पर्यावरण संरक्षण के संवैधानिक प्रावधान |Environmental Laws in India In Hindi

पर्यावरण संरक्षण के संवैधानिक प्रावधान
Environmental Laws in India In Hindi

पर्यावरण संरक्षण के संवैधानिक प्रावधान |Environmental Laws in India In Hindi


भारत के पर्यावरण संबंधी कानून (Environmental Laws in India) 

भारत के संविधान में लगभग 200 कानून पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित बनाये जा चुके हैं। भारत के प्रमुख कानून निम्न प्रकार हैं-

 

1. वन्य प्राणी (Protection) एक्ट 1972 

2. जल प्रदूषण संबंधित एक्ट 1974 (Water Prevention and Control Pollution Act 1974) 

3. वन (संरक्षण) एक्ट 1980 

4. वायु संरक्षण एक्ट 1986 

5. पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट 1986 

6. नेशनल पर्यावरण ट्रिव्युनल एक्ट 1995

 

वन्य लाइफ एक्ट, 1972 (Wild life Act 1972) 

वन्य प्राणी एक्ट 1972 के मुख्य धाराए निम्न प्रकार हैं- 

 

1. विशेष पेड़-पौधे को संरक्षण प्रदान करना । 

2. जंगली पशु-पक्षियों के शिकार करने पर प्रतिबंध लगाना। 

3. नेशनल पार्क, सेंक्चुरी (Sanctuaries) तथा जैव-संरक्षण के लिये विशेष क्षेत्रों को घोषित करना। 

4. नेशनल पार्क, सेंक्चुरी इत्यादि का प्रबंधन करना । 

5. केंद्रीय चिड़ियाघर कमेटी का गठन करना। 

6. शिक्षा एवं शोध कार्य के लिये वन-पशु पक्षियों के शिकार के लिये लाइसेंस जारी करना। 

7. शिक्षा एवं शोध कार्य के लिये किसी विशेष वृक्ष, पौधे को उखाड़ने अथवा तोड़ने के लिये लाइसेंस जारी करना। 

8. वन्य पशु-पक्षियों तथा उनके उत्पाद के व्यापार के लिये लाइसेंस जारी करना। 

9. उन पेड़-पौधों को उगाने का लाइसेंस देना जिनके उगाने पर प्रतिबंध है। . 

10. अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों का संरक्षण करना। 

11. जो एक्ट के कानूनों को तोड़े उनको दंडित करना।

 

जल संरक्षण एवं प्रदूषण संबंधित 1974

 (Water Prevention and Control of Pollution ) Act of 1974

 

इस ऐक्ट का मुख्य उद्देश्य जल का सदुपयोग करने तथा उसको प्रदूषण से बचाना है। यह कानून केंद्रीय सरकार को केंद्रीय जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बनाने (Centeral Water Pollution Control Board) का अधिकार भी देता है। इसके अनुसार राज्य सरकार भी अपने, राज्य जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रचना कर सकते हैं। 

जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निम्न कार्य हैं

 

1. कुओं तथा नदियों को स्वच्छ रखने का प्रयास करना । 

2. केंद्रीय राज्य सरकारों को जल प्रदूषण संबंधित सुझाव देना ।

3. जल प्रदूषण नियंत्रण करने के लिये शोध कार्य करना । 

4. जल अपवादों के जल नमूने (Sample) एकत्रित करना । 

5. जल प्रदूषण के बारे में लोगों को ट्रेनिंग देना । 

6. जल प्रदूषण के बारे में विशेष क्षेत्रों का सर्वेक्षण करना। 

7. किसी मोहल्ले के मकानों में जल संबंधी रजिस्टर इत्यादि की जाँच के लिये सर्वेक्षण करना। 

8. कुओं तथा नदियों में कूड़ा इत्यादि गिराने पर रोक लगाना । 

9. प्रदूषित जल के अपवाह के लिये नई नालियाँ बनाना। 

10. जल प्रदूषण करने वालों को दंडित करना। 

11. अकस्मात् जल प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिये उपयुक्त उपाय करना। 

12. कुओं का पानी प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध कचहरों में मुकदमा दायर करना। 

13. प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों को बंद करना, ऐसे कारखानों में बिजली की सप्लाई पर रोकथाम लगाना। 

उपरोक्त धाराओं का उल्लंघन करने वाले को छः वर्ष की सजा हो सकती है।

 

वन संरक्षण एक्ट 1980 (Forest Conservation Act. 1980)

 

  • वन संरक्षण एक्ट 1980 में बनाया गया था। इसके प्रावधान के अनुसार (i) किसी आरक्षित जंगल को अनारक्षित जंगल घोषित किया जा सकता है तथा (ii) किसी वन को किसी अन्य भूमि उपयोग में बदला जा सकता है। 

  • वन संरक्षण एक्ट का उल्लंघन करने वाले को 15 दिन की सजा हो सकती है।

 

वायु ( संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण) एक्ट 1981

 (Air Prevention and Control of Pollution Act, 1981)

 

वायु संरक्षण एवं प्रदूषण एक्ट 29 मार्च, 1981 को पारित किया गया था। इस कानून के अंतर्गत वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Air Pollution Control Board) की स्थापना की गई। इस बोर्ड के मुख्य कर्त्तव्य निम्न प्रकार हैं-

 वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्य 

(i) किसी भी क्षेत्र को वायु प्रदूषित क्षेत्र घोषित करना। 

(ii) वाहनों के द्वारा प्रदूषण उत्सर्जन की सीमा निर्धारित करना। 

(iii) प्रदूषण की दृष्टि से उद्योगों की स्थापना करना। 

(iv) वायु प्रदूषण फैलाने वालों के विरुद्ध कोर्ट में मुकदमा दायर करना।

(v) प्रदूषण चेक करने के लिये किसी भी कारखाने का निरीक्षण करना। 

( vi ) प्रदूषण से संबंधित कारखानों से कोई भी जानकारी प्राप्त करना । 

(vii) किसी भी कारखाने से प्रदूषण के नमूने एकत्रित करना।

 

इस कानून का उल्लंघन करने वालों को दंडित करना। कानून तोड़ने वालों को तीन महीने की सजा तथा दस हजार पड़ सकता है। वायु प्रदूषण के लिये मैनेजिंग डायरेक्टर उत्तरदायी होता है। 10 हजार रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। इसी प्रकार इस कानून की धारा 21 का उल्लंघन करने वाले को डेढ़ वर्ष से छः वर्ष तक की सजा हो सकती है। न्यायपालिका के निर्णय का पालन न करने पर पाँच हजार रुपये का अतिरिक्त दंड दे

 

पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1982 (Environmental Protection Act, 1982 )

 

पर्यावरण संरक्षण एक्ट 1982 का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षण प्रदान करना तथा उसको बेहतर बनाना है। यह कानून केंद्रीय सरकार को ऐसे उपाय करने का अधिकार देता है जो पर्यावरण को शुद्ध एवं स्वच्छ रखने में सहायता करें। इस एक्ट के मुख्य बिंदु निम्न प्रकार हैं-

 

(i) पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिये राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएँ तैयार करना और उनको लागू  करना।

(ii) प्रदूषण के विभिन्न मापदंड तैयार करना।  

(iii) हानिकारक गैस उत्सर्जन तथा उद्योगों से निकाले जाने वाले जल इत्यादि के नियम तथा कानून तैयार करना। 

(iv) औद्योगिक क्षेत्रों ( Industrial Areas) की सीमा निर्धारित करना । 

(v) दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिये कार्य प्रणाली तैयार करना। 

(vi) खतरनाक अवशेषों को लाने ले जाने की कार्यप्रणाली तैयार करना। 

(vii) उन सभी संसाधनों, कच्चे माल तथा औद्योगिक प्रक्रियाओं का निरीक्षण एवं परीक्षण करना जिनसे प्रदूषण बढ़ने की संभावना हो। 

(viii) पर्यावरण प्रदूषण संबंधी शोध कार्य करना। 

(ix) किसी भी औद्योगिक इकाई में जाकर उसकी मशीनों इत्यादि का निरीक्षण करना। 

(x) पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिये आचरण संहिता (Code of Conduct ) तैयार करना

 

इनके अतिरिक्त यह एक्ट केंद्रीय सरकार को निम्न अधिकार भी प्रदान करता है 

(क) विभिन्न कार्यों के लिये अधिकारियों की नियुक्ति करना

(ख) यदि आवश्यक हो तो कारखाने को बंद करने के आदेश देना. 

(ग) निर्धारित सीमा से अधिक हानिकारक गैसों के उत्सर्जन पर रोक लगाना

(घ) हानिकारक सामग्री (Hazardous Material) को लाने व ले जाने की नियमित कार्य प्रणाली को सुनिश्चित करना

(ङ) दूषित पदार्थों (Pollutants) के नमूने (Samples) एकत्रित करना और उनकी प्रयोगशालाओं में जाँच करना तथा (

च) पर्यावरण प्रदूषण संबंधी कानून तथा नियम तैयार करना।

 

विकिरण अथवा प्रसारण कानून (Radiation Laves) 

प्रदूषण के विकिरण तथा प्रसारण सम्बंधी निम्न कानून हैं

 

(i) परमाणु ऊर्जा एक्ट, 1962 (The Atomic Energy Act, 1962) 

(ii) विकिरण संरक्षण नियम, 1971 (Radiation Protection Rule, 1971) 

(iii) पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1972 (The Environmental Protection Act, 1982) 

(iv) पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (The Environment Impact Assessment Notification, 1994, as further amended in 1994).

 

  • पर्यावरण संरक्षण ऐक्ट 1982 की धाराओं का उल्लंघन करने वालों के लिये कठोर दंड का प्रावधान है, जिसके अंतर्गत पाँच साल की सजा अथवा एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

 

राष्ट्रीय पर्यावरण / अदालत एक्ट, 1995 

( The National Environment Tribunal Act, 1995 )

 

संयुक्त राष्ट्र संघ का पृथ्वी शिखर सम्मेलन (Earth Summit) जिसका आयोजन 1992 में रियो डी जनेरो (ब्राजील) में हुआ था, उसके निर्णयों एवं पारित प्रस्ताव का पालन करते हुये भारत सरकार ने 1995 में एक अदालत (Tribunal) स्थापित की। पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले समाज पर तथा व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खराब प्रभाव की सुनवाई इस अदालत में की जाती है। इस कानून के अंतर्गत प्रभावित व्यक्ति/समाज निम्न प्रकार की हानियों के लिये हरजानों (Damages) को माँग कर सकता है। 

 

(i) मृत्यु 

(ii) स्थाई या अस्थाई तौर पर शरीर पर कोई अंग प्रभावित होने, चोट लगने अथवा बीमार होने पर हरजाना तलब किया जा सकता है। 

(iii) शारीरिक असमर्थता होने पर वेतन/मजदूरी का प्रबंधन करना। 

(iv) प्रभावित व्यक्ति के इलाज पर खर्च होने वाले धन की आपूर्ति की जाना। 

(v) संपत्ति अथवा जायदाद को होने वाली हानि की आपूर्ति। 

(vi) सरकार के द्वारा पुनर्वास (Rehabilitation) इलाज, राहत के लिये दिये जाने वाले धन की आपूर्ति 

(vii) मुकदमा लड़े जाने की दशा में सरकार के द्वारा किया जाने वाले धन को हरजाने के तौर पर  माँग करना। 

(viii) सरकार को होने वाली हानि की आपूर्ति। 

(ix) पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों तथा दूध देने वाले पशुओं को होने वाली हानि की आपूर्ति कराना। कराना। 

(x) वनस्पति एवं जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले नुकसान की भरपाई 

(xi) मिट्टी, वायु, जल तथा पारितंत्र को होने वाले नुकसान की भरपाई कराना। 

(xii) सरकारी संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई कराना। 

(xiii) वाणिज्य तथा बेरोजगारी की भरपाई कराना। 

(xiv) हानिकारक अवशेषों (Hazardous Waste) के एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने होने वाले नुकसान को भरपाई।

 

बायोडाइवस्ट एक्ट, 2002 (Biodiversity Act, 2002)

 

  • भारत में जैव-विविधता एक्ट 2002 में पारित किया गया। इस एक्ट के द्वारा नेशनल बाइओडाइवस्टी प्राधिकरण (National Biodiversity Authority-NBA), स्टेट बाइओडाइवस्टी बोर्ड तथा जैव-विविधता प्रबंधन समिति (Biodiversity Management Committes ( BMCS) गठित करने का प्रावधान है। इस ऐक्ट के अंतर्गत नेशनल बाइओडाइवस्टी प्राधिकरण का गठन 2003 में किया गया था।

 

  • इस एक्ट के अनुसार सभी विदेशी संगठनों को जैव-विविधता के संसाधनों को प्राप्त करने अथवा उनका उपयोग करने के लिये राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) की अनुमति लेना अनिवार्य है। भारतीय मूल के व्यक्तियों को किसी जैव-विविधता संबंधित शोध कार्य की जानकारी किसी विदेशी नागरिक अथवा संगठन को देने से पहले एन. बी० ए० (NBA) की अनुमति लेना अनिवार्य है।

 

  • भारतीय औद्योगिक जगत को किसी भी जैव-विविधता संसाधन को उपयोग में इस्तेमाल करने से पहले स्टेट बाइओडाइवस्टी बोर्ड (S.B.B.) को सूचित करना अनिवार्य है। यदि एस. बी० बी० (S.B.B.) की राय में इस प्रकार के संसाधनों के उपयोग से एक्ट का उल्लंघन हो रहा है और जैविक विविधता संरक्षण में बाधा आ रही है तो उस पर रोक लगाई जा सकती है। 

  • इन रुकावटों एवं प्रतिबंधों के बावजूद भारतीय मूल के हकीम (Hakims) तथा वैद्य (Vaids) जैव-संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। 

  • इस प्रकार के शोधकारियों से अर्जित धन को नेशनल बाइओडाइवस्टी प्राधिकरण कोष में जमा कराना होगा। ऐसे धन को जैव विविधता संरक्षण पर खर्च किया जाए।

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