पारिस्थितिकीय सिद्धांत |Ecological Principles in Hindi
पारिस्थितिकीय सिद्धांत Ecological Principles in Hindi
पारिस्थितिकीय सिद्धांत (Ecological Principles )
पारिस्थितिकीय विज्ञान (Ecology) में पारिस्थितिक संसाधनों के सदुपयोग तथा उनको स्वस्थ एवं टिकाऊ अवस्था में बनाये रखने का अध्ययन किया जाता है। पशु-पक्षियों एवं पेड़-पौधों के विकास (Evolution), वितरण, वृद्धि, विलोपन तथा विनाश (Extinction) किन्हीं सिद्धांतों के अंतर्गत होता है। पारिस्थितिक के प्रमुख सिद्धांतों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
- पारिस्थितिकी विज्ञान की मूलभूत (Fundamental) इकाई पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) है।
- भौतिक (Physical) तथा जैविक (Biological) प्रक्रियाओं में एकरूपतावाद (Uniformitarianism) का सिद्धांत लागू होता है। भूआकृति विज्ञान (Geomorphology) की भाँति पारिस्थितिकी विज्ञान की प्रक्रियाओं में एकरूपतावाद के सिद्धांत जो भूतकाल में लागू थे वही वर्तमान में लागू होते हैं।
- सभी भौतिक तथा जैविक तत्वों में पारस्परिक प्रतिक्रियाशीलता पाई जाती है।
- पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) प्रकाय सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा पर निर्भर करता है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को पेड़-पौधे ग्रहण करते हैं, इसीलिए पेड़-पौधों को प्राइमरी उत्पादक (Primary Producer) कहते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) में ऊर्जा संचार के निम्न सिद्धांत हैं-
(i) प्रथम सिद्धांत (Law I):
- किसी भी तंत्र ( system) की राशि (Mass) में ऊर्जा की न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही उसका विनाश होता है। दूसरे शब्दों में ऊर्जा अंतर्वाह (Inflow) तथा बर्हिवाह (Outflow) में संतुलन पाया जाता है।
(ii) दूसरा सिद्धांत (Law II):
- किसी प्रक्रिया में जो ऊर्जा छितरती (Dissipate) है। वास्तव में किसी कार्य के करने में ऊर्जा का एक स्वरूप बदल कर दूसरे स्वरूप में विदित हो जाती है।
5. जैवमंडल (Biosphere) में ऊर्जा संचार एकदिशीय (unidirectional) होता है।
6. जैवमंडल में भौतिक तत्व का संचार (Circulation of matter) एक चक्र-पथ (cyclic path) के रूप में संपादित होता है।
7. पारिस्थितिक तंत्र की उत्पादकता का तात्पर्य प्रति इकाई जैव-पदार्थ से है। यह उत्पादकता प्राइमरी उत्पादकों (वनस्पति) के द्वारा होता है।
8. पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) में स्वतः नियामक यंत्र-रचना (Self-regulatory Mechanism) पायी जाती है। यदि पारिस्थितिक तंत्र में कोई परिवर्तन होता है तो धीरे-धीरे उसमें स्वतः प्राकृतिक रूप से संतुलन स्थापित हो जाता है।
9. यदि पारिस्थितिक तंत्र पर बाह्य बलों का प्रभाव अत्यधिक बढ़ जाए तो पारिस्थितिक तंत्र संतुलित नहीं रह पाता।
10. वनस्पति समुदाय (Plant community) का आनुक्रमिक विकास (Successional development) होता है।
11. सांक्रांतिक अवस्थाओं (Transitional stages) में वनस्पति के एक समुदाय (community) के दूसरी समुदाय में परिवर्तित होने को सेरी (Sere) कहते हैं। आनुक्रमिक विकास (Successional development) के अंत में विकसित होने वाली कम्युनिटी (community) को क्लाइमेक्स (climak) कहते हैं।
12. मानव पर्यावरण का एक सक्रिय घटक है जो पर्यावरण में निरंतर परिवर्तन करता रहता है।
13. आहार-विविधता (Food-diversity) से पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन एवं स्थिरता बढ़ती है।
14. पारिस्थितिकी (Ecology) अध्ययन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों को टिकाऊ बनाना तथा जैविक विविधता में स्थिरता उत्पन्न करना है।
15. संसाधनों का सदुपयोग करके ही जैविक विविधता (Biodiversity) संभव है।
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