पृथ्वी की आंतरिक संरचना |पृथ्वी की तीन प्रमुख परतें भूपर्पटी प्रावार और क्रोड |Earth Structure in Hindi
पृथ्वी की आंतरिक संरचना - परतन और संरचना Earth Structure in Hindi
- हमने पहले चर्चा की है कि भूकंपीय लहरों के व्यवहार, भौतिक और रासायनिक गुणों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना को तीन परतों के रूप में पहचाना गया है। पृथ्वी की तीन प्रमुख परतें भूपर्पटी प्रावार और क्रोड हैं ।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना - पृथ्वी की तीन प्रमुख परतें भूपर्पटी प्रावार और क्रोड
भूपर्पटी
- पृथ्वी की सतह की सबसे बाह्य ठोस परत है। यह भंगुर चट्टानों से निर्मित है जो कि आसानी से भंग होती है। यह मोटाई और रासायनिक संरचना में भिन्न होती है, जो कि इसके महासागरीय या महाद्वीपीय होने पर निर्भर करता है। वे पूर्णतः पृथक भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं। पृथ्वी की भूपर्पटी असदृश्य जमी चट्टानों की एक बहुत पतली परत के रूप में है।
- भूपर्पटी लगभग 35 कि.मी. मोटी है और असदृश्य शैलों से निर्मित है। भूकंपीय तरंगों से संकेत मिलता है कि महाद्वीपों की तुलना में महासागरों के नीचे भूपर्पटी पतली और घनी है।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना की परतें
महासागरीय और महाद्वीपीय भूपर्पटी की विशेषताएँ
पृथ्वी की भूपपर्टी को उनके संयोजन के आधार पर दो उपपरतों में विभाजित किया गया है:
सियाल (SIAL)
- यह ऊपरी महाद्वीपीय परत के रूप में भी जानी जाती है और इसमें स्थलीय सतह पर पाये जाने वाली सभी प्रकार की चट्टानें पाई जाती हैं। इसका घनत्व लगभग 2.7 ग्राम / सेमी है। सियाल में ग्रेनाइट ग्रैनोडायोराईटिक (granodioritic) संयोजन की फेल्सिक (felsic) चट्टानें शामिल हैं। सिलिका (Si) की गात्रा लगभग 70% है। इसके बाद एल्यूमीनियम (Al) दूसरे प्रचुर मात्रा में घटक के रूप में होता है और इसलिए इसे SIAL कहा जाता है।
सिमा (SIMa):
- यह 22 कि.मी. मोटी परत है और इसे निम्न महाद्वीपीय भूपर्पटी (Lower continental crust) कहा जाता है। यह एक ऐसी परत है जो संभवतः पूरी धरती पर आच्छादित है। यह गहरे रंग का और भारी है तथा बेसाल्ट इसकी विशिष्ट चट्टान है। इसका घनत्व लगभग 3 से 3.4 ग्राम/सेमी है। सिलिका की मात्रा 40 से 50% है और मैग्नीशियम दूसरे स्थान पर है। इसलिए इसे सिमा (SiMa Si-सिलिका, Ma-मैग्नेशियम ) कहा जाता है।
इसके संयोजन के आधार पर सिमा को निम्न भागों में विभाजित किया गया है :
बाह्य सिमा (Outer SiMa)
- यह 19 किमी की गहराई तक फैली हुई है और इसमें मध्यवर्ती संयोजन (intermediate composition) की शैलें शामिल हैं। मध्यवर्ती संयोजन की शैलों में 55 से 65% तक सिलिका होता है.
आंतरिक सिमा (Inner SiMa)
- यह 19 किमी की गहराई से 33 किमी की गहराई तक विस्तृत है और इसकी चट्टानें मैफिक (mafic) से अतिमैफिक (ultramafic) संयोजन से निर्मित हैं।
कॉनरेड असांतत्य (Conrad Discontinuity)
- लगभग 11 किमी की गहराई में स्थित है जो सियाल परत को नीचे स्थित सिमा परत से अलग करती है।
प्रावार
- क्रोड और भूपर्पटी के बीच स्थित है। इसकी ऊपरी सतह महासागरीय परत से करीब 5 से 10 कि.मी. नीचे है और महाद्वीपीय परत से लगभग 20 से 80 कि.मी. नीचे है।
- वह काल्पनिक रेखा जो स्थलमंडल को प्रावार से अलग करती है उसे 'मोहो' (Moho) या मोहरोविसिक असांतत्य कहते हैं।
- मोहरोविसिक (Mohorovicic) और गुटेनबर्ग (Gutenberg) दो प्रमुख असंबद्धतायें हैं। मोहरोविसिक या मोहो असांतत्य प्रावार की बाह्य सीम का निर्धारण करती है। गुटेनबर्ग असंबद्धता (Gutenberg discontinuity) प्रावार की आंतरिक सीमा का निर्धारण करती है.
- प्रावार पृथ्वी के आयतन का 83% और इसके द्रव्यमान का 68% है। इसकी औसत मोटाई लगभग 2865 किमी है और इसका विस्तार 35 से 2890 किमी है।
- प्रावार भी प्रकृति में विषमरूप है, जिसका कई निम्न क्रम की असांतत्यों से संकेत मिलता है। यह महासागरीय तल के प्रसार महाद्वीपीय विस्थापन, पर्वत निर्माण प्रक्रिया और बड़े भूकंपों के लिए जिम्मेदार अधिकांश बलों का स्रोत क्षेत्र है। प्रावार में भूपर्पटीय चट्टानों की तुलना में उच्च भूकंपीय तरंग वेग (8 कि. मी / सेकेंड) इसके घने, अतिमैफिक संयोजन का संकेत है।
- भूपर्पटी और ऊपरी प्रावार मिलकर स्थलमंडल निर्मित करते हैं, जो करीब 100 किमी की औसत गहराई तक विस्तृत है, और विवर्तनिक प्लेटों का भी निर्माण करते हैं। महासागरों के नीचे यह लगभग 70 कि.मी. मोटी है और महाद्वीपों से नीचे 125 से 250 कि.मी. मोटी है स्थलमंडल के नीचे, भूकंपीय तरंग की गति अचानक एक नम्य (plastic) कम वेग वाले क्षेत्र (low velocity zone) में घट जाती है जिसे दुर्बलतामंडल कहा जाता है ।
क्रोड
- क्रोड प्रावार के नीचे स्थित पृथ्वी का सबसे आंतरिक भाग है। भूकंप तरंगों के अध्ययन के आधार पर क्रोड को बाह्य और आंतरिक क्रोड में विभाजित किया गया है। आंतरिक क्रोड को 'निफे' (Nife) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें निकेल और लौह शामिल होते हैं। क्रोड गुटेनबर्ग असातत्य (Gutenberg Discontinuity) द्वारा प्रावार से पृथक होता है।
- क्रोड का विस्तार 2890 से 6371 किलोमीटर तक (सारणी 3. 2) है। इसकी ऊपरी सीमा गुटेनबर्ग असांतत्य द्वारा चिह्नित है। खगोलीय आंकड़े प्रयोगशाला प्रयोग और भूकम्प विज्ञान क्रोड के बारे में हमारी जानकारी में योगदान करते हैं।
- क्रोड की संरचना संभवतः निकल और लोहे से है और इसलिए इसे निफे/ Nife (नी/ Ni = निकेल / Nickel. फ्रे / Fe= लौह / Ferrous) कहा जाता है। क्रोड संयोजन का अनुमान इसके परिकलित घनत्व, भौतिकीय और विद्युत चुम्बकीय गुणों तथा उल्कापिंडों की संरचना के आधार पर किया गया है।
- P तरंगों के व्यवहार से पूर्व में ही अवगत हैं कि आंतरिक क्रोड ठोस है। S-तरंगें जो तरल पदार्थों के माध्यम में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। यह संकेत करता है कि प्रावार तक विस्तृत बाह्य क्रोड जो कि छाया क्षेत्र का निर्माण करता है तरल अवस्था में है, अर्थात बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है तथा आंतरिक क्रोड ठोस अवस्था में है।
असातत्य (Discontinuities):
गहरे और उथले भूकंपों के विश्लेषण से पता चला है कि एक निश्चित गहराई में भूकंप की लहरों के वेग और अन्य विशेषताओं में अचानक परिवर्तन या भंग उत्पन्न होता है, जो असांतत्य को दर्शाता है । उन्हें निम्न दो समूहों में रखा जा सकता है:
1) प्रमुख असातत्य
इन्हें प्रथम क्रम की असंबद्धता के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
- a) मोहरोविसिक असांतत्य (Mohorovicic discontinuity) या सामान्यतः मोहो असातत्य (Moho discontinuity) भूपर्पटी को प्रावार से अलग करती है। इसकी गहराई परिवर्तनीय है जो महासागरों के नीचे 2 से 10 कि.मी. की गहराई पर तथा नहाद्वीपों के नीचे औसतन 35 कि.मी. की गहराई पर है। यहां ध्यान दें कि मोहो पर्वतों के नीचे 70 कि.मी. गहराई तक हो सकता है.
- उदाहरण तिब्बत का पठार
(b) गुटेनबर्ग असांतत्य (Gutenberg discontinuity) प्रावार को क्रोड से अलग करता है।
भूपर्पटी प्रावार और क्रोड तथा प्रमुख असातत्य को दर्शाते हुए पृथ्वी का अनुप्रस्थ काट दायीं तरफ सतह से गहराई कि.मी. मे तापमान डिग्री केल्विन में, बायीं तरफ के अंक द्रव्यमान धनत्व 103 kg/m में।
2) सामान्य असांतत्य
इन्हें दूसरे क्रम की असंबद्धता के रूप में भी जाना जाता है।
(a) आंतरिक और बाह्य क्रोड के बीच लेमन बुलन (Lehmann Bullen ) असांतत्य पायी जाती है।
(b) कॉनरेड असांतत्य (Conrad discontinuity) ऊपरी और निचली भूपपर्टी के मध्य स्थित है जो आठ ऐसी असांतत्यों में से एक है।
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