा के कण किसी नुकीले (pointed) आवेशित चालक से टकराते हैं तो प्रेरण द्वारा वे भी आवेशित हो जाते हैं और समान प्रकृति का आवेश प्राप्त करने के कारण प्रतिकर्षण द्वारा दूर चले जाते हैं और उनके स्थान पर हवा के दूसरे कण आते हैं और उनके साथ भी यही क्रिया दुहराई जाती है। फलतः नुकीले भाग द्वारा आवेश वायु में फैल जाता है। इस प्रकार वायु के कणों द्वारा आवेश को बाहर ले जाने की घटना संवहन विसर्जन (Convection discharge) और इस संवहन धारा (Convection cur rent) को विद्युत पवन (electric wind) कहते हैं।
तड़ित व तड़ित चालक क्या होता है (Lightening and Lightening Conductor)
आवेशित मेघों (Charged Clouds) के आपस में टकराने से भारी मात्रा में आवेश का प्रवाह पृथ्वी की तरफ होता है जिसे तड़ित (Lightening) या आकाशीय बिजली कहते हैं।
तड़ित चालक किसी धातु प्रायः ताँबे या लोहे का एक छड़ (Rod) होता है जो तड़ित के आघात से भवनों को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है।
इसके ऊपरी सिरे पर कई नुकीले सिरे बने होते हैं जिसे भवनों (buildings) के सबसे ऊपरी हिस्से में आकाशोन्मुखी (Towards Sky) दिशा में लगा देते हैं तथा इसे किसी विद्युत सुचालक तार (Wire) द्वारा भूसम्पर्कित कर दिया जाता है ।
तड़ितघात (Lightening) होने पर आपतित आवेश तड़ित चालक द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है और तार माध्यम से में भेज दिया जाता है। कुछ आवेश संवहन धाराओं (Convection Currents) द्वारा वायु में भी संचरित या विसर्जित कर दिया जाता है। इस प्रकार भवन व उसमें स्थित लोग तड़ित के आघात से बच जाते हैं।
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