इतिहास के प्रमुख व्यक्ति (Famous Historic Person in Hindi)
इतिहास के प्रमुख व्यक्ति (Famous Historic Person in Hindi)
सर एफ० जे० हैलिडे
ये बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा असम के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। 1853 के चार्टर एक्ट द्वारा सेवामुक्त किए जाने से पहले इन्होंने गवर्नर जनरल प्रशासन का अतिरिक्त कार्यभार संभाला।
हामिदा बानू बेगम
हुमायूं की पत्नी तथा अकबर की माता जिसका अकबर के व्यक्तित्व पर अत्यधिक प्रभाव था।
डेविड हेयर
पेशे से घड़ीसाज, जो भारत में पाश्चात्य शिक्षा के प्रसार में विशेष रुचि रखते थे। मुख्यतः इन्हींके प्रयासों के कारण 1817 में कलकत्ता के हिंदू कॉलेज की स्थापना हुई। अंग्रेजी तथा बंगाली पुस्तकों की छपाई के लिए इन्होंने स्कूल बुक सोसायटी की स्थापना की।
हरि विजय सूरी
अकबर के काल का प्रसिद्ध जैन शिक्षक जिसे अकबर ने फतहपुर सीकरी के' इबादत खाना' में आयोजित होने वाली धार्मिक बहसों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।
हेमचंद्र
बारहवीं शताब्दी का प्रमुख जैन लेखक जिसने त्रिशष्टिशलाका पुरुषचरितकी रचना की जिसमें 126 जैन संतों की जीवनी है। परिशिष्टपर्वन (जिसमें अन्य बातों के अलावा चंद्रगुप्त मौर्य के जैन बनने का उल्लेख है) इनका पूरक ग्रंथ है।
हुविष्क
कनिष्क का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था। इसने बड़ी संख्या में सिक्के जारी किए जिससे ज्ञात होता है कि इसका शासन इसके पिता द्वारा स्थापित बड़े साम्राज्य पर था।
सर कर्टनी इलबर्ट
वायसराय की कार्यकारी परिषद का, (1882 तथा 1886 के बीच) विधि सदस्य; जिसने प्रसिद्ध इलवर्ट बिल का प्रतिपादन किया तथा बाद में विधायिका द्वारा कुछ मौलिक सुधारों (यूरोपीय विरोध के कारण) के बाद इसे लागू किया। बाद में यह कलकत्ता विश्वविद्यालय का कुलपति बना।
सर एलिजा इम्पे
इन्हें 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के द्वारा कलकत्ता के सुप्रीम कोर्ट का प्रथम मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इन्होंने 1775 में नंद कुमार पर जालसाजी का आरोप लगाया तथा उसे मृत्युदंड दे दिया। यह संभवतः वारेन हेस्टिंग्स (जो कि इम्पे का मित्र था) के इशारे पर किया गया था। सन् 1779 में इनके नेतृत्व में अधिकार क्षेत्र के प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट का गवर्नर जनरल की परिषद से झगड़ा प्रारंभ हुआ।
इस्लामशाह सूरी
शेरशाह सूरी का पुत्र एवं उत्तराधिकारी जिसने 1545 से 1554 तक दिल्ली पर शासन किया, सेना की कुशलता बनाए रखी तथा अपने पिता द्वारा जारी किए गए कई सुधारों को जारी रखा।
जहांआरा
शाहजहां की दो बेटियों में बड़ी बेटी जिसने उत्तराधिकार के युद्ध में दारा का साथ दिया तथा औरंगजेब के उत्तराधिकारी बनने के बाद स्वयं को अपने बंदी पिता की सेवा में समर्पित कर दिया। वह एक महान् कवयित्री भी थी।
जयदेव
प्रसिद्ध कवि तथा लक्ष्मण सेन (12वीं शताब्दी के अन्त में) के समकालीन, जयदेव ने प्रसिद्ध गीत गोविंदकी रचना की।
जयमल
मेवाड़ का महान् योद्धा था जब अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया तो राणा उदयसिंह ने उसे चित्तौड़ का प्रभारी बनाया। मुगल सेना से पराजित होने से पूर्व इसने बहादुरीपूर्वक चार महीने तक किले की रक्षा की।
जयसिंह
आंबेर का कछवाहा शासक, जिसने शाहजहां के जीवन के अंतिम वर्षों तथा औरंगजेब के शासनकाल के प्रारंभिक वर्षों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उत्तराधिकार के युद्ध में इसे शहजादा शुजा के विरुद्ध लड़ने के लिए भेजा गया था जिसे इसने पराजित कर बंगाल तक पीछा किया। बाद में औरंगजेब ने इसे क्षमा कर दिया तथा इसकी नियुक्ति दक्कन में हुई जहां उसने सफलतापूर्वक अपना अभियान चलाया तथा शिवाजी को पुरंदर की संधि (1665) स्वीकार करने के लिए बाध्य किया।
जयपाल
उत्तर पश्चिम भारत में वाहिंद (उदभांडपुर) का हिंदूशाही शासक, जिसे महमूद गजनी ने 1001 में पेशावर के निकट एक युद्ध में बुरी तरह परास्त किया। बताया जाता है कि अपमान के कारण इसने अपने पुत्र आनंदपाल को राजा बनाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन इसके पुत्र को भी महमूद ने 1008 में पराजित किया जिसके बाद हिंदूशाही वंश का अंत हो गया।
जसवंतसिंह
मारवाड़ (राजधानी जोधपुर) का राठौर शासक था। उत्तराधिकार के युद्ध में इसे शाहजहां द्वारा औरंगजेब के विरुद्ध भेजा गया था, किंतु उज्जैन के निकट धर्मरत के युद्ध (1658) में यह पराजित हो गया। बाद में इसे औरंगजेच ने माफ कर दिया तथा मुगल सेवा में रख लिया। उत्तर-पश्चिम में सेवा के दौरान 1678 में इसकी मृत्यु हो गई । जसवंतसिंह की मृत्यु के बाद उत्पन्न हुए पुत्र (अजीतसिंह) को औरंगजेब द्वारा वैधानिक उत्तराधिकारी के रूप में अस्वीकार करने के कारण इसके समर्थकों ने औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
मुहम्मद अली जिन्ना
पाकिस्तान के संस्थापक जिनका जन्म कराची में हुआ था। इन्होंने कानून का अध्ययन किया तथा बंबई में सफल वकील बने। कांग्रेस के दादाभाई नौरोजी तथा जी०के० गोखले जैसे उदारवादी नेताओं के अनुयायी के रूप में भारतीय राजनीति में आए तथा 1910 में केंद्रीय विधायी परिषद के सदस्य बने । किंतु शीघ्र ही ये मुस्लिम लीग के सदस्य (1913) बन गए। 1916 के इसके लखनऊ अधिवेशन के अध्यक्ष बने। राष्ट्रीय राजनीति में गांधीजी के आने के बाद ये कांग्रेस से पूर्णत: अलग हो गए तथा लीग का पुनर्गठन शुरू कर दिया। धार्मिक आधार पर भारत के बंटवारे की मांग की (1940)। 'कायदे आजम' (महान नेता) की उपाधि से सम्मानित जिन्ना स्वतंत्र पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने।
सरविलियम जोंस
प्रसिद्ध ब्रिटिश प्राच्यविद्तथा न्यायविद् जिन्होंने 1789 में कलकत्ता में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की तथा 1794 में अपनी मृत्यु तक इसके अध्यक्ष बने रहे। भारत में अपने प्रवास (1784-94) के दौरान ये कलकत्ता की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी बने। फारसी तथा संस्कृत भाषाओं के विद्वान होने के कारण इन्होंने कई हिंदू तथा मुस्लिम ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद किया।
कडफिशेज प्रथम
भारत में कुषाण वंश के संस्थापक, जो प्रथम शताब्दी में था। इसके साम्राज्य में बैक्ट्रिया, अफगानिस्तान तथा भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग थे।
मलिक काफूर
मूलत: एक हिंदू था। इसे अलाउद्दीन खिलजी ने अपने गुजरात अभियान (1297) के दौरान पकड़कर मुसलमान बनाया। ये एक योग्य सेनापति तथा सुल्तान का सबसे विश्वसनीय अधिकारी साबित हुआ। इसने सुल्तान के लिए देवगिरि, वारंगल, द्वारसमुद्र, मालाबार तथा मदुरै राज्यों पर अधिकार किया। लेकिन अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद इसने सुल्तान के अवयस्क पुत्रों में से एक को गद्दी पर बिठाया तथा वास्तविक नियंत्रण अपने हाथों में रखा। अंततः सभी विरोधियों ने एकत्र होकर इसकी हत्या कर दी।
कल्हण
काश्मीर के राजाओं के इतिहास राजतरंगिणी के लेखक जिनका काल 12वीं शताब्दी था।
शहजादा कामरान
बाबर का द्वितीय पुत्र था। इसके बड़े भाई हुमायूं ने इसे अफगानिस्तान क्षेत्र सौंपा था। लेकिन हुमायूं के बुरे दिनों में इसने हुमायूं को शरण नहीं दी। अंतत: भारत पर पुनः अधिकार करने से पूर्व हुमायूं ने फारसियों की सहायता से अफगानिस्तान पर अधिकार कर लिया।
कर्णसिंह
मेवाड़ के राणा प्रताप का पौत्र तथा राणा अमरसिंह का पुत्र था। इसके पिता से समझौता हो जाने के बाद जहांगीर ने 1614 में इसे 5000 का मनसव प्रदान किया। बाद में यह अपने पिता का उत्तराधिकारी बना तथा मुगलों के साथ मित्रवत संबंध बनाए रखे।
कश्यप मातंग
चीनी सम्राट मिंग द्वारा भेजे गए दूतमंडल के आग्रह पर प्रथम शताब्दी के उत्तरार्द्ध में चीन जाकर वहां बौद्ध धर्म का प्रारंभ करने वाला प्रथम भारतीय बौद्ध भिक्षु था।
कौडिन्य
कंबोडिया की परंपरा के अनुसार यह एक भारतीय ब्राह्मण था जिसने आधुनिक कंबोडिया में कंबोज राज्य की स्थापना की।
खाफी खान
इस नाम से मुहम्मद हाशिम ने अपना प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रंथ' मुंतखाबुल लुबाब' लिखा। यह ग्रंथ औरंगजेब के शासनकाल में गुप्त रूप से लिखा गया था क्योंकि औरंगजेब इसके विरुद्ध था। इसने शिवाजी की विजयों तथा उनके गुणों का निष्पक्षता के साथ वर्णन किया है।
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