नारीवादी विचारधारा - नारीवादी आलोचना, नारीवादियों में एकमतीयता का अभाव | Feminist Criticism in Hindi

सार्वजनिक - निजी द्वन्द्व विभाजन की नारीवादी परिसीमा

नारीवादी विचारधारा - नारीवादी आलोचना, नारीवादियों में एकमतीयता का अभाव | Feminist Criticism in Hindi
 

नारीवादी विचारधारा - सार्वजनिक - निजी द्वन्द्व विभाजन की नारीवादी परिसीमा

  • उदारवादी सिद्धान्त में "सार्वजनिक" तथा "निजी" के विभेद कानून के सत्ता की परिसीमा के प्रश्न का उत्तर देते हैं। यह माना जाता है कि सार्वजनिक क्षेत्र पर सरकारी नियमन हो सकते हैंजबकि "निजी" क्षेत्र में उसकी आवश्यकता नहीं है। यौनता तथा परिवार निजी क्षेत्र में माने जाते हैं। मार्क्सवादी सिद्धान्त में भी यह विभेद एक दूसरे दृष्टिकोण से केन्द्र में है। ऐंग्लस का कहना था कि नारी दमन का प्रारंभ घरेलू कार्य के सार्वजनिक से निजी सेवा में रूपांतरण के साथ होता है। इस अर्थ में "निजी” दमन का क्षेत्र हैऔर जब महिला उत्पादन के "सार्वजनिक क्षेत्र में उभरेंगीकेवल तभी उनकी वास्तविक विमुक्ति होगी। चूँकि ऍग्लस के लिए इतिहास को संचालित करने वाली शक्ति उत्पादन के सम्बंध ( पूँजीवाद के संदर्भ पूँजी तथा श्रम के सम्बंध के रूप में परिभानित) हैंइसीलिए घरेलू कार्य "कार्य" नहीं है। इतिहास में नारी केवल इस सीमा तक भाग लेती हैजबकि वह "निजी" से उभरकर औद्योगिक श्रम कार्य में प्रवेश करती है।

 

1 नारीवादी आलोचना

 

  • उदार तथा मार्क्सवादी परम्पराओं की दोनों परम्पराओं के नारीवादियों ने इस विभेद को अवधारणा के रूप में गलत तथा राजनीतिक तौर पर दमनकारी बतलाया है। उदारवादी परम्परा में यह दलील दी जाती है कि "सार्वजनिक" (ग़ैर-घरेलू) तथा "निजी" (घरेलू) के बीच कल्पित द्वन्द्व विभाजन से परिवार को "न्याय" तथा "समानता" के मूल्यों से वंचित कर दिया गया हैजोकि 17वीं शताब्दी से उदारवादी दृष्टिकोण के प्रेरक रहे हैं। "व्यक्ति" घर का वयस्क पुरष मुखिया था और राज्य अथवा चर्च के हस्तक्षेप से स्वतंत्रता के अधिकार में उनके निजी क्षेत्र नारीबच्चेनौकर पर नियंत्रण का अधिकार शामिल था। इस तरह से राजनीतिक सिद्धान्त से परिवार के भीतर दमन को अदृश्य कर दिया गया था।

 

  • इस दृष्टिकोण को मानने के अलावासमाजवादी-नारीवादी मार्क्सवादी सिद्धान्त में सार्वजनिक निजी विभेद जोकि "उत्पादन" पर आधारित राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रतिमान के द्वारा निर्मित है और जिसे पूँजीवादी बाज़ार के लिए आर्थिक उत्पादन के रूप में परिभाषित किया जाता हैकी आलोचना करते हैं। उनकी दलील है कि यह प्रतिमान "पुनरुत्पादन" के "निजी" क्षेत्र को नकारता हैजिसमें नारी की जिम्मेदारी मानवों (बच्चा जनने के द्वारा) तथा श्रम शक्ति (घरेलू कार्य के द्वारा) के पुनरुत्पादन की होती है। पारम्परिक मार्क्सवादियों के लिए यह कार्य ग़ैर-आर्थिक अथवा अधिरचना के क्षेत्र का है और उन्होंने इसे "कार्य" के रूप में परिभावित हीं नहीं किया। समाजवादी - नारीवादी इसीलिए सार्वजनिक/ निजी विभेद की आलोचना यह दिखाते हुए करते हैं कि "निजी" समझे जाने वाली यौनतापुनर्जननता तथा घरेलू कार्य वास्तव में उत्पादन के सार्वजनिक क्षेत्र को सहारा देते हैं। उनका कहना कि घरेलू कार्य एक विक्रयवस्तु है यह अवैतनिक श्रम हैजोकि श्रम शक्ति का पुनरुत्पादन करता है। ऐसा दो अर्थों में होता है - (क) पुरुष श्रमिक के घर आने के बाद नारी द्वारा किए गए घरेलू कार्य ही यह सुनिश्चित करते हैं कि वह अगले दिन कार्य पर जाएँ और (ख) बच्चे वहन करने से वास्तविक लोगों का पुनरुत्पादन होता हैजोकि कारखानों आदि में काम करेंगे।

 

  • लेकिन इस घरेलू कार्य के लिए कोई वेतन नहीं दिया जाता और "निजी" क्षेत्र के इस अवैतनिक श्रम पर "सार्वजनिक" क्षेत्र का पूँजीवादी उत्पादन आधारित होता है और उसे सुनिश्चित करता है।

 

  • अतः सभी नारीवादी यह स्वीकारते हैं कि सार्वजनिक व निजी कोई पृथक क्षेत्र नहीं हैं और इनको अलग-अलग मानना महिलाओं के हित में नहीं है।

 

2 नारीवादियों में एकमतीयता का अभाव

 

लेकिन इस तथ्य के परिणामों के सम्बंध में नारीवादी एकमत नहीं हैं। नारीवाद को एक प्रकारजोकि अमेरिकी नारीवाद की विशेषता हैउनके परिप्रेक्षय से यह दलील देना संभव है कि पुनर्जनन अधिकारों से यौन उत्पीड़न से रक्षण तक जैसे नारीवादियों के महत्वपूर्ण दावों का प्रभावशाली आधार गोपनीयता है। वास्तव में गोपनीयता के व्यक्तिगत अधिकार का प्रयोग अमेरिका में पितृतंत्री परिवार के विरुद्ध नारियों को कुछ अधिकार देने में हुआ है। 

  • उदाहरण के लिए, 1972 में रो बनाम वेड के मामले में गर्भपात पर निर्णय व्यक्तिगत महिला के गोपनीयता के अधिकार पर आधारित है। इसी तरह से 1965 के निर्णय में कहा गया कि शादीशुदा जोड़ों का विरोध प्रयोग करने का अधिकार "अधिकारपत्र (Bill of Rights) से भी पुराने गोपनीयता के अधिकार का एक अंग है।" निजी / सार्वजनिक के द्वंद्व विभाजन को चुनौती देते हुए नारीवादीनारियों के लिए अधिकारों को प्राप्त करने का एक आधार गोपनीयता को बताते हैं और इसके समर्थन में वे तर्क देते हैं कि गोपनीयता के गुण महिलाओं को इसलिए प्राप्त नहीं हैं क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र में उनके पास व्यक्ति के रूप में रुतबा नहीं है। इस दृष्टिकोण के अनुसार नारीवादी व्यवहार का कार्य लिंग के संस्थाओं तथा व्यवहारों का रूपान्तरण करना हैजिससे सरकारी व कानूनी अनुचित हस्तक्षेप से मुक्ति मिले और गोपनीयता का एक सच्चा क्षेत्र पुरुष तथा नारीदोनों को उपलब्ध हो। 
  • लेकिन भारतीय नारीवादियों ने इस स्थिति को स्वीकार नहीं किया है। इससे अधिक सामान्य तो एक सवर्था विपरीत मत है और वह है आमूल नारीवाद का नारा "व्यक्तिगत राजनीतिक हैं"जिससे नारी के विरुद्ध घरेलू हिंसाशिशु दुर्व्यवहार (child abuse) तथा बलात्कार जैसे विनय सार्वजनिक क्षेत्र में आ गए हैं। इन मुद्दों पर नारीवादी दवाब का अर्थ यह मानना है कि परिवार के भीतर के "निजी" क्षेत्र में महिलाओं के विरुद्ध विभिन्न प्रकार की हिंसा तथा यौनता सैद्धान्तिक रूप से उसी प्रकार की कार्यवाही के योग्य हैंजैसा कि "सार्वजनिक" क्षेत्र में हिंसा के साथ होती है। 
  • विचारों की इस श्रृंखला का विवेकशील विस्तार यह है कि गोपनीयता तथा परिवार "न्यायिक शून्यता" अथवा "न्यायिक कमज़ोरी" के क्षेत्र उस सीमा तक हैंजिस सीमा तक वे (गोपनीयता व परिवार) कानून के दायरे से बाहर हैं। इस तरह से यौनता व परिवार से उठने वाले मुद्दे कानूनी महत्वत्ता प्राप्त कर लेते हैं। वैसे तो इस स्थिति के प्रतिपादक यह मानते हैं कि राज्य पितृतुल्य तथा पुरुष हैफिर भी उन्हें यह विश्वास है कि नारी के दृष्टिकोण से यदि नारीवादी कानून बनाएँ तो वह नारियों के हित में होगा। वे इसीलिए गोपनीयता के अधिकार का विरोध करते हैं क्योंकि यह तो शक्ति की मौजूदा संरचनाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र में संसाधनों तक पहुँच को सुरक्षित रखने का उसे (गोपनीयता के अधिकार) एक साधन मानते हैं। 
  • उदाहरण के लिए यह तर्क दिया जाता है कि गर्भपात के गोपनीयता के अधिकार के रूप में स्वीकृति से राज्य ने यह सुनिश्चित किया है कि जो नियंत्रण इस कानून से नारी ने प्राप्त किया हैवह परिवार के अन्दर पुरुषो पति और पिता के हाथ से चला जाए। फिर यदि गर्भपात को गोपनीयता के अधिकार के रूप में निर्मित किया जाएतो राज्य की गर्भपात के  लिए सार्वजनिक धन उपलब्ध कराने की कोई जिम्मेदारी नहीं है।

 

  • इस तरह से सार्वजनिक/निजी द्वन्द्व विभाजन की नारीवादी पुनर्धारणा और एक दमनकारी संस्था के रूप में परिवार की आलोचना वाद-विवाद के नए क्षेत्रों को खोल देती है।

  

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