वायु प्रदूषण का अर्थ स्रोत |वायु प्रदूषण के प्रभाव|वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय |Air Pollution Meaning Sources Impact
वायु प्रदूषण का अर्थ स्रोत , वायु प्रदूषण के प्रभाव, वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
- वायुमंडल एक गैसीय आवरण है, जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है। वायु विभिन्न गैसों का यांत्रिक मिश्रण है। सामान्यतः वायु में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन 032 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड तथा शेष निष्क्रिय गैस तथा जलवाष्प होती है। मानव जीवन वायु के बिना असंभव है।
वायु प्रदूषण से क्या तात्पर्य है? वायु प्रदूषकों के प्रकार बताइए?
वायु प्रदूषण का अर्थ
- जब वायुमंडल के बाह्य से विविध प्रदूषक तथा धूल, गैस और वाष्प आदि इतनी मात्रा में और अवधि में एकत्रित हो जाये कि उससे वायु के प्राकृतिक गुण में अन्तर आने लगे तथा उससे मानव स्वास्थ्य, सुखी जीवन और संपत्ति को हानि होने लगे व जीवन की गुणवत्ता बाधित हो तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।
वायु प्रदूषण के स्रोत Sources of Air Pollution
- वायु प्रदूषण की समस्या जटिल एवं गंभीर होती जा रही है, प्रदूषण संस्थानीय और वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है इसके लिए भौगोलिक सीमाओं का कोई बंधन नहीं है, मुख्य रूप से प्रदूषण स्थानीय समस्या है, इसके स्रोत एवं कारक एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं, त्वरित क्रिया करने वाली जहरीली गैस (मिथाइल आइसो साइनेट एवं फॉस्जीन), जो भोपाल गैस दुर्घटना के नाम से जानी जाती है, स्थानीय वायु प्रदूषण का प्रत्यक्ष उदाहरण है। यद्यपि वातावरण में परिवर्तन, अम्लीय वर्षा, ओजोन गैस का बढ़ना, ओजोन परत का क्षरण महाद्वीपीय एवं वैश्विक वायु प्रदूषण के उदाहरण हैं।
- देश में वायु प्रदूषण की समस्या काफी जटिल है। पेट्रोलियम शोधनशालाओं, वस्त्र उद्योगों, रसायन उद्योगों और विद्युत उद्योगों से औद्योगिक प्रदूषण काफी अधिक होता है। देश के अधिकांश बड़े महानगरों में यातायात के कारण विशेषकर दुपहिया व तिपहिया वाहनों से वायु प्रदूषण सर्वाधिक होता है। कानुपर गर्द - गुबार में दिल्ली से तीन गुना आगे है। भारत में मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, कानपुर, दुर्गापुर, भिलाई, जमशेदपुर आदि शहरों में उद्योगों के कारण वायु प्रदूषण की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
- आधुनिकता तथा विकास ने बीते वर्षों में वायु को प्रदूषित कर दिया है। उद्योग, वाहन, प्रदूषण में वृद्धि, शहरीकरण कुछ प्रमुख घटक हैं जिनसे वायु प्रदूषण बढ़ता है। ताप विद्युत गृह सीमेट, लोहे के उद्योग, तेल शोध उद्योग, खान, पेट्रोलियम उद्योग वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- यह गंधहीन, रंगहीन गैस है। जो कि पेट्रोल, डीजल तथा कार्बन युक्त ईधन के पूरी तरह न जलने से उत्पन्न होती है। यह हमारे प्रतिक्रिया तंत्र को प्रभावित करती है और हमें नींद में ले जाकर भ्रमित करती है।
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
- यह प्रमुख ग्रीन हाउस गैस है जो मानव द्वारा कोयला, तेल तथा अन्य प्राकृतिक गैसों के जलाने से उत्पन्न होती है ।
क्लोरो फ्लोरो कार्बन (CFC)
- यह वह गैस है जो मुख्यतः फ्रीज तथा एयरकंडीशनिंग यंत्रों से निकलती हैं। यह ऊपर वातावरण में पहुँचकर अन्य गैसों के साथ मिलकर उस ओजोन परत को प्रभावित करती है जो कि सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकने का कार्य करती हैं।
लैड
- यह पेट्रोल, डीजल, लैड बैटरियाँ, दीवार रंगने के उत्पादों आदि में पाया जाता है और प्रमुख रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह रासायनिक तंत्र को प्रभावित करता है और कैंसर को जन्म दे सकता है तथा अन्य पाचन सम्बन्धित बीमारियां पैदा करता है।
ओजोन
- यह वायुमंडल की ऊपरी सतह पर पाई जाती है। यह महत्वपूर्ण गैस, हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है। लेकिन पृथ्वी पर यह एक अत्यंत हानिकारक प्रदूषक है। वाहन तथा उद्योग इसके उत्पन्न होने के प्रमुख कारण हैं। उससे आंखों में खुजली, जलन पैदा होती है, पानी आता है। यह हमारी सर्दी और न्यूमोनिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)
- यह धुआं पैदा करती है। अम्लीय वर्षा को जन्म देती है। यह पेट्रोल, डीजल, कोयले को जलाने से उत्पन्न होती है। यह गैस बच्चों को सर्दियों में सांस की बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
सस्पेंडेड पार्टीकुलेटेड मैटर (SPM )
- कभी-कभी हवा में धुआं-धूल वाष्प के कण लटके रहते हैं। यही धुंध पैदा करते हैं तथा दूर तक देखने की सीमा को कम कर देते हैं। इन्हीं के महीन कण सांस लेने से जीवों के फेफड़ों में चले जाते हैं, जिससे श्वसन क्रिया तंत्र प्रभावित हो जाता है।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
- यह कोयले के जलने से बनती है। विशेष रूप से तापीय विद्युत उत्पादन तथा अन्य उद्योगों के कारण पैदा होती है। यह धुंध, कोहरे, अम्लीय वर्षा को जन्म देती है और तरह-तरह की फेफड़ों की बीमारी पैदा करती है।
वायु प्रदूषण के प्रभावों व नियंत्रण के उपायों पर टिप्पणी लिखिए ?
वायु प्रदूषण के प्रभाव
वायु प्रदूषण मनुष्य के स्वास्थ्य पर निम्न हानिकारक प्रभाव डालता है।
1. प्रदूषित वायु से श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। अस्थमा, श्वसनीशोध, गले का दर्द, निमोनिया जैसे श्वसन रोगों इसी के प्रतिफल हैं।
2. प्रदूषण के कारण कैंसर (विशेषकर फेफड़े का कैंसर), हृदय रोग, उच्च रक्त चाप जैसी बीमारियां भी बड़े पैमाने पर हो रही हैं।
3. वायु में मिला कार्बनमोनो ऑक्साइड (CO) रक्त में प्रवेश कर जाता है और तत्काल ऑक्सीजन का स्थान ले लेता है। यह हीमोग्लोबिन से मिलकर कार्बोक्सि हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है जो शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
4. वायु प्रदूषण के कारण शरीर के महत्वपूर्ण अंग दिल और मस्तिष्क प्रभावित होते हैं और दिल का दौरा पड़ने की घटनाओं में भी वृद्धि होती है।
5. सीसा, पारा और कैडमियम के प्रभाव के कारण रक्तचाप बढ़ सकता है तथा अनेक प्रकार के हृदय रोग हो सकते हैं। कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह आदि के लिए वायुमंडल में सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की अधिकता को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सल्फर डाइऑक्साइड से एम्फायसीमा नामक रोग भी हो सकता है।
6. मानव तथा अन्य प्राणियों के समान पौधे भी वायु प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। इससे पौधों की वृद्धि प्रभावित तो होती ही है, उनसे होने वाला उत्पादन भी घट जाता है।
7. वायु प्रदूषण की वजह से स्मारकों, निर्जीव पदार्थों और मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचता है। मथुरा रिफाइनरी से निकलने वाले प्रदूषकों के कारण ताजमहल और मथुरा के प्राचीन मंदिर प्रभावित हो रहे हैं। उसी प्रकार दिल्ली रेलवे स्टेशन के इंजनों के धुएं तथा इंद्रप्रस्थ बिजली के घर के कोयले की राख से लाल किले के पत्थर प्रभावित हो रहे हैं।
वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समग्र रूप से निम्न प्रयास किए जाने चाहिए।
1. औद्योगिक विकास के साथ ही वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों को मद्दे नजर रखते हुए औद्योगिक प्रदेश के चारों ओर हरित पट्टी का विकास किया जाना चाहिए।
2. वाहनों का इंजन पुराना नहीं होना चाहिए तथा वाहनों से उत्पन्न धुएं पर छलनी तथा प्रश्च ज्वलक लगाया जाए। वाहनों में उपयोग में लिया जाने वाला डीजल संयोजी पदार्थों के मिश्रणयुक्त होना चाहिए।
3 घरेलू ईंधन के रूप में धुआं रहित ईधन जैसे हीटर, कुकिंग गैस, कुकिंग रेंज इत्यादि का प्रयोग किया 4. जाना चाहिए, जिससे घरेलू स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण से मुक्ति मिल सके। परंपरागत ईधन का उपयोग नियंत्रित सीमा में किया जाए तथा 'धूम्र रहित चूल्हे का प्रयोग करना चाहिए।
5. वायु प्रदूषण के प्रति जनता को सचेत करके इसके हानिकारक दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए, जिसके अंतर्गत मानव शरीर पर पड़ने वाले घातक प्रभावों से आम जनता को परिचित कराया जाए। आम नागरिक के अतिरिक्त सरकारी संस्थानों तथा कर्मचारियों, अधिकारियों, राजनीतिज्ञों तथा उद्योगपतियों को भी वायु प्रदूषण के घातक परिणामों की जानकारी देनी चाहिए।
6. प्राणघातक प्रदूषण करने वाली सामग्रियों तथा तत्वों के उत्पादन एवं उपभोग पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। जैसे ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाली गैसों क्लोरो फ्लोरो- कार्बन आदि के उपभोग एवं उत्पादन में भारी कटौती की जानी चाहिए।
7. वनोन्मूलन को नियंत्रित करके वनरोपण के कार्य को तीव्र करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार यदि किसी क्षेत्र के 33 प्रतिशत या इससे अधिक भाग पर वनावरण है तो प्रदूषण की तीव्रता परिलक्षित नहीं होती है।
8. वाहनों में सी०एन०जी० ईधन व यूरो-1 व यूरो-2 मानकों का कड़ाई से पालन होना चाहिए।
9. "वायु प्रदूषण अधिनियम 1981' का कठोरता से पालन होना चाहिए।
10. यदि कोई नागरिक अथवा संस्था प्रदूषण संबंधी कोई शिकायत करता है तो उसे गुप्त रखते हुए उस पर राज्य प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रक मंडल द्वारा एक निश्चित अवधि कमे कार्रवाही करनी चाहिए और उसे सार्वजनिक करना चाहिए।
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