भारतीय इतिहास के प्रमुख व्यक्ति | प्रमुख ऐतिहासिक व्यक्ति| Famous Historic Personality in HIndi
भारतीय इतिहास के प्रमुख व्यक्तिप्रमुख ऐतिहासिक व्यक्ति
भारतीय इतिहास के प्रमुख व्यक्ति
रिचर्ड बरवेल -
- ईस्ट इंडिया कंपनी का एक अधिकारी जिसे 1773 के एक्ट के द्वारा गवर्नर जनरल की कौंसिल का सदस्य बनाया गया। अन्य तीन सदस्यों के विपरीत इसने वारेन हेस्टिंग्स को पूर्ण समर्थन दिया।
बाज बहादुर–
- मालवा का शासक जिसकी राजधानी मांड़ थी। यह स्थापत्य कला तथा संगीत के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। अकबर ने इसके राज्य पर अधिकार कर लिया, किंतु बाद में इसे अपने साम्राज्य की सेवा में रख लिया। इसकी पत्नी, रूपमती अपनी सुंदरता के कारण जानी जाती थी।
कप्तान बेस्ट -
- अंग्रेज जहाज' ड्रैगन' का कमांडर। इसने 1622 में स्वाली (सूरत के निकट) में पुर्तगाली सैनिक टुकड़ी को पराजित किया जिसके कारण जहांगीर ने अंग्रेजों को सूरत में कारखाना स्थापित करने की अनुमति दे दी।
जे० ई० डी० बेथून –
- गवर्नर जनरल की परिषद का विधि सदस्य, यह भारतीय महिलाओं की शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। यह कलकत्ता के बेथून स्कूल फॉर गर्ल्स के संस्थापक थे।
भगवान दास-
- आंबेर के कछवाहा शासक तथा राजा भारमल (जिसने स्वेच्छा से अकबर के समक्ष आत्मसमर्पण किया) के पुत्र भगवानदास ने अकबर के अधीन काफी तरक्की की। राजा मानसिंह, जिसने अकबर की कई प्रकार से सेवा की, उनके पुत्र थे ।
भानी –
- थानेश्वर का शक्तिशाली सामंत जिसने हर्ष के राज्यारोहण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भास-
- प्राचीन भारत का संस्कृत नाटककार जिसने 13 नाटकों की रचना की जिनमें से स्वप्नवासवदत्ता, चारूदत्त, प्रतिमासबसे अधिक लोकप्रिय हैं।
भास्कराचार्य
- 12वीं शताब्दी का प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री तथा गणितज्ञ भास्कराचार्य का जन्म बीजापुर में हुआ था तथा इन्होंने सिद्धांत शिरोमणि, जिसे लीलावती के नाम से भी जाना जाता है, की रचना की।
भास्करवर्मन
- कामरूप (असम) का प्रसिद्ध शासक। यह कन्नौज के हर्षवर्धन का समकालीन एवं मित्र था। हर्ष ने गौड़ (बंगाल) के शशांक की शक्ति पर अंकुश लगाने में उसकी सहायता की। उसने हर्ष द्वारा कन्नौज एवं प्रयाग में आयोजित दो सभाओं में भाग लिया। चीनी धर्मयात्री ह्वेनसांग उसके दरबार में गया था।
भवभूति-
- प्रारंभिक आठवीं शताब्दी का संस्कृत कवि एवं नाटककार, यह कन्नौज के राजा यशोवर्मन के दरबार में था। उत्तरचरिततथा मालतीमाधव उसकी रचनाओं में से हैं।
भीमल -
- प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर (शिव का) पर 1025 में महमूद गजनी के आक्रमण के समय गुजरात का सोलंकी शासक.
भीम द्वितीय-
- गुजरात का सोलंकी शासक जो मुहम्मद गौरी को उस समय पराजित करने वाला प्रथम भारतीय था, जब गौरी ने 1178 में पश्चिमी क्षेत्र से भारत में घुसने का प्रयत्न किया था।
भोजप्रथम ( मिहिर ) -
- यह कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार राजाओं में महानतम था। एक अरब यात्री, सुलेमान के अनुसार उसकी घुड़सवार सेना भारत में सर्वोत्तम थी।
भोज द्वितीय -
- भोज प्रथम का पौत्र, इसने दसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में दो वर्षों के अत्यंत छोटे अंतराल के लिए प्रतिहार राज्य पर शासन किया।
भोज (मालवा का ) –
- मालवा का 1018 से 1060 के दौरान परमार अथवा पवार शासक जिसकी राजधानी धार थी। यह विद्वानों का महान संरक्षक था। इसने कई संस्कृत ग्रंथों की रचना की। इसने प्रसिद्ध भोजपुर झील (250 वर्ग मील) का निर्माण करवाया जो 15वीं शताब्दी तक बनी रही।
बिहारी लाल-
- तुलसीदास के बाद वह 17वीं शताब्दी के सबसे महत्त्वपूर्ण कवि थे तथा इन्होंने सतसई की रचना की। बिल्हण कल्याण के चालुक्य शासक विक्रमादित्य पष्ट (1076-1127) का दरबारी कवि जिसने विक्रमांकचरित की रचना की।
वीरनारायण-
गढ़कटंगा का अवयस्क शासक जिसकी मां, रानी दुर्गावती की मृत्यु अकबर के विरुद्ध अपने किले की रक्षा करते हुए युद्ध में हुई।
वीरसिंह बुंदेला -
- यह बुंदेल प्रमुख था जिसने शहजादा सलीम (जहांगीर) के कहने पर अबुल फजल की हत्या की। उसने 33 लाख रुपए की लागत से मथुरा के केशव देव मंदिर का निर्माण करवाया।
राजा बीरबल –
- अकबर की सेवा में एक राजपूत प्रमुख जो यह सम्राट का प्रिय था जिसने उसे 'राजा' तथा 'कवि प्रिय' (उसकी हिंदी कविता के लिए) की उपाधियां प्रदान की। उनकी मृत्यु 1586 में उत्तर-पश्चिम भारत में यूसुफजाई कबीले के विरुद्ध एक अभियान में हुई।
आर० एम० बर्ड -
- उत्तर-पश्चिम प्रांतों में भूमिकर बंदोबस्त के ब्रिटिश प्रभारी, इसने अपना काम दस वर्षो (1830-40) में किया जिसे महलवाड़ी बंदोबस्त कहा जाता है।
डॉ० ब्रायन –
- ब्रिटिश सेना का एक शल्य चिकित्सक तथा प्रथम अफगान युद्ध (1839-42) में बचने वाला एकमात्र व्यक्ति था।
मार्कीस डे बुसी -
- डुप्ले के अधीन एक प्रमुख फ्रांसीसी सेनापति, जो सात वर्ष (1751-58) तक सलाबत जंग (हैदराबाद का निजाम) का सैनिक सलाहकार रहा। काउंट डी लाली (डूप्ले का उत्तराधिकारी) द्वारा उसे हैदराबाद से वापस बुला लिए जाने के कारण निजाम के दरबार में फ्रांसीसी प्रभाव समाप्त हो गया।
सर हरकोर्ट बटलर –
- पहले वायसराय की कार्यकारी परिषद का सदस्य तथा बाद में संयुक्त प्रांत एवं वर्मा का गवर्नर बना। यह भारतीय राज्यों तथा ब्रिटिश सरकार के बीच संबंधों की जांच तथा उसके सुधारने के लिए उपाय सुझाए जाने वाली इंडियन स्टेट्स कमेटी (1927) का अध्यक्ष था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 1929 में सौंपी।
विलियम कैरे –
- प्रारंभिक 19वीं शताब्दी का ईसाई धर्म प्रचारक जिसने बंगाल में ईसाइयत का प्रसार किया। कई पुस्तकों तथा दो बंगाली पत्रिकाओं (दिग्दर्शन और समाचार दर्पण) के प्रकाशन से बंगाली गद्य को बढ़ावा प्रदान किया। पाश्चात्य विज्ञान तथा अंग्रेजी साहित्य को बढ़ावा देने की सिफारिश की तथा सती प्रथा का विरोध किया। उसने बेंटिक की सामाजिक तथा शिक्षा नीति को अत्यधिक प्रभावित किया।
चैतसिंह-
- बनारस का राजा जिसे वारेन हेस्टिंग्स ने अधिक से अधिक उपहार देने के लिए निरंतर तंग किया। अंतत: हेस्टिंग्स ने इसके राज्य को जब्त कर लिया जबकि राजा ग्वालियर भाग गया। बाद में हेस्टिंग्स के महाभियोग में यह एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बना ।
चंपतराय -
- बुंदेल प्रमुख, जिसने औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। मुगलों द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए इसने आत्महत्या कर ली। हालांकि इसके पुत्र छत्रसाल ने औरंगजेब के विरुद्ध अपना संघर्ष जारी रखा।
चामुंडराय-
- मैसूर के पश्चिमी गंग शासकों का एक मंत्री । इसने 982 ई. में श्रवण वेलगोला में एक पहाड़ी की चोटी पर जैन साधु गोमतेश्वर अथवा बाहुबली की प्रसिद्ध मूर्ति ( 56.5 फीट ऊंची) स्थापित करवाई।
चंदबरदाई-
- अजमेर के पृथ्वीराज चौहान का दरबारी कवि जिसने पृथ्वीराज रासो (जिसे चंद रास भी कहा जाता है) की रचना की जिसमें उसके संरक्षक के संयुक्ता से विवाह, उसके जीवन तथा उसकी उपलब्धियों का उल्लेख है।
चांद बीबी -
- अहमदनगर के हुसैन निजामशाह की पुत्री तथा बीजापुर के अली आदिलशाह की पत्नी थी। अहमदनगर पर अकबर के आक्रमण के विरुद्ध अपने प्रतिरोध के लिए प्रसिद्ध हुई।
चरक-
- कनिष्क के काल का प्रसिद्ध वैद्य। इन्होंने चिकित्सा तथा जांच से संबंधित प्रसिद्ध पुस्तक चरक संहिता लिखी।
जॉब चारनॉक –
- भारत में आने वाले प्रारंभिक अंग्रेज व्यापारियों में से एक, जिसने 1690 में कलकत्ता की नींव डाली।
चार्वाक –
- भारत के प्रारंभिक भौतिकतावादी दार्शनिकों में से एक जो लोकायत विचारधारा। इन्होंने अमर आत्मा के अस्तित्व को तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत को अस्वीकार किया एवं लोगों को इस जीवन में सुखी रहने की सलाह दी क्योंकि एक बार जल जाने के बाद शरीर का पुनर्निर्माण नहीं होता।
चारुमति-
- अशोक की पुत्रियों में से एक जो एक बौद्ध भिक्षुणी बनी, अपने पिता के साथ नेपाल की यात्रा पर गई तथा पिता के वापस आने पर वहीं रह गई। छत्रसाल- चंपतराय बुंदेला का पुत्र। जिसने औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह कर दिया तथा 1671 में पूर्वी मालवा में एक स्वतंत्र राज्य स्थापित किया जिसकी राजधानी पन्ना थी। बाद में बहादुरशाह प्रथम ने उसे मुगल सेवा में भर्ती कर लिया।
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