संतुलित आहार किसे कहते हैं। What is Balanced Diet in Hindi
संतुलित आहार किसे कहते हैं (What is Balanced Diet in Hindi)
संतुलित आहार किसे कहते हैं
- ऐसा आहार, जिसमें सभी पोषक तत्व उचित अनुपात में सम्मिलित होते हैं, सन्तुलित आहार कहलाता है।
- पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन करने से हमारी सेहत अच्छी रहती है। पौष्टिक और पर्याप्त भोजन वह होता है जो शरीर की जरूरतों के अनुसार सभी पौष्टिक तत्व उपलब्ध कराता है।
- सन्तुलित आहार के जरिए अच्छा पोषण मिलता है जिससे आवश्यक पौष्टिक तत्व सही व सन्तुलित मात्रा में शरीर को मिलते हैं।
- उच्च स्तर के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए सन्तुलित आहार आवश्यक है।
- सन्तुलित आहार प्रत्येक व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य और कार्य के अनुसार निर्धारित होता है।
प्रतिदिन औसत कैलोरी की आवश्यकता-
आयु वर्ग -
10-12 वर्ष -2000
12-14 वर्ष -2200
14-16 वर्ष -2600
15-18 वर्ष -3000
व्यस्क - 2500 से 4000
66-75 वर्ष -2300
भोजन की सफाई (Cleaning of Food)
- भोजन का हमारे स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है। भोजन केवल हमारी भूख को सन्तुष्ट नहीं करता बल्कि विभिन्न शारीरिक व मानसिक गतिविधियों के लिए पौष्टिक तत्व भी उपलब्ध कराकर हमें स्वस्थ रखता है। यदि भोजन स्वच्छ न हो, तो इससे हमें लाभ के बदले हानि हो सकती है, इसलिए भोजन की सफाई पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है।
- भोजन की सफाई में हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसके पौष्टिक तत्व नष्ट न हों। कई प्रकार के भोज्य पदार्थ हम कच्चा खाते हैं, जबकि कई अन्य भोज्य पदार्थ हम पकाकर खाते हैं। खाना पकाने के समय भी हमें भोजन की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। खाद्य पदार्थों को अधिक देर तक पकाने से उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
- खाना यथासम्भव ताजा होना चाहिए। बासी भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद हो सकता है।
- खाद्य पदार्थों में मिलावट, जिसे खाद्य अपमिश्रण कहा जाता है, से बचने के लिए भी भोजन करने से पहले से इसकी गुणवत्ता के बारे में पता करना आवश्यक है।
- खाद्य पदार्थों में मिलावट की स्थिति में मिलावटी पदार्थों को निकालने के लिए इसकी सफाई आवश्यक है।
- भोजन की सफाई के बाद उसकी गुणवत्ता को अधिक दिनों तक बनाए रखने के लिए भोजन-परिरक्षण का प्रयोग किया जाता है। भोजन-परिरक्षण ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न विकारीय भोजन वस्तुओं को भौतिक या रासायनिक या दोनों उपचारों द्वारा ऐसे रूपों में परिवर्तित कर दिया जाता है जिसके फलस्वरूप उनकी पौष्टिकता कायम रखी जाती है और उनका जीवनकाल बढ़ा दिया जाता है ताकि वे जल्द नष्ट न होने पाएँ।
- भोजन परिरक्षण के लिए सामान्यतः दो प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है। ये प्रणालियाँ हैं—जीवाणुनाशन प्रणाली एवं जीवाणु निष्क्रियण प्रणाली। उन्हें जीवाणुनाशन प्रणाली में खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह पकाने के बाद डिब्बाबन्द कर जीवाणुओं को पूरी तरह से नष्ट किया जाता है।
- जीवाणु निष्क्रियण प्रणाली में जीवाणुओं और एन्जाइमों को कई तरीकों जैसे - लवणन, शुष्कन, निर्जलन, अम्लोपचार, आदि द्वारा निष्क्रिय कर दिया जाता है। नमक के घोल एवं चीनी में खाद्य वस्तुओं का परिरक्षण इसी का उदाहरण है।
- खाद्य वस्तुओं से नमी को निकाल देने को निर्जलन कहते हैं। पत्तीदार सब्जियों, फूलगोभी, आदि को इसी विधि से सुखाकर परिरक्षित किया जाता है।
- खाद्य -पदार्थों में अधिक मात्रा में नमक और चीनी डालकर उन्हें लम्बे समय तक खाद्य परिरक्षित किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक नमक और चीनी सूक्ष्मजीवी कोशिकाओं का द्रव्यकुंचन करते हैं, जिससे वे निष्क्रिय हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं। सूक्ष्म जीवों की इस निष्क्रियता के कारण नमक के घोल अथवा चीनी की गाढ़ी में परिरक्षित पदार्थों का जीवनकाल बढ़ जाता है।
- खाद्य पदार्थों में रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीवों जैसे- जीवाणु एवं कवक आदि के अधिक संख्या में मौजूद होने या फिर खाद्य वस्तुओं में रोगाणुओं द्वारा उत्पन्न विषैले पदार्थों के मौजूद होने के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों को भोजन विषाक्तन कहते हैं। भोजन-विषाक्तन की समस्या से बचने के लिए भी भोजन की सफाई आवश्यक है।
Also Read....
Post a Comment